भलाई का विलोम शब्द Bhalai ka vilom shabd kya hai ?
भलाई का विलोम शब्द या भलाई का विलोम , भलाई का उल्टा क्या होता है ? Bhalai ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
भलाई | बुराई |
Bhalai | Burai |
भलाई का विलोम शब्द
वैसे भलाई का विलोम शब्द बुराई होता है।आपको भलाई के बारे मे अधिक बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इस शब्द से बहुत अधिक परिचित हैं। यहां पर एक से बढ़कर एक महाज्ञानी इंसान रहते हैं। जो भलाई के सिवाय कुछ नहीं करते हैं। ज्यादा कुछ नहीं तो भलाई करने का ज्ञान तो दे ही देते हैं।
भलाई का मतलब होता है । अच्छे कार्य को करना। यदि आप किसी अच्छे कार्य को कर रहे हैं जिससे दूसरों की किसी भी तरह से मदद हो रही है तो वह भलाई है। जैसे कि आजकल एक इंजेक्सन करोड़ों का बिकता है । यह भलाई नहीं वरन मुनाफाखोरी है। भलाई काम तलब होता है आप उस इंसान को खाना देते हैं जिसको खाने की अधिक जरूरत है। या फिर आप उस इंसान की मदद करते हैं जिसको आपकी मदद की आवश्यकता है। भलाई का मतलब है आप फ्री के अंदर लोगों के लिए कुछ करते हैं लोगों के दुख दर्द को दूर करते हैं।
वैसे अब कलयुग का समय है।और इस समय के अंदर आपको भला करने वाले नहीं मिलेंगे। बस भला करने वालों की आड के अंदर लूटने वाले लूटैरे ,चोर डाकू ही मिलेंगे ।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सारे लोग ही बुरे हैं।हालही के अंदर एक न्यूज आई थी कि कोरोना हुए लोगों को पति और पत्नी अंतिम संस्कार कर रहे हैं। खास कर उन बोड़ी का जिनको उनके परिजन लेने से ही इंकार कर चुके हैं। इस प्रकार के देवता इंसान कलयुग के अंदर कभी कभी नजर आते हैं।
तो आप सोच सकते हैं कि जिन परिजनों के लिए मरने वाले ने काफी कुछ किया आज वे ही मरने के बाद देखने तक नहीं जा रहे हैं तो आप समझ सकते हैं कि जो अपने घर के सदस्य का भला नहीं कर सकते हैं वो दूसरों का क्या भला करेंगे ।
निष्काम कर्म योग की भावना ही सबसे बेहतर चीज होती है। और भलाई करने वाले इंसान को यही अपनाना चाहिए । लेकिन अधिकतर लोग निष्काम कर्मयोग नहीं वरन सकाम भावना अपनाते हैं। सोने का अंडे देने वाली मुर्गी जब अंडा नहीं देती है तो उसे भगा दिया जाता है।
बुराई का मतलब
बुराई का मतलब तो आपको बताने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बुराई हर इंसान के अंदर मौजूद है। कुछ बुराई समाज के अंदर बड़ी होती हैं तो कुछ छोटी होती हैं। जैसे झूंठ बोलना भी एक बुराई है लेकिन यह कहां पर बोला जाता है। इस बात पर निर्भर करता है। विश्वासघात ,धोखा ,छल ,कपट यह सब आज काफी अधिक बढ़ चुका है। यदि दिल्ली के अंदर या कहीं पर भी बड़े शहर के अंदर अकेले रह गए तो आप लूट लिये जाओगे । क्योंकि लूटेर हर तरफ घूम रहे हैं। वैसे लूटैरे पैदा होने का कारण भी हम खुद ही हैं। सिस्टम चोरों को पैदा करता है क्योंकि सिस्टम को हम बनाते हैं।
हर एक बुराई का कारण हम होते हैं। आपको पता होना चाहिए कि एक राज्य तब बुरा बन जाता है जब उसके अंदर रहने वाले एक एक लोग बुरे हो जाते हैं। बुराई इंसान के अंदर शूरू होती है और बाद मे एक बड़े क्षेत्र पर छा जाती है।
