Shubh ka vilom shabd शुभ का विलोम शब्द ?
शुभ का विलोम शब्द, शुभ शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, शुभ का उल्टा Shubh ka vilom shabd
शुभ का विलोम शब्द
शुभ का विलोम शब्द अशुभ होता है।और शुभ का अर्थ अच्छा होता है। जब आप किसी कार्य को अच्छा कहते हैं तो यह शुभ ही होता है। अक्सर हम शुभ उन चीजों को मानते हैं जो हमारे लिए अच्छी होती हैं। जैसे आप घर से जा रहे हैं और आपको कोई पेड़ ही हरी डाली तोड़कर लाते हुए मिलता है तो यह शुभ माना जाता है। वैसे शुभ और अशुभ बस मान्यताएं होती हैं।यह सिर्फ इंडिया के अंदर ही नहीं माना जाता है । वरन विदेशों के अंदर भी शुभ अशुभ माना जाता है। हालांकि यहां पर इसको अंधविश्वास करार दिया जाता है तो अंग्रेजी लोग इसको एक विज्ञान मानते हैं। और भारत के पत्रकार इनको सच मानकर पेश करते हैं।
असल मे भारत के अंदर शुभ अशुभ शकुन बहुत अधिक प्रचलित हैं। जैसे कि आपके साथ शुभ शकुन हुआ है तो इसका मतलब यह है कि आगे आपका कार्य सिद्ध होने वाला है। और यदि अशुभ शकुन हुआ है तो अब आपका कार्य सही नहीं होगा । ऐसा माना जाता है।
असल मे शुभ बहुत बार सच मे ही फलित होता हुआ देखा गया है।जैसे आप घर से निकलते हैं और आपको एक सफेद बिल्ली के दर्शन होते हैं तो यह शुभ माना जाता है। हालांकि यह आपके लिए अच्छा होता है।
असल मे प्राचीन काल से ही कुछ शुभ मान्यताओं को लेकर हम चल रहे हैं। हालांकि उनमे से कुछ मान्यताएं ऐसी हैं जिनके पीछे काफी गहरा विज्ञान छिपा होता है तो कुछ मान्यताएं बस आडंबर बनकर रह गई हैं।
जैसे बहुत से लोग घर के बाहर एक स्वास्ति चिन्ह बनाते हैं। ऐसा करना शुभ माना जाता है। और यह माना गया है कि यह नगेटिव उर्जा को घर के अंदर आने से रोकता है। इसके पीछे एक विज्ञान है।
लेकिन कुछ लोग यह भी मान्यता रखते हैं कि किसी बाबा को दूध से स्नान करवाने के बाद उसकी खीर बनाकर खाते हैं तो वह काफी शुभ होता है। इस प्रकार की मान्यताओं का कोई भी आधार नहीं होता है। इसी प्रकार से शुभ संकेत मिलता है तो हम अच्छा मानते हैं और हम इसको यह संकेत मानते हैं किे हम जिस कार्य के लिए जा रहे हैं वह जल्दी ही सफल होने वाला है।
अशुभ का मतलब
दोस्तों अशुभ का मतलब बुरा होता है। ऐसा माना जाता है कि जब कुछ बुरा होने वाला होता है तो इसके संकेत पहले से ही मिलने लग जाते हैं। और इस चीज कों मैं कई बार अनुभव कर चुका हूं । और कई और लोग भी इसका अनुभव कर चुके हैं। अशुभ होने के संबंध मे एक रियल घटना यह है कि जब ओंकार नामक एक सक्ष्स रात के अंदर किसी जागरण के अंदर जाने के लिए निकला तो कुत्ते और बकरियों ने कान फड़फड़ाए । उस इंसान ने इसको सुना लेकिन नजर अंदाज कर दिया ।
और ओंकार जैसे ही कुछ दूरी बाइक पर चला तो उसे लगा कि उसका एक्सीडेंट होने वाला है। लेकिन उसने इसको भी नजर अंदाज कर दिया । उसके बाद उसका तेजी से एक्सीडेंट हो गया और उसका पेर कटकर अलग हो गया । इससे पता चलता है कि अशुभ होने का संकेत पहले ही मिल जाता है।
