सुर सुन्दरी यक्षिणी साधना विधि ,सुर सुन्दरी यक्षिणी साधना मंत्र और अनुभव के बारे मे हम यहां पर बात करेंगे । दोस्तों सुर सुंदरी भी एक यक्षिणी होती है।हालांकि इनके बारे मे हमको ज्यादा जानकारी नहीं है कि यह किस प्रकार से काम करती हैं। लेकिन जहां तक जानकारी है कि इस ब्रह्रामांड के अंदर अनेक प्रकार के लोक और लोकांतर हैं। लेकिन वहां पर भौतिक देहधारी प्राणी नहीं रहते हैं। वरन वहां पर कुछ ऐसे प्राणी रहते हैं जिनकी कोई भौतिक देह नहीं होती है। यानी वे सूक्ष्म शरीर के अंदर होते हैं।
सुरसुन्दरी यक्षिणी भी यक्षिणी का एक प्रकार है जो अभौतिक देह के अंदर रहती है। माना जाता है कि यक्ष का लोक धरती के सबसे निकट है और यक्ष के पास काफी अधिक शक्तियां होती हैं।
सुरसुन्दरी यक्षिणी के बारे मे अधिक जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह सबसे सुंदर स्त्री होती है। संभव है आपको वैसी स्त्री कहीं पर भी ना मिले ।सुरसुन्दरी यक्षिणी के दर्शन यदि आप कर लेते हैं तो यह आपके लिए सौभाग्य की बात होगी और इसकी सुंदरता के बारे वे ही अधिक बता सकते हैं जिन्होंने यह साधना की होगी ।लेकिन इतना माना जाता है कि यह सुंदरता मे सबसे अच्छी होती है। आपको बतादें कि यह भौतिक सुंदरता नहीं होती है। क्योंकि यक्षिणी का कोई सुंदरता की वजह से ही इसको सुरसुन्दरी यक्षिणी कहा गया है। भौतिक शरीर नहीं होता है। इनका शरीर अपंचिक्रत होता है। सुरसुन्दरी यक्षिणी आदि के बारे मे सम्पूर्ण रहस्य को बताया नहीं गया है। और बताया गया है तो संभव है वह विलुप्त हो चुका हो । कुछ योगी ही अब बचे हैं जो इसके रहस्य को अच्छे से जानते हैं।
दोस्तों सुरसुंदरी यक्षिणी की साधना आप माता ,बहन या प्रेमिका के रूप मे कर सकते हैं लेकिन कहा जाता है कि आप इसको एक प्रेमिका के जैसे उपयोग कर सकते हैं यह आपको एक रियल स्त्री के अनुभव दिला सकती है लेकिन इस प्रयोग के अंदर भोग का कोई स्थान नहीं होता है। कुछ साधक सोचते हैं कि वे यक्षिणी को सिद्व करके उनके साथ भोग कर सकते हैं तो यह उनकी गलत फैमी है।
सुरसुन्दरी यक्षिणी की साधना यदि आप प्रेमिका के रूप मे करें तो अधिक अच्छा होगा ।ऐसा माना जाता है कि यह एक रियल प्रेमिका के जैसा व्यवहार कर सकती है या आपकी मन की बात को पढ़ सकती है और आप इससे बात भी कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात तो यह है कि आप इसको कहीं पर भी बुला सकते हैं।
सुना जाता है कि कि सुरसुंदरी को पत्नी के रूप मे कभी भी सिद्व नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि वह किसी दूसरी स्त्री को स्पर्श करता है तो साधक की मौत हो जाती है। हालांकि इसकी सही जानकारी कोई योग्य गुरू ही बता सकते हैं। सबसे अच्छी बात है कि आप उसे एक मित्र की तरह सिद्व कर सकते हैं । यह सबसे अच्छा तरीका है।
दोस्तों आपको कोई भी साधना यहां पर देखकर नहीं करनी चाहिए ।यहां पर हम जो तरीका बता रहे हैं वह मात्र जानकारी है। कुछ लोग किताबों से पढ़कर यक्षिणी साधना करने बैठ जाते हैं तो अंत मे उनको नुकसान होता है। यह साधना रात को 10 से 12 बजे के बीच आरम्भ करनी होती है।हालांकि अलग अलग गुरूओं के अलग अलग नियम हो सकते हैं। उसके बाद माला स्फटिक की लेनी होती है। यह पूरी तरह से सिद्व होनी चाहिए ।
