धर्म का विलोम शब्द क्या है Dharm ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌धर्म का विलोम शब्द या ‌‌‌धर्म का विलोम , ‌‌‌धर्म का उल्टा क्या होता है ? Dharm ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
‌‌‌धर्मअनास्था 
Dharm  Adharm

‌‌‌धर्म का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों धर्म का विलोम शब्द होता अधर्म। धर्म का मतलब है कुछ ऐसे नियम जो संसार के कल्याण के लिए बनाएं गए हैं वे सभी धर्म हैं । जिसके अंदर इंसानों और जीवों का कल्याण शामिल होता है। इसी प्रकार से धर्म विश्वास नहीं है वरन धर्म सत्य होता है। यदि आप किसी  ‌‌‌चीप पर मात्र विश्वास करते हैं तो विश्वास धर्म नहीं होता है। धर्म के अंदर जो कुछ भी जोड़ा जाता है वह सबके फायदे के लिए होता है। हालांकि अब अधिकतर लोगों का धर्म पैसा हो चुका है। पैसा ही सब कुछ बन चुका है। यदि आपके पास पैसा है तो आप दुनिया के सबसे अधिक धार्मिक व्यक्ति साबित हो जाएंगे । ‌‌‌और अखबार वाले के मुंह पर पैसा मारा और वे वह सब कुछ बक देंगे जोकि सच नहीं है। इसके बाद आपको करना ही क्या है ? हालांकि यह धर्म नहीं है। धर्म अंदर की चीज है । आप धार्मिक होते हैं तब आप उसका पालन बाहर करते हैं। जैसे कि पेड़ लगाना पुण्य का कार्य माना गया है।

धर्म का विलोम शब्द

‌‌‌ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि यह आपके लिए जरूरी है। धरती पर यदि पेड़ पौधे कुछ भी नहीं होंगे तो क्या होगा ? आप जानते ही हैं। वर्षा होनी बंद हो जाएगी और ऐसी ऐसी बीमारियां पनपने लग जाएंगे कि आपने नाम भी नहीं सुना होगा ।

‌‌‌असल मे धर्म ही वह चीज है जो इंसान को इंसान बनाता है। यदि इंसान के अंदर धर्म नहीं होगा तो इंसान हैवान से कम नहीं होगा । धर्म ही वह चीज है जो आपको जीना सीखाता है। अक्सर आपने देखा होगा कि लोग जमीन के छोटे छोटे टुकड़े के लिए लड़ रहे हैं लेकिन उनमे से अधिकतर लोग ऐसे हैं जो दूसरे की जमीन को दबा ‌‌‌ लेने के फिराक मे हैं।तब झगड़ा होगा इस प्रकार के लोगों का धर्म नष्ट हो चुका है। वे सिर्फ एक जानवर हैं। निति और न्याय इंसानों मे खत्म हो जाए तो आप उसे धार्मिक नहीं कह सकते हैं।

‌‌‌अक्सर आपने देखा होगा कि रोजाना करोड़ों जीवों की हत्या इंसान कर देते हैं लेकिन असल मे उन्हीं इंसानों का कोई कत्ल कर देता है तो अन्याय हो जाता है। अदालते लग जाती हैं लेकिन समझना चाहिए कि जब एक शक्तिशाली इंसान दूसरे कमजोर जीव को मार देता है तब अन्याय नहीं होता है लेकिन जब ‌‌‌एक ताकतवर इंसान दूसरे कमजोर को मारे तब अन्याय हो जाता है । जबकि उसी कमजोर इंसान ने अपने से कई कमजोर जीवों को मारा है। खैर हम यह कहना चाहते हैं कि धर्म आपको दोगला नहीं बनाता है। यदि आप किसी जीव को अपने फायदे के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल करके मारते हैं तो ‌‌‌ आपको भी कोई आपसे अधिक पॉवरफुल वैसे ही मारता है तो फिर अफसोस नहीं करना चाहिए । क्योंकि यह नैचर का नियम है जो ताकतवर होता है वह जीत जाता है आज जिसके पास ताकत है वह कल होगी या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है। ‌‌‌इस प्रकार से धर्म इंसानों को जीना सीखाता है।यदि आपके पास धर्म है तो आप जानवरों की तरह सिर्फ खाने के लिए और मैथुन के लिए नहीं जिएंगे वरन आपका मकसद कुछ और भी होगा । उससे भी बड़ा हाशिल करना ।

