यश का विलोम शब्द yash ka vilom shabd
यश का विलोम शब्द बताएं, यश शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, यश का उल्टा , yash ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
यश | अपयश |
yash | Apyash |
Fame | Inadequate |
यश का विलोम शब्द और अर्थ
यश का अर्थ होता है कीर्ति ।या जिसका मान सम्मान सब तरफ फैल गया हो उसे यश वाला इंसान कह सकते हैं। या यश का मतलब ख्याति भी होता है। यश वैसे आजके जमाने मे कौन नहीं चाहेगा । यश के लिए तो लोग मरे जा रहे हैं। हर होई चाहता है कि उसका यश पूरी दुनिया के अंदर फैल जाए ।और इसके लिए लोग प्रयास भी करते हैं।आपने देखा होगा कि इसके लिए लोग दान पुण्य करते हैं और बहुत सारे धार्मिक कार्य करते हैं ताकि उनका यश फैल जाए ।
लेकिन यश हर किसी का नहीं फैलता है। खैर आजकल तो यश को हाशिल करना बहुत ही आसान हो चुका है। क्योंकि समाचार पत्र को अच्छे खासे पैसे दो और अपनी मन पंसद न्यूज लिखवाओ । वैसे आपको बतादें कि समाचार पत्रों पर आपको भरोशा नहीं करना चाहिए ।क्योंकि यह आपको झूंठा यश दिखा सकते हैं। प्राचीन काल के पात्र कर्ण का नाम तो आपने सुना ही होगा । जो अपनी दानवीरता के लिए प्रसिद्ध था।
अंगराज बनने के पश्चात कर्ण ने ये घोषणा करी कि दिन के समय जब वह सूर्यदेव की पूजा करता है, उस समय यदि कोई उससे कुछ भी माँगेगा तो वह मना नहीं करेगा और माँगेगा वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटेगा। और कर्ण की इसी दानवीरता का फायदा महाभारत के युद्ध मे कुंति और पांडवो ने उठाया था।
एक बार जब कर्ण सूर्य पूजा कर रहा था तो सूर्य देव ने कर्ण को चेताया भी था कि इंद्र तुम्हारे साथ छल कर सकता है और हुआ भी वही ।इंद्र कर्ण के सामने साधु के वेश मे आया और उसके कवच और कुंडल दान मे मांग लिये क्योंकि सब जानते थे कि कवच और कुंडल यदि कर्ण के पास होंगे तो उसे परास्त करना बहुत ही कठिन हो जाएगा ।
सिर्फ इतना ही नहीं कुंति ने तो कर्ण से वचन तक लेलिया था कि वह पांडवों मे अर्जुन के अलावा किसी को नहीं मारेगा ।और हुआ भी वही कर्ण ने अर्जुन के अलावा किसी को मारने की कोशिश नहीं की । कर्ण की दानवीरता का यश दूर दूर तक फैला था।
अपयश का अर्थ और मतलब
अपयश के बारे मे तो आप जानते ही हैं इसका मतलब होता है बुराई । यदि आप बुरे कार्य करते हैं तो आपका अपयश ही फैलेगा और आप दूसरों की नजर मे एक बुरे इंसान साबित होंगे ।रावण के बारे मे तो आप जानते ही हैं। ?रावण एक महादुष्ट इंसान था। और उसने सीता का अपहरण किया कहा जाता है कि रावण ने काफी अत्याचार किये थे । उसने कभी भी धर्म के मार्ग को नहीं अपनाया था। यही कारण था कि रावण का अपयश दूर दूर तक फैल गया था। और यही अपयश रावण को एक बुरा इंसान साबित करते थे ।
यश और अपयश की कहानी
एक गोधरा नामक गांव था। वहां पर एक यश नामक एक राजा राज्य करता था। वह राजा काफी उधार था। और अपने प्रजा की बहुत अधिक सेवा करता था। वह काफी ईमानदार राजा था। और युद्ध के अंदर भी वह काफी ताकतवर था। उसकी उदारता के चर्चे दूर दूर तक फैले हुए थे ।
