दोस्तो आपको यहां पर शिव का पर्यायवाची शब्द या शिव का समानाथी शब्द के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही बताया गया है की शिव का जन्म कैसे हुआ और शिव के बारे में बहुत रोचक जानकारी भी है तो अराम से लेख को देख सकते है ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
शिव | अष्टमूर्ति, शंभु, शंभू, ईश, कालकंठ, विषकंठ, पशुपति, जटाशंकर, महादेव, अमृतेश्वर, शूली, महेश्वर, ईश्वर, शर्व, ईशान, कामेश्वर, शंकर, चन्द्रशेखर, भव, भूतेश, खण्डपरशु, भूतमहेश्वर, गिरीश, हर, मृड, कृत्तिवास, पिनाकी, प्रमथाधिप, उग्र, कदर्पी, श्रीवण्ठ, शितिकण्ठ, कपालभृत्, ऋतुध्वज, वामदेव, पशुपतिनाथ, विरूपाक्ष, त्रिलोचन, उमानाथ, पञ्चानन, कृशानुरेत, सर्वश, त्रिलोकेश, कालभैरव,धूर्जटि, प्रभु, गणनाथ, अतीन्द्रिय, नटेश्वर, स्थाए, उमापति, केदारनाथ, कैलाशनाथ, चंद्रेश्वर, त्र्यम्बक, भर्ग, त्रिधामा, त्रिपु रारि, रुद्र, गंगाधर, अन्धकरिपु, नन्दीश्वर, नंदिकेश्वर, भूतनाथ, एकलिंग, नीलकण्ठ, अग्नि, इंदुभूषण, आशुतोष, एकाक्ष, तुसी, भगवान, स्मरहर, मदनारि, नटराज, अहिर्बुध्न्य, भुवनेश, प्रलयंकर, अष्टमूर्ति, महेश, महानट, चन्द्रमौलि, जटाधर, गौरीपति, गिरिजापति, कापालिक, कैलास, नाथ, भोलानाथ, रेरिहाण, भगाली, पांशुचन्दन, कल्पवृक्ष, उमेश, सिद्धनाथ,दिगम्बर, अट्टहास,, कालज्जर पुरद्विट्, वृषाकपि, महाकाल, बराक, नन्दिवर्द्धन, हरि, वीर, खरु, भूरि, हर-हर महादेव, बैजनाथ, कटप्र, त्रिचक्षु, भैरव, ध्रुव, गुड़ाकेश, देवाधिदेव, कङ्कामाली, सिद्धदेव, अर्धेश्वर, विश्वेश्वर, विश्वनाथ, चन्द्रापीड़, कमंडलुधर,काशीनाथ, अस्थिमाली, श्मशानेश्वर, हिण्डी, विषमाक्ष खेचर, रसनायक, अर्द्धनारीश, यमान्तक, ऊर्ध्वरेता, अधीश, कुलेश्वर, शिपिविष्ट, वृषाङ्क, वैद्यनाथ, गणेश्वर, योगेश्वर, विधेश, उमाकांत, भोला भण्डारी, भोलेदेव, भोलेश्वर, पार्वती पति, शुन्य, सुक्ष्म, शशिधर, सिद्धीश्वर, भस्मशायी, पिंगलाक्ष, नागभूषण, नंदीश्वर, जटाधर । |
Shiv | Ashtamurti, Neelkanth, Shambhu, Shambhu, Ish, Kalkanth, Vishkanth, Pashupati, Jatashankar, Mahadev, Amriteshwar, Shuli, Maheshwar, Ishwar, Sharva, Ishaan, Kameshwar, Shankar, Chandrashekhar, Bhava, Bhutesh Khandparshu, Bhutmaheshwar, Girish, Har, Mrid Kritivas Pinaki Pramathadhipa, Ugra, Kadarpi, Srivanth, Shitikantha, Kapalabhrit, Ritudhwaja, Vamadeva, Pashupatinath, Virupaksha, Trilochan, Umanath, Panchanan, Krishanuret, Sarvash, Trilokesha, Kalabhairava, Dhurjati, Prabhu, Gyanath, Nateshwar, Uma, Ati, Pashupatinath, Virupaksha, Trilochan, Kedarnath, Kailashnath, Chandreshwar, Trimbak, Bharga, Tridhama, Tripu