dexona tablet uses in hindi dexona tab use in hindi इस दवा का उपयोग एलर्जी, दमा, कैंसर जैसी चीजों के अंदर किया जाता है। इसकी खुराक के बारे मे डॉक्टर के पूछना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है। उसका पालन आपको करना चाहिए। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा इसकी जो खुराक होती है वह उम्र और लिंग के आधार पर अलग अलग होती
है। और यदि बीमारी गम्भीर होती है तो इसकी खुराक अलग हो सकती है। त्वचा पर निशान पड़ना, खुश्की, खुजली या जलन इस दवा के साइड इफेक्ट हो सकती हैं । यदि आपको इस दवा को लेने के बाद किसी तरह के साइड इफेक्ट हो रहे हैं तो आपको इस दवा को लेना बंद कर देना चाहिए और उसके बाद अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
dexona tablet का उपयोग कई तरह की समस्याओं के अंदर किया जाता है। इसके बारे मे हम आपको नीचे लिस्ट दे रहे हैं। और उस लिस्ट के हिसाब से आप देख सकते हैं कि आपको क्या करना है आपको क्या नहीं करना है। लेकिन डॉक्टर यदि यह दवा देता है उसके हिसाब से ही आपको इसका सेवन करना चाहिए ।
दोस्तों इस दवा का उपयोग एलर्जी मे भी किया जाता है। एलर्जी एक प्रकार की आम समस्या होती है। यह एक तरह से त्वचा प्रतिक्रिया होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।एलर्जी किसी भी पदार्थ की वजह से हो सकती है। जैसे कि खाने पीने की चीजों कि वजह से या फिर किसी जानवर के मल मूत्र के संपर्क मे आने की वजह से भी एलर्जी हो सकती है। आपको जिस भी चीज से एलर्जी होती है उससे आपको दूरी बनाए रखनी चाहिए । वरना यह आपके लिए काफी अधिक समस्या पैदा करती है।कुछ एलर्जी इस प्रकार की होती है कि वह छोटे बच्चों के अंदर होती हैं लेकिन बड़े होने के बाद अपने आप ही गायब हों जाती है। लेकिन कुछ एलर्जी इस प्रकार की होती है जोकि आसानी से दूर नहीं होती है और उसके बाद यह आपके जीवन की रोजमर्रा की गतिविधियों के अंदर काफी अधिक परेशानी पैदा करती है। इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
यदि हम एलर्जी के प्रकार की बात करें तो बहुत सारे पदार्थ होते हैं जिनकी वजह से आपको एलर्जी हो सकती है। हालांकि हर इंसान को अलग अलग पदार्थ से भी एलर्जी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
अब यदि हम एलर्जी के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं और उन लक्षणों की वजह से आप एलर्जी को बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।आमतौर पर जब आप किसी एलर्जी वाले पदार्थ के संपर्क मे आते हैं। तो कुछ ही समय के बाद प्रतिक्रिया आना शूरू हो जाती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।और कई बार क्या होता है कि कुछ लक्षण धीरे धीरे कुछ घंटों के अंदर विकसित होते हैं। उसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और एलर्जी की वजह से कई बार दैनिक कार्यों के अंदर बांधा आने लग जाती है।
और आमतौर पर कई बार तो एलर्जी सामान्य होती है। लेकिन कई बार क्या होता है कि एलर्जी काफी भयंकर हो जाती है। और यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया जाता है तो फिर यह काफी बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसके अलावा एलर्जी पैदा करने वाला पदार्थ कई बार फेफड़ों के अंदर प्रवेश कर जाता है तो इसकी वजह से एलर्जी के लक्षण कुछ ही समय के अंदर प्रकट हो जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
एलर्जी के कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इसके अंदर कुछ लक्षण काफी हल्के होते हैं तो कुछ लक्षण काफी गम्भीर होते हैं आपको इसके लिए एक बार अपने डॉक्टर के पास जाने की जरूरत हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि आपको उपर दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपको जो निर्देश मिलता है उसका पालन भी करना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अच्छी बात होगी और आप समझ सकते हैं।
दोस्तों यदि हम एलर्जी के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। जिसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसके अंदर कई सारे पर्यावरणिय कारण होते हैं तो वंशागत कारण भी इसके अंदर हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
आपको बतादें कि हमारे शरीर के अंदर एंटिबॉडी होते हैं जोकि शरीर के अंदर किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का प्रवेश होता है तो उससे लड़ते हैं लेकिन जिस इंसान को एलर्जी हो जाती है उसकी बॉडी यह समझ नहीं पाती है कि सही तत्व क्या हैं और हानिकारक तत्व क्या हैं ?
