Apman ka vilom shabd मूर्ख का विलोम शब्द ?
मूर्ख का विलोम शब्द, मूर्ख शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मूर्ख का उल्टा Apman ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
मूर्ख | चतुर, बुद्धिमान |
Murkh | Chatur, Buddhiman |
मूर्ख का विलोम शब्द और मतलब
दोस्तों मूर्ख इंसान के बारे मे तो आपने सुना ही होगा ।मूर्खों की दुनिया मे कमी नहीं है। मूर्ख का मतलब होता है जिसके पास दिमाग नहीं हो । अक्सर दो मूर्ख चोरो की कहानी छपी थी जिसके अंदर एक चोर का हाथ मंदिर की दान पेटी के अंदर फंस गया और दूसरा चोर खड़ा देखता रहा ।दोनो चोर पूरी रात तक हाथ निकालने की कोशिश करते रहे लेकिन उसके बाद भी चोर का हाथ नहीं निकला और सुबह हो गई तो गांव वालों ने दोनों चोरों को पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया ।
इसी प्रकार से एक दिन मूर्ख चोरों की एक और विडियों आई जिसके अंदर एक चोर छप पर चोरी करने के लिए गया और दूसरा नीचे खड़ा रहा अचानक से छत पर चढ़ते वक्त फिसल गया और जमीन पर गिर गया बेचारा चोर जल्दी से उठकर भागा कि कहीं कोई देख ना ले ।
इसी प्रकार से मूर्ख इंसान खुद के ही कत्ल करने के सामान को बनाता है। आपको लगता है कि इंसान बुद्धिमान है। मुझे नहीं लगता है कि इंसान बुद्धिमान है। अधिकतर इंसान बस मानवता के खिलाफ होते हैं। क्या आपको पता है कि बुराई जब हद से अधिक बढ़ जाती है तो वह बुराई ही एक दूसरे को नष्ट करने लग जाती है।
जो लोग झूंठ मे जीते हैं। सच्चाई को मानने के लिए ही तैयार नहीं हैं। वे भी किसी मूर्ख से कम नहीं है। आपने देखा होगा कि हम लोग जीवन के अंदर सेंट पेंट से बहुत ही अच्छे से रहते हैं। यदि कोई हमे बोल दे कि तेरी मौत होगी तो हम डर जाते हैं क्योंकि हम जीवन से प्रेम करते हैं मौत से प्रेम नहीं करते ।लेकिन कब तक हम मौत से भागते रहेंगे इसलिए तो ओशो ने कहा कि मैं मौत को सीखाता हूं । कारण यह है कि मौत का सामना करने की क्षमता हमारे अंदर होनी चाहिए । यदि हम झूंठ और फरेब मे जी रहे हैं तो फिर एक ना एक दिन हमको रोना पड़ेगा ।
इसलिए मूर्खों की जिंदगी जीना छोड़ दिजिए जो मूर्ख नहीं होता है वह फरेब मे नहीं जीता है। इसी प्रकार से सब अलग अलग तरह के मूर्ख हैं। एक इंसान मेरे पास आया और बोला यार मैं बेरोजगार हूं मैं क्या करूं मैंने उससे कहा यार तेरे पास खेत है उसमे काम कर ले । लेकिन बोला नहीं वह काम नहीं होता है। तो फिर मैंने कहा कोई दुकान करले लेकिन वह भी वह करने को तैयार नहीं हुआ । बस उसे नौकरी चाहिए । तो आप समझ सकते हैं जो एक नौकरी के लिए अपने दूसरे आप्सन को खत्म कर देते हैं और पूरी जिदंगी दुखी होते रहते हैं। इस प्रकार के इंसानों को आप किस नाम से पुकारेगें ।
मूर्ख इंसानों की यही तो खास बात होती है कि वह अपने पास रखे सोने को नहीं देखता है लेकिन दूसरों के घरों मे रखी ही चांदी पर उसका जी आ जाता है। कारण यही है कि हम अपने मन को काबू मे नहीं कर पाते हैं और मूर्ख बने रहना पसंद करते हैं। सच्चाई का सामना करने की हिम्मत हम लोगों मे नहीं है।
