दोस्तो आपको इस लेख के अंदर ईश्वर का पर्यायवाची शब्द या ईश्वर का समानार्थी शब्द के बारे मे जानकारी दी जाएगी । साथ ही ईश्वर से जुडी और भी जानकारी दी गई है ।
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द |
ईश्वर | ईश, परमेश्वर, परमात्मा, ब्रह्म, परब्रह्म, सच्चिदानन्द, उॅं, शिव, शर्व, अलख, अगोचर, अज, अनादि, अनन्तर, गुणातीत, निर्गुण, व्यापक, महेश्र्वर, शंकर, हिरण्यगर्भ, भगवान, प्रभु, महाप्रभु, स्वामी, परमपिता, पति, साहब, जगदीश, जगदीश्वर, विधाता, देव, गॉड, खुदा, अल्लाह, सर्पशक्तिमान, ठाकुर, मालिक, त्रिलोकीनाथ , स्वयंभू, साईं, रब, अक्षय, अखिलेश, जगन्नाथ, अच्युत, अंतर्यामी, विश्वनाथ, अक्षरब्रह्म, दीनानाथ, आदिपुरुष । |
ishwar | eesh, parameshrvar, paramatma, brahm, parabrahm, sachchidanand, uain, shiv, sharv, alakh, agochar, aj, anadi, anantar, gunateet, nirgun, vyapak, maheshrvar, shankar, hiranyagarm, bhagavan, prabhu, mahaprabhu, svam, paramapita, pati, sahab, jagdish, jagdishvar, vidhata, dev, god, khuda, allaah, sarpashaktiman, thakur, dinanath, svayambhoo, saen, vishvanath, rab, akhilesh, trilokinath, jagnnath, achyut, antaryaamee, akshay, aksharabrahm, malik, . |
God | God,the ancient of days, the most high, god, golly, dev, deity, Elf, deity, divinity, Allah, deity, omnipresent, the eternal, Divine, Shiv, light, imperceptible, today, beginningless, infinite, nirguna, Shankar, Lord, sovereign, ever-present, owner, possessor, boss, principal, swami, almighty, jagdish, creator, Om Sai, renewable, protoplast, Lord Shiva. |
ईश्वर एक प्रकार की शक्ति है जो संसार को चलाने का काम करती है । वही ब्रह्माण्ड के रचयिता भी ईश्वर को माना जाता है । अगर ईश्वर को माना जाए तो वह धरती की हर जगह और सभी स्थानो में मोजूद होता है । इस कारण से ईश्वर की पूजा के लिए सच्चे मन से कही पर भी हाथ जोड लिया जाता है तो भगवान उसे मान लेते है ।
दोस्तो यह कहना बहुत कठिन है की ईश्वर होते है की नही क्योकी ईश्वर वह है जिसका न तो जन्म होता है और न ही मृत्यु होती है । बल्की ईश्वर शुन्य है । अनेक विदवानो का मानना है की ईश्वर का जन्म तो नही होता मगर वे एक ऊर्जा के रूप मे संसार के हर कोने मे रहते है । यह ऊर्जा सत्य होती है जो सत्य का साथ देती है ।
इस ऊर्जा का वही व्यक्ति अनुभव करता है जो स्वयं सत्य और उसका मन शून्य हो क्योकी ईश्वर को जानने के लिए ईश्वर की तरह शून्य होना जरूरी होता है । तब ही ईश्वर है की नही यह जान सकते है । यही इस्लाम कहता है की अगर ईश्वर को जानना है तो अल्लाह का ध्यान जरूरी है । साथ ही ईश्वर को ही संसार के निर्माता माना जाता है ।
मगर वैज्ञानिक आधार पर यह नही कहा जा सकता की ईश्वर सत्य है यानि वैज्ञानिको ने इस बारे मे कुछ नही बताया । मगर जब कोई किसी के बारे मे नही जानता है तो उसे न होना भी नही कहा जा सकता है ।
वेदो मे बताया जाता है की ईश्वर परमसत्य है और उनके बारे मे जानने के लिए शून्य होना जरूरी है । क्योकी ऋषी मुनी अपने ध्यान के कारण से अपने आप को शून्य के करीब लेकर चले जाते है तो उनका कहना है की ईश्वर एक प्रकार की ऊर्जा है जिसका अनुभव करना सभी के लिए जरूरी है । साथ ही कहा जाता है की इससे अधिक और आनन्दित कुछ नही हो सकता है ।
दोस्तो व्यक्ति के जीवन मे ईश्वर का महत्व जानने से पहले यह जान लेते है की ईश्वर का अर्थ शून्य से होता है यानि ईश्वर कुछ नही है और सब कुछ है । यहां पर दो तरह की बात हो रही है जिससे समझना आसान नही है । मगर आपको बता दू की कुछ नही होने का अर्थ भौतिक वस्तु से है और सब कुछ होने का अर्थ संसार से है यानि जो ईश्वर ने बनाया है वह ईश्वर है ।
क्योक कहा जाता है की ईश्वर हर किसी के अंदर होता है । तो यह बात सच है । क्योकी ईश्वर एक तरह की ऊर्जा होती है जो संसार के हर किसी व्यक्ति मे होती है । मगर उसे उजागर करने के लिए बहुत अधिक कठिन परिश्रम करना पडता है । यहां पर परिश्रम करने का अर्थ कार्य करने से नही है बल्की अपने शरीर के अंदर झाक कर और संसार की इस ऊर्जा का अनुभव करने से है । जब ऐसा कोई कर लेता है तो वह ईश्वर को जान सकता है की ईश्वर क्या है ।
अब रही बात मनुष्य के जीवन में ईश्वर का महत्व की तो बता दू की एक प्रकार की ऊर्जा है जो सत्य और नेक कर्मो से भरपूर है । जिसका ध्यान करने पर उस व्यक्ति में भी ईश्वर के समान ऊर्जा पहुंचने लग जाती है । जिसके कारण से वह भी अपने दूखो को आसानी से दूर कर सकता है । क्योकी मनुष्य के अंदर दुख तो आते ही रहते है । जिसके कारण से हर कोई दूखी रहता है ।
मगर ईश्वर का ध्यान करने पर जो दुख आएगे उनके कारण से व्यक्ति दुखी नही होगा बल्की उन्हे भी अपने जीवन के लिए एक अच्छा कार्य मानेगा यानि दूखो का महत्व वह मानेगा । जिसके कारण से दुख आने पर भी खुश रहने की कोशिश करता रहता है । क्योकी संसार में दुख आने पर ही हमे सुखो का अनुभव होता है और दुख के कारण ही हमे अपने पराय के भेद का मालूम पडता है ।
इसके अलावा जीस कारण से दुख आया है उस गलती का हमें पता चलता है । इस आधार पर कह सकते है की दुख भी आने जरूरी है । मगर ईश्वर का ध्यान करने पर इन दुखों को आसानी से दूर किया जा सकता है । ईश्वर को भ्रमाण्ड का रचयिता कहा जाता है जिसके कारण से जब मनुष्य का जन्म नही होता है उससे पहले ही ईश्वर का उपकार उस मनुष्य के साथ जुड जाता है । क्योकी मां के पेट से लेकर मरने तक ईश्वर के द्वारा बनाई गई सभी वस्तुओ का उपयोग करता है ।
आज जिस प्रकृति को हम देख कर आनन्दित होते है उसे ईश्वर ने ही बनाया है और वर्षा का होना न होना भी ईश्वर की इच्छा होती है । जिसके कारण से जब पेड पौधो को पानी नही मिलेगा तो वे बढे कैसे होगे यह तो आपके भी पता है । और जब आज किसान फसल बोता है तो वह अपने ईश्वर को याद कर कर फसल को अच्छा बनाने की प्राथना करता है । तो वह भी ईश्वर का दिया हुआ है ।
मगर वर्तमान में विज्ञान की इतनी अधिक तरकी के कारण से ईश्वर को कम माना जाता है । क्योकी मनुष्य पैसे कमाने मे लग गया है । जिसके कारण से वह ईश्वर के द्वारा बनाई गई वस्तुओ का अनुपयोग कर कर उसे नष्ट करने मे लगा है । पैसे कमाने की लालच मे उसने कई पेड पौधों को नुकसान पहुचा दिया । जिसे ईश्वर ने मानव के उपयोग के लिए ही बनाई थी ।