आपको यह बहुत से लोग चिल्लाते हुए मिल जाएंगे कि समाज के अंदर हर लोग बेरोजगार है । सरकारें कुछ नहीं कर रही हैं । लेकिन यह बस राजनिति है। इससे अधिक कुछ नहीं है। यदि आज से काफी साल पहले देश की जनसंख्या की बढ़ोतरी को रोक दिया होता तो आज हर इंसान के पास अच्छा जीवन स्तर होता ।
लेकिन इस पर एक भी नेता और लोग नहीं बोलते । सब मस्त हैं। कारण यही है कि हम खुद बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार हैं। सरकार वही करती हैं जो हमारी पसंद होती है। आप बेरोजगारी के कारणों को खत्म करिये । वह अपने आप खत्म हो जाएगी ।
वैसे आपको बतादें कि भारत के अंदर कोई भी बुराई खत्म नहीं हो सकती है। कारण यही है कि लोग एक जुट नहीं है। आपके पास वाला दूसरे पास वाले पड़ोसी को ही नहीं जानता है। इतने सेल्फीस लोग कब पूरे देश के बारे मे सोचने लगे । पूरा देश तो बहुत अधिक बड़ा है।
असल मे कई बार लोग कहते हैं कि यह नेता अच्छा नहीं है। इसको क्यों चुना गया । लेकिन मैं आपको कहता हूं कि नेता यदि बुरा है तो उसको चुनने वाले भी उसकी किस्म के लोग हैं। उनकी आबादी और सोच का ही परिणाम वह नेता है। राजस्थान मे सरकार इस बात पर बनती है कि कितनी भर्ति निकाली । अब लोगों को भर्ती से मतलब है। बाकी चीजों की उनको चिंता नहीं है।
भलाई का का परिणाम कहानी
प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर एक भोला नाम किसान रहा करता था। अपने नाम के अनुसार ही वह भोला था । लेकिन दिल का बड़ा साफ था। वह सुबह अपने गधों के लेकर खेत मे निकल जाता और शाम को अपने गधों के साथ खेत से आ जाता ।एक बार शाम को उसे लैट हो गया और वह अपने गधों के साथ आ रहा था। उसने देखा कि एक इंसान कुछ दूर पर पड़ा हुआ है और कराह रहा है। वह उसके पास गया और बोला ……….आपको क्या हुआ ? आप यहां पर क्यों पड़े हैं ?
…….आप मेरी मदद करें । मे बड़ी मुश्बित मे हूं । वह इंसान बोला ।
किसान भोला ने उसको अपने गधे पर बैठाया और अपने घर लाया । घर लाने के बाद उसके घाव का उपचार किया । पूछने पर उसने बताया कि वह एक लकड़हारा है लकड़ी काटते समय पेड़ से गिर गया । कुछ दिन बाद जब लकड़हारा ठीक हो गया तो वह किसान का धन्यवाद देकर चला गया ।
इसी प्रकार से कुछ दिन बीत गए । और एक दिन किसान जब जंगल से घर आ रहा था तो उसने देखा कि जंगल के अंदर एक महिला रस्ता भटक गई है। वह महिला काफी सुंदर है। लेकिन वह डर रही है। किसान ने बड़ी शांत आवाज मे कहा …..आप कौन हैं ? और इस जंगल के अंदर क्या कर रही हैं ?
……जी मैं राजकुमारी हूं और अकेले शिकार करते करते रस्ता भटक गई। किसान सारे जंगल को जानता था। वह उसे राजा के महल मे छोड़ दिया । राजकुमारी ने किसान को बहुत से सोने के सिक्के दिये । रस्ते के अंदर कुछ चारों ने किसान के उपर हमला कर दिया ।
इतने मे वह चोर भी वहां पर आ गया जिसका उपचार किसान ने किया था । उसने सभी चोरों को रोक दिया । किसान का एक पैसा भी नहीं लूटा ।
इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि यदि आप अच्छा करते हो तो आपके साथ अच्छा ही होगा ।