धैर्य का विलोम शब्द क्या है Dhairy ka vilom shabd kya hai ?

धैर्य का विलोम शब्द या भलाई का विलोम , धैर्य का उल्टा क्या होता है ? Dhairy ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
धैर्यअधैर्य
Dhairy                    Adhairy

‌‌‌धैर्य का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों धैर्य का विलोम शब्द अधैर्य होता है। धैर्य का मतलब धीरज से होता है। यदि आपके अंदर धीरज होती है तो उसी को धैर्य कहा जाता है। सब्र का दूसरा नाम धैर्य होता है। ‌‌‌जिस इंसान के अंदर धैर्य होता है।वह किसी भी काम को काफी आराम से करता है। लेकिन जिस इंसान के अंदर धैर्य नहीं होता है वह काम को आराम से नहीं करता है वरन वह उसे काफी जल्दबाजी के अंदर करता है जिससे की काम बिगड़ भी सकता है। ‌‌‌जीवन के अंदर पग पग पर धैर्य की आवश्यकता होती है।बिना धैर्य के कुछ भी नहीं होता है। यदि आप एक कार चला रहे हैं और उसके अंदर जल्दबाजी करते हैं तो आपका एक्सीडेंट हो सकता है। ऐसी स्थिति काफी खतरनाक हो सकती है।

धैर्य का विलोम शब्द

‌‌‌इसी प्रकार  से यदि आप कोई एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं और आप सब कुछ जल्दी जल्दी चाहते हैं तो आप नहीं कर पाएंगे । आपके अंदर धैर्य होगा तभी तो आप एग्जाम मे मिलने वाली सफलता को झेल पाएंगे ।

‌‌‌जब इंसान को असफलता मिलती है तो उसे धैर्य से काम मे लेना पड़ता है। तभी वह वापस खुद को तैयार कर पाता है। यदि वह धैर्य छोड़ देता है तो उसके लिए वापस तैयार करना काफी कठिन हो जाता है।

‌‌‌लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य है  कि आज के इंसानों के अंदर धैर्य तेजी से नष्ट होता जा रहा है। कोई भी सब्र रखना पसंद नहीं करता है। सब को सब कुछ जल्दी जल्दी चाहिए होता है। और यदि उसे जल्दी जल्दी नहीं मिलता है तो फिर वह निराश हो जाता है। कुछ तो प्रयास करना ही छोड़ देते हैं।

‌‌‌क्योंकि अब उनको यह लगने लग जाता है कि वे सफल नहीं हो सकते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जोकि धैर्य वाले होते हैं। सब्र को बनाए रखते हैं। उनको उम्मीद होती है कि वे एक ना एक दिन सफल हो ही जाएंगे। बस इसी प्रयास के अंदर लगे रहते हैं। और अंत मे उनको सफलता मिलती ही है।

‌‌‌यदि आप जी जान से प्रयास करते हैं तो ऐसा नहीं हो सकता है कि आपको सफलता ना मिले । हालांकि आपके अंदर धैर्य अच्छा होना चाहिए । क्योंकि आपके अंदर जितना अच्छा धैर्य होगा आप उस कार्य के अंदर उतने ही अधिक समय तक टिकने मे सक्षम होंगे । और जितना टिकेंगे सफलता की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ेगी ।

‌‌‌इसलिए अपने धैर्य का विकास आपको करना चाहिए ।यदि आप यह सोचते हैं कि धैर्य अपने आप ही विकसित हो जाएगा तो आप गलत सोच रहे हैं। कारण यह है कि इसको आपको खुद विकास करना पड़ेगा । क्योंकि कोई भी चीज बिना किसी कारण से विकसित नहीं होती है। ‌‌‌आपको खुद कुछ ऐसे काम करने होंगे जिसकी मदद से धैर्य का विकास हो सके ।यदि आप कुछ ऐसे काम नहीं करते हैं तो फिर आप नीचे की तरफ चले जाएंगे।

‌‌‌अधैर्य का विलोम शब्द

अधैर्य का मतलब जिसके पास धीरज नहीं हो । मतलब जिसके पास सब्र नहीं हो । यदि आप कोई काम कर रहे हैं। और आप चाहते हैं कि वह काम जल्दी जल्दी हो जाए। और इसके लिए आप काफी जल्दबाजी भी करते हैं।