आपको स्नान करके गुलाबी और लाल वस्त्र पहनने होंगे ।और गुलाब का इत्र लगाएं और लाल रंग के आसन पर बैठना होगा ।अपने सामने एक चोकी लगाएं और लाल और गुलाबी कपड़ा बिछाएं ।उसके बाद उसके उपर सुरसुंदरी की फोटो रखें और चमेली का दीपक जलाएं ।
भोग मे दुध से वनी मिठाई और ड्राई फ्रूट रखे एक प्याले मे शराब रखे सुगन्धित धुप जलाये और चारो तरफ ईत्र छिड़के फिर एक माला गणेशजी के मन्त्र की करे ॐ गं गणपतये नमः। उसके बाद
उसके बाद एक माला भैरवजी के मंत्र की करें उसके बाद एक माला अपने गुरू मंत्र की करनी होगी ।यह सारी प्रोससे रोज ही करनी होती है। उसके बाद 108 माला रोज सुर सुंदरी यक्षिणी की करनी होगी और उसके बाद यह क्रिया 21 दिन तक करनी होगी ।
ॐ ऐं ह्रीं आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा
22 वे दिन हवन करे 1008 आहुतियां दे हवन शुद्ध घी मे चमेली का इत्र और गुलाब की पत्ती मिला कर करना है। और ऐसा करने से सुर सुंदरी प्रसन्न हो जाएगी और आपको दर्शन देगी ।
जब कोई सुर सुंदरी की साधना को विधि पूर्वक सम्पन्न करता है तो वह साधक को दर्शन भी देती है और ऐसी स्थिति के अंदर सुर सुंदरी को प्रणाम करना चाहिए । वह इस समय पूछे कि आप ने उसे क्यों याद किया तो आप इसके लिए वचन ले सकते हैं। कि आप मेरी सखा बनना स्वीकार कीजिए।
जैसा कि दोस्तों हर यक्षिणी साधना के अपने फायदे होती हैं। इसी प्रकार से सुर सुंदरी को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति देने वाली बताया गया है। यदि कोई इसको माता के रूप मे सिद्व करता है तो यह साधक का एक माता की भांति पूरा ख्याल रखती है।इसी प्रकार से यदि कोई सुर सुंदरी को बहन के रूप मे सिद्व करता है तो फिर उसके प्रति उसी प्रकार के भावों को रखना चाहिए । वह एक बहन की तरह साधक के साथ व्यवहार करती है।
दोस्तों हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम कोई साधक नहीं हैं। बस हम मात्र जानकारी एकत्रित करते हैं। और उसको यहां पर प्रकाशित कर देते हैं। यह मात्र ज्ञान के लिए ही होता है। कुछ लोग इससे अच्छा मनोरंजन कर लेते हैं।कुछ लोगों के लिए यह काल्पनिक हो सकती है।
मेरा नाम जगदिश कुमार है । साधना के क्षेत्र मे मेरी रूचि हमेशा से ही रही है। हालांकि मैंने पहले भी कई साधना की थी और उसके अंदर मुझे अच्छी सफलता मिली थी। सुन रखा था कि सुरसुंदरी यक्षिणी काफी सुंदर होती है और यदि कोई उसकी साधना कर लेता है तो उसके रूप का पान किया जा सकता है। सुंदरता के बारे मे बहुत कुछ जाना जा सकता है।खैर मेरे गुरू के पास मैं गया और उनके चरण छूकर बोला ……गुरूजी मैं चाहता हूं कि आप मुझे यक्षिणी सुरसुंदरी की साधना के बारे मे बताएं और उसके करने की आज्ञा प्रदान करें ।
………… मैं चाहता हूं कि तुम इन फालतू की साधनाओं के चक्कर मे ना पड़ो और अपने मोक्ष के बारे मे सोचो और उसी के उपर काम करो ।
………. क्या सुर सुंदरी यक्षिणी साधना बुरी होती है ?
