आवश्यक का विलोम शब्द Avashyak ka vilom shabd kya hai ?
आवश्यक का विलोम शब्द या आवश्यक का विलोम , आवश्यक का उल्टा क्या होता है ? Avashyak ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
आवश्यक | अनावश्यक |
Avashyak | Anavashyak |
आवश्यक का विलोम शब्द और अर्थ
आवश्यक का विलोम शब्द होता है अनावश्यक और आवश्यक का अर्थ होता है जो आपके लिए जरूरी होता है वह आवश्यक होता है। जैसे कि रोटी ,कपड़ा और मकान आवश्यक चीजों मे आते हैं । लेकिन वैसे तो आवश्यक चीजों की कोई कमी नहीं है। क्योंकि हम हर चीज को आवश्यक मानते आ रहे हैं। जैसे कि किसी के पास बाइक नहीं है तो वह बाइक को भी आवश्यक मान रहा है। इसी प्रकार से यह आवश्यकता का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। असल मे हम इनको आवश्यकता नहीं कह सकते हैं वरन लालसा कह सकते हैं।
जब इंसान जंगलों मे रहा करता था तो उसकी आवश्यकता भोजन तक ही सीमित थी लेकिन अब जैसे जैसे विकास हुआ आवश्यकता बढ़ने लगी और बाद मे उसे रहने की जरूरत महसूस हुई । वह झुंड बनाकर रहने लगा । फिर अपने तक को ढकने के लिए पेड़ों की छाल को पहनने लगा । आज भी कुछ ऐसी जनजातियां मौजूद हैं जोकि अपने तन पर किसी भी प्रकार के कपड़े को नहीं पहनती हैं।
तो आवश्यकता का कभी भी अंत नहीं हो सकता है जब आप इसको एक लालच बना लेते हैं। इसी वजह से प्राचीन काल मे यह कहा गया की संतोष ही परम सुखम है। बिना संतोष के कुछ भी नहीं हो सकता है।
यदि आपकी लालसा को आप आवश्यकता के अंदर बदलते जाते हैं तो फिर चाह कर भी आप शांति से नहीं रह पाएंगे । आपकी आवश्यकता ही आपको परेशान करेगी और उसके बाद आपको शांति नहीं मिलेगी । क्योंकि आप बिना काम की चीजों को एकत्रित करते चले जाएंगे तो फिर यही होगा कि वे एक दिन आप खुद को ही परेशान करना शूरू कर देंगी ।
और उसके बाद इंसान खुद को ही पता नहीं चल पाएगा कि उसके साथ क्या हो रहा है।आपको बतादें कि हमने ऐसे ऐसे इंसान बैठे हैं कि वो बिना वजह ही दुखी होते रहते हैं। कुछ इंसानों के पास बहुत अधिक पैसा होता है लेकिन उसके बाद भी वे चैन से नहीं रह पाते हैं। दिन रात और अधिक पैसा कमाने के चक्कर मे उनको नींद तक नहीं आती है।
यह सब होता है बढ़ी हुई आवश्यकताओं की वजह से । जब इंसान की आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं या वह अपनी आवश्यकताओं को जान बूझ कर बढ़ा देता है तो फिर समस्या खड़ी हो जाती है। क्योंकि वह एक आवश्यकता को पूरा करने की कोशिश करता है तो दूसरी पैदा हो जाती है और उसके बाद तीसरी यह सब चलता रहता है।
और आजकल हर चीज सीखने का मकसद एक ही होता है। बैग और मकान भरकर पैसा छापना । आपकी शिक्षा भी आपको यही बताएगी कि आप करोड़ों कैसे कमा सकते हैं ? आपको संतोष पूर्ण जीवन जिने का तरीका कोई भी नहीं बताएगा ।