‌‌‌आज के समय मे सब्र करने वाले केवल कुछ लोग ही हैं।क्योंकि कोई भी मेहनत नहीं करना चाहता है। सबके सब जल्दी से ही अमीर बन जाना चाहते हैं।

 और चाहते हैं उनके पास दो से तीन सुंदर बीबी हो तो उनका जीवन स्वर्ग बन जाएगा । लेकिन असल मे ‌‌‌बेसब्री से कुछ भी हासिल नहीं होता है। कारण यह है कि जल्दबाजी के अंदर किये गए काम अक्सर गलत हो जाते हैं। कारण यह है कि ऐसी दशा मे हम उस काम को बस पूरा करने पर जोर देते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर बड़ी बड़ी समस्याओं को इग्नोर कर देंते है।

‌‌‌कुछ लोग पैसा कमाने के लिए दो नंबर के धंधे मे उतर जाते हैं और उसके बाद खूब पैसा कमा भी लेते हैं लेकिन एक दिन या तो वे पुलिस की गोली के शिकार हो जाते हैं या फिर पुलिस उनको पकड़ कर जेल मे डाल देती है।

‌‌‌सब्र का फल कहानी

‌‌‌एक गांव के अंदर 4 व्यापारी रहा करते थे ।वे सभी सब्जी का व्यापार करते थे । और गांव से शाम को सब्जी को एकत्रित करते और उसके बाद नदी को पार करके दूसरे शहर के अंदर बेचने के लिए जाते ‌‌‌थे । एक दिन जब वे सब्जी एकत्रित करके चलने लगे तो काफी भयंकर बारिश होने लगी । तो उन्होंने कुछ इंतजार किया । फिर जब बारिश कम हुई तो चले और नदी के 

‌‌‌किनारे आकर देखा तो नदी काफी उफान पर थी।उसके बाद राजा नामक व्यापारी ने कहा ……देखो भाइयों नदी पूरी उफान पर है। यदि इस नदी के अंदर हम नाव लेकर उतरेंगे तो डूब जाएंगे । और वैसे भी अभी और बारिश आने वाली है तो आज हमे जाने का विचार त्याग देना चाहिए

……….लेकिन सब्जी का नुकसान होगा उसका ‌‌‌ क्या करें ? संजू नामक एक अन्य व्यापारी ने कहा

……..अरे सब्जी जान से अधिक कीमती नहीं है। सो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। राजा ने कहा था।

‌‌‌लेकिन संजू और राजेश और मोहन इन तीनों ने राजा की नहीं सुनी और एक एक करके नाव मे सवार हो गए । नदी काफी लंबी थी। यह तो राजा को भी नाव के अंदर आने का कह रहे थे । लेकिन उसने ऐसा नहीं किया ।

‌‌‌प्यापारी कुछ ही दूरी पर चले थे कि उनकी नाव डगमगाने लगी । और तीनो चिल्लाने लगे । लेकिन नदी के अंदर वे काफी दूर जा चुके थे । कुछ तेज बहाव की वजह से संजू की नाव पल्ट गई और वह डूबने लगा ।

‌‌‌उधर जब राजेश ने देखा की संजू डूब रहा है तो वह उसके पास अपनी नाव लेकर आया तब तक संजू नदी के तेज बहाव से गायब हो चुका था। वहां पर संजू नजर नहीं आ रहा था। इतने मे मोहन भी डूब गया और किसी तरह से नदी के बीच मे एक चट्टान के उपर आ गया तो उसकी जान बच गई।

राजेश भी नदी के तेज बहाव मे अधिक समय तक नहीं टिक सका और बह गया ।राजा नदी के किनारे यूंही लगातार 6 घंटे बैठा रहा । जब नदी शांत हो गई और बारिश बंद हो गई तो नाव लेकर मोहन को बचाया ।

‌‌‌इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है।हमें सब्र से काम लेना चाहिए ।

धैर्य का विलोम शब्द या भलाई का विलोम , धैर्य का उल्टा क्या होता है ? Dhairy ka vilom shabd

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