‌‌‌अधर्म का मतलब

अधर्म का नाम तो आपने बहुत ही सुना होगा । अधर्म का मतलब वह सब कुछ जो मानवता के खिलाफ हो जो जीवन के खिलाफ हो वह सब कुछ अधर्म के अंदर ही आता है। यदि बात करें अधर्म की तो अधर्म का क्षेत्र बहुत अधिक बढ़ा है। और पूरी दुनिया के अंदर धार्मिक व्यक्तियों की संख्या बहुत ही कम हो चुकी ‌‌‌ है। कारण यह है कि समय जैसे जैसे अपनी गति पकड़ता जा रहा है लोगों के अंदर लोभ लालच आ रहे हैं और वैसे वैसे अधर्म बढ़ता ही जा रहा है। अधर्म का ही है जिसकी वजह से लोग हत्या ,रेप और बलात्कार करते हैं। और अधार्मिक सरकारें और नेता उनको बचाने के लिए उतर जाते हैं।

‌‌‌आपको यह पता होना चाहिए कि यदि आप अधर्म का साथ देते हैं तो एक ना एक दिन ऐसा भी आएगा कि वही अधर्म आपको भी ले डूबेगा । आप अधर्म के लोगों से सही की उम्मीद नहीं कर सकते हैं ।‌‌‌और यदि आप विधर्मी लोगों से सही की उम्मीद करते हैं तो आपसे बेवकूफ कोई इंसान नहीं है।अधर्म का पनपना पकृति से ही होता है। और यह बाद मे अपने आप ही समाप्त हो जाता है। क्योंकि हर चीज का कारण पकृति ही होती है।

‌‌‌डाकू का धर्म कहानी

दोस्तों प्राचीन काल की बात है।एक जंगल के अंदर डाकू रहा करता था ।उस डाकू का नाम शेरा था। वह काफी क्रूर डाकू था। उसके साथ एक अहमद नामक व्यक्ति भी रहा करता था । इसके अलावा भी डाकूओं की बहुत सारी मंडली थी। यह डाकू लोग गांवों पर रात मे धावा बोलते और उसके बाद गांव के लोगों को मार ‌‌‌देते और उनके घरों को लूटने का काम करते थे ।जिस दिन किसी गांव को लूटा जाता तो उसके बाद जंगल मे यह लोग शानदार पार्टी करते थे और औरतों का नाच भी होता था। एक बार गांव को लूटने के बाद कई दिनों तक वे आराम से रहते थे ।अहमद ने शेरा के साथ न जाने कितने सालों मे कितने व्यक्तियों को मारा था।

‌‌‌दोनों को काफी घुलते मिलते हुए काफी समय बीत गया ।एक बार शेरा को किसी और काम से बाहर जाना पड़ा तो उसने अहमद को सरदार बनाया और चला गया उधर अहमद खुद को राजा मानने लगा और उसने सारे लोगों को पैसे से खरीद लिया । और शेरा को मारने का प्लान उसने बना डाला ।

‌‌‌उधर शेरा भी कम चालाक नहीं था । उसने अपने कुछ खास आदमियों से अहमद को पकड़वा दिया और उसके बाद शेरा अहमद के सामने आया ……देखो शेरा यह गलत बात है। हम दोनों साथी हैं और अच्छे दोस्त हैं। एक दूसरे पर शक करना गलत है ना ?

…..जानता हूं लेकिन शेरा अच्छाई और बुराई को नहीं मानता है। उसके अनुसार नहीं ‌‌‌ चलता है। जानता है तू कि आज तक तूने और मैने मिलकर कितने लोगों का कत्ल किया है। आज तेरी बारी आई तो अच्छाई और बुराई का ज्ञान दे रहा है। अच्छाई और बुराई उसके लिए शोभा देती है जो खुद अच्छे पथ पर चलता हो । तेरा और मेरा तो यही ह्रस्र होना है। जो जैसा करता है वह वैसा भरता है।‌‌‌ और उसके बाद शेरा ने अहमद को गोली मारदी और उसने कहा जो जैसा करता है वह वैसा भरता है।

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