इसी प्रकार की एक दूसरी घटना का भी उल्लेख करना चाहेंगे ।आपने टाइटैनिक जहाज का नाम तो अच्छी तरह से सुना ही होगा । जोकि 1912 ई के अंदर डूब गया था। इस संबंध मे यह कहा जाता है कि टाइटैनिक के डूबने से पहले उसके बंकरों मे आग लगी थी । जोकि शायद बड़ी किसी अनहोनी के बारे मे संकेत देता है।हालांकि इस प्रकार की किसी भी आग के बारे मे यात्रियों को नहीं बताया गया था।
शुभ और अशुभ की कहानी
प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर सोना और मोना नामक दो बहिने रहती थी। दोनों काफी अच्छी तरह से दोस्त की तरह ही रहती थी।सोना शक्ल से काफी सुंदर थी। और उसको हर कोई पसंद करता था । लेकिन मोना सुंदर नहीं थी। उसको अक्सर लोग काली जुबान की कहते थे । कारण यह था कि वह हमेशा जो कुछ भी बोलती अक्सर वह सच हो जाती थी।
जब दोनों थोड़ी बड़ी हुई तो पिता ने उनकी शादी करने के लिए लड़के देखे और दोनों की शादी तय करदी ।कुछ ही समय बाद दोनों की शादी करदी गई और दोनों बहिने ससुराल चली गई।
ससुराल के अंदर भी दोनों बहनों के साथ भेदभाव होने लगा । ससुराल वाले सोना को काफी पसंद करते थे लेकिन मोना की शक्ल अच्छी नहीं होने की वजह से उसे कोई भी भाव नहीं देता था। इस बात से धीरे धीरे मोना और सोना की दोस्ती टूट गई और वह सोना से चिढ़ने लगी । हालांकि सोना के मन मे मोना के प्रति कोई भी गलत भावना नहीं थी।
एक दिन मोना अपने पति से काफी नाराज हो गई ।और उसके बाद उसने एक चाकू उठाया और अपनी कलाई काटली । जब मोना के पति ने देखा तो वह उसके पास दौड़ा आया और बोला …..तू पागल हो गई है क्या ? यह सब क्यों कर रही है।
…….नहीं मुझे कोई प्यार नहीं करता है। सब मुझसे नफरत करते हैं
……तू क्यों फालतू के अंदर टेंशन ले रही है। मैं तुम से प्यार करता हूं ।
और उसके बाद मोना को डॉक्टर को दिखाया गया । वह काफी ठीक हो गई और फिर एक दिन सोना ने उसको बुलाया और समझाया कि …..देख आज भी तू मेरी छोटी बहन है और मैं तुझसे वैसे ही प्यार करती हूं । मैंने तेरी हर समस्या के बारे मे तेरे जीजू से बात की है।
अब ससुराल वाले भले ही कुछ भी तुमको कहें । तुमको सहना होगा अपने पति की खातिर और रिश्तों की खातिर यदि देवरजी तुम को कुछ कहते हैं तो हमे बताना लेकिन । थोड़ा सहन करना पड़ता है पगली । शुभ और अशुभ इंसान नहीं होते हैं।
तू अब खुद को अशुभ समझना बंद करदें ।और अब खुद को अच्छा समझ यही तेरे लिए सही होगा ।
मोना अब सब कुछ समझ चुकी थी। और यह भी जान चुकी थी कि उसकी बहन उसके बारे मे बुरा नहीं सोचती है और ना ही वह उसे अशुभ मानती है।इस कहानी का यही संदेश है कि किसी को अशुभ नहीं मानना चाहिए क्योंकि अशुभ जैसा कुछ नहीं होता है।
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