ninda ka vilom shabd निन्दा का विलोम शब्द क्या होगा ?

निंदा का विलोम शब्द हिंदी में, निंदा शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, निंदा का उल्टा , ninda ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
निंदास्तुति  
nindaStuti
Blasphemy        Praise    

निन्दा का विलोम शब्द ‌‌‌और अर्थ

‌‌‌निंदा का मतलब होता है बुराई करना ।जब हम किसी कार्य या वस्तु के अंदर बिना किसी कारण के गुण और दोष निकालने लग जाते हैं तो उसके लिए कहा जाता है कि हम निंदा कर रहे हैं। वैसे यदि वस्तु या कार्य के अंदर सचमुच दोष हैं और उसके बाद आप दोष निकाल रहे हैं तो यह निंदा करना नहीं कहा जाता है।

निन्दा का विलोम शब्द ‌‌‌और अर्थ

 ‌‌‌वरन इसको आलोचना कहते हैं। यही फर्क होता है निंदा और आलोचना । अक्सर आलोचना वे लोग करते हैं जिनको आपकी बुराइयां दिखती हैं। आपके माता पिता आपकी निंदा नहीं आपकी आलोचना करते हैं। आलोचना करने का मकसद बुराइयों या फिर कमियों को दूर करना होता है। लेकिन निंदा का मकसद आपको नीचा दिखाना होता है।

‌‌‌निंदा अक्सर वैसे लोग करते हैं जोकि आपसे शत्रुता रखते हैं।आपका दुश्मन कभी भी आपकी प्रसंसा नहीं करेगा वह आपकी निंदा ही करेंगा । लेकिन आपको यह भी पता होना चाहिए । कि कई बार बुराई का प्रतिकार करने के लिए भी निंदा की जाती है। यहां पर शत्रुता रखना मकसद नहीं होता है। मकसद होता है बुराई को रोकना।

‌‌‌जैसे किसी ने महिला के साथ गलत कार्य किया तो दूसरे लोग उसके इस गलत कार्य की निंदा करते हैं। आप समझ सकते हैं कि इस प्रकार की निंदा बुराई को रोकने के लिए की जाती है।

‌‌‌लेकिन यदि आप बिना किसी गलती के किसी की निंदा करते हैं तो यह उचित नहीं है।और आजकल बहुत सारे न्यूज चैनल इसी प्रकार काम करते हैं। कुछ न्यूज चैनल कुछ लोगों से पैसा लेते हैं और उसके बाद हर सही खबर को गलत तरीके से पेश करते हैं और इसके अंदर वे दूसरे इंसान की झूंठी निंदा करते हुए नजर आते हैं। ‌‌‌यही कारण है कि आजकल लोग अखबार और दूसरे न्यूज पर भरोशा नहीं करते हैं क्योंकि यह फेक न्यूज फैलाते हैं।

स्तुति का अर्थ

‌‌‌स्तुति का मतलब होता है प्रसंसा करना ।जब आप कहते हैं कि अमुख इंसान काफी सुंदर है। उसके अंदर कई सारे गुण हैं तो यह उसकी स्तुति कहलाती है। हालांकि स्तुति अक्सर भगवान और भगत के बीच का शब्द है। भगत अपने भगवान की स्तुति करते हैं ताकि वे उनको प्रसन्न कर सकें और उनका कल्याण हो सकें ।

‌‌‌इस प्रकार से स्तुति का मतलब चाटुकारिता भी होता है।अक्सर आपने देखा होगा कि जब हम लोगों को किसी अधिकारी से काम करवाना होता है तो उस सरकारी अधिकारी की स्तुति करनी पड़ती है । उसके पीछे पीछे घूमना होता है। उसकी चाटुकारिता करनी होती है। और सरकारी नौकरी एक बार लगने के बाद तो अधिकारियों की ‌‌‌चाटुकारिता की वजह से ही तो परमोशन मिलता है।और अधिकतर सरकारी अधिकारी परमोशन के चक्कर मे ही तो अपने उपर के अधिकारियों के पैर दबाते हैं।‌‌‌इसी को चाटुकारिता कहा जाता है।

चुगली करने की सजा कहानी

‌‌‌प्राचीन काल की बात है। एक महिला थी जिसका नाम बनारसी देवी था।उसे हमेशा दूसरों की निंदा करने मे काफी मजा आता था। वह  हमेशा ही दूसरों की निंदा करने मे लगी रहती थी। एक बार की बात है।वह अपने पड़ोसन धनिया नामक एक औरत के पास गई और बोली ……अरे ओ सुनती हो ?