और एलर्जी आमतौर पर तब पैदा होती है जब हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उन चीजों को भी हानिकारक समझने लग जाती हैं जोकि हानिकारक नहीं होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे एलर्जी पैदा होने के सभी कारणों के बारे मे कोई जानकारी नहीं है लेकिन कुछ कारण है जिनके बारे मे हम यहां पर बात करने वाले हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
इसके अलावा आप कुछ और उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि
दमा एक प्रकार की फेफड़ों की बीमारी होती है जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने मे काफी अधिक परेशानी होती है। और इसकी वजह से किसी भी तरह की फिजिकल एक्टीविटी करने मे भी काफी परेशानी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
दमा भारत के अंदर एक बहुत ही आम समस्या बन चुकी है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। जब हम सांस लेते हैं तो हवा हमारे नाक से हमारे फेफड़ों तक पहुंचती हैं वहां पर छोटी छोटी नलिकाएं होती हैं।और यह जो नलिकाएं होती हैं वे कस जाती हैं जिसकी वजह से वहां पर बलगम बन जाता है और फिर सांस लेने मे काफी अधिक कठिनाई आती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि दमा के मरीज का सही समय पर कोई ईलाज नहीं किया जाता है तो उसके बाद उसकी मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।
ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत के 130 करोड़ लोगों में से लगभग 6% बच्चों और 2% वयस्कों को अस्थमा है । और भारत के अंदर इस बीमारी को अच्छा नहीं माना जाता है। कई लोग इस बीमारी को छुपाने का काम भी करते हैं। हालांकि कई लोग इस बीमारी का उपचार भी करवाते हैं जिसकी मदद से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
एडल्ट-ऑनसेट अस्थमा में लक्षण कम से कम 20 वर्ष की आयु तक नहीं होते हैं। यदि हम दमा के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण देखने को मिलते हैं और दमा आमतौर पर आसानी से पहचाना जा सकता है। जिसके बाद यदि इसका समय पर ईलाज किया जाता है तो यह किसी तरह की समस्या पैदा नहीं करता है।
इसके अलावा इसके अन्य कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। यदि आपको लगता है कि आपको दमा है तो फिर एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको कुछ दवाएं दे सकता है जिससे कि इसका प्रभाव कम हो सकता है।
यदि हम दमा के कारणों के बात करें तो इसके कई सारे कारण होते हैं। इसके बारे मे हम आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं दमा के कारणों के बारे विस्तार सें
अब हम बात करते हैं दमा के बचाव की तो दमा से बचने के लिए आप कई तरह के उपाय कर सकते हैं जोकि दमा से बचाने मे आपकी मदद करते हैं तो आइए जानते हैं इन उपाय के बारे मे विस्तार से ।
अब यदि हम अस्थमा की जांच कैसे की जाती है। इसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। यदि आप अस्थमा का टेस्ट डॉक्टर से करवाने के लिए जाते हैं तो फिर डॉक्टर आपको कई तरह के टेस्ट करने के लिए कह सकता है । इसके अंदर डॉक्टर आपके फेफड़ों की कार्य क्षमता का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है।
श्वशन संक्रमण या सीओपीडी आदि, इनपर रोकथाम बनाए रखने के लिए डॉक्टर आपके शरीर के लक्षणों के बारे मे पूछ सकते हैं जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि आपको किस तरह की समस्या है। यदि लक्षण मिलते हैं तो आगे की जांच की जाती है।
यदि हम अस्थमा के नुकसान की बात करें तो यह काफी भयंकर होता है। यदि किसी को अस्थमा अटैक हो जाता है तो उसके बाद उसको जल्दी से जल्दी उपचार यदि नहीं मिलता है तो उसके बाद समस्या होती है और मरीज की मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
