महिलाएं श्मशान घाट क्यों नहीं जाती कारण जानकर दंग रह जाएंगे आप
महिलाएं श्मशान घाट क्यों नहीं जाती ? इसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं।दोस्तों जब भी अपने यहां पर किसी की मौत होती है , तो अक्सर यह देखा जाता है , कि महिलाएं श्मशान घाट नहीं जाती हैं। मरने वाले इंसान को कंधा देने के लिए बस पुरूषों का ही इस्तेमाल किया जाता है। यदि कोई मर गया है , तो उस इंसान के बेटा उसको कंधा देकर ले जाते हैं , और श्मशान मे जलाते हैं। हालांकि एक आध मामले इस तरह के भी सामने आएं हैं , जिसके अंदर महिलाएं श्मशान घाट मे जाती हैं। मगर यह पूरी तरह से अशुभ माना जाता है। धार्मिक ग्रंथ जैसे कि गरूड पुराण के अंदर इसके बारे मे उल्लेख मिलता है , कि क्यों महिलाओं को श्मशान घाट के अंदर नहीं जाना चाहिए ।
अब हम यह जानने का प्रयास करते हैं , कि एक महिला यदि श्मशान घाट जाती है , तो उसको किस तरह के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है ?
आत्मा को शांति मिलने मे बाधा होती है ।
महिलाओं के श्मशान घाट नहीं जाने के पीछे पहली मान्यता यह है , कि यदि कोई महिला श्मशान घाट जाकर जलती कचिता को देखकर रोती है। तो इसको पूरी तरह से अशुभ माना जाता है। यह माना जाता है , कि ऐसा करने से मरे हुए इंसान को शांति नहीं मिल पाती है। जलती चिता को देखकर किसी महिला के रोने की संभावनाएं अधिक होती हैं।इसलिए महिलाओं को श्मशान घाट जाने से मना किया जाता है।
महिलाओं और बच्चों को डरा सकता है ।
दोस्तों श्मशान के अंदर जाना महिलाओं और बच्चों को डरा सकता है। जैसे कि दांह संस्कार के अंदर शव को डंडे से मारा जाता है। कपाल को फोड़ा जाता है। कई बार जलता शरीर आवाज करता है। इसकी वजह से महिलाएं डर सकती हैं। यह उनकी मानसिक स्थिति को और अधिक प्रभावित कर सकता है। इसलिए भी महिलाओं को श्मशान जाने से अक्सर मना किया जाता है।
मानसिक रूप से कमजोर होती हैं महिलाएं ।
दोस्तों यह सच है , कि महिलाएं मानसिक रूप से कमजोर होती हैं। छोटी सी बात होने पर भी वे रोने लग जाती हैं। तो ऐसी स्थिति के अंदर श्मशान के अंदर ले जाना उनके स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। कई महिलाएं जलते शव को देखकर बेहोश होकर गिर सकती हैं। इसलिए उनको श्मशान मे लेकर जाना सही नहीं होगा । हालांकि बहुत ही कम महिलाएं ऐसी होती हैं , जोकि मानसिक रूप से मजबूत होती हैं।
बुरी उर्जा का हो सकता है असर ।
जैसा कि हम सभी को पता होता है , कि श्मशान के अंदर कई अलग अलग किस्म की बुरी उर्जा होती हैं। और वे बुरी उर्जा कुंवारी कन्या और महिलाओं की तरफ आकर्षित होती हैं। ऐसी स्थिति के अंदर यदि कोई महिला श्मशान मे जाती है , तो उसके उपर यह चिपक सकती हैं। और उसके जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए महिलाओं को श्मशान मे जाने से हमेशा मनाही होती है। और आपने रियल लाइफ के अंदर देखा होगा कि अधिकतर भूत प्रेत महिलाओं को अधिक परेशान करते हैं। यही कारण है कि महिलाओं को इन सब चीजों से दूर रखा जाता है।
मुंडन संस्कार महिलाओं का संभव नहीं है ।
जब किसी के घर मे मौत होती है , तो उस इंसान के बेटे का मुंडन करवाना अनिवार्य होता है। मगर महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती हैं। इसकी वजह से भी महिलाओं को श्मशान जाने से रोका जाता है। मुंडन इसलिए करवाया जाता है , ताकि मरा हुआ इंसान अपने घरवालों को प्रभावित ना कर सके । कुछ समय बाद जब वह शांत हो जाता है , तो प्रभावित करना बंद कर देता है।
घर को पवित्र करना महिलाओं का कार्य ।
शव के दाह संस्कार का कार्य पुरूषों का होता है। और महिलाओं को घर का कार्य सौंपा जाता है। दांह संस्कार के बाद महिलाओं का कार्य घर को पवित्र करना होता है। तो इस वजह से उनको घर पर ही रखा जाता है। और पुरूषों को श्मशान घाट जाना होता है।
पागलपन का खतरा ।
दोस्तों कुछ महिलाओं का मन कुछ अधिक ही कमजोर होता है। यदि वे श्मशान की क्रियाओं को देखती हैं ,तो इसकी वजह से उनके अंदर पागलपन का खतरा होने का चांस होता है। इसकी वजह से भी उनको श्मशान घाट नहीं लेकर आया जाता है। कई महिलाएं जब शव को लेकर जाते हैं , तो खुद को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी करती हैं। इस तरह की महिलाओं को श्मशान घाट के अंदर लेकर जाना खतरे से खाली नहीं होता है।
कुछ महिलाएं इस परम्परा को तोड़ देती हैं तो क्या सही है ?
अक्सर आपने सुना होगा कि कुछ महिलाएं जिद करती हैं। और वे श्मशान मे जाती हैं। हालांकि उनको लगता है , कि इससे कुछ नहीं होता है। मगर नियम बनाने वाले बेवकूफ नहीं हैं। भले ही उन महिलाओं को उस वक्त नहीं लगता है , कि कुछ बुरा असर उनके उपर हुआ है। मगर बुरी उर्जा यदि उनके साथ लग जाती है , तो बाद मे वही उर्जा उनको बहुत परेशान कर सकती है। और बीमार कर देती है। इन चीजों के परिणाम तुरंत आपको पता नहीं चलते हैं। धीरे धीरे इसका असर दिखता है। इसलिए किसी भी महिला को श्मशान मे लेकर ना जाएं । बुरी शक्तियां आपके नियमों से और आपके विश्वासों से नहीं चलती हैं। आप क्या मानते हैं , उनसे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है। वे अपने नियमों से चलती हैं। इसलिए यदि किसी बुरी उर्जा ने आपको पकड़ लिया तो ज्यादा समझदारी के चक्कर मे जिदंगी मे सिर्फ पछताना ही पड़ेगा । पिंडदान वैगर जो रस्ते मे किया जाता है , वह भी भूत प्रेत के लिए ही होता है। तो भूत प्रेत वाले वर्क मे महिलाएं खुद को शामिल ना ही करें तो बेहतर होता है। वरना एक बार उन महिलाओं से जाकर पूछो जिनको काफी सालों से बुरी उर्जा ने परेशान करके रखा है। उनकी जिदंगी नर्क बन चुकी है।
आप भूत प्रेत को माने या ना माने । जो चीज सच है , वह आपके न मानने से बदल नहीं जाती है।