आजादी का विलोम शब्द या आजादी का विलोम , आजादी का उल्टा क्या होता है ? Aajadi ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
आजादी | गुलामी |
Aajadi | Gulami |
आजादी का मतलब होता है। आजाद हो जाना । आजादी का विलोम शब्द होता है गुलाम । जब आप किसी के अधीन होते हैं तो उसके लिए गुलामी शब्द ही प्रयोग किया जाता है। आपको पता ही होगा कि भारत कब गुलाम हुआ था। जब भारत गुलाम हुआ था तो इसका जिम्मेदार भारत के अंदर रहने वाले ही लोग थे ।क्योंकि भारत के राजा सदैव ही आपस मे ही लड़ते रहते थे । और यही कारण था कि भारत को विदेशी ताकतों ने अपना गुलाम बना लिया था। और रही बात आजादी की तो भारत के लोगों को आजादी काफी सालों बाद मिली लेकिन इसके लिए न जानते कितने लोगों की बली चढ़ानी पड़ी ।
आजादी हाशिल करना इतना आसान कार्य नहीं है। लेकिन भारत के कुछ महान लोगों ने आजादी दिलाई थी। ऐसे लोगों को सदैव प्रणाम करते हैं। वैसे तो अंग्रेजों ने भारत के अंदर काफी सालों तक राज किया और यहां का सब कुछ बटोर कर अपने देश ले गए ।
लेकिन आजादी तो आजादी ही होती है। आजादी किसे प्यारी नहीं होती है। भारत को जब आजादी मिली तो सब लोगों को यही लग रहा था कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा । लेकिन अब तो हालत और अधिक खराब हो चुकी है। भारत के नेता भी अब देश को बेचने मे लगे हुए हैं। लेकिन हर इंसान हो या जीव कोई भी बंधन मे नहीं रहना चाहता ।
आपने देखा होगा कि एक पिंजरे के अंदर जानवर होता है। और वह उस पिंजरे से निकलने के लिए काफी कुछ प्रयास करता है लेकिन उसके बाद भी वह निकल नहीं पाता है। क्योंकि वह आजादी पाना चाहता है। लेकिन उसे आजादी मिल नहीं पाती है। लेकिन यदि आप इसी तरह से बंद किसी पक्षी को पिंजरे से आजाद करते हैं तो पक्षी कितना खुश हो जाता है ? इसका अंदाजा आप नहीं लगा सकते हैं। कारण यह है कि पक्षी हो या इंसान आजाद होने पर खुश ही हो जाता है। लेकिन आजादी दो तरह की होती है। एक तो कोई आपके शरीर को रस्सी से बांध देता है तो उससे आपको यह लगता है कि आप बंधन मे हैं आप स्वतंत्र नहीं हैं।
आजादी किसे प्यारी नहीं होते हैं। लेकिन आकाश मे उड़ना आजादी नहीं है। क्योंकि जब तक आप अपने मन के बंधनों से आजाद नहीं हो जाते हैं तब तक आप कितनी भी आजादी प्राप्त करलें ।वह बस आपको कुछ समय के लिए सुख देने वाली होंगी । यदि आपको असली सुख चाहिए तो आपको मायापति होना होगा । मतलब यह है कि आपको अपने मन पर अधिकार करना होगा । यदि आप अपने मन पर अधिकार कर लेते हैं तो उसके बाद आप स्वतंत्र हो जाते हैं। यही एक तरह की असली स्वतंत्रता होती है। एक बार जब आप इसका एहसास कर लेते हैं तो उसके बाद आप रियल जीवन की चीजों का मोह जो होगा उसका त्याग कर देंगे ।
वैसे आधे से अधिक लोगों को यह भी पता नहीं होता है कि हम खुद मन हैं या फिर मन से अलग हैं। बहुत से लोग मन का होना ही खुद को समझते हैं। असल मे मन की हर प्रकार की परतंत्रता का कारण है। मन एक तरह से आपके लिए पिंजरा होता है। यदि पिंजरे से आपको आजाद होना है तो इस मन रूपी पिंजरे को तोड़ना होगा । जिसकी शाखाएं विचारों से बनी हुई हैं।
