अंत का विलोम शब्द क्या है Ant ka vilom shabd kya hai ?

अंत का विलोम शब्द या अंत का विलोम , अंत का उल्टा क्या होता है ? Ant ka vilom shabd Ant ka vilom shabd kya hai

शब्दविलोम शब्द
अंतआदि, अदि, आरंभ
AntAadi, Adi, Anant, Arambh

‌‌‌अंत का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों अंत का विलोम शब्द होता है शूरू । अंत का अर्थ होता है खत्म हो जाना । इस दुनिया के अंदर जितनी भी चीजें हैं उन सब का एक दिन अंत हो जाना है। जो पैदा हुआ है उसका विनाश होना तय है। यह बात अलग है कि कोई धीमी गति से विनाश की ओर बढ़ रहा है तो कोई तेज गति से ‌‌‌ विनाश की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन बहुत से लोगों को यह भ्रम हो जाता है कि उनको कुछ नहीं हो सकता है। अक्सर जब हम किसी कि मयित मे जाते हैं तो कुछ दिन तक तो इसका प्रभाव हमारे उपर रहता है। हम सब कुछ भूल कर यही सोचने लग जाते हैं कि एक दिन हमको भी जाना है। लेकिन कुछ दिन बाद माया के प्रभाव मे ‌‌‌ आ जाते हैं और फिर वही करने लग जाते हैं।बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो स्थाई रूप से माया के प्रभाव मे आये बिना रहते हैं। इस प्रकार के लोगों को ही तो भगवान के नाम से जाना जाता है।

‌‌‌अंत का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस तरह के लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है।जो माया से परे जाने की क्षमता रखते हैं। वैसे माया से अलग जाने की कोशिश तो हर कोई करता है लेकिन माया के बंधन इतने अधिक मजबूत है कि हम उससे पार जा नहीं सकते हैं।

‌‌‌प्राचीन काल की बात है। दो लड़के एक साधु के पास आये और बोले कि …….हे महाराज हम आपके शिष्य बनना चाहते हैं।

तो महाराज ने कहा कि इससे पहले आपकी परीक्षा ली जाएगी । लड़के भी परीक्षा देने के लिए तैयार हो गए तो महाराज ने कहा ….जो उस चीज को खोजकर लाओ जो अनादि है।

शिष्य दोनों महाराज का ‌‌‌ प्रश्न लेकर चले गए । पहला शिष्य कम ही बुद्यिमान था तो वह कई जगहों पर गया और सबसे पूछा कि क्या कोई उसे ऐसी चीज दे सकता है जोकि अनादि है जिसका अंत नहीं होता है। लेकिन किसी के पास ऐसी चीज नहीं थी। उसके बाद शिष्य ने मिट्टी को उठाया और उसे लगा की यही अनादि है तो वह उसके बाद इसे लेकर ‌‌‌ अपने गुरू के पास चला गया । दूसरा लड़का पहले से ही यह जानता था कि इस संसार मे अनादि कुछ नहीं है। सबका अंत एक दिन होना ही है। तो उसके बाद वह एक गुरू के पास गया और उनसे पूछा तो उन्होंने सारा जवाब बता दिया । दोनों गुरू के पास पहुंचे ।

‌‌‌पहले शिष्य ने गुरू को मूठी भर धूल दिया और बोला कि यह अनादि है।गुरू ने धूल को हवा मे उडा दिया और कहा कि धूल कंहा गई। शिष्य के पास कोई जवाब नहीं था। उसके बाद दूसरे शिष्य से पूछा कि अनादि क्या है ? तो उसने बताया कि आत्मा ही अनादि है। बस वही एक चीज है जिसका अंत नहीं होता है। बाकि सब ‌‌‌का अंत होता है।और आप और हम और सरा जगत बस उसी की सत्ता से चल रहा है। जो उसको जान लेता है वह सब कुछ पा लेता है। गुरू ने दूसरे लड़के को शिष्य के रूप मे स्वीकार कर लिया ।

