दोस्तो इसे लेख के अंदर आपको आग का पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द aag ka paryayvachi shabd ka samanarthi shabd के बारे मे जानकारी दी जाएगी इसके अलावा आग के बारे मे और भी बहुत कुछ बताया गया है ।
आग एक दहनसिल प्रदार्थ का प्रकार है । आग मे कुछ गैसे पाई जाती है जिसके कारण से उष्मा व प्रकाश का निकलता है। आग का प्रयोग किसी प्रदार्थ को क्षतिग्रस्त करने के लिए उपयोग मे लिया जाता है । मगर कभी कभी आग अपने आप लग जाती है जिसके कारण से बहुत कुछ नष्ट हो जाता है ।
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द |
आग | अग्नि , जलन, ज्वाला, धूमकेतु, अनल, उष्मा, दावाग्नि, ज्वलन, तपन, वहि, शुचि, ताप, पावक, वैश्वानर, रोहिताश्व, पांचजन्य, कृशानु, हुताशन, दावानल, दव, बाड़व, हुताशन, आतिश । |
aag | agni , jalan, jvala, dhoomaketu, anal, ushma, daavaagni, jvalan, tapan, vahi, shuchi, taap, paavak, vaishvaanar, rohitaashv, paanchajany, krshaanu, hutaashan, daavaanal, dav, baadav, hutaashan, aatish. |
fire | Agni, Jalan, Jwala, Comet, Anal, Heat, Davagni, Jalan, Tapan, Wahi, Shuchi, Tapa, Pawak, Viswanar, Rohitashva, Panchajanya, Krishanu, Hutashan, Davanal, Dva, Farav, Hutashan, Atish |
आग बुझाने के लिए आग मे पाए जाने वोली ऑक्सीजन या दूसरे घटको को पूरी तरह से नष्ट करना पडता है । अगर इनमे से कोई एक भी पूरी तरह से नष्ट हो जाता है तो आग आसानी से बुझ जाती है । इन तिनो घटाको को नष्ट कर कर जिन तरीको से आग बुझाई जाती है वे निचे है –
ऐसा माना जाता है की जब आदिमान का जमाना था उस समय आदिमानव अपना पेट भरने के लिए कच्चे मास को ही खाते थे । धिरे धिरे आदि मानव का समय बितता गया और किसी कारण वस दो पत्थरो के टकराने के कारण से आग की एक छोटी सी चिंगारी निकलते हुए आदिमानवो ने देखा । यह देख कर आदिमानव कुछ समझ नही सके और फिर से यही क्रिया दोहराने लगे ।
जिसके कारण से फिर जब आग की चिंगारी निकली तो आदिमानव उसे देखने लगे । मगर इसी तरह से बार बार क्रिया करने के कारण से एक बार आस पास पडे घास फुस मे आग लग गई होगी । जिसके कारण से आदिमानव को जलन महसुस हुई होगी । वही से आग का जन्म हुआ माना जाता है ।
जिसके बाद मे आदिमानव ने अग्नि का उपयोग शुरू कर दिया और पक्के भोजन को खाना शुरू किया । जिसके कारण से उन्हे भोजन मे एक अलग ही स्वाद आया । यह देख कर आदीमानव ने आग का उपयोग लेना शुरू कर दिया । इस तरह से अग्नि या आग की उत्पत्ति हुई मानी जाती है । यह क्रिया घर्षण विधी के द्वारा हुई थी । यानि आग को उत्पन्न करने के लिए दो पत्थरो को रगडा जाता था ।
बार बार जब पत्थरो को रगडा गया तो उनमे एक गर्मी होने लगी जिसके कारण से आग की चिंगारी निकल गई । इसी तरह का उपयोग कर कर आग को उत्पन्न किया जाने लगा । इसके अलावा आग को उत्पन्न करने के लिए प्राचिन समय के एक छोटे पत्थर को बडे पत्थर पर फेका गया होगा जिसके कारण से चिंगारी निकली और आस पास आग लग गई । इस तरह से भी आग का उत्पन्न होना माना जाता है ।
