विष का विलोम शब्द Vish ka vilom shabd kya hai ?

विष का विलोम शब्द या विष का विलोम , विष का उल्टा क्या होता है ? Vish  ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
विषअमृत
PratikulAmrat

‌‌‌विष का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों विष के बारे मे तो आप बहुत ही अच्छे तरीके से जानते ही हैं।विष का मतलब होता है जहर । और जहर एक प्रकार का ऐसा पदार्थ होता है जोकि हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। वैसे यह आपको बतादें कि जो चीज हमारे लिए जहर होती है वह किसी दूसरे प्राणी के लिए जहर ही ‌‌‌हो यह आवश्यक नहीं होता है।खैर जहर का काम तो किसी को नुकसान पहुंचाने का होता है लेकिन यही जहर उसको बनाने वालों को नुकसान पहुंचाता है। अनेक बार जो वैज्ञानिक जहर का आविष्कार करते हैं वे खुद मौत के मुंह मे चले जाते हैं।

‌‌‌इसी प्रकार से जब खेत मे या घर मे अधिक चूहे हो जाते हैं तो उन चूहों को मारने के लिए जहर का प्रयोग किया जाता है। और यही जहर उन चूहों को मौत के घाट उतार देता है। दोंस्तों यदि दुनिया के अंदर सबसे जहरीली चीज की बात करें तो वह इंसान ही होता है।

‌‌‌इंसान जितना जहरीला दूसरा कोई भी नहीं होता है। कारण यही है कि इंसान इस प्रकृति पर जो कुछ भी है उन सभी का दुश्मन है लेकिन प्रकृति ने उस कचरे को पैदा किया है तो वह उसका विनाश करना भी जानती है। वह कुछ भी करले लेकिन प्रकृति के आगे कीड़ा ही है और उससे अधिक हो भी नहीं सकता है।

‌‌‌और विचारों के जहर को तो आप देख ही रहे हैं।क्योंकि विचारों के जहर की वजह से पूरी दुनिया के अंदर युद्ध होते हैं। युद्ध तर्क से कभी नहीं होता है। यदि सारी दुनिया तर्क पर काम करे तो युद्ध नहीं होगा लेकिन विश्वास पर काम करने लग जाती है तो विश्वास का कोई सिर पैर नहीं होता है। आप यह ‌‌‌विश्वास करते हैं कि गधे के दो टांग होती हैं तो कोई दूसरा पांच टांगों पर भरोसा करता है। ऐसी स्थिति के अंदर टकराव होगा । और दोनों मे से कोई एक सत्य को मानने तक को तैयार नहीं होगा । कारण यही है कि उसके पास इतना विवेक नहीं होगा कि वह इसको मान सके ।

‌‌‌विष का विलोम शब्द और अर्थ

‌‌‌ऐसी स्थिति के अंदर आप समझ सकते हैं कि युद्ध होगा । यही विचारों का झगड़ा एक दिन विनाश लेकर आएगा । और अधिकतर इंसान कुत्ते की मौत मारे जाएंगे। और मारे भी क्योंना जाएं जो दूसरे जीवों को कुत्ते की मौत मारते हैं वह एक दिन खुद भी वैसे ही मरते हैं यह प्रकृति का नियम है इसको कोई नहीं बदल सकता

‌‌‌। तो बात यदि खाने पीने की करें तो आज के समय मे पूरे खाने मे ही जहर भर गया है। आप मार्केट मे से कुछ भी लेकर आएं आपको कुछ भी ऑरेजनल नहीं मिलेगा । वरन जहरीला ही मिलेगा । और उसके अंदर मिलावट होगी। जो खेती हो रही है वह भी दवाओं की मदद से हो रही है। ‌‌‌ऐसी स्थिति के अंदर इतनी प्रकार की बीमारियों का जन्म हो रहा है कि आप समझ सकते हैं कि यह सब लोगों के लिए घातक साबित हो रहा है। लेकिन सब अपना घर भरने मे लगें हैं। जिस तरह से चूहे रोटी को उठा उठा कर अपने बिलों मे लेकर जाते हैं। ‌‌‌यदि आप कैंसर जैसी बीमारी के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह बीमारी आज जितनी फैली हुई है आज से 100 साल पहले उतनी नहीं थी। नकली चीजों के खाने से इस प्रकार की घातक बीमारी होती हैं।