Rari, Rudra, Gangadhar, Andhakaripu, Nandishvara, Nandikeshwar, Bhootnath, Eklinga, Neelkanth, Agni, Indubhushan, Ashutosh, Ekaksha, Tusi, Bhagwan, Smarhar, Madanari, Nataraja, Ahirbudhnaya, Pralayam, Bhukar , Ashtamurti, Mahesh, Mahanat, Chandramouli, Jatadhar, Gauripati, Girijapati, Kapalika, Kailas, Nath Bholanath, Rerihan, Bhagali, Pansuchandan, Kalpavriksha, Umesh, Siddhanath, Digambara, Atthas, Kalajjar Purdvit, Vrishakapi, Nandivkala, Maharakshapi, Hari, Veer, Kharu, Bhuri, Har-Har Mahadev, Baijnath, Katpra, Trichaksh, Bhairav, Dhruva, Gudakesh, Devadhidev, Kankamali, Siddhadev, Ardheshwar, Vishweshwar, Vishwanath, Chandrapeed, Kamandludhar, Kashinath, Asthmali, Shamshaneshwar, Hindi, Vishmaksha Khechar, Rasnayak, Ardhanarish, Yamantaka, Urdhvreta, Adhish, Kuleshwar, Shipivishta, Vrishank, Vaidyanath, Ganeshwar, Yogeshwar, Videsh, Umakanta, Bhola Bhandari, Bholedev, Bholeshwar, Parvati’s husband, Shunya, Sukshma, Shashidhar, Siddhishvara, Bhasmsayi, Jatadhar, Nagbhushan, Nandilaksha, Jatadhar. |
Shiv | Ashta Murti, jay, Shambhu, Shambhu, God, black throat, venom throat, jata shankar, Shiva, Mahadev, Nectargod, the god, the ancient of days, the most high, Kameshwar, Shankar, mooncrown, ghost god, Violent. |
1. अष्टमूर्ति (Ashtamurti)
2. शंभु (Shambhu)
3. शंभू (Shambhu)
4. ईश (Ish)
5. कालकंठ (Kalakantha)
6. विषकंठ (Vishakantha)
7. पशुपति (Pashupati)
8. जटाशंकर (Jatashankar)
9. महादेव (Mahadev)
10. अमृतेश्वर (Amriteshwar)
11. शूली (Shooli)
12. महेश्वर (Maheshwar)
13. ईश्वर (Ishwar)
14. शर्व (Sharv)
15. ईशान (Ishana)
16. कामेश्वर (Kameshwar)
17. शंकर (Shankar)
18. चन्द्रशेखर (Chandrashhekhar)
19. भव (Bhava)
20. भूतेश (Bhootesh)
21. खण्डपरशु (Khandaparashu)
22. भूतमहेश्वर (BhootMaheshwar)
23. गिरीश (Girish)
24. हर (Hara)
25. मृड (Mrig)
26. कृत्तिवास (Krittivas)
27. पिनाकी (Pinaki)
28. प्रमथाधिप (Pramathadhip)
29. उग्र (Ugra)
30. कदर्पी (Kadarpriya)
31. श्रीवण्ठ (Shrivantha)
32. शितिकण्ठ (Shitikantha)
33. कपालभृत् (Kapalabhrith)
34. ऋतुध्वज (Ritudhwaja)
35. वामदेव (Vamadev)
36. पशुपतिनाथ (Pashupatinath)
37. विरूपाक्ष (Viroopaksha)
38. त्रिलोचन (Trilochan)
39. उमानाथ (Umanath)
40. पञ्चानन (Panchanan)
41. कृशानुरेत (Krishanuret)
42. सर्वश (Sarvash)
43. त्रिलोकेश (Trilokesh)
44. कालभैरव (Kalabhairav)
45. धूर्जटि (Dhurjati)
