उष्ण का विलोम शब्द क्या है Ushn ka vilom shabd kya hai ?

उष्ण का विलोम शब्द या उष्ण का विलोम , उष्ण का उल्टा क्या होता है ? Ushn ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
उष्णSheet, shital
UshnSudha, Amrit

‌‌‌उष्ण का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों उष्ण शब्द के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे। उष्ण का मतलब होता है गर्मी जो गर्म इलाका होते है उसके लिए उष्णकटिबंध शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसके बारे मे आप भी अच्छी तरह से जानते ही हैं।वैसे उष्ण या गर्मी के अंदर रहना हर किसी को पसंद  ‌‌‌नहीं होता है। आपको पता ही है कि भारत के राजस्थान जैसे राज्य के अंदर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है और यहां पर  इतनी अधिक गर्मी होती है कि यदि आप धूप के अंदर बिना टॉवल लिये निकल गए तो समझो आप बीमार पड़ जाएंगे। यहां पर पूरा रेतिला इलाका है। हालांकि जो गांव शहरों के आस पास बसे हुए हैं उनके अंदर ‌‌‌काफी सुविधा मौजूद है लेकिन जो गांव शहरों के आस पास नहीं बसे हुए हैं। उनके अंदर किसी भी तरह की सुविधा मौजूद नहीं है। रेतिले इलाके हैं और दूर दूर तक पेड़ पौधा तक नहीं है। इन एरियों के अंदर बरसात बहुत ही कम होती है। जिसकी वजह से घास भी नहीं उगती है। और इसके बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं।

‌‌‌दोस्तों आमतौर पर इन इलाकों के अंदर अधिक बरसात नहीं होने का कारण पेड़ पौधे भी हैं। यहां पर पेड़ पौधे बहुत ही कम लगाते हैं। यदि आप गंगानगर की तरफ चले जाते हैं तो उसके बाद पेड़ पौधे आपको कम ही देखने को मिलेंगे। और खेती भी उतनी नहीं होती है।

उष्ण का विलोम शब्द

‌‌‌लेकिन कुछ भी हो गर्मी इतनी अधिक होती है कि रहना मुश्किल हो जाता है। कई बार हम खेतों के अंदर काम करते थे तो धूप के अंदर पूरा शरीर ही काला पड़ जाता था। और अफ्रिका के लोगों को तो अपने देखा ही होगा यह लोग इतने काले क्यों होते हैं। इसका कारण वहां की उष्णता ही तो होती है।

‌‌‌हालांकि जो पहाड़ी इलाके होते हैं उनके अंदर उतनी गर्मी नहीं होती है। क्योंकि वहां पर बारिश होती रहती है। और पेड़ पौधे भी अधिक होते हैं। जमीन इसी प्रकार की होती है कि पानी सुखता नहीं है। लेकिन यदि रेतिली भूमी पर बारिश होती है तो उसके बाद पानी बहुत ही जल्दी सुख जाता है। इस वजह से ‌‌‌ रेगिस्तान के अंदर खेती करना भी आसान काम नहीं होता है। क्योंकि यहां पर बारिश का कोई भी भरोशा नहीं होता है। कभी कभी बारिश काफी अधिक होती है तो कभी बारिश कम होती है। दो बारिश के बीच यदि अंतराल हो जाता है तो उसके बाद पौधे सूख जाते हैं। और कभी कभी इतनी बारिश हो जाती है कि पौधे को गला देती ‌‌‌ है। यदि आप रेगिस्तान के अंदर रहते हैं तो आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता ही होगा । वैसे आपको बतादें कि आजकल रेगिस्तान के अंदर भी लोग अपने घरों के अंदर पौधे लगाने लगे हैं। पहले पौधो को लकडियों के लिए काटा जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता है क्योंकि अधिकतर लोग गैस सिलेंडर का यूज करते

‌‌‌हैं। भले ही गैस सिलेंडर काफी महंगा होता है लेकिन आजकल सबको सुख सुविधा की आदत  लग चुकी है तो आपको इसके बारे मे पता ही होगा । सब घरों के अंदर गैस सिलेंडर का ही यूज किया जाता है।

