Aalasy ka vilom shabd आलस्य का विलोम शब्द?
आलस्य का विलोम शब्द, आलस्य शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, आलस्य का उल्टा Aalasy vilom shabd
शब्द (word) | विलोम (vilom) |
आलस्य | अनालस्य |
Aalasy | analsya |
आलस्य का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों आलस्य का विलोम शब्द होता है निरालस्य या दोस्तों आलस्य के मतलब के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते हैं। आलस्य का मतलब होता है जब हमारा किसी भी काम को करने का मन नहीं करता है। बस पड़े रहने का मन करता है तो उसको आलस्य कहते हैं।
वैसे आलस्य काफी बुरी चीज होती है। आमतौर पर जब गर्मियों का मौसम होता है तो अधिक आलस्य आता है। सर्दियों के मौसम के अंदर उतना अधिक आलस्य नहीं होता है। कारण यह है कि हम बस सर्दी मे रजाई मे आसानी से पड़े रहते हैं। लेकिन गर्मी के मौसम के अंदर ऐसा नहीं हो पाता है।
दोपहर को जब हम खाना खाते हैं तो खाना खाने के बाद आलस्य चढ़ जाता है और उसके बाद सब सोने का ही जी करता है। कुछ साल पहले मैं एक कंपनी के अंदर काम करता था तो कंपनी के अंदर दोपहर को खाना मिलता था। और दोपहर के खाने के समय बस 30 मिनट की छूटी होती थी। जिसके अंदर 20 मिनट तो खाना खाने मे ही लग जाते थे रहा दस मिनट तो उस वक्त आराम करते थे । पता नहीं यह 10 मिनट किस तरह से बीत जाते थे । उसके बाद आलस्य चढ़ जाता था और काम करने का मन नहीं करता था। वैसे भी आपको पता ही है कि कंपनियों के अंदर कितना अधिक काम करवाते हैं।
दोस्तों यदि आप काम करते हैं तो आलस्य दूर हो जाता है। लेकिन क्या होता है कि कुछ लोग एकदम से आलसी होते हैं। उनको आलस इतना अधिक होता है कि वे काम करना भी पसंद नहीं करते हैं। वे बस काम चोर बन जाते हैं। और समय पर काम पर कभी भी नहीं जा पाते हैं।
इस तरह के बहुत सारे लोग हैं जोकि आलस के चलते काफी परेशान होते हैं। और समय पर काम पर नहीं जाने की वजह से भी काफी परेशानी उनको झेलनी पड़ती है। और जब काम पर नहीं जाते हैं तो आर्थिक परेशानी होना भी तय है आपको पता ही है कि आजकल सब कुछ कितना महंगा हो चुका है ?
यदि आज के जमाने मे कोई आलस्य रखता है तो सक्सेस नहीं हो सकता है। कारण यह है कि आजकल कंपिटिशन काफी अधिक बढ़ चुका है। यदि आप आलस्य करते हैं तो हर कोई आपको पीछे छोड़ देगा । सो आपको आलस्य का भी त्याग करना होगा ।
अब आपके दिमाग के अंदर यह भी आता होगा कि आप किस तरह से आलस्य का त्याग कर सकते हैं तो दोस्तों आलस्य का त्याग करना भी बहुत ही आसान कार्य है। आपको जब भी आलस्य आए बस इसके लिए आपको करना यह होगा कि आप उठें और काम करने लग जाएं ।
एक बार जब आप काम करने लग जाएंगे तो आपका आलस्य भी काफी अधिक दूर हो जाएगा । आपको बस यही तरीका अपनाना होगा । आपका आलस्य दूर हो जाएगा । हालांकि आपको यह तभी करना है जब आपके अंदर आलस्य अधिक आ जाए ।