जो रोग मानव त्वचा को अधिक प्रभावित करते हैं उनको चर्म रोग के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।चर्म रोग के लक्षण रोग प्रकार पर निर्भर करते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । चर्म रोग दर्द नाक भी हो सकता है। और नहीं भी ।कई बार यह रोग काफी गम्भीर रूप भी धारण कर लेता है। और कई बार इसका एहसास नहीं होता है।यदि हम चर्म रोग के प्रकार की बात करें तो कई सारे रोग होते हैं जिनको चर्म रोग के अंदर गिना जाता है। यदि किसी को चर्म रोग है तो उसे चर्म रोगी डॉक्टर को दिखाना चाहिए । वही इन रोगों को दूर कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
अब यदि हम चर्म रोग के लक्षणों की बात करें तो हर रोग के अपने लक्षण होते हैं। आप इन लक्षणों के आधार पर ही यह पहचान सकते हैं कि आपको चर्म रोग हुआ है या फिर चर्म रोग नहीं हुआ है। आपको इसके लक्षणों के बारे मे भी बताना चाहते हैं।
यदि हम चर्म रोग के कारणों की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जिसकी वजह से चर्म रोग होते हैं। हालांकि अधिकतर चर्म रोग वंशानुगत नहीं होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
अब बात आती है कि त्वचा के संक्रमण से बचाव के लिए आप क्या कर सकते हैं ? तो आपको बतादें कि आप त्वचा के संक्रमण से बचाव करने के लिए कई सारे कदम उठा सकते हैं यदि आप कुछ सावधानियां बरतते हैं तो त्वचा संक्रमण से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं।
dexona tablet आंखों की समस्या के लिए भी यूज किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
आंखों की समस्या आजकल हर आयुवर्ग के लोगों को देखने को मिलती है।मोतियाबिंद, मधुमेह रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा आदि आते हैं। एम्बलियोपिया(amblyopia) और स्ट्रैबिस्मस (strabismus) आदि समस्याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं।आज कल आप देख रहे हैं कि छोटे से छोटे बच्चे को चश्मा लग रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण जो है वह यह है कि आजकल लोग अपने मोबाइल और टीवी से अपनी आंखें फोड़ रहे हैं
इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप लंबे समय तक टीवी और मोबाइल का यूज करते हैं तो फिर आपकी आंखों पर इसका बुरा असर पड़ता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । आज से 80 साल पहले के जीवन को आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बुजुर्ग लोग आज भी बिना चश्मा के देख सकते हैं। एक तो इतना अधिक प्रदूषण हो गया है कि मत पूछों इस प्रदूषण के अंदर सब कुछ खराब हो जाता है बात सिर्फ आंखों की ही नहीं है। आप इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
यदि आपको अपनी आंखों मे किसी तरह की कोई समस्या महसूस होती है जैसे कि आपकी आंखों मे सूजन आना आंखों मे जलन होना । और आंखों से कम दिखाई देना आदि । समस्याएं हो सकती हैं यदि ऐसा है तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से परामर्श करें ।
दोस्तों आंखों की जो समस्याएं होती हैं वे बड़ी उम्र होने के बाद होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । बच्चों के अंदर इस प्रकार की समस्याएं काफी कम होती है। इसलिए यदि आपकी आंखें कमजोर हो चुकी हैं तो फिर अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको चश्मा दे सकता है। और आप उस चश्मे की वजह से आसानी से अपनी आंखों को कमजोर होने से बचा सकत हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
और आपको डॉक्टर ने जो चश्मा दिया है समय समय पर उसका टेस्ट करवाते रहें । यदि आपकी आंखों के अंदर किसी तरह की कोई समस्या आती है तो फिर आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए और समय समय पर चश्मा को बदलवाने की जरूरत हो सकती है। चश्मे का नंबर नहीं बढ़ना चाहिए ।