46. प्रभु (Prabhu)
47. गणनाथ (Gannath)
48. अतीन्द्रिय (Ateendriya)
49. नटेश्वर (Nateshwar)
50. स्थाए (Staaye)
51. उमापति (Umapati)
52. केदारनाथ (Kedarnath)
53. कैलाशनाथ (Kailashnath)
54. चंद्रेश्वर (Chandreshwar)
55. त्र्यम्बक (Tryambak)
56. भर्ग (Bharg)
57. त्रिधामा (Tridhama)
58. त्रिपु रारि (Tripurari)
59. रुद्र (Rudra)
60. गंगाधर (Gangadhar)
61. अन्धकरिपु (Andhakaripu)
62. नन्दीश्वर (Nandishwar)
63. नंदिकेश्वर (Nandikeshwar)
64. भूतनाथ (Bhootnath)
65. एकलिंग (Ekalig)
66. नीलकण्ठ (Neelkanth)
67. अग्नि (Agni)
68. इंदुभूषण (Indubhushan)
69. आशुतोष (Ashutosh)
70. एकाक्ष (Ekaksha)
71. तुसी (Tusi)
72. भगवान (Bhagwan)
73. स्मरहर (Smrahara)
74. मदनारि (Madanari)
75. नटराज (Nataraj)
76. अहिर्बुध्न्य (Ahirbudhnya)
77. भुवनेश (Bhuvanesh)
78. प्रलयंकर (Pralayankar)
79. अष्टमूर्ति (Ashtamurti)
80. महेश (Mahesh)
81. महानट (Mahanath)
82. चन्द्रमौलि (Chandramauli)
83. जटाधर (Jatadhari)
84. गौरीपति (Gauripati)
85. गिरिजापति (Girijapati)
86. कापालिक (Kapalik)
87. कैलास (Kailas)
88. नाथ (Nath)
89. भोलानाथ (Bholanath)
90. रेरिहाण (Rerihana)
91. भगाली (Bhagali)
92. पांशुचन्दन (Panshuchandan)
93. कल्पवृक्ष (Kalpavriksha)
94. उमेश (Umesh)
95. सिद्धनाथ (Siddhanath)
96. दिगम्बर (Digambar)
97. अट्टहास (Atthahas)
98. कालज्जर पुरद्विट् (Kalajar Purdvit)
99. वृषाकपि (Vrishakapi)
100. महाकाल (Mahakal)
101. बराक (Barak)
102. नन्दिवर्द्धन (Nandivardhan)
103. हरि (Hari)
104. वीर (Veer)
105. खरु (Kharu)
106. भूरि (Bhoori)
107. हर-हर महादेव (Har-Har Mahadev)
108. बैजनाथ (Baijnath)
109. कटप्र (Katapra)
110. त्रिचक्षु (Trichakshu)
111. भैरव (Bhairav)
112. ध्रुव (Dhruv)
113. गुड़ाकेश (Gurukesh)
114. देवाधिदेव (Devadhidev)
115. कङ्कामाली (Kankamali)
116. सिद्धदेव (Siddhadev)
117. अर्धेश्वर (Ardheshwar)
118. विश्वेश्वर (Vishweshwar)
119. विश्वनाथ (Vishwanath)
120. चन्द्रापीड़ (Chandrapid)
121. कमंडलुधर (Kamandaludhar)
122. काशीनाथ (Kashinath)
123. अस्थिमाली (Asthimalli)
124. श्मशानेश्वर (Shmashaneshwar)
125. हिण्डी (Hindi)
126. विषमाक्ष खेचर (Vishamaksha Khechar)
127. रसनायक (Rasanayak)
128. अर्द्धनारीश (Ardhnarishwar)
129. यमान्तक (Yamantak)
130. ऊर्ध्वरेता (Urdhvareta)
131. अधीश (Adhish)
132. कुलेश्वर (Kuleshwar)
133. शिपिविष्ट (Shipivishtha)
134. वृषाङ्क (Vrishank)
135. वैद्यनाथ (Vaidyanath)
136. गणेश्वर (Ganeshwar)
137. योगेश्वर (Yogeshwar)
138. विधेश (Videsh)
