Mratyu ka vilom shabd मृत्यु का विलोम शब्द क्या होता है?

मृत्यु का विलोम शब्द, मृत्यु शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मृत्यु का उल्टा Mratyu ka vilom shabd

शब्द (word) विलोम (vilom)
मृत्युजीवन  
MratyuJivan  
    death          life

‌‌‌मृत्यु का विलोम शब्द और अर्थ

मृत्यु के बारे मे तो सभी जानते ही हैं। और वैसे भी मौत से सबको डर लगता ही है। मौत एक ऐसा शब्द है जिसको कोई भी सुनना नहीं चाहता है। और यदि आप किसी से यह कहदेंगे कि आपकी मृत्यु होने वाली है तो वह आपको गालियां देने लग जाएगा ।

मृत्यु का विलोम शब्द

‌‌‌मृत्यु का मतलब होता है जीवन का नष्ट होना । यदि मौत के बाद शरीर के अंदर हलचल नहीं होती है और शरीर से प्राण निकल जाते हैं। उसके बाद शरीर बस एक हांड मांस का पूतला रह जाता है। फिर वही शरीर नष्ट होना आरम्भ हो जाता है।

‌‌‌वैसे इस धरती पर जो पैदा हुआ है उसको एक ना एक दिन मरना होता ही है।क्योंकि यदि मौत रूक जाएगी तो इस धरती पर सब के लिए संसाधन नहीं मिल पाएंगे । इस वजह से जो पैदा होता है उसकी मौत होती है। आज एक मर रहा है तो कल दूसरे की भी मौत होगी । कुछ लोगों की आदत होती है कि वे दूसरे की मौत पर खुश होते हैं

‌‌‌लेकिन वे इस बात को भूल जाते हैं कि उनको भी एक दिन मरना है। और वे चाह कर भी अपनी मौत से बच नहीं सकते हैं ज्ञानी लोगों का कहना है कि मौत सिर्फ शरीर की होती है। लेकिन इस शरीर के अंदर जो निवास करता है उसकी कभी भी मौत नहीं होती है।

‌‌‌इस शरीर के अंदर निवास करने वाली शक्ति को आत्मा कहा जाता है।और जब वो शरीर से बाहर निकलती है तो उसके बाद शरीर मर जाता है इसी को हम मौत कहते हैं। लेकिन मौत सिर्फ शरीर की होती है। इस शरीर के अंदर रहने वाले जीव की नहीं वह उसके बाद भी जिंदा रहता है।

‌‌‌यह थ्योरी बहुत पहले से ही वेदों और पुराणों के अंदर बताई जा चुकी है। और आज पश्चिम वैज्ञानिक भी इस बात को साबित कर चुके हैं कि इंसान की मौत नहीं होती है। वरन मौत तो शरीर की होती है।

‌‌‌शरीर के अंदर निवास करने वाली आत्मा जब शरीर से बाहर निकल जाती है।तो फिर शरीर का कोई भी मूल्य नहीं रह जाता है। फिर शरीर को जला दिया जाता है। वैज्ञानिक बस भौतिक चीजों तक सीमित होते हैं। आत्मा जैसी चीजें उनकी समझ से परे होती हैं।

‌‌‌जीवन का अर्थ और मतलब

जीवन का मतलब है जीस शरीर मे प्राण हैं या चेतना मौजूद है वही जीवन है। यदि आपके अंदर प्राण हैं तो आप अपने शरीर का इस्तेमाल करके कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन जैसे ही प्राण चले जाएंगे आपका शरीर पर कोई भी नियंत्रण नहीं होगा । बस शरीर एक पत्थर की भांति गिर जाएगा ।

‌‌‌लेकिन असल मे जीवन कभी समाप्त नहीं होता है। जब एक इंसान मरता है तो सिर्फ शरीर मरता है । उस शरीर के अंदर रहने वाला जीव उसके बाद भी मौजूद होता है। हालांकि वह सूक्ष्म हो जाता है। और इस धरती की रचना सूक्ष्म से स्थूल तक हुई है।