dexona tablet का उपयोग इस रोग के अंदर भी किया जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप बात को समझ सकते हैं।यह समस्या एक प्रकार का गुदा विकार होता है। यह आपके शरीर के अंदर बहुत अधिक प्रोटीन पैदा होने की वजह से होता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम आम तौर पर आपके गुर्दे में छोटे रक्त वाहिकाओं के समूहों को नुकसान पहुंचाता है। नेफ्रोटिक सिंड्रोम की वजह से आपके पैर और टखनों के अंदर विशेष तौर पर सूजन हो जाता है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।
यदि आप इसको रोकना चाहते हैं तो एक बार अपने डॉक्टर को परामर्श करें आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए यह सबसे अधिक जरूरी है।
इंफ्लेमेटरी डिजीज भी एक प्रकार की समस्या होती है। यह समस्या आमतौर पर तब होती है जब किसी वजह से शरीर के अंदर किसी तरह की क्षति होती है जिससे कि सूजन और दर्द की समस्या देखने को मिल सकती है। यह सिर्फ आंतरिक कारणों की वजह से होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
ऑटोइम्यूनिटी (autoimmunity) के नाम से भी इसको जाना जाता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । जब गठिया होता है तो इसके अंदर ऊतकों में सूजन हो जाती है और इसमें से निकलने वाले द्रव में बढ़ोतरी होना शुरू हो जाती है और इसकी वजह से जोड़ों मे सूजन और दर्द होने लग जाता है। गुर्दे के कार्यों में वृद्धि और नुकसान और रक्तवाहिनियों मे सूजन इसी तरह की कुछ समस्याएं होती हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
गाउट एक प्रकार का रोग होता है जोकि शरीर के अंदर यूरिक ऐसिड की मात्रा के बढ़ने की वजह से होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह आमतौर पर पैरों को प्रभावित करता है इसकी वजह से पैरों के जोड़ों मे सूजन और दर्द होने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।आपको बतादें कि जिस मरीज को गाउट की समस्या होती है उसे रात के अंदर अचानक से तेज दर्द होता है और कंबल भी असहनिय हो जाता है। ।और यदि किसी को गाउट की समस्या है तो दवाओं से इसका ईलाज किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।
गाउट, गठिया का एक जटिल रूप होता है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। और यह पुरूषों को अधिक होने की संभावना होती है। रात के अंदर कई बार अचानक से नींद खुल जाती है और ऐसा महसूस होता है कि आपके पैर जल रहे हैं।और उस जगह को छूना भी काफी कठिन हो जाता है जहां पर गाउट की समस्या होती है आप समझ सकते हैं।
हालांकि यदि गाउट का सही तरह से उपचार किया जाता है तो उसके बाद इसकी समस्या को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
गाउट के लक्षण की यदि हम बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिनकी मदद से आप इसको आसानी से पहचान सकते हैं तो आइए जानते हैं गाउट के बारे मे ।
गाउट के जोखिम को बढ़ाने वाले कारण के बारे मे जानते हैं। दोस्तों कुछ ऐसी चीजें होती हैं जोकि गाउट के जोखिम को बढ़ा देती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं इन चीजों के बारे मे विस्तार से ।
अब आती है बात गाउट से बचाव की तो गाउट से बचाव के लिए आप कई तरह के कदम उठा सकते हैं और कुछ सावधानियां रख सकते हैं जिसकी मदद से आप गाउट से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
गठिया जोड़ों का सूजन होता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और जोड़ों के सूजन की वजह से जोड़ों मे काफी अधिक दर्द होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।गठिया आमतौर पर 60 साल से अधिक उम्र के लोगों मे होता है। हालांकि यह इससे कम उम्र मे लोगों मे भी हो सकता है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं करवाया जाता है तो उसके बाद यह काफी अधिक घातक साबित हो सकता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
