आलसी का विलोम शब्द या आलसी का विलोम शब्द, आलसी का उल्टा क्या होता है ? Aalsi ka vilom shabd Aalsi ka vilom shabd kya hoga
शब्द | विलोम शब्द |
आलसी | उद्यमी, परिश्रमी, कर्मठ |
Aalsi | Udyami, Parisrami, Karmath |
दोस्तों आलसी का विलोम शब्द होता है।परिश्रमी ।दोस्तों यदि हम बात करें आलसी की तो इसका मतलब होता है एक ऐसा इंसान या जानवर जोकि काम करना पसंद नहीं करता है या काम करने की बजाये जोकि पड़े रहना पसंद करता है उसके लिए आसली शब्द का प्रयोग किया जाता है।
वैसे आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जैसे जैसे हम विकास करते जा रहे हैं। जैसे जैसे मशीने आ रही हैं वैसे वैसे हम आलसी होते जो रहे हैं। और इसकी वजह से हमारा शरीर भी काफी बेकार होता जा रहा है।परिश्रमी इंसानों की कमी काफी तेजी से हो रही है। कोई भी इंसान पसीना बहाने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इसका कारण यही है कि हम चाहते ही है कि हमे किसी तरह का पसीना ना बहाना पड़े और सब कुछ अपने आप ही आ जाए । लेकिन दोस्तों जो इंसान आलसी होते हैं वे सचमुच एक रोगी ही होते हैं। उनके शरीर को कई तरह के रोग घेर लेते हैं। आज आप पेट गैस की समस्या बहुत अधिक लोगों के अंदर देखने को मिलेगी । लेकिन जो लोग मजदूरी का काम करते हैं क्या उनको कभी पेट गैस की समस्या होती है ? मुझे नहीं लगता है कि उनको पेट गैस की समस्या होती है। क्योंकि उनका काम ही ऐसा होता है कि उसके अंदर शरीर की सारी की सारी उर्जा बहुत ही आसानी से खर्च हो जाती है।
पहले मैं भी इसी तरीके से मजदूरी का काम करता था। और उस वक्त मैं इतना अधिक काम करता था कि पेट गैस की समस्या होती ही नहीