ऊंट किस देवता का वाहन है ? ऊंट किसकी सवारी है
हम बात करेंगे ऊंट किस देवता का वाहन है और ऊंट किस देवता की सवारी है। ऊँट एक चार पैरों वाला प्राणी है जो या तो उच्च कूबड़ वाले कैमलस ड्रोमेडेरियस या दो कूबड़ वाले कैमलस बैक्ट्रियनस परिवार से संबंधित है। ऊँट एक विशिष्ट जानवर है जिसकी एक प्रमुख गर्दन और एक ऊँचा होंठ होता है। ऊंट जंगली और पालतू दोनों तरह से पाया जा सकता है, और यह आमतौर पर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। ऊंटनी का दूध, मांस और कंधे का तेल सभी उपयोगी और पौष्टिक होते हैं। ऊंट की लंबाई 6-6 फीट तक हो सकती है। ऊंट के लंबे, मोटे खुर और लंबी टांगें इसे कठोर जमीन पर चलने के लिए एक अच्छा विकल्प बनाती हैं। यह उत्तरी अफ्रीका, अरब और उत्तरी एशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बंगाल, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देशों में आम है।
वैसे ऊंट के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। ऊंट हमारे यहां पर पाया जाता है। राजस्थान और दूसरे रेतिले इलाकों के अंदर ऊंट ही परिवहन का एक मात्रसाधन होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
ऊंट किस देवता का वाहन है
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ऊंट किस देवता का वाहन है ? यह सवाल आपके दिमाग के अंदर भी आया होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। तो हम आपको बतादें कि ऊंट पाबूजी नामक लोक देवता का वाहन माना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
पाबूजी राजस्थान के लोक-देवता हैं जिनकी पूजा राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों, गुजरात और सिंध के अंदर पूजा जाता है।
और आपको बतादें कि राजस्थान के अंदर पाबूजी को उंटों का देवता माना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हमारे यहां पर आज भी यदि किसी का ऊंट बीमार हो जाता है तो इसके लिए पाबूजी की पूजा की जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
आपको बतादें कि पाबूजी को जानवरों के रक्षक देवता के रूप मे भी पूजा जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
देवलजी पाबूजी को केसर कालमी नामक एक घोड़ी प्रदान करती है
पाबूजी राठौड़ का जन्म कोलूगढ़ के दुर्गपति के घर हुआ था । और एक कहानी है जिसका आरम्भ माता देवल चारणी के साथ हुआ था । कहा जाता है कि माता देवल चारणी के पास एक घोड़ी हुआ करती थी जिसका नाम जिसका नाम कालिमी हुआ करता था ।जायल के सामंत जींदराव खींची को कालिमी घोड़ी पसंद आ जाती है । और वह उसको प्राप्त करने का प्रयास करता है। लेकिन कालिमी को चारणी देने से मना कर देती है।
वीरवर पाबू जी राठौड़ को भी यह घोड़ी पसंद आ गई और उसके बाद वे भी चारणी के पास उस घोड़ी को मांगने के लिए पहुंच गए तो चारणी ने कहा कि वह उनको घोड़ी तो देदेगी ।
लेकिन इसके बदले मे उसे मेरी गायों की रक्षा का वचन देना होगा । और उसके बाद पाबूजी ने गायों की रक्षा का वचन दिया और घोड़ी को ले आए ।
पाबूजी, जिनकी बहन जींदराव से विवाहित थी, को केसर कालिमी प्राप्त होने का समाचार सुनकर जींदराव क्रोधित होकर वह चारणी की गायों और पशुधन को हांक ले जाता है।
क्योंकि इस कहानी के अनुसार पाबूजी पहले ही चारणी के पशुधन की रक्षा का वचन दे चुके होते हैं तो पाबूजी की उस समय शादी हो रही थी तो वे राज कन्या को छोड़कर चारणी की गायों की रक्षा करने के लिए जाते हैं।
जींदराव भी किसी से कम नहीं था और वह उस क्षेत्र का काफी ताकतवर सामंत हुआ करता था । लेकिन उसके बाद पाबूजी जींदराव से लड़ाई करते हैं और गायों को तो छुटा लेते हैं लेकिन पाबूजी इस युद्ध के अंदर शहीद हो जाते हैं।
था में कुछ भील योद्धाओं के भी नाम मिलते हैं-चंदो, ढेंभों, खापु, पेमलो, खालमल, खंगारो और चासल। हरमल राईका व सलजी सोलंकी भी उनके साथी थे।
पाबूजी के बड़े भाई बूरोजी का पुत्र, झरड़ोजी, जींदराव को बाद मे मार देता है और अपने काकोसा की मौत का बदला लेलेता है।
पाबूजी का विवाह ऐसे हुआ पूरा
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कहा जाता है कि पाबूजी को फेरों के बीच मे ही गायों की रक्षा करने के लिए जाना पड़ा था । उसके बाद आधे ही फेरे वे ले पाए थे । उसके बाद वे विरगति को प्राप्त हो गए । जब यह समाचार राजकुमारी के पास पहुंचा तो राजकुमारी ने एक नारियल लिया और अपने फेरे पूरे किये । उसके बाद वह भी स्वर्ग पहुंच गई । इस तरह से पाबूजी को लोक देवता माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
ऊंट के देवता क्यों कहा जाता है ?
दोस्तों इसके बारे मे भी एक कहानी है। लेकिन पूरी कहानी के बारे मे हमें जानकारी नहीं है। लेकिन एक कथा के अनुसार पहले ऊंट के 5 पैर हुआ करते थे । और उसके बाद एक बार पाबूजी जब ऊंट लेकर आ रहे थे तो कुछ चोर उनका पीछा करने लगे । क्योंकि ऊंट पांच पैर से भाग नहीं सकता था ता उसके बाद पाबूजी ने ऊंट के थापी मारी जिससे कि ऊंट चार पैर का हो गया । इस तरह की घटना के बाद ऊंट का देवता के रूप मे उनको माना जाने लगा । और आपको यह पता होना चाहिए । कि आज भी हमारे यहां पर पाबूजी को ऊंट के देवता के तौर पर पूजा जाता है।
जब भी किसी का ऊंट बीमार होता है तो सबसे पहले पाबूजी की ही पूजा की जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हालांकि समय के साथ ऊंट की कमी होने की वजह से अब उतना सिस्टम नहीं रहा है।
लेकिन जो लोग ऊंट रखते हैं वे जरूर ही अपने ऊंट की सलामती के लिए पाबूजी की पूजा करते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।