मौत और जीवन इस दुनिया का दस्तुर है। यहां पर कोई मरता है , तो कोई पैदा होता रहता है। यह सब एक तरह से खेल होता है , जोकि हमेशा ही चलता रहता है। यदि आप हम इस दुनिया के अंदर हैं , तो कल हमको जाना पड़ सकता है। मरने के बाद इंसान के कर्मों के अनुसार उसको स्वर्ग और नर्क मिलता है। जो इंसान अच्छे कर्म करता है , उसको स्वर्ग मिलता है , और जो इंसान बुरे कर्म करता है , उसको नर्क मिलता है। आपने जैसे कर्म किये हैं , आपके साथ भी पैसा ही होगा ।खैर हम बात कर रहे थे कि मरने के बाद शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता है ? तो इसके कई सारे कारण होते हैं ,
जब अपने यहां पर रात मे किसी की मौत हो जाती है , तो उसके बाद रात मे उसको नहीं जलाया जाता है। जलाने के लिए दिन का समय होना चाहिए । रात मे जलाना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए रात भर शव के पास बैठे रहते हैं। और सुबह उठने के बाद मुर्दे को जला दिया जाता है।
दोस्तों आत्माएं दो तरह की होती हैं। यदि कोई महायोगी को शरीर की जरूरत है , और मरे हुए इंसान के शरीर मे दम है , तो कोई योगी भी उस शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है , ऐसा होता है। एक योगी ने बताया कि एक बार वह गंगा घाट के अंदर कुटिया मे बैठा साधना कर रहा था , कि उसने देखा कि एक नौजवान का शरीर आया है , तो वह उसके अंदर प्रवेश कर गया और बाद मे लोगों को लगा कि वह जिंदा हो गया । मगर रियल मे ऐसा नहीं था । हालांकि इस तरह की घटनाएं काफी कम ही संभव हो पाती हैं। क्योंकि ऐसे लोग नहीं हैं।
जब आप रात के अंदर शरीर को अकेला छोड़ते हैं , तो यह सच है , कि आस पास कई तरह की बुरी आत्माएं घूमती रहती हैं। वे शरीर के अंदर प्रवेश कर सकती हैं। और इससे शरीर जिंदा जैसा दिखाई दे सकता है , मगर यह काफी डेंजर होता है। मेरी दादी मां बताती थी , कि किसी ने एक बार शव को रात मे अकेला छोड़ दिया जिससे कि शव खड़ा हो गया और उसके बाद बड़ी मुश्किल से उसको फिर से लिटाया गया । इसलिए भी शव को अकेला छोड़ना काफी घातक होता है ।
अक्सर इस दुनिया मे नासमझ लोगों की संख्या बहुत अधिक है। इसकी वजह से जब किसी को चीजों के बारे मे सही सही पता नहीं होता है , तो आत्मा शरीर के अंदर फिर से प्रवेश करने का प्रयास करती है। वह काफी कुछ कोशिश करती रहती है। यदि शरीर को अकेला छोड़ा जाता है , तो वह बार बार यही करती रहती है। और परेशान होती है। इसकी वजह से भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
अक्सर तांत्रिक शव की तलास मे रहते हैं। और वे जिंदा लाश पर साधना करने का प्रयास करते हैं। इसलिए रात मे यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाता है , तो मृत इंसान की आत्मा संकट मे आ सकती है। इसलिए कभी भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
अक्सर मरे हुए इंसान को कुत्ते और दूसरे प्रकार के मांसहारी जीव नोचने के लिए आ सकते हैं। और इसकी वजह से काफी परेशानी हो सकती है। इसलिए रात मे हमेशा शव के पास ही रहना होता है , ताकि कोई भी मांसहारी जीव शव को नुकसान ना पहुंचा सके ।
यदि कोई इंसान मर जाता है , तो उसकी आत्मा का जुड़ाव हमेशा शव से बना रहता है। और वह शव के आस पास ही होती है। यदि वह शव को अकेला पड़ा देखती है , तो और भी अधिक दुखी होती रहती है। ऐसी स्थिति के अंदर भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है। जिससे कि आत्मा को लगे कि उसके लिए कोई तो है।
गुरूड़ पुराण के अनुसार जब शरीर मर जाता है , तो उसका अंदर ही अंदर से विघटन शूरू हो जाता है। जिसकी वजह से कई तरह की गंध शरीर से निकलने लग जाती हैं। ऐसी स्थिति के अंदर उस गंध के असर को बेअसर करने के लिए उसके पास अगरबत्ती जलाई जाती है , और शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
जब किसी इंसान की मौत हो जाती है , तो उसको पूरे सम्मान के साथ दफनाया जाता है। या फिर जलाया जाता है। मगर यदि शव को अकेला छोड़ दिया जाता है , तो मरे हुए इंसान का अपमान माना जाता है। इससे मरे हुए इंसान की आत्मा को शांति नहीं मिलती है।
अक्सर जब हम अपने मरे हुए प्रियजन को अकेला छोड़ देते हैं , तो कहीं ना कहीं हमारे मन मे चिंता और तनाव तो होता ही है , क्योंकि वह इंसान हमारे जीवन से काफी गहराई से जुड़ा हुआ था । ऐसी स्थिति के अंदर हम चाहते हैं , कि उसकी अंतिम विदाई अच्छे से हो जाए , तो कोई भी इंसान उसको अकेला नहीं छोड़ पाएगा । कम से कम हमारे मन मे यह संतोष रहेगा कि हम उसके अंतिम समय कम से कम साथ थे ।
तो यह कुछ कारण थे , जिसकी वजह से मरे हुए इंसान के शव को अकेला नहीं छोड़ जाता है। और रात मे उसको जलाया भी नहीं जाता है। आप समझ सकते हैं।
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