आदत को छूटने मे काफी समय लगता है। लेकिन यदि आप प्रयास करते हैं तो कोई भी आदत ऐसी नहीं है जोकि छूट नहीं पाएगी । बस आप प्रयास करतें जाएं। कुछ ही दिनों मे आप यह देखेंगे कि आपकी आलस्य की आदत दूर हो जाएगी ।
अनालस्य का अर्थ और मतलब
दोस्तों अनालस्य का मतलब होता है आलस्य नहीं होना । जैसे कि कोई किसी तरह का काम करता है लेकिन उसको किसी भी तरह का आलस्य नहीं रहता है उसको अनालस्य के नाम से जाना जाता है।हालांकि जो लोग समय पर काम करते हैं उनको आलस्य कभी भी नहीं सताता है। आजकल के नोजवानों को आलस्य काफी अधिक सताने का काम करता है। लेकिन आमतौर पर होता यह है कि जो पहले के समय के लोग हैं उनको आलस्य कम ही सताता था। मुझे याद है कि पहले मेरी दादी के जमाने मे सब लोग सुबह 4 बजे उठ जाया करते थे और उसके बाद काम पर लग जाते थे खेत के अंदर भी इतना अधिक काम करते थे । लेकिन उस समय किसी भी तरह की गाड़ी मोटर नहीं हुआ करती थी। इस वजह से सारा काम हाथों से ही करना पड़ता था। लेकिन आज जितनी अधिक सुख सुविधाएं हैं इंसान उतना ही अधिक आलसी होता जा रहा है। आज आप किसी भी घर के अंदर जाकर देखलें । लोग 4 बजे तो उठना दूर की बात है 8 बजे तक उठ पाते हैं। और उसके बाद भी काम करने का मन नहीं करता है।
हालांकि यह बात अलग है कि आजकल कि जो मेडिकल सुविधा भी इस तरह की हो चुकी है कि बीमारी तो ठीक करती है लेकिन इंसान को काफी कमजोर बनाकर रख देती है। और इतनी अधिक कमजोरी तो कई बार दवाओं की वजह से आ जाता है कि कुछ हो ही नहीं पाता है।
यदि एक कमजोर इंसान अधिक काम करेगा तो दूसरे दिन आलस्य आना एक आम बात हो ही चुकी है। पहले तो लोग सब कुछ नैचुरल खाते थे तो उनके अंदर ताकत भी शैर जैसी हो होती थी लेकिन अब सब कुछ दवाओं से बना हुआ खाते हैं और इसका परिणाम यह हो चुका है कि शरीर ही बस दिखाई देता है। और वह भी काफी खोखला हो चुका है।
इसी वजह से हम जब भी अधिक मेहनत करने की कोशिश करते हैं काफी अधिक थक जाते हैं और फिर काम करने का मन भी नहीं कर पाता है। आप इस बात को समझते हैं। खैर यदि हम आज नैचुरल चीजें खाते हैं तो उसकी उर्जा हमारे शरीर के अंदर साफ साफ देखने को मिलेगी ।
शरीर के अंदर जो आलस्य आता है वह खान पान की वजह से आता है। आजकल खान पान ही इसी तरह का हो चुका है कि आलस्य पैदा करता है। और विलासिता के साधन बहुत अधिक बढ़ चुके हैं तो आलस्य आना नई बात नहीं है। पहले दो पहर मे लोग खाना खाते थे और उसके बाद काम पर लग जाते थे ।काम भी इतना अधिक भयंकर हुआ करता था कि आलस्य तो दूर दूर तक रहता था। लेकिन अब सारे काम आराम के हो चुके हैं और आपको तो पता ही है कि जब हम आराम का काम करते हैं तो आलस्य आना बहुत ही नोर्मल बात हो चुकी है।
यदि आप भी मेहनत का काम करेंगे तो उसके कई सारे फायदे होते हैं। एक तो शरीर काफी निरोगी बन जाता है और उसके अंदर बीमारियां नहीं होगी । लेकिन यदि बैठे बैठे काम करते हैं तो शरीर अनेक तरह की बीमारियों का घर हो जाएगा ।