अगर नष्ट ही करना था तो एक चक्रवात के कारण से पल भल मे पूरी की पूरी धरती नष्ट किया जा सकता है । यह किसी और कारण से नही होता बल्की ईश्वर ही करता है । क्योकी मनुष्य वायु को तेज या कम नही करता बल्की ईश्वर की इच्छा से ही यह सब होता है । जिसके कारण से कहा जाता है की जो होता है वह ईश्वर करता है और जो नही होता वह भी ईश्वर करता है । यानि ईश्वर सब जहों पर मोजूद होता है ।
इस तरह से कहा जा सकता है की ईश्वर ही सर्वमान्य है और ईश्वर ही सब है यह जो भोतिक शरीर वह ईश्वर है ।
भगवान कृष्ण को आप जानते है जो हिंदू धर्म के एक देव है उन्होने कहा है की जब कोई मनुष्य अपने आप को शून्य कर लेता है तो वह सब वस्तु मे हो जाता है । और ऐसी ही बाते आपने अपने गुरूओ और कुछ श्रेठ ऋषी से सुनी होगी । जो किसी को छोटा या बडा नही मानते और न ही किसी को अपना और न ही किसी को पराया मानते है ।
मगर कुछ लोगो का कहना है की ऐसा हमने नही सुना यह सच है क्योकी ऐसे ऋषी महान होते है जो संसार से अपना रिस्ता तोडने में लगे है । वे मोक्ष प्राप्ती के लिए ऐसा कर रहे है । और मोक्ष का अर्थ जन्म न होना यानि पूरी तरह से शून्य हो जाना जाता है । जिसके अंदर किसी प्रकार की ईच्छा रहे।
इस तरह से कह सकते है की मनुष्य अपने जीवन मे जिस किसी का उपयोग करता है वह सब ईश्वर का बनया हुआ है तो मनुष्य के जीवन में ईश्वर का महत्व है । साथ ही कहा जाता है की मरने के बाद आत्मा परमात्मा से मिल जाती है तो इसका अर्थ हुआ की मृत्यु के बाद भी ईश्वर का महत्व रहता है ।
साथ ही संसार के लोग ईश्वर को अपने दुख कम करने के लिए भी याद करते है तो ईश्वर को मोक्ष प्राप्ति के लिए भी याद करते है । ईश्वर वैसे कुछ नही है मरग सब कुछ है । यानि जैसा कहा जाता है की मानो तो भगवान वरना पत्थर की मुर्ती बिल्कुल वैसे ही यानि मानने वाले के लिए सब कुछ है तो न मानने वाले के लिए कुछ नही है । अंत मे कहना चाहता हूं की ईश्वर का मनुष्य जीवन में बडा महत्व है ।
हां, ईश्वर मानव के लिए उपयोगी है मगर यह उन ही लोगो के लिए उपयोगी है जो की इन्हे मानते है । अगर आप ईश्वर को नही मानते है तो आपको बात दे की यह आपके लिए कभी उपयोगी नही होगे क्योकी ऐसा आपको लगेगा ही नही यह आपके उपयोगी है ।
हिंदू धर्म के अनेक ग्रंथो में लिखा गया है की जो ईश्वर की पूरा करता है ईश्वर भी उसकी इस जीवन में मदद करते है । आपको बता दे की यह भौतिक शरीर आप स्वयं नही है बल्की इसके अंदर आत्मा जो है वह आप है और ईश्वर इस शरीर की मदद कम करता है मगर आत्मा की मदद ज्यादा करता है। इस कारण से मरने के बाद में भी ईश्वर मदद कर सकता है ।
और आपको पता होगा की जब हमारे जीवन में किसी तरह के दुख होते है तो हम ईश्वर को कहते है और वे दूर हो जाते है । मतलब साफ है की ईश्वर दूखो को भी दूर करते है । और इसका मतलब हुआ की ईश्वर मानव के लिए उपयोगी है ।
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