और यही कारण था कि आस पास के राजा भी उसको एक बहुत अधिक अच्छा राजा मानते थे । एक बार एक दूसरे राज्य की राजकुमारी ने उस राजा को देखा और उसके उपर मुग्ध हो गई वह उससे विवाह करना चाहती थी और इसके लिए उसने एक परीक्षा का आयोजन किया और उस यश राजा को भी इस परीक्षा मे आमंत्रित किया गया ।
अलग अलग राज्य से आए हुए राजा यहां पर बैठे हुए थे और तभी एक इंसान बोला ……सभी राजाओं का यहां पर स्वागत है। यहां पर 26 राज्यों के राजकुमार आये हुए हैं।हम सभी की परीक्षा लेंगे और जो परीक्षा मे पास होगा । उसी को राजकुमारी अपना पति चुनेगी ।
सभी राजाओं के सामने शर्त यह है कि जाओ और 2 हिरणों का सर काटकर लाओ । जो सबसे पहले लाएगा । उसी सी राजकुमारी शादी करेगी लेकिन इसमे गुप्त शर्तें हैं तो आपको अपने विवेक से निर्णय करना है।
सभी राजा तुरंत गए और हिरणों का सर काटकर ले आए । यह हिरण एक ही स्थान पर बांधे गए थे । लेकिन यश राजकुमार के लिए भी 2 हिरण बांधे गए थे । वह उनके पास गया लेकिन उसने उनका सर नहीं काटा ।
सारे 25 राजकुमारों ने हिरण के सर को राजदरबार मे डाल दिया ।और बोले ……यह कैसी परीक्षा है हम सभी लोग आपकी परीक्षा को पूर्ण कर चुके हैं ।अब बताएं किस के साथ राजकुमारी की शादी होगी ?
……..नहीं आप 25 से 25 हार चुके हैं राजकुमारों । एक बूढे आदमी ने खड़े होकर कहा ?
……मगर कैसे हमने आपकी बताएं शर्त को पूर्ण किया है ?
…..शर्त जो हमने बताई थी वह वैलिड नहीं है। धर्म के हिसाब से निरपराध जीवों को मारना अपराध है।
——और यश तुमने हिरण का सर क्यों नहीं काटा था ?
…….मैं किसी राजकुमारी से शादी के लिए हिरण का सर नहीं काट सकता हूं । मुझे आपकी शर्त मंजूर नहीं है। क्योंकि मैं अपने सिद्धांतों को सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ सकता हूं कि मुझे शादी करनी है।
…….सही बोला । इंसान वही होता है जो अपने फायदे के लिए धर्म के सिद्धांतों को ना तोड़े जिसके अपने नियम और कायदे होते हैं। और यदि यह शर्त सही मे ही होती तो एक धर्मपथ पर चलने वाला इंसान हारना पसंद करता ।
……लेकिन राजन आपने मे सिर्फ शर्त के लिए हिरणों को मरवाया यह भी तो पाप है ?
…… नहीं हमने हिरणों को नहीं मरवाया यह सब नकली थे ।एक यशस्वी राजा जो हिरणों और जीवों की हत्या करता है वह कब तक यशस्वी बना रह सकता है। कर्म के संस्कार धीरे धीरे उसके अंदर दया को लुप्त कर देते हैं और वह क्रूर बन जाता है। जो लोग यह समझते हैं कि जीवों की हत्या करने वाले के अंदर भी दया होती है तोयह पूरी तरह से गलत होता है क्योंकि इस प्रकार के लोगों मे क्रूरता के गुण अपने आप कब प्रवेश कर जाते हैं पता ही नहीं चलता है।इसलिए मैं घोषणा करता हूं कि राजकुमारी की शादी राजा यश के साथ होगी और इससे बड़ा यशस्वी राजा मेरे सामने दुसरा नहीं है।
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