आदर का विलोम शब्द, आदर शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, आदर का उल्टा Aadar vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
आदर | अनादर |
Aadar | Anadar, Niradar |
आदर का विलोम शब्द निरादर होता है। आदर का अर्थ सम्मान होता है। जब आपके घर के अंदर आता है तो आप उसको सम्मान के साथ बिठाते हैं। असल मे यही आदर है।
तो आदर का मतलब आप समझ चुके हैं। हालांकि प्राचीन काल के आदर और आज के आदर मे फर्क हो चुका है। शब्द एक ही है लेकिन उसके साथ जुड़े हुए भावों के अंदर बदलाव आ चुके हैं। आज जब एक कस्टमर दुकान पर आता है तो उसको आदर करने का दिखावा किया जाता है। क्योंकि ऐसा करना दुकानदार की मजबूरी होती है। लेकिन ऐसे भी हमने कई लोगों को देखा है जो आदर नहीं करते हैं। बस आदर करने का दिखावा करते हैं।
और जब उनका काम सर जाता है तो फिर उनके दिल मे आपके प्रति कोई भी आदर भाव नहीं होता है। असल मे यह आदर नहीं है। वरन बस दिखावा है। आदर का मतलब यह है जो आपके दिल से निकलता है। भाव से आप जिसका सम्मान करते हैं वही आदर होता है। यदि आप किसी का डर की वजह से सम्मान करते हैं तो फिर वह मात्र दिखावे के सिवाय कुछ भी नहीं है।
वर्तमान मे आदर करने की परम्परा लुप्त होती जा रही है। लोग एक दूसरे को चूम कर धन्यवाद देते हैं। क्योंकि बहुत से लोगों को लोगता है कि अंग्रेज हमसे अच्छे हैं। और अंग्रेजी बोलना आज भी अच्छी शिक्षा का प्रतीक माना जाता है और अंगेजी बोलने वाले को एक बड़ा इंसान माना जाता है।हालांकि भारत की सत्ता हमेशा ऐसे लोगों के हाथ मे रही जो कभी भी अपनी सभ्यता का सम्मान नहीं करपाए । तो आज आप देख सकते हैं कि बहुत से लोग खुद की ही संस्कृति से नफरत करने लगें हैं। दुनिया मे ऐसा देश एक भी नहीं मिलेगा जो अपनी संस्कृति को घटिया और दूसरे की संस्कृति को अच्छा बताता हो ।
खैर आज की स्थिति यदि हम भारत की देखें तो यह बहुत अधिक खराब हो चुकी है। भारत तेजी से विनाश की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि अधिकतर लोगों के अंदर यह मानसिकता ही सही से नहीं बैठ पाई है कि किसका आदर करना चाहिए और किसका निरादर करना चाहिए ?