वैसे यदि आपको बताएं तो पुरूषों की तुलना मे महिलाओं के अंदर गठिया होने के चांस काफी अधिक होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।जोड़ों में दर्द, जकड़न और सूजन होता है और प्रभावित अंग लाल पड़ सकते हैं और चलने फिरने मे काफी अधिक परेशानी होती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं। घुटने, कूल्हे, कंधे, हाथ आदि किसी भी तरह के जोड़ के अंदर यह समस्या हो सकती है। और इसकी वजह से आपको थकान हो सकती है और चलने फिरने मे काफी परेशानी हो सकती है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
और यह जो गठिया का प्रभाव है वह सुबह के समय काफी अधिक बढ़ जाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। इसकी वजह से आपको खून की कमी हो सकती है और काफी दर्द हो सकता है। गठिया रोग में हाथों-पैरो में गांठे बन जाती है और यदि ईलाज मे देरी होती है तो इसकी वजह से समस्या और अधिक गम्भीर रूप लेलेती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आपको गठिया का पता चल जाता है तो जितना जल्दी हो सके उपचार करवाना चाहिए नहीं तो समस्या काफी अधिक बढ़ सकती है और बाद मे ईलाज मे काफी परेशानी आ सकती है आप समझ ही गए होंगे ।
गठिया के कारण की बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। आमतौर पर कार्टिलेज एक प्रकार का उत्तक होता है जोकि जोड़ों के बीच होता है। और यह जोड़ों के झटकों को अवशोषित करता है। और इसकी वजह से ही हडियां बची रहती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ऑस्टियोआर्थराइटिस के कई कारण हो सकते हैं।
यदि किसी तरह की सामान्य चोट हो जाती है तो इसकी वजह से भी जोड़ों के अंदर गठिया हो सकती है। इसके अलावा जोड़ों मे यदि सूजन हो जाता है तो उसकी वजह से भी गठिया हो सकता है। जोड़ों मे संक्रमण गठिया का कारण बनता है। इसके अलावा यदि परिवार के किसी सदस्य को गठिया की समस्या है तो भी यह दूसरे इंसान को हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
रुमेटी आर्थराइटिस भी एक प्रकार का गठिया का ही रूप होता है जिसके अंदर होता यह है कि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता ही शरीर पर हमला कर देती है। हालांकि यह सब क्यों होता है ? इसके कारणों के बारे मे अभी तक ठीक से पता नहीं चल पाया है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
गठिया (आर्थराइटिस) से बचाव की बात करें तो आप कुछ चीजें अपना सकते हैं। वैसे आपको बतादें कि गठिया एक प्रकार की काफी गम्भीर बीमारी होती है। इसके लिए आप संतुलित आहार का सेवन करें। ऐसा करने से आप इस बीमारी से बच सकते हैं। हालांकि यह सब करना आसान नहीं है।यूरिक ऐसिड शरीर के अंदर अधिक होना भी गठिया को जन्म दे सकता है। इसलिए शरीर के अंदर यूरिक एसिड को कम करने का प्रयास आपको करना चाहिए। यदि हम गठिया के ईलाज की बात करें तो इसका बस एक ही ईलाज है कि आप उचित खान पान करें। यदि आप अच्छा खान पान करते हैं तो गठिया से बहुत ही आसानी से आप बच सकते हैं।
यदि अब हम गठिया के परीक्षण की बात करें तो जब आपको गठिया की समस्या होती है तो आप डॉक्टर के पास जाते हैं और उसके बाद डॉक्टर आपको कई तरह के परीक्षण करने के लिए कह सकता है। जिसकी मदद से गठिया की गम्भीरता के बारे मे पता लगाया जाता है।
लिम्फोमा एक प्रकार का कैंसर होता है जोकि प्रतिरक्षा प्रणाली से लड़ने वाली कोशिकाओं के अंदर शूरू होता है। जिसकी वजह से इनका आकार काफी तेजी से बढ़ने लग जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।लिम्फ नोड्स (Lymph nodes), प्लीहा (Spleen), थाइमस (Thymus), अस्थि मज्जा आदि कोशिकाओं के अंदर यह शूरू होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यदि हम भारत की बात करें तो भारत के अंदर यह मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।लिम्फोमा के कई सारे चरण होते हैं। और यदि पहले ही चरण के अंदर इसको पकड़ लिया जाता है तो शायद इसका उपचार हो सकता है। वरना बाद मे यह शरीर के अन्य अंगों के अंदर फैलना शूरू कर देता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और बाद मे आपको पता ही है कि क्या क्या हो सकता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि इसका जल्दी से जल्दी उपचार करवाया जाना चाहिए ।