139. उमाकांत (Umakant)
140. भोला भण्डारी (Bhola Bhandaari)
141. भोलेदेव (Bholedev)
142. भोलेश्वर (Bholeshwar)
143. पार्वती पति (Parvati Pati)
144. शुन्य (Shunya)
145. सुक्ष्म (Sukshma)
146. शशिधर (Shashidhar)
147. सिद्धीश्वर (Siddhishwar)
148. भस्मशायी (Bhsmashayi)
149. पिंगलाक्ष (Pingalaksha)
150. नागभूषण (Nagbhushan)
151. नंदीश्वर (Nandishwar)
152. जटाधर (Jatadhari)
शिव कों हिंदू धर्म का एक प्रमुख देवता माना जाता है मगर इसके शब्द का अर्थ कुछ इस तरह से होता है जैसे कुछ न हो यानि शिव का सबसे प्रमुख अर्थ “जो नही है” होता है । इसके अलावा इसके बहुत कुछ अर्थ भी होते है जैसे –
शिवजी को स्वयंभू नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है की न जन्मा हुआ । यानि अपने आप उत्पन्न हो गया हो । यानि शिव की उत्पत्ति नही बाताई जाती बल्की वे अपने आप जन्मे थे । फिर भी अनेक ग्रंथो और पूराणों में बताया जाता है की शिव का जन्म हुआ था । शिव कें जन्म को लेकर अनेक अवधारण चलती है जिसकें कारण से समझा नही जा सकता की सटिक रूप से शिव का जन्म कैसे हुआ था ।
क्योकी अनेक ग्रंथों मे शिव के जन्म के रहस्य को अलग अलग रूप में बताया गया है । अगर शिव पूराण की बात करे तो वह कुछ और कहता है वही विष्णु पूराण में कुछ और बताया जाता है । इसी तरह से बाकी ग्रंथो की कहानी है । इस तहर से अलग अलग अवधारणा होने के कारण से जन्म कें बारे मे पता नही चलता है ।
शिव पूराण बताता है की शिव और सदाशिव अलग अलग होते है यानि शिव जिसे हम सदाशिव कें नाम से भी जानते है वह सल में शिव नही होते बल्की शिव के पहले से भी रहते आ रहे है । जब शिव का जन्म नही हुआ तब सदाशिव थे । सदाशिव अपनी पत्नी दूर्गा के साथ शिवलोक मे रहा करते थे ।
और वे एक दिन काशी में गए हुए थे तो उन्हे रात्री होने को थी और अभी वें किसी जंगल में थे तो वे वही आराम करने के लिए बैठ गए । इस तरह से आराम करते हुए उन्हे ख्याल आया की वे किसी ऐसे पूरूष की उत्पत्ति करे जो इस पूरी की पूरी सृष्टि का पालनहार बन जाए ।
ऐसा सोच कर आदिशिव ने दूर्गा के साथ अपनी शिक्तियो का उपयोग कर कर श्री नारायण यानि विष्णु जी की उत्पत्ति की । तब विष्णु जी ने आदिशिव से कहा की आदिशिव आपने मुझे क्यो जन्म दिया । तब आदिशिव ने कहा की तुम्हे सृष्टि का पालनहार बनना है । यह सुन कर विष्णु ने कहा वो तो ठिक है पर सृष्टि का पालनहार बनने के लिए सृष्टि में जीवनयापन तो होना चाहिए वह कोन करेगा ।
यह सुन कर आदिशिव ने ब्रहमा की उत्पत्ति की जो पुष्प के माध्यम से विष्णु की नाभी से प्रकट हो गए । इस तरह से ब्रहमाजी की उत्पत्ति का कारण विष्णु जी बन गए । तो ब्रहमा जी ने विष्णु जी से पूछा की हें विष्णु जी आपने मुझे क्यो उत्पन्न किया । तब आदिशिव ने कहा की तुम्हे सृष्टि पर जीवन यापन करना है ।