‌‌‌आरम्भ का अर्थ और मतलब

दोस्तों आरम्भ के बारे मे हम सभी अच्छी तरह से जानते ही हैं।आरम्भ का मतलब होता है शूरू करना । जैसे आप किसी काम को शूरू कर रहे हैं तो उसके लिए कहा जाएगा कि आरम्भ करना ।‌‌‌दुनिया के अंदर सरल काम तो हर कोई शूरू कर सकता है। और सरल काम आसानी से पूरा भी हो जाता है लेकिन लीक से हटकर चलने वाले इंसान काफी भयंकर होते हैं और वे ही इस दुनिया को कुछ देकर जाते हैं। जैसे कि लेकिन अधिकतर लोगों की सोच दूसरें के देखा देखी ही बनती है। जैसे कि भारत के अंदर सरकारी नौकरी का  ‌‌‌ जितना क्रेज है उतना किसी और काम का नहीं है।

भारत के हर युवा को बस सरकारी नौकरी ही चाहिए होती है। अब आप समझ सकते हैं कि इतने सारी नौकरी कैसे मिल सकती है। इतने अधिक संसाधन ही नहीं हैं। और यदि सरकार सारे कार्य अपने अंडर मे लेलेती है तो उसके बाद सरकार ही कंगाल हो जाएगी । क्योंकि सरकार के

 ‌‌‌पास इतना अधिक फंड कैसे आ सकता है?और सबसे बड़ी बात तो यह है कि हर कोई बिजनेस नहीं करना चाहता है जो बिजनेस करते हैं उसके अंदर घाटा भी हो सकता है। और कोई गारंटी नहीं है कि आप उसके अंदर सक्सेस हो जाएं । संभव है आप अपने पैसा खो दें ।

‌‌‌एक व्यक्ति जिसका नाम तो हम यहां पर नहीं बताना चाहेंगे । वह मेरे साथ ही पढ़ता था।उस व्यक्ति ने काफी साल नौकरी की तैयारी की लेकिन उसके बाद जब नौकरी नहीं लगी । उसके बाद उसकी शादी करदी । फिर बच्चे हो गए तो वह काफी परेशान रहने लगा । एक दिन वह मेरे से मिला और उसने बताया कि यह समस्या है।

‌‌‌मैंने उसको एक बिजनेस आइडिया पर काम करने को कहा ।वह उस आइडिया पर काम करने को राजी हो गया । उसके बाद उसने उस बिजनेस आइडिया पर लगभग 6 महिने काम किया । उसके बाद उसे सफलता दिखने लगी और आज वह एक सफल इंसान बन गया ।

‌‌‌असल मे जब आप एक बार सही तरीके से बिजनेस आइडिया पर काम करना शूरू कर देते हैं तो फिर धीरे धीरे आपको सफलता दिखने लग जाती है। ऐसी स्थिति के अंदर आपको सब कुछ पता चल जाता है कि आप सफल होने वाले हैं।

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि बहुत से लोग बस टालमटोल के अंदर ही दिन गुजारते रहते हैं। उनका सारा समय ऐसे ही निकल जाता है और बाद मे जब शादी हो जाती है जिम्मेदारी बढ़ जाती है तो फिर उनको यह समझ नहीं आता है कि अब उनको क्या करना चाहिए ।

‌‌‌ऐसे मैं अनेक लोगों को जानता हूं जिनकी आज यही स्थिति है।उनको यह समझ नहीं आता है कि उनको करना क्या है। आज वे कुछ काम उधर करते हैं तो कुछ काम इधर करते हैं।

‌‌‌लेकिन इस तरह के लोग बस अपने किस्मत को ही कोसते रहते हैं।जब आप किसी काम के अंदर हाथ ही नहीं डालते हैं तो फिर आप कैसे सक्सेस हो सकते हैं ? आपको काम करना होगा तभी तो आप सक्सेंस होंगे बिना काम कोई भी सक्सेस नहीं होता है।

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