लिम्फोमा के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको नीचे दिये गए लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए ।
लिम्फोमा के कारण और जोखिम कारक की यदि बात करें तो इसके होने के कारण अभी भी किसी को पता नहीं चल पाए हैं। तो एक अनुमान लगाये जाते हैं जिसके बारे मे हम भी आपको यहां पर बतादेंते हैं।
लिम्फोमा से बचाव की यदि हम बात करें तो इसके लिए आपको बतादें कि इसका कोई भी उपचार अभी नहीं है। इसके कारणों के बारे मे भी किसी को पता नहीं है। लेकिन यदि आपको यह समस्या होती है तो एक बार अपने डॉक्टर से बात करें और हो सकता है कि आपका डॉक्टर आपकी समस्या पर अधिक ध्यान दें ।
लिम्फोमा होने का जोखिम यदि आपको नजर आता है तो आप एक बार अपने डॉक्टर को बताएं । यदि आपके घर के अंदर किसी को यह पहले से है तो भी आप एक बार अपने डॉक्टर को बता सकते हैं। और इसके लिए आपका डॉक्टर आपको कुछ परीक्षण करने के लिए भी दे सकता है। और उस परीक्षण की मदद से आपको यह पता चल जाएगा कि यह लिम्फोमा है या फिर किसी और तरह की समस्या है ? इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आप समझ सकते हैं यही आपके लिए सही होगा ।
इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा एक अलग ही किस्म की बीमारी होती है। जिसके अंदर होता यह है कि प्लेटलेटस की संख्या मे काफी कमी आ जाती है।यह खून के अंदर पाये जाने वाली एक प्रकार की कोशिका होती है जोकि खून के थक्के को बनाने के लिए जिम्मेदार होती है।जब चोट लगती है तो यह खून के बहाव को रोकने मे काफी मदद करती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (आईटीपी) की यदि कमी हो जाती है तो इसके कई सारे लक्षण आपको दिखाई देने लग जाते हैं। जैसे कि यदि चोट लग जाती है तो उसके बाद खून का बहाव रूकता नहीं है। इसके अलावा नाक से खून आ सकता है।मासिक धर्म मे अधिक खून आ सकता है। मसूड़ों मे अधिक खून आ सकता है।
अस्थि मज्जा के विकार की वजह से भी शरीर के अंदर प्लेटलेटस की संख्या मे कमी हो जाती है। इसलिए इसका इलाज समय पर करवाना बहुत ही जरूरी होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
इडियोपैथिक थ्रॉम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा के निदान के लिए आप यदि डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपका परीक्षण करते हैं और उसके बाद आपको सलाह देते हैं कि आपको क्या करना है। वह कुछ दवाएं भी लिखकर दे सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
प्लेटलेट्स का ईलाज इस बात पर निर्भर करता है कि स्थिति कितनी गम्भीर है। यदि प्लेटलेट्स की संख्या काफी अधिक कम हो गई तो उसके बाद ईलाज की आवश्यकता पड़ती है। अन्यथा यह प्लेटलेट्स की निगरानी करते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
आदि आपके डॉक्टर कर सकते हैं। और यदि समस्या है तो वह सही उपचार के बाद ठीक हो जाती है। बाकि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
Toxic Epidermal Necrolysis एक प्रकार का दुर्लभ त्वचा का विकार होता है जोकि केवल कुछ ही लोगों के अंदर देखने को मिलता है। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाता है तो इसकी वजह से इंसान की मौत भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसकी वजह से त्वचा काफी अधिक छिल जाती है और त्वचा जो मर चुकी है वह हटने लग जाती है। और इसकी वजह से त्वचा के अंदर काफी अधिक जलन होने लग जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यह जो विकार होता है वह किसी भी समय पर हो सकता है। यह बच्चों से लेकर बड़ों के अंदर तक हो सकता है। इसका समय पर ईलाज बहुत अधिक जरूरी होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
