Ekta ka vilom shabd एकता का विलोम शब्द ?
एकता का विलोम शब्द, एकता शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, एकता का उल्टा Ekta ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
एकता | अनेकता |
Ekta | Anekta |
एकता का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों एकता का विलोम शब्द होता है अनेकता । वैसे एकता का मतलब होता है एक होना या संगठित का नाम एकता है। भारत के अंदर बहुत सारे राज्य है और उन सभी राज्यों से मिलकर भारत बना हुआ है। सारे राज्य इस बात पर सहमत हैं कि वे भारत के हिस्से हैं।
प्राचीन काल के अंदर जब इंसान आए तो इंसानों ने ग्रुप बनाकर रहना शूरू किया । एक ग्रुप के अंदर एकता हुआ करती थी । वे सभी एक मुख्यिा के अधीन हुआ करते थे ।और कई बार एक कबीले का दूसरे कबीले के साथ संघर्ष भी हुआ करता था। इस संघर्ष के अंदर काफी नुकसान भी होता था।
हालांकि समय के साथ सब कुछ बदल चुका है। पहले कबिले जिसके अंदर हजारों लोग हुआ करते थे उनमे एकता हुआ करती थी। उसके बाद राजाओं का दौर आया । और आज जो दौर चल रहा है। वह बहुत ही खराब दौर हम कह सकते हैं। क्योंकि इसके अंदर भाई भाई मे एकता नहीं है। पति पत्नी मे एकता नहीं है।
भारत देश देखने पर आपको एक लग सकता है लेकिन जब पति पत्नी बहन भाई मां बाप के अंदर ही एकता नहीं बची है तो देश के अंदर एकता कहां से आ सकती है। बस डर की वजह से सारे लोग आपस मे बंधे हैं। यदि आज ही आप यह घोषणा करदों कि सबको अपना अपना देश बनाने का अधिकार है तो फिर पति अपना देश बनाएगा और पत्नी अपना देश बनाएगी । ऐसी स्थिति के अंदर आप समझ ही सकते हैं कि क्या परिणाम होंगे ।
आज के समय मे एकता असल मे बची नहीं है। लेकिन बहुत से लोग एकता का ढोंग करते हुए मिल जाएंगे । क्योंकि बस अब ढोंग ही बचा है। भाई को भरोशा नहीं है कि उसका बाप उसके साथ क्या बुरा करने वाला है ? बाप को भाई घर से निकाल दे रहा है। कोरोना काल के अंदर तो एकता खूब देखने को मिली । स्वार्थी किस्म के लोगों ने अपने घर के सदस्य को जलाने से ही इनकार कर दिया । अब आप ऐसे लोगों से और क्या उम्मीद करेंगे । भइया इस जगत मे कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता सब स्वार्थी होते हैं। एक बेहतरीन इंसान की तलास करना बहुत ही कठिन होता है। यदि आज आप किसी नए शहर के अंदर जाते हैं तो आपकी एकता को भंग करने वाले करोड़ों मिलेंगे। लेकिन एक अच्छा इंसान आपको नहीं मिलेगा ।
यही हाल देश को हो चुका है। आजकल नेता लोग एकता होने का दिखावा करते हैं। उनको किसी की चिंता नहीं है। बस पैसा आना चाहिए ।अब कुछ लोग यह कहते हैं कि नेताओं को राष्ट्र के नाम पर तो एक होना चाहिए । लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है। यदि आपको रोजाना सोना दिया जाए तो आप उसके लालची हो जाएंगे और उसके बाद आपको सोने की चिंता होगी ।
क्या आप जानते हैं कि भारत को बरबाद करने मे किसी का हाथ था ? तो यह वेही लोग थे जो खुद को महाज्ञानी समझते थे । आज भारत की स्थिति बहुत खराब है। यहां पर पैसे कमाने की शिक्षा दी जाती है। भले ही उसके लिए इंसानियत को बेचना पड़े तो कोई हर्ज नहीं है। तो आप समझ सकते हैं कि एकता कहां से आएगी ।ऐसी कोई किताब ही आपके बच्चों को नहीं पढ़ाई जाती जो एकता सीखाती है। लोगों के दिमाग मे एक ही चीज है और वह पैसा बस लोग उसके पीछे हैं और पैसा लोगों के आगे है।
अनेकता का मतलब
अनेकता का मतलब बहुलता या विविधता । असल मे भारत के अंदर अनेकता मे एकता है। यह माना जाता है। लेकिन यह सच नहीं है। क्या आप चूहे और बिल्ली को साथ रख सकते हैं ? संभव ही नहीं है। तो फिर भारत के अंदर अनेक विचार धारा के लोग कैसे साथ रह सकते हैं। इसके परिणाम नजर आने लगें है। और आने वाले दिनों मे और अधिक भयंकर स्थिति हो सकती है। संभव है कि आगे चलकर भारत के कई टुकड़े हो जाएं। तो भारत के अंदर अनेकता है। जिसके परिणाम बहुत भयंकर होगे ।
तीन बेल और एक शेर कहानी
दोस्तों यह कहानी आपने भी सुनी होगी ।एक जंगल के अंदर तीन बैल चरने के लिए जाया करते थे । तीन काफी ताकतवर बैल थे । और काफी अच्छे दोस्त थे ।पूरे जंगल के अंदर यह तीनो साथ रहते थे । इन तीनों मोटे ताजे बेल को देखकर जंगल के अंदर रहने वाले एक शेर के मुंह के अंदर पानी आ जाता था।लेकिन शेर की ईतनी हिम्मत नहीं होती थी कि वह सभी बैलों पर एक साथ ही हमला करदे तो उसने एक तरकीब निकाली ।एक दिन एक बैल को दूर चरता हुआ देखकर शेर उसके पास गया और बोला …..सुनते हो तुम्हारे दोस्त खुद हरी हरी घास खाते हैं और तुम्हारे लिए बेकार की घास को छोड़ देते हैं। यह तुम्हारे साथ गलत हो रहा है। बैल भले ही मोटा ताजा था लेकिन दिमाग से पैदल था। उसे शेर की बात पर यकीन हो गया । और दूसरे दिन वह अपने दो बैलों से अलग होकर दूर चरने लगा । दो बैलों ने उसको साथ रहने को कहा लेकिन उस बैल ने साथ रहने से इंकार कर दिया।
बैल तो ठहरा मूर्ख और शेर तो चाहता ही यही था कि किस तरह वह बैल को अलग करदे । उसके बाद जब उसने देखा कि बैल चरता हुआ दूर निकल गया है तो शेर ने उसके उपर हमला कर दिया ।बेचारा बैल मूर्खता की वजह से मारा गया ।दूसरे दिन यही बात शेर ने अकेले मे दूसरे बैल को कहदी वह भी बैचारा मूर्ख था। अगले दिन दोनो अलग अलग चरने लगे । शैर उनकी मूर्खता पर खूब हंसा और उसके बाद पहले दिन एक बैल का शिकार कर लिया । और दूसरे दिन जब वह एक मूर्ख बैल चरने के लिए फिर आया तो उसके उपर हमला करके उसे भी मार दिया ।बेचारे बैल बेमौत मारे गए ।
यह सिर्फ बेलों की कहानी नहीं है। असल मे भारत के लोगों की हालत भी बेलों जैसी हो चुकी है। शेर उनका शिकार करता है और वे अपने शिकार का इंतजार करते हैं। सब अपनी धुन के अंदर लगे हैं।यह कहानी भले ही बचपन से हम सुनते आ रहे हैं लेकिन कोई इससे सीख नहीं सका । मात्र यह कहानी ही बनकर रह गई ।
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