आवश्यकताओं के अधिक होने का कारण भी यही है कि हम सीख ही नहीं पाते हैं कि किस प्रकार से आवश्यकताओं को नियंत्रित किया जा सकता है? और किस प्रकार से चीजों को सुधारा जा सकता है ? लेकिन इतना कहना पड़ेगा कि जब तक आप संतोष जीवन के अंदर नहीं अपनाएंगे तब तक शांति को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
अनावश्यक का अर्थ
जो आपकी आवश्यकता नहीं है उसे हम अनावश्यक ही कहेंगे ।जैसे की छोटे बच्चों के लिए मोबाइल की कोई आवश्यकता नहीं है तो यह उनके लिए अनावश्यक ही हैं। अनावश्यकता के अंदर दिखावा करना आता है।अक्सर दिखावा करने वाले लोग अनावश्यक चीजें अपने पास एकत्रित करते चले जाते हैं। और यह बस दूसरों की होड़ की वजह से होता है। आपने देखा होगा कि एक का फ्रेंड एप्पल का फोन लेकर आता है तो दूसरा भी उसी प्रकार का फोन लाने की सोचने लगता है।
और वह उसके लिए प्रयास भी करने लग जाता है।यह सब अनावश्यक चीजे ही होती हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि कुछ लोग अनावश्यक चीजों की वजह से खुद को दुखी किये रहते हैं। जैसे कि पड़ोसी के कोठी बन रही है तो वे खुद भी चाहेंगे कि उनके भी यहां पर कोठी बने ।और इसके बाद वे दिन रात चिंता के अंदर डूब जाते हैं।और अपने ही जीवन को नर्क बना देते हैं। तो आपको अनावश्यक चीजों पर फोक्स नहीं करना है। जो चीजें आपके लिए जरूरी हैं बस उनके उपर आपको फोक्स करना चाहिए । आजकल आपने देखा होगा कि अंधाधुन रूपये कमाने की होड़ लगी होती है।
कुछ लोग तो ऐसे होते हैं कि गरीब जनता का लूट लेते हैं और उसके बाद पैसों को दीवार मे चिनवा देते हैं। या कहीं दबा देते हैं। वे उसे सर्वाजनिक नहीं कर सकते हैं वरना टेक्स देना होगा जबावदेही होगी । इस प्रकार के लोगों की कमी नहीं है। यह सब अनावश्यक ही होते हैं।
आपके पास कम से कम उतने पैसे होने चाहिए कि आप अपने परिवार का खर्चा आसानी से चला सकें। यदि आपके पास इतने पैसे नहीं हैं तो आपकी आवश्यकताएं पूरी नहीं होगी । लेकिन अनावश्यकताओं का कोई भी अंत नहीं है। आप करोड़ों खर्च कर दोगे तो भी आपकी इच्छाएं नहीं मिटेगी ।
इसलिए अनावश्यकता से बचने के लिए यह कहा जाता है कि संतोष ही परम सुख है। लेकिन यह वाक्य अब नहीं पढ़ाया जाता है। अब पढ़ाया जाता है संतोष ही दुख का कारण है। यदि आप संतोष नहीं करोगे तो अपने आस पास के माल को आसानी से बटोर पाओगे ।
खैर अनावश्यकता की वजह से कुछ महामूर्ख डूब जाते हैं। कारण यह है कि वे फालतू मे कर्ज लेते हैं और उसके बाद पैसा खर्च करते रहते हैं लेकिन वापस पैसा देने के लिए उनके पास जुगाड़ नहीं होता है। अब होता यह है कि बहुत अधिक पैसा हो जाने के बाद घर और जमीन तक बेचनी पड़ जाती है।
इंसान के मन की प्रकृति ही उछल कूद करना होती है।उसे बहुत कुछ चाहिए होता है लेकिन आप उसे एक बार मे दे ही नहीं सकते हैं। तो बेहतर यही है कि मन को नजर अंदाज करें और संतोष भरा जीवन जीनें का प्रयास करें ।
अक्सर अपने देखा होगा कि जिसके पास कुछ नहीं होता है वह बहुत अधिक खुश होता है कारण यह है कि उसे किसी तरह की चिंता नहीं होती है लेकिन जिसके पास करोड़ों होते हैं वह कभी भी चैन की नींद नहीं सो सकता है।