लोगों को कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद हो सकता है। यदि ऐसा है तो आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । यही सबसे अधिक जरूरी चीज है आप इसको समझ सकते हैं।
दोस्तों कान बहने के अंदर कान के अंदर से एक प्रकार के तरल पदार्थ निकलता है जिसको ओटोरिया के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कान के अंदर का पर्दा यदि कई बार किसी चोट की वजह से फट जाता है तो इसकी वजह से कान के अंदर से एक तरल पदार्थ का रिसाव होता है। और खून भी आ सकता है। यदि समय पर इसका ईलाज नहीं किया जाता है तो समस्या अधिक गम्भीर हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
आपको बतादें कि कान कई तरह से बह सकता है। कान बहने के प्रकार के आधार पर ही इसका ईलाज किया जाता है तो आइए जानते हैं कान बहने के प्रकार के बारे मे विस्तार से आप समझ सकते हैं।
कान बहने के लक्षण की बात करें तो यदि आपका कान बहता है तो इसके अंदर से सफेद या मवाद या फिर खून आ सकता है। इसके लिए नीचे लक्षण दिये गए हैं
अब यदि हम कान बहने के कारणों की बात करें तो इसके लिए कई सारे कारण होते हैं जिसकी वजह से कान बह सकता है। कुछ गम्भीर समस्या होने का संकेत देता है तो कुछ छोटी मोटी समस्या होने के बारे मे संकेत देते हैं । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
कान बहने से बचाव आप किस तरह से कर सकते हैं तो इसके लिए आप कुछ चीजों की सावधानी बरत सकते हैं जिससे कि कान बहने से आप बच सकते हैं।
दोस्तों आंखों मे सूजन के अंदर भी dexona tablet uses किया जाता है। आंखों के आस पास की जो त्वचा होती है वह काफी संवेदनशील होती है। और आंखें मे अधिक थकान और सही से नींद नहीं लेने और एलर्जी की वजह से सूजन आ जाती है।इसके अलावा कई बार द्रव आपकी आंखों के आस एकत्रित हो जाता है जिसकी वजह से आंखों के अंदर सूजन आ जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि हम आंखों के सूजन के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप आंखों के सूजन के बारे मे पता लगा सकते हैं तो आइए जानते हैं आंखों के सूजन के लक्षणों के बारे मे विस्तार से
इसके अलावा भी आंखों के सूजन के साथ अन्य लक्षण दिखाई देते हैं तो यह किसी और बीमारी के संकेत हो सकते हैं । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
उपर दिये गए सभी लक्षण किसी गम्भीर समस्या के बारे मे संकेत देते हैं तो यदि यह लक्षण आपको दिखते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उना सभी निर्देश का पालन करना चाहिए । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि हम आंखों मे सूजन के कारणों की बात करें तो यह कई कारणों की वजह से हो सकती है। जैसे कि किसी तरह की एलर्जी होने की वजह से हार्मोन तरल पदार्थ के जमने या फिर किसी अन्य समस्या की वजह से हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसके अलावा कई बार किसी वजह से अधिक रोना पड़ता है। अधिक रोने की वजह से भी आंखों मे सूजन आ जाती है। इसके अलावा यदि आप समय पर सोते नहीं हैं तो भी आंखों को सूजन का सामना करना पड़ता है।इसके अलावा अधिक मात्रा मे शराब पीने की वजह से भी आंखों मे सूजन की समस्या हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
अब बात आती है कि आंखों मे सूजन का आप किस तरह से बचाव कर सकते हैं तो इसके लिए आपके पास कई सारे तरीकें होते हैं जिसकी मदद से आप आंखों मे सूजन से बचाव कर सकते हैं तो आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे मे विस्तार से ।
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