इस विधी के एक विशाल और भयानक भैंस हुआ करती थी । जो आस पास के पेड पोधो से लेकर जो भी प्राणि था उन सभी को नष्ट कर दिया करती थी । जिससे कभी कभी भैंस दौड़ने लगती थी और इसी तरह से एक बार हुआ उस समय भैंस क्रोधित होकर दोड़ रही थी ।
क्योकी भैंस काफि विशाल थी तो वह आस पास पडे पहाडो के बडे बडे पत्थरो पर कुद कुद कर दोड रही थी । जिसके कारण से पत्थरो मे उष्मा उत्पन्न हो गई और चिंगारीया निकलने लगी जिससे आस पास का स्थान जलने लगा था । इसके अनुसार भी आग का उत्पन्न होना माना जाता है ।
इस विधी का उपयोग प्राचिन समय मे आग को उत्पन्न करने के लिए किया गया था । इस विधी मे एक यंत्र का उपयोग होता है जिसे अरणी के नाम से जाना जाता है । यह विधी भारत मे भी प्रचलीत थी । इस विधी मे दो वस्तुओ का उपयोग होता है वे है तख्ते जो लकडी का बना होता है मगर इस तख्ते मे एक छिछला छेद पाया जाता है । जिसमे लकडी का एक टकडा नचाया जाता है । इस विधीसे भी अग्नि उत्पन्न की गई थी ।
इस विधी के अनुसार एक भयंकर सर्पाकार राक्षसी हुआ करती थी । जो बहुत ही भयंकर और ताक्तवर थी । इस राक्षसी से हर कोई डरता था । मगर हुसेन ने इस राक्षसी का सामना कर कर इसे मारने की ठान ली थी । जिसके कारण से हुसेन ने राक्षसी से युद्ध किया और युद्ध के दोरान हुसेन ने एक बडे पत्थर को उठा लिया इस पत्थर से राक्षसी को मारने के लिए जैसे ही हुसेन ने फैका तो राक्षसी वहां से अलग हो गई ।
जिससे पत्थर राक्षसी का कुछनही बिगाउ सका मगर यह पत्थर पास एक पहाड था उससे जाकर टकरा गया । पत्थर के पहाड से टकराने के कारण से पत्थर तो नष्ट हो गया मगर इस बिच बहुत अधिक चिगारी उत्पन्न हो गई । जिसके कारण से आस पास का जंगल जलने लगा । इस तरह से माना जाता है की उस समय अग्नि सबसे पहले उत्पन्न हुई थी । यह घटना शाहनामा मे बताई गई है जो एक फारस के प्रसिद्ध ग्रंथ है ।
आग क्या होती है और कैसे काम करती है इसके बारे में आपको हमे बताने की जरूरत नही है । क्योकी यह पहले ही बता चुके है ।
वैसे आग के बारे मे आज आपको पता है क्योकी आप जब भी भोजन बनाते है तो इसके लिए आग का ही उपयो लेते है और यह आपको पता है । तो अगर इस आग के बारे में और बात की जाए तो यह हो सकती है की आज बिना ओक्सिजन की उपस्थिति में जलती नही है क्योकी यह हमेशा ओक्सिजन के साथ ही कार्य करती है ।
दोस्तो आग जो होती है उससे जुड़ी अनेक तरह की जानकारी इस लेख में आपको दी गई जो की आपके लिए उपयोगी होगी । और आपको बता दे की इस लेख में हमने विशेष रूप से पर्यायवाची शब्दो के बारे में ही बात की है तो अगर आपको कुछ पूछना है तो कमेंट कर देना ।
दोस्तों हम बात कर रहे हैं घर मे चारपाई के टूटने के बारे मे ।…
मौत तो हर घर मे होती है। और जो इंसान मर जाता है , वह…
Mota ka vilom shabd मोटा का विलोम शब्द, मोटा शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, मोटा का उल्टा mota…
नफ़रत का विलोम शब्द या नफ़रत का विलोम , नफ़रत का उल्टा क्या होता है…
दिवस का विलोम शब्द या दिवस का विलोम , दिवस का क्या होता है ? divas ka…
सदाचारी का विलोम शब्द या सदाचारी का विलोम , सदाचारी का क्या होता है ? sadachari ka…