दोस्तों गुलामी के बारे मे हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं।गुलामी किसी को भी पसंद नहीं होती है। क्योंकि गुलामी होती ही बुरी है। यदि एक शिकारी किसी पशु या पक्षी को गुलाम बना लेता है तो उसके बाद वह उससे मनचाहा करवाता है। और कोई भी यह पसंद नहीं करता है कि कोई दूसरा उसे मनचाहा काम करवाए । इसी लिए तो बुरी होती है। गुलामी । वैसे गुलामी का कारण बहुत हद तक हम लोग भी होते हैं।
एक शिकारी जंगल के अंदर जाता है और वहां पर दाने डालता है उसके बाद जाल फैलाता है और फिर छिपकर बैठ जाता है। पक्षी आते हैं और फिर दाना चुगते हैं और उसके बाद जाल मे फंस जाते हैं । ऐसी स्थिति के अंदर शिकारी की तो गलती है ही लेकिन पक्षी भी लालची होते हैं। जब इंसान ही बुद्धिमान होकर लालची है तो पक्षी लालची क्यों नहीं होंगे ?
लेकिन गुलामी जो होती है वह लालच से ही तो आती है। सदा आपको कुछ ना कुछ चाहिए ही होता है। ऐसी स्थिति के अंदर आप उल्टा सीधा करते हैं तो गुलामी अपने आप ही आ जाती है। आप इस शरीर से बंधे हुए हैं ।इसका कारण भी आप खुद ही हैं आपको शरीर जैसा चाहिए । आपको यह लगता है कि आप शरीर हैं लेकिन आप हकीकत मे शरीर से अलग हैं।
अब यदि आपको कोई यह कहे कि आप का कोई नाम नहीं है। तो आप उससे लड़ने को उतारू हो जाएंगे। क्योंकि आपने तो बचपन से यही सुना है कि आपका नाम रुपेश है अब अचानक से कोई आपको यह कहता है कि आपका कोई नाम नहीं है तो फिर आपको गुस्सा आएगा । लेकिन जनाब गुस्सा आने से कुछ नहीं होगा ।
हकीकत मे आपका कोई नाम नहीं है। जो कुछ नाम है वह शरीर का है। आपका नहीं है। आपके होने से यह शरीर है शरीर के होने या ना होने से आपका कोई संबंध नहीं है। यदि आप नहीं होंगे तो फिर शरीर नष्ट हो ही जाएगा ।
असल मे आपने जो गंदी नाली का कीड़ा देखा है वह सदा ही खुद को गंदी नाली के अंदर ही समझता है उसे यही लगता है कि यही सुंदरता है और यदि आप उसे उससे अलग कोई दूसरी सुंदरता बताना चाहेंगे तो फिर वह उसे नहीं मानेगा । इंसान की भी इसी तरह की हालत हो चुकी है।
अब यदि इंसान को कोई असली बात बताता है तो वह मानने से इंकार कर देता है। लेकिन सच्चाई हमेशा सच्चाई ही होती है। वह तो एक ना एक दिन सामने आकर ही रहेगी तब क्या करोगे ? । इसलिए गुलामी जब रगों के अंदर बस जाती है तो उसके बाद वह भी आपको स्वतंत्रता जैसी लगने लग जाती है क्योंकि आपको पता ही नहीं होता है कि इससे सुंदर भी कोई चीज हो सकती है ? असल मे सुंदरता आपके अंदर है बाहर की सुंदरता बस क्षणभंगूर है जिसका विनाश होना तय है लेकिन आप जिन भौतिक चीजों को पकड़कर बैठे हैं वह एक दिन नष्ट हो जाएगी । और आपको किसी भी भौतिक चीजों की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह सब जरूरते आपके शरीर की हैं आप खुद शरीर नहीं हैं।
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