……… नहीं बुरी नहीं होती है यदि आपका मन मैला है तो आप उस शक्ति से वैसी ही आसा रखोगे । हर साधना मे मन को साफ रखना बहुत ही जरूरी होता है।यदि मन मैला होगा तो बुरी गति होगी । वरना तो भूतों से भी सही काम करवाए जा सकते हैं।वैसे मैंने यह साधना नहीं की है लेकिन विधि बता सकता हूं ।
उसके बाद गुरू ने मुझे इसकी पूरी विधि बताई । जिसका उल्लेख मे यहां पर नहीं कर सकता हूं ।मैंने उस विधि को अपनी एक बुक के अंदर नोट कर लिया था। उसके बाद गुरू का आशीर्वाद लेकर आ गया । गुरू ने बोला था कि कोई भी गलत इच्छा मत करना वरना नष्ट हो जाओगे ।
मुझे बोला गया था कि इस साधना को एकांत के अंदर ही करना है। मेरे खेत के अंदर एक मकान था और वहां पर मैं कुछ सामान ले गया और यह साधना 22 दिन की थी। घरवालों को नहीं पता था कि मैं कहां जा रहा हूं । पहले ही दिन आसन लगाया और इससे पहले कपड़ों के उपर इत्र लगाया नए कपड़े पहने पूरे कमरे मे इत्र की सुगंध आ रही थी। और आस पास सारी चीजें रखी जो इस साधना के लिए आवश्यक थी। सबसे पहले गणेश की मंत्र की एक माला की और उसके बाद भैरव की और फिर गुरू मंत्र की एक माला की । उसके बाद
मैंने यक्षिणी की 108 माला लगभग 5 घंटे के अंदर पूरी करदी थी। हालांकि मैं बड़े आराम से जप रहा था। इस दिन मुझे कुछ भी अनुभव नहीं हुआ हालांकि लगातार 5 घंटे बैठे रहने से सिर थोड़ा भारी हुआ । उसके बाद वहीं पर लैट गया । इसी प्रकार से होते हुए लगभग 3 दिन और गुजर गए ।मुझे किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं हो रहा था। हालांकि मन मे यह संशय भी था कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं हो रहा है। उसके बाद 5 दिन मैंने वही प्रक्रिया दौहराई और जैसे ही एक माला जपी मेरे मन के अंदर बैचेनी होने लगी ।
यक्षिणी मन के उपर काफी प्रभाव डाल रही थी।मन के अंदर काफी बेचेनी थी और बार बार मन कह रहा था कि माला जप छोड़दे । लेकिन मुझे पहले ही बताया जा चुका था कि यदि माला जप बीच मे छोड़ दिया तो सुरसुंदरी मौत देगी । मैं पहले ही कई साधनाओं को कर चुका था तो अनुभव था। उस दिन बड़ी ही बैचेनी के साथ 108 माला को पूरा किया । हालांकि कुछ भी अनुभव नहीं हुआ बस मन बैचेन रहा । माला को पूरा करने मे 5 घंटे से अधिक समय लग गया ।
मैं आपको बतादूं कि मैं दिन के अंदर सुरसुंदरी यक्षिणी साधना मे सोता नहीं था । गुरू ने इसके लिए मना किया था।उसके बाद 6 दिन भी कुछ खास नहीं हुआ । और इसी प्रकार से लगभग 10 दिन बीत गए नोर्मल चीजे ही हुई। उसके बाद 11 वे दिन मैं जैसे ही माला जपने के लिए बैठा । मैंने देखा कि मेरे सामने एक बहुत ही भयंकर राक्षस आकर खड़ा हो गया है।और उसके एक हाथ के अंदर तलवार है। उसे देखकर मेरा कलेजा सूख रहा था। मुंह के अंदर आवाज भी नहीं निकल रही थी। वह अपनी तेजी से मेरे उपर प्रहार करता है लेकिन मेरा कुछ नहीं हुआ । बाद मे वह अचानक से गायब हो गया ।