चतुर और बुद्धिमान का मतलब
दोस्तों चतुर की परिभाषा युगों युगों मे बदलती रहती है। और कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो खुद की चतुर की परिभाषा बना लेते हैं जोकि उनके लिए ही काम करती है। इसके अलावा कुछ लोग इनसे ही महान होते हैं वे चतुर की परिभाषा पूरी दुनिया के उल्टा रखते हैं।
यदि आज के संदर्भ मैं चतुर की परिभाषा देखें तो वह इंसान चतुर माना जाता है जिसके पास अधिक पैसा होता है या जिसके पास एक नौकरी होती है वह चतुर कहलाता है। यदि आप नौकरी नहीं लगते हैं तो आप दुनिया के सक्सेस इंसान नहीं है। लेकिन हकीकत मे यह बुद्धिमान या चतुर इंसान की बहुत ही बकवास परिभाषा है।
असल मे इसको मूर्खों की परिभाषा कहें तो उचित होगा ।एक महाशय आए और बोले एक बार नौकरी लग गया तो दुनिया जीते लेगें। मैंने कहा पहले खुद को जीत बाद मे दुनिया जीतने की बात करना । यही सही है। जो झूठ और फरेब मे जीता है वह मूर्ख है। यदि आप जानते हैं कि आप मिथ्याचारी हैं और अपने मिथ्याचार को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं तो आप एक अच्छे इंसान बन जाएंगे । लेकिन आप दूसरों को ज्ञान देते हुए घूम रहे हैं और खुद दोगली नीति अपना रहे हैं तो आप इंसान कहने लायक नहीं है।
चतुर इंसान का मतलब होता है जो सत्य को जानता है। और मानता भी है।एक विडियो मे मैंने देखा कि वृंदावन की धरती पर एक ऐसे संत मिले जिनके पास पुलिस की नौकरी थी वे उस पुलिस की नौकरी को छोड़कर वृंदावन आ गए उनको यकीन था कि वे सब दुखों से मुक्त हो जाएंगे ।वे महाशय आंडम्बर और पाखंड मे जीना पसंद नहीं करते थे । इसलिए सत्य का रस्ता अपनाया ।ठीक है सारे लोग ऐसा नहीं कर सकते हैं लेकिन सत्य के साथ जी तो सकते ही हैं ताकि आप अंडम्बर और पाखंड से दूर हो जाएं ।मेरी नजर मे बुद्धिमान इंसान वो है जो सत्य के साथ जीता है।
चतुर और मूर्ख
दोस्तों आपको एक कहानी सुनाता हूं । राजा और मोहन दो भाई थे । मोहन सिर्फ उन चीजों मे भरोशा रखता था जो उसके पास थी लेकिन राजा भौतिकवादी नहीं था । वह हमेशा सत्य पर यकीन करता था। दोनों की शादी हो गई बड़े हो गए । और उनकी भी शादी हो गई पता नहीं चला कब जिंदगी के अंतिम दिन आ गए ।जब दोनों खाट पर लैटे हुए मरने वाले ही थे तभी मोहन अपने धन मकान और स्त्री को छोड़कर जाने के दुख मे जोर जोर से विलाप कर रहा था। उसके घर वाले भी रो रहे थे । वह बहुत ही दुखी और लाचार नजर आ रहा था । आज उसकी यह हालत थी जो खुद को चतुर समझ रहा था। लेकिन राजा हंस रहा था। उसे जाने का कोई गम नहीं था ।क्योंकि उसने सत्य को पहले ही स्वीकार कर लिया था।वह यह भी जानता था कि उसका कुछ नहीं होने वाला नष्ट सिर्फ शरीर होगा उसे कोई गम नहीं था। उसकी हंसी देखकर उसके घरवाले नहीं रो रहे थे । इसक कहानी का उदेश्य यही है कि मूर्ख हमेशा बेकार के काम करता है जो कुछ समय के लिए सुख देने वाले होते हैं लेकिन एक बुद्धिमान ऐसे काम करता है जो सदा उसे सुख देते हैं।