निरादर का अर्थ अपमान होता है या जहां पर आदर का अभाव होता है। उसे निरादर कहा गया है। जैसे यदि आप किसी के यहां पर जाते हैं और उसके बाद वहां पर आपका कोई भी आदर नहीं करता है आप ऐसे ही जाते हैं और उसके बाद वापस चले आते हैं तो आपको यह लग सकता है कि आपका निरादर हो रहा है। इसी प्रकार से कुछ जगह ऐसी होती हैं जहां पर निरादर ही मिलता है। जैसे आप किसी रिश्तेदार के यहां पर जाते हैं और आपको वह अपमान करके निकाल देता है तो यह निरादर ही होगा।
आजकल सब लोगों के अंदर विश्वास की काफी कमी हो चुकी है। यही करण है कि पहले की तुलना मे सब कुछ बदल चुका है।पहले किसी भी अनजान इंसान को हम आसानी से घर के अंदर रख लेते थे और उसके बाद उसे खाना भी खिलाते थे लेकिन आज यह सब करने का समय जा चुका है। आज ऐसा करना भारी पड़ सकता है क्योंकि किसी का कोई भरोशा नहीं है कब क्या कांड करदे।
ऐसी स्थिति के अंदर अतिथि दैवों भव की अवधारणा कमजोर पड़ चुकी है। आज रिश्तों के अंदर भी ऐसे रिश्ते पनप जाते हैं जो असल मे नहीं पनपने चाहिए । और तभी तो आप देख सकते हैं कि देवर भाभी के साथा भाग गया और भी न जाने क्या क्या । इन सब स्थितियों के अंदर क्या हो सकता है ? आपको निरादर ही मिलेगा । आदर तो मिलने की उम्मीद ही आपको छोड़ देनी चाहिए ।
अक्सर लोगों को चिल्लाते हुए सुना होगा कि यह करो वो करो लेकिन ज्ञान पेलने वाले यह लोग खुद अंदर से इतने घिनोने होते हैं कि आपको सुनकर घीन्न आ जाए । हां कुछ लोग अवश्य जो बताते हैं उसे करते भी हैं।
दोस्तों बात है 2020 की एक खेत के अंदर किसान और उनकी पत्नी घर बनाकर अकेले ही रहते थे । उनके घर भी काफी अच्छे थे । देखने मे लगता था कि वे काफी पैसे वाले हैं। एक दिन एक चोर की नजर उस घर के उपर पड़ गई।चोर रात के अंदर उंट पर सवार होकर आया और घर मे दाखिल होते हुए बोला ……..अरे घरवालों घर पर हो या नहीं ?
…..हां अंदर आ जाओ ।
इतना सुनते ही चोर अंदर दाखिल हो गया । और बोला ……मैं रस्ते से गुजर रहा था तो रात हो गई और दूसरा गांव काफी दूर है। रात रात यदि आप यहां रूकने दे तो आपकी बड़ी मेहर वानी होगी ।किसान और उनकी पत्नी काफी सीधे थे । तो उन्होंने चोर को रुकने की अनुमति प्रदान की और उसके बाद चोर को एक खाट पर बिछा दिया गया । फिर उसे अच्छा खाना बनाकर खिलाया गया । उसकी अच्छी सेवा की । सारे काम समाप्त होने के बाद सब सो गए । चोर की रात 12 बजे आंख खुली और वह धीरे से उठा और मकानों के अंदर देखने लगा कि माल कहां पर रखा गया है ? और उसके बाद उसे एक सोने के गहनों की पोटली मिली । उसने उस पोटली को उठाया और तेजी से बाहर निकल गया । अपने उंट पर चढ़ा और निकल गया ।
रात का समय था। चोर रस्ते से पूरी तरह से अनजान था। तो कुछ दूर सही रस्ते पर चला लेकिन बाद मे रस्ता भटक गया । और किसी दूसरे गांव के अंदर चला गया जहां पर उसने पहले ही चोरी की थी।
उधर किसान और उनकी पत्नी उठे तो देखा कि राहगिर नहीं है। अब उन्हें शक हुआ कि जिसको उन्होंने इतना आदर किया वह तो चोर निकला । उसके बाद अपने गहनों को देखा तो गहने गायब थे । उसके बाद किसान का विश्वास उठ गया । क्योंकि अब भले का जमाना नहीं रहा ।
उधर उस चोर को दूसरे गांव के अंदर पकड़ लिया । और जमकर खातिरदारी की गई ।
इस कहानी का उदेश्य यही है कि आप आदर उसी का करें जो इसके महत्व को जानता है। हर किसी के सामने यदि आप आदर से देखेंगे तो वह आपको ही बेवकूफ समझेगा ।सम्मान एक मूल्यवान वस्तु है। यह कुछ ऐसा है जिसे दिया जाना चाहिए और नहीं लिया जाना चाहिए। दूसरों के प्रति सम्मान दिखाना महत्वपूर्ण है, चाहे उनकी स्थिति या स्थिति कुछ भी हो। किसी के प्रति सम्मान दिखाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह प्रयास के काबिल है।
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