‌‌‌अमृत का विलोम शब्द

‌‌‌अमृत शब्द के बारे मे हम बहुत ही अच्छी तरह से जानते ही हैं।अमृत का मतलब होता है एक ऐसी चीज को पवित्र है। प्राचीन काल के अंदर अमृत एक ऐसे रस को कहा जाता था जिसको पीने के बाद इंसान या जानवर अमर हो जाता है। इस प्रकार के पदार्थ की खोज हर कोई सदियों से करता आया है लेकिन आज तक ऐसा कोई पदार्थ कम ‌‌‌ से कम इंसानों को तो नहीं मिला ।

क्योंकि वे इंसान तो अमर होना ही चाहते हैं जिनके पास सुखसुविधाओं के तमाम साधन मौजूद हैं। ऐसी स्थिति के अंदर उनका मन नहीं करता है कि यह समस्त साधन छूट जाएं ।यदि आप भी अमर होना चाहते हैं तो आपको भी अमृत की तलास करनी शूरू कर देनी चाहिए ।

‌‌‌कहा जाता है कि देवताओं के पास अमृत था जिसको पिकर अमर हो गए ।लेकिन आपको एक और बता देना चाहेंगे कि आप पहले से ही अमर ही हो आपका कभी भी नाश नहीं होता है। नष्ट सिर्फ शरीर होता है आपके अंदर कि जो आत्मा है वह अमर ही है। लेकिन दुर्भाग्य से लोग यह समझते हैं कि वे सिर्फ शरीर हैं। इसलिए खुद के ‌‌‌ नाम रख लेते हैं।और उसी नाम से खुद को जानने भी लग जाते हैं। जबकि धरती पर जो नाम रखे जाते हैं वे सब कुछ नकली होते हैं। उनका कोई महत्व नहीं होता है। क्योंकि आप अनामी हैं। आप सदा अमर ही हैं।

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम अपने पूर्व जन्मों को नहीं जानते हैं। और बस इस जन्म को ही जानते हैं। इस वजह से चाहते हैं कि यह जन्म सुरक्षित रहे इसलिए हिमालय की घुफाओं मे और कंदराओं के अंदर अमृत की तलास करते हैं कि कहीं अमृत मिल जाए तो उसकी दो बूंद को चखलें और उसके बाद भोगों को ‌‌‌ भोगते रहें। लेकिन हकीकत यही है कि भोगों को भोगने से भोग कभी भी शांत नहीं हो सकते हैं। यह आग मे घी डालने के समान होते हैं। लेकिन यदि आप भोगों को भोगना बंद कर देते हैं तो उसके बाद धीरे धीरे सब कुछ समाप्त हो जाता है। भोग आपको परेशान करना बंद कर देते हैं।‌‌‌आपके मन मे विचार आते हैं लेकिन उसके बाद फिर विचार अपने आप ही चले जाते हैं। यही मन की प्रकृति है।

‌‌‌यदि आप उन विचारों को इग्नोर करते रहेंग ।तो आप बस कुछ दिन परेशान होंगे और आप यह एहसास कर पाएंगे कि आप सच मे अमर हैं आपको अमर होने के लिए किसी अमृत की जरूरत भी नहीं है। ‌‌‌तो उम्मीद करते हैं कि अब आपको अमृत की आवश्यकता नहीं होगी ।क्योंकि अमृत तो अब वैसे भी आपको मिलने वाला तो है नहीं ।

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