इस समय मेरी हालत बहुत खराब थी। और बहुत ही मुश्किल से 100 माला जप की । उसके बाद अगली माला जप करने बैठा तो देखा कि सामने एक विशाल आग का गोला मेरी ओर आ रहा है । और वह जल्दी ही मुझे जलाकर रखा कर देगा । हालांकि मेरी मानसिक एकाग्रता काफी अधिक थी। इसकी वजह से मैं इस साधना के अंदर टिका रहा । यदि कोई दूसरा होता तो वह इस साधना मे टिकना काफी मुश्किल हो जाता ।जब आग का गोला मेरे समीप आया तो वह रूक गया । कुछ देर वह ऐसे ही मेरे पास रहा । मुझे काफी अधिक गर्म लग रही थी। शरदी के मौसम के अंदर भी काफी तपन महसूस कर हरा था।
मैं मंत्र जप करता रहा और वह आग का गोला मेरे सामने वैसे ही स्थिर रहा । जैसे ही मंत्र जप समाप्त हुआ वह चला गया । इस दौरान मेरे शरीर से बहुत अधिक पसीना निकल रहा था।
इस प्रकार से से मुझे अनुभव होते रहे और मे साधना के मार्ग मे आगे बढ़ता रहा ।लगभग इसी तरीके के डरावने अनुभव को झेलते हुए मुझे 19 दिन बीत गए । 19 वे दिन जब माला जप करने के लिए नहाया धोया और इत्र लगाकर बैठा तो 10 माला जपने के बाद अनुभव हुआ जैसे कोई स्त्री मेरे चारो ओर घूम रही है। और वातावरण के अंदर बहुत अधिक मादक सुगंध आ रही थी। और मन इतना बैचेन हो गया कि इस साधना को छोड़ दिया जाए । मन की बैचेनी काफी तेजी से बढ़ रही थी। और 100 माला जपते जपते मुझे लगा जैसे की कोई स्त्री मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई है।
मैं उसकी सुंगध को महसूस कर सकता था।वाकाई मे उसके जैसी सुंगध कहीं और नहीं थी। इस दिन मुझे किसी प्रकार के डरावने अनुभव नहीं हुए । उसके बाद 20 वा दिन जब माला जप करने बैठा तो एक बहुत ही सुंदर स्त्री जो मेरे पास आई और बैठ गई। इतनी सुंदर की उसकी सुंदरता का वर्णन नहीं किया जा सकता था। वह मुझसे चिपकी हुई थी और आराम से बैठी थी।
हालांकि इस दिन उसने मुझसे कोई बात नहीं की और मंद मंद मुस्कुराती हुई मंत्रजप करने के बाद चली गई।
अंतिम दिन भी कुछ इसी प्रकार का अनुभव हुआ और उसके बाद जब मैंने हवन वैगरह किया तो वही सुंदर स्त्री मेरे सामने प्रकट हुई और बोली की आपकी साधना से मैं प्रसन्न हुं आपकी क्या सहायता मैं कर सकती हूं।
उसके बाद मैंने उसको हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बोला ……… कि आप मेरी सखा बनकर रहे और जब भी मैं आपको बुलाउं तभी आप आएं और मेरे साथ वक्त गुजारें ।उसके बाद सुरसुंदरी ने अपना वचन दिया और मेरे पास बैठ गई। मुझे पहली बार एहसास हुआ कि वह बहुत अधिक सुंदर थी। स्वर्ग की अप्सरा के समान सुंदर थी। इस प्रकार की सुंदर स्त्री को मैंने आज तक घरती के उपर नहीं देखा था।इतनी सुंदर होने की वजह से ही इसको सुर सुंदरी नाम से पुकारा जाता है। वह सिर्फ मानसिक रूप से मेरे साथ कुछ बात की और उसके बाद चली गई।
सुर सुंदरी यक्षिणी की साधना का अनुभव काफी अच्छा रहा । पहले तो मैं यक्षिणी कोई बार बुलाता था और उसका सहाचर्य प्राप्त करता था लेकिन बाद मे मुझे महसूस होने लगा कि मेरा मन उसकी ओर काफी अधिक आकर्षित हो चुका है। वह अपने रस्ते से भटक सकता है तो मैंने उसे बुलाना बंद कर दिया और अपनी जरूरी दूसरी