……हां क्या बोल रही है ?

…..अरे ‌‌‌हमारी पड़ोसन वो कुंति है ना वह तेरे लिए बोल रही थी कि तू अच्छी नहीं है। और अपने पति के साथ नहीं सोती है? पति को बिल्कुल भी सुख नहीं देती है ।

…….लेकिन उस कुंति को कैसे पता कि हम और हमारो पति क्या करते हैं ?यह सब तो झूठ है। 

—– ‌‌‌यही बात मैं तुमको कहने के लिए आई थी।अब यह तो पता नहीं कि यह सच है या झूठ है ?ठीक है अब मैं चलती हूं औरबनारसी एक दूसरी औरत के घर जाती है ।

——— ‌‌‌घर पर हो क्या पानुड़ी ?

…….हां घर पर ही हूं अंदर आजा ?आज कैसे आना हुआ । वह बाहर निकलते हुए बोली

…..बस ऐसे ही आ गई । तैरा मर्द कहां गया है इतनी जल्दी ?

……वो तो आज काम पर चले गए हैं।

…..मैंने तो सुना है कि तेरे मर्द का कहीं पर चक्कर चल रहा है । और वह उस महिला से शादी करने वाला ‌‌‌ है।

…..क्या तभी मुझे लग रहा था कि आजकल वो मुझसे दूर दूर क्यों रहते हैं ?अब आने दे उसको बताती हूं कि मुझे धोखा देने का नतीजा क्या होता है ?

‌‌‌बस इतना कहने के बाद तो बनारसी वहां से आ गई । और दूसरे किसी घर के अंदर चली गई। उसका पूरे दिन का यही काम होता था। और इस चक्कर के अंदर गांव मे बहुत बार भयंकर झगड़े हो जाते थे । बनारसी की इस प्रकार की हरकत से काफी लोग परेशान थे ।

‌‌‌बनारसी के कहने के बाद पानूडी काफी उदास थी ।उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसका मर्द उसको क्यों पसंद नहीं करता है ? उसके पास ऐसा क्या नहीं है ? शाम को जब मर्द घर आया तो वह बोली …….आज अपनी प्रेमिका के यहां पर ही रह जाते यहां क्यों आए हो ?

……अरे भाग्यवान क्या बकवास कर रही हो ?

……नहीं ‌‌‌बकवास नहीं कर रही हूं । सच बोल रही हूं ।क्यां मैं तुमसे प्यार नहीं करती जो दूसरी औरतों से नैनलड़ाते हो । यदि तुम यह सब नहीं छोड़े तो हम जहर खकर मर जाएंगे कसम से बता रहे हैं । अब पानूड़ी काफी गुस्से के अंदर नजर आ रही थी।

—– ‌‌‌किसने बोला कि मेरा चक्कर चल रहा है ?

….उस बनारसी ने ?

…उस पागल औरत का तुमने यकीन कर लिया जो पूरे गांव के अंदर लड़ाई झगड़ा करवाती है। देखो पानूड़ी तुम व्यर्थ मे शक ना करो चलो आओ ।

‌‌‌पूरे गांव के अंदर मैं कई घरों के अंदर जाकर दिखाता हूं जहां पर  बनारसी की चुगली करने की आदत से काफी झगड़ा हुआ है।

और उसके बाद पानूड़ी अपने पति के साथ गई और देखा तो बहुत सारे ऐसे घर थे जहां पर बनारसी ने चुगली करके झगड़ा तक करवा दिया और इसके अंदर कई बार तो इंसानों की मौत तक हो गई ।

‌‌‌…….क्या इस बनारसी का इलाज नहीं हो सकता है ? पानूड़ी ने अपने पति से पूछा

……इलाज बस एक ही है यह पूरी चुगल खोर है।यदि कोई राजा के सामने इसकी गवाही देदे तो इसको सजा होगी । उसके बाद पानूड़ी ने अपने पति को साथ लेकर 20 लोगों को राजा के सामने गवाही देने के लिए तैयार किया ।

‌‌‌बनारसी को साबित किया कि वह चुगल खोर है और इसकी वजह से घरों मे झगड़े होते हैं। राजा ने बनारसी को  1 साल की सजा दी । बेचारी बनारसी को अपनी चुगली करने की आदत पर काफी पछतावा हुआ । इसी लिए कहा जाता है कि किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए ।निंदा का शाब्दिक अर्थ होता है “बुराई करना” या “किसी को कष्ट देना”। इससे संबोधित बच्चे किसी को किसी के बिना किसी को कुछ बुरा करने के लिए कहते हैं।

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