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क्षेत्रपाल देवता कौन होते हैं इनकी पूजा पाठ करने के 7 फायदे

क्षेत्रपाल देवता का नाम तो आपने कई बार सुना ही होगा । क्षेत्रपाल देवता को खेतों का देवता के नाम से जाना जाता है। क्षेत्रपाल को राजस्थान और दक्षिण भारत के अंदर माना जाता है। आज भी कई जगहों पर क्षेत्रपाल देवता के मंदिर बने हुए हैं।उनके मंदिर आमतौर पर किसी गांव या कस्बे के उत्तर-पूर्वी कोने में मौजूद होते हैं। इनको तीन या फिर छ आंखों के साथ दिखाया जाता है।भैरवनाथ की तरह क्षेत्रपाल दिखाई देते हैं। इसकी वजह से कई लोग उनको भैरवनाथ भी मान लेते हैं।

खेतों की रक्षा के लिए पूजे जाते हैं। क्षेत्रपाल ।

दोस्तों क्षेत्रपाल देवता को खेतों की रक्षा के देवता के रूप मे देखा जाता है। हर कोई लोग इनकी इस वजह से पूजा करता है , ताकि उनके खेतों की रक्षा हो सके । यह खेतों की कई तरह से रक्षा करने  का काम करते हैं।जब खेत मे अनाज बोया जाता है , तो किसान चाहते हैं , कि उनके खेत को कोई जंगली पशु या चूहे नुकसान ना पहुंचादें । इसकी वजह से क्षेत्रपाल की पूजा की जाती है।

क्षेत्रपाल देवता के बारे मे यह कहा जाता है , कि यह न्याय के देवता हैं। जो गलत काम करता है , उनको दंड़ देने का कार्य करते हैं। और जो सही काम करता है । उसको पुरस्कार दिया जाता है। क्षेत्रपाल देवता के कुछ मंदिरों के अंदर पशु बलि भी दी जाती है।

घर मे सुख और समृद्धि लेकर आते हैं क्षेत्रपाल ।

दोस्तों कुछ लोगों का मानना है , कि क्षेत्रपाल देवता की पूजा करने से अनाज अच्छा होता है। और इसकी वजह से घरों के अंदर सुख और समृद्धि आती है। जब पैसा घर मे होता है , तो जीवन यापन काफी आसान हो जाता है। और आज भी अनाज किसान के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।

class="wp-block-heading">क्षेत्रपाल के जन्म की कथाएं ।

दोस्तों क्षेत्रपाल के जन्म को लेकर अलग अलग पुराणों के अंदर कई सारी क​थाएं मिलती हैं। जिसके बारे मे भी हम आपको बता देते हैं।

1 भगवान शिव का अवतार

एक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने बलिदान दिया था, तब उनके शरीर से रक्त बहने लगा। भगवान शिव ने इस रक्त को ग्रहण किया और भगवान क्षेत्रपाल का जन्म हुआ।

2. हिरण्यकश्यप का वध:

एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह रूप धारण किया था। हिरण्यकश्यप भगवान शिव का भक्त था और भगवान विष्णु से भयभीत नहीं था। इसलिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप धारण किया, जो न तो मनुष्य था और न ही पशु। हिरण्यकश्यप को मारने के बाद, भगवान नृसिंह ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया। भगवान शिव ने भगवान विष्णु को शांत करने के लिए भगवान क्षेत्रपाल को भेजा था।

फसलों की रक्षा के लिए पूजा पाठ कर सकते हैं ?

यदि आप भी एक किसान हैं ? तो अपनी फसलों की रक्षा के लिए क्षेत्रपाल देवता की पूजा पाठ कर सकते हैं। अक्सर कई किसान आवारा पशुओं से काफी अधिक परेशान रहते हैं , तो उनके लिए यह काफी फायदेमंद चीज होती है।

क्षेत्रपाल देवता के मंदिर ।

दोस्तों भारत के अंदर क्षेत्रपाल देवता के बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं। और उन मंदिरों मे से कुछ को हम आपको बता देते हैं।

क्षेत्रपाल मंदिर, जयपुर, राजस्थान:यह मंदिर भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है, जो भगवान शिव के रूप हैं। यह मंदिर 18वीं शताब्दी का है और यह जयपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

क्षेत्रपाल मंदिर, बागपत, उत्तर प्रदेश: यह मंदिर भी भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है और यह 9वीं शताब्दी का है। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

क्षेत्रपाल मंदिर, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश: यह मंदिर भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है और यह 16वीं शताब्दी का है। यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता है और यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

क्षेत्रपाल मंदिर, तिरुपति, आंध्र प्रदेश: यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप में भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है। यह मंदिर तिरुपति बालाजी मंदिर के पास स्थित है और यह तीर्थयात्रियों के बीच लोकप्रिय है।

क्षेत्रपाल मंदिर, मैसूर, कर्नाटक: यह मंदिर भगवान शिव के रूप में भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है। यह मंदिर मैसूर शहर के केंद्र में स्थित है और यह अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

क्षेत्रपाल मंदिर, चेन्नई, तमिलनाडु:यह मंदिर भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है। यह मंदिर चेन्नई शहर के केंद्र में स्थित है और यह अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता है और यहां हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।

क्षेत्रपाल मंदिर, उदयपुर, राजस्थान:यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप में भगवान क्षेत्रपाल को समर्पित है। यह मंदिर पिछोला झील के किनारे स्थित है और यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।

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