साधना के बारे मे ध्यान देने लगा ।यह साधना हर कोई नहीं कर सकता है। और करनी भी नहीं चाहिए । जिस इंसान ने मन की एक खास एकाग्रता को विकसित कर लिया है। वही इसके अंदर सफल हो सकता है।
दोस्तों यक्षिणी के 36 नाम बताये गए हैं। जिसके बारे मे हम आपको यहां पर दे रहे हैं।
विचित्रा, विभ्रमा,हंसी, भिक्षिणी, जनरंजिका, विशाला, मदना, घण्टा, कालकर्णी,महाभया, माहेन्द्री, शंखिनी, चान्द्री, श्मशानी, वटयक्षिणी, मेखला,विकला, लक्ष्मी, कामिनी, शशपत्रिका, सुलोचना, सुशोभाढ्या,कपाली, विलासिनी, नटी, कामेश्वरी, स्वर्णरेखा, सुरसुन्दरी, मनोहरा,प्रमोदा, रागिणी, नखकेशिका, नेमिनी, पिùनी, स्वर्णवती, रातिप्रिया।
दोस्तों यदि आप अपने गुरू के सानिध्य के अंदर प्रयास करें । और यदि यक्षिणी प्रकट ना हो तो क्रोध मंत्र का जाप करना चाहिए । इस मंत्र की वजह से यक्षिणी जरूर ही आपके साथ प्रकट हो जाती है। वरना वह महानरक मे गिर जाएगी । या फिर उसकी आंख फट जाएगी ।
‘ओम जूं कट्ट-कट्ट अमुकयक्षिणी ह्रीं यः यः हुं फट्।’
दोस्तों सुर सुंदरी यक्षिणी साधना के कुछ मंत्र होते हैं। और उन मंत्र की मदद से आप यक्षिणी को सिद्ध कर सकते हैं। यह मंत्र कुछ इस प्रकार से होते हैं।
एकादशाक्षर मंत्र- ‘‘ओम आगच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा।’’
द्वादक्षर मंत्र- ‘‘ओम ह्रीं आगच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा।’’
त्रयोदशाक्षर मंत्र- ‘‘ओम आगच्छागच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा।’’
त्रयोदशाक्षर मंत्र- ‘‘ओम नमो आगच्छ सुरसुन्दरी स्वाहा।’’
सुरसुंदरी यक्षिणी किस रूप मे सिद्ध की जा सकती है ?
तो आपको बतादें कि सुदर सुंदरी यक्षिणी माता बहन या पत्नी के रूप मे सिद्ध की जा सकती है। बेहतर यही है कि आप इसको माता या बहन के रूप मे ही सिद्ध करें । खास कर यदि आप एक विवाहित इंसान हैं तो । यदि आप विवाहित नहीं हैं , तो फिर पत्नी के रूप मे सिद्ध कर सकते हैं। यदि आप इसको माता के रूप मे सिद्ध करते हैं तो यह आपको धन यश और मान सम्मान देती है। वहीं यदि आप बहन के रूप मे इसको सिद्ध करते हैं , तो यह आपका एक बहन की तरह ध्यान रखती है।और आपको रोजाना धन और दिव्य वस्तुएं लेकर आती है। वहीं यदि आप इसको पत्नी के रूप मे सिद्ध करते हैं , तो मनुष्य इस संसार मे राजा हो जाता है। और उसको सभी तरह का सुख मिलता है। लेकिन वह अन्य स्त्री का स्पर्श नहीं कर सकता है। नहीं तो नष्ट हो जाता है।
सुर सुन्दरी यक्षिणी साधना लेख के अंदर हमने जो कुछ भी लिखा है। उसके बारे मे हम सत्यता का दावा नहीं करते हैं। पाठक इसको केवल मनोरंजन के लिए ही लें । घर पर प्रयोग करेंगे तो इसके जिम्मेदार आप खुद होंगे ।
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