इस तरह से फिर दोनो विष्णु ब्रहमा अपने काम में लग गए थे । मगर किसी कारण वस एक दिन दोनो में झगडा हो गया । तब बात यह थी की दोनो कह रहे थे की मैं तुमसे बडा हू । इस बात में विवाद इतना बड गया की दोनो के तेज के कारण से पास खडे एक खंभे से शिवजी की उत्पत्ति हो गई। इस तरह से शिव की उत्पत्ति हुई ।
sमगर विष्णु और ब्रहमा दोनो ही आदिशिव से उत्पन्नि हुए थे और दोनों मे आदिशिव की शक्ति थी । जिसके कारण से शिव भी आदिशिव की शक्तियो से उत्पन्न माने जाने लगे ।
विष्णु पुराण कें अनुसार भगवान शिव की उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई बताई जाती है । विष्णु पुराण में वही कथा मिलती है जिसमें ब्रहमा और विष्णु में सर्वश्रेष्ठ को लेकर विवाद था तो विष्णु के माथे से तेज निकला और शिव की उत्पत्ति हो गई । क्योकी तेज इतना अधिक था जिसकें कारण से शिव में क्रोध भावना बताई जाती है ।
सभी देवी देवताओ की तरह से शिव का भी एक वाहन है जिस पर शिव सवारी करते है । यह वाहन नंदी है जो पृथ्वी पर मंदिरो के बाहर देखने को मिलता है । नंदी को भग्ति और शक्ति के प्रतिक के रूप मे जाना जाता है । और यही कारण है की शिव के साथ नंदी की पूजा होती है । द्वारपाल के रूप मे भी नंदी को ही जाना जाता है ।
नंदी या बैल को भौला माना जाता है मगर असल मे वे भौले नही होते बल्की बुद्धिवान होते है । इसी तरह से शिव को भी भौला माना जाता है मगर वे भी भौले नही होते है बल्की बुद्धिवान होते है । यही देखने के बाद मे शिव ने नंदी को अपना वाहन चुनने का निश्चय किया और नंदी को ही अपना वाहन चुना था । मगर नंदी बहुत से देवो को पंसद नही आया था ।
मगर शिव को पंसद था और उन्होने अपने से पहले नंदी की पूजा करने का वरदान नंदी को दिया । जिसके कारण से नंदी ने केवल शिवलोक मे ही नही बल्की तीनो लोको मे जाना जाने लगा और उसकी पूजा जोरो सोरो से होने लगी । इसके साथ ही सुरक्षा के रूप मे भी नंदी बलवान होता है एक कारण यह भी रहा की शिव ने नंदी को अपना वाहन चुना ।
इस तरह से दोस्तो आपने इस लेख में भगवान शिव के पर्यायवाची शब्दो के बारे में जानकारी हासिल की है । आपको बता दे की इसमें आपको पूरे के पूरे पर्यायवाची बता दिए गए है तो एक बार अच्छे से याद कर ले ।
In this way friends, in this article you have got information about the synonyms of Lord Shiva. Let me tell you that in this you have been told all the synonyms of the whole, so remember it once.
मौत तो हर घर मे होती है। और जो इंसान मर जाता है , वह…
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