‌‌‌अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए जीव शरीर को धारण करता है और शरीर का इस्तेमाल करके अपनी इच्छाओं को पूरा करता है।

‌‌‌मृत्यु की कहानी

‌‌‌प्राचीन काल की बात है।एक गांव के अंदर काफी अमीर इंसान रहता था। उसके पास सब कुछ था। वह काफी महंगी महंगी गाड़ियों के अंदर घूमता था। और जिंदगी के मजे लेता था। उसके साथ उसकी जिंदगी को देखकर यह कामना करते थे कि काश उनकी जिंदगी के अंदर भी पैसा और रूतबा होता है तो कितना अच्छा होता ?

‌‌‌वह जब भी एक कहीं पर जाता तो बड़े बड़े अधिकारी उसको सलाम करने के लिए झुकते थे । एक दिन वह किसी संन्यास आक्ष्रम के अंदर गया जोकि हिमालय की कंदराओं मे पड़ता था। उसने अपने पूरे शरीर पर सोने के आभूषण पहन रखे थे ।

आक्ष्रम के अंदर जब वह अमीर गया तो उसे यकीन था कि उसका काफी स्वागत होगा लेकिन उसको निराश होना पड़ा । क्योंकि किसी ने भी उसका स्वागत नहीं किया । पास ही उसने देखा कि एक संयासी जोर जोर से हंस रहा था। और मस्त होकर नाच रहा था। हालांकि अमीर इंसान को लगा कि वह पागल है।

‌‌‌वह अमीर उसके पास गया और बोला ……………आप अकेले ही क्यों हंस रहे हो ?

…….क्योंकि मुझे वह मिल गया है जो मैं चाहता हूं ?उसके समान कोई दूसरा नहीं है।

……..ऐसा क्या है ? मुझे भी देदों मैं मनचाही रकम देने के लिए तैयार हूं ।

अबकि बार संयासी जोर से हंसा और बोला …….हर चीज रकम मे ‌‌‌ नहीं खरीदी जा सकती है।

‌‌‌……….लेकिन मैं दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति हूं ।और कुछ भी खरीद सकता हूं ।

……..नहीं तुम दुनिया के सबसे गरीब इंसान हो जो अपने आप से दूर हो गए हो । यह गहने यह महंगी कारें और यह सब तड़क भड़क जिनको तुम अपना समझते हो ना एक दिन मृत्यु आएगी और सब कुछ छीन लेगी ।

‌‌‌और तुम चाहकर भी कुछ नहीं कर पाओगे ।तुम्हारे जैसे कितने ही अमीर यहां पर आए और चले गए । तुम खुद पर गर्व कर रहे हो । लेकिन तुम खुद के स्वरूप को नहीं जानोगे तब तक कितना भी कर लेना शांति नहीं मिलेगी ।

‌‌‌तुम्हारे पास पैसा तो बहुत अधिक है लेकिन समस्या यह है कि तुम उस पैसे की ही फालतू की चिंता के अंदर पड़े रहते हो । और इससे तुम्हारी जिंदगी के सूख चैन छीन गया है। और पालतू के कर्म तुम अपने अंदर भरते जा रहे हो ।

‌‌‌अपनी आत्मा को जानो और उसकी के अंदर आनंद रहने वाला ही योगी होता है। जो अपने खुद को पहचान लेता है। वह कभी भी दुखी नहीं हो सकता है। तुम्हारी हालत उस गधे की तरह हो गई है जो गलती से शैर की खाल को पहन लेता है और खुद को शेर समझने लग जाता है लेकिन जब उसे इस बात का एहसास होता है कि वह गधा ही है तो ‌‌‌उसे बहुत ही बुरा लगता है लेकिन तब बहुत ही देर हो चुकी होती है। उसके बाद कुछ भी नहीं हो पाता है। कहीं ऐसा भी तुम्हारे साथ ना हो जाए । यह गहने और पैसे के अंदर तुम यह भूल जाओ की तुम नाशवान हो ।‌‌‌उसके बाद उस अमीर इंसान को सब कुछ समझ मे आ चुका था।

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