‌‌‌हालांकि ग्रामिण इलाकों के अंदर आज भी रोटी बनाने के लिए चूल्हे का यूज किया जाता है जिसके अंदर की लकड़ी जलाई जाती है। आपको इसके बारे मे पता ही है।

‌‌‌उम्मीद करते हैं कि आपको उष्ण का मतलब अच्छी तरह से समझ आ गया होगा ।

‌‌‌शीतल का अर्थ और मतलब

दोस्तों शीतल शब्द के बारे मे आपने बहुत ही अच्छी तरह से सुन रखा होगा । क्योंकि कई सारी लड़कियों का नाम भी शीतल होता है। शीतल का मतलब होता है। जो ठंडक प्रदान करता है उसके लिए शीतल शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि आप चांद को देखते हैं। यह रात के अंदर काफी ठंडक ‌‌‌ प्रदान करता है जिसको कि शीतलता प्रदान करने वाला माना जाता है। इसी प्रकार से जब गर्मी का मौसम होता है तो हमको ठंडा जल काफी अच्छा लगता है क्योंकि ठंडा जल शीतलता प्रदान करने वाला होता है।

 तो दोस्तों इसका मतलब यही है कि शीतलता हर किसी को पसंद होती है। अब यदि हम इंसान की बात करें तो इंसानों ‌‌‌ की तो इंसानों को भी शीतलता काफी अधिक पसंद आती है। जब कोई इंसान बोलता है और यदि उसकी वाणी से शीतलता झरती है तो उसके बाद उस इंसान को काफी अधिक पसंद किया जाता ह। यह बात अलग है कि वह झूठी की शीतलता के गुण गान करता हो लेकिन उसको काफी अधिक पसंद जरूर ही किया जाता है।

‌‌‌वैसे आजकल हर इंसान की वाणी के अंदर कटुता भरी पड़ी है। हर इंसान की वाणी कलयुग के अंदर आने के बाद बस काली ही हो गई है। मतलब यही है कि वाणी के उपर कलयुग का असर हो चुका है। जिसकी वजह से वाणी काफी काली हो गई है। और इसी काली वाणी के चलते कल युग के अंदर जो जो दुराचार हो रहे हैं वह सब हो रहा है।

‌‌‌इसलिए अपनी वाणी को सही रखने का प्रयास करना चाहिए । लेकिन इनमे भी उन लोगों का दोष नहीं होता है। सिस्टम ही इतना घटिया होता है कि यहां पर इंसानों को गाली देना तो बहुत ही अच्छे से आ जाता है। लेकिन उसे क्या बोलना चाहिए यह नहीं आ पाता है।

‌‌‌कई मां बाप तो मैंने ऐसा देखें हैं जोकि बेटा गाली देता है तो वे खुद हंसते रहते हैं तो ऐसी स्थिति के अंदर क्या समस्या हो सकती है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

‌‌‌यदि इंसान को अपनी वाणी के अंदर शीतलता चाहिए तो उसे यह अनुभव करवाना होगा कि उसके लिए शीतलता की जरूरत क्यों है ? यदि उसे इसके बारे मे अनुभव नहीं करवाया जाता है तो वह कभी भी वाणी की उस शीतलता को प्राप्त करने मे सफल नहीं हो पाएगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌जब हर इंसान को एक वैज्ञानिक तरीके से बताया जाता है कि वाणी की शीतलता क्यों जरूरी है तब ही उसके बाद सब कुछ सही होगा । और इंसान अपने आप ही कुकर्म को छोड़ देगा और फिर अच्छे मार्ग पर आ जाएगा । लेकिन इसके लिए पहले प्रयास करना होगा तभी सब कुछ संभव हो पाएगा ।

‌‌‌यदि आपका भी कोई बेटा या फिर बेटी है तो उसको पहले से ही बोलने का सही तरीका आपको सीखाना चाहिए । यदि आप सही तरीका नहीं सीखाते हैं तो उसके बाद वह कुछ भी बोलेगा और हो सकता है कि भविष्य के अंदर कुछ ऐसे काम करदे जिसकी वजह से आपको काफी नुकसान उठाना पड़े या फिर आपका इसके अंदर काफी नाम भी खराब हो  

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