पीपल से प्रेत साधना – वैसे तो आपको कोई भी प्रेत की साधना नहीं करनी चाहिए ।क्योंकि यदि आप ऐसा करते हैं तो प्रेत आपको नुकसान पहुंचा सकता है। और यदि आपके पास गुरू नहीं है तो इस साधना को भूलकर भी नहीं करना चाहिए । पीपल प्रेत साधना करने से पहले आपको किसी योग्य गुरू से संपर्क करना चाहिए ।
प्रेतराज की साधना बहुत ही ताकतवर है। इस साधना को रात्री 10 से 12 बजे से रविवार को करना होता है। समय एक ही चुनना है। आपको रात को 10 बजे के बाद एक सरसों का दीपक और मिटटी के बर्तन के अंदर पानी ले जाना है। और इनको पिपल के जड़ के अंदर रखकर आना होगा । और दीप को वहां पर जला देना होता है।
और इसी तरह से वहां पर जाकर पीपल को प्रणाम करके आना होता है।इस प्रकार से कहा जाता है कि 10 दिन के बाद प्रेतराज बोलना शूरू कर देता है। लेकिन साधक उससे बात नहीं करता है। 21 वें दिन थोड़े मीठे चावल वहां पर चढ़ानें होते हैं। और इस दिन यह प्रत्यक्ष आ जाता है।उसके बाद आपको तीन वचन लेने होते हैं।
पीपल प्रेत साधना के अनेक तरीके हो सकते हैं।इस तरीके के अंदर रात को 10 से 12 से करते हैं। सबसे पहले तीन अगरबती लेकर जाए और वहां पर जलाकर आए और पीपल को प्रणाम करके आए । इसके अलावा वहां पर जाने से पहले एक रोज मिटटी का कटोरा मे पानी भरकर ले जाना होता है। इसके अलावा मौती चूर का लूडडू भी लेकर जाना होता है। और प्रेतराज म आगच्छ नम: मंत्र 21 बार बोलना होगा ।
उपर जो हमने आपको साधना बताई हैं। वे पूर्ण नहीं हैं । क्योंकि कुछ लोग गलत कर सकते हैं। इस तरह की साधना करने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना होगा ।
दोस्तों रक्षाकवच एक प्रकार का मंत्र होता है जो आपकी सुरक्षा करता है।यदि आपके पास रक्षाकवच नहीं है या आप इसके बारे मे कुछ नहीं जानते हैं तो आप यह साधना ना करें । रक्षाकवच वह मंत्र होता है जिसकी वजह से प्रेत राज आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।
दोस्तों जिस भी स्थान पर आप यह साधना करें वह एकांत स्थान पर होना चाहिए और आपको कभी भी श्मसान के अंदर साधना नहीं करनी चाहिए ।इसके अलावा आपको साधना करते समय कोई देखे ना ।
यदि आपका कोई गुरू नहीं है तो साधना को भूलकर भी नहीं करें । वरना कुछ भी गलती होने की वजह से प्रेतराज आपको जान से मार सकता है। इस वजह से सबसे पहले अपने लिए गुरू की तलास करें ।
यदि आप प्रेतराज की साधना करना चाहते हैं तो आपको डर को अपने दिमाग से निकाल देना चाहिए ।प्रेतराज का रूप बहुत खतरनाख होता है। यदि आपके अंदर जिगर नहीं है तो इस तरह की साधनाओं मे ना फंसे ।
आपको कोई भी ऐसा पीपल का पेड़ नहीं चुनना है। जिसके पास मंदिर हो । क्योंकि वहां पर आप प्रेतराज को प्रकट नहीं करपाओगे । इस वजह से ऐसा स्थान चुनना है ,जहां पर किसी प्रकार का कोई मंदिर नहीं हो ।
दोस्तों हम यह दावा नहीं करते हैं कि यह तरीका सही है। और यदि आप इस तरीके का प्रयोग करते हैं आपको कोई नुकसान होता है तो इसके लिए आप खुद उत्तर दाई होंगे ।इस लेख को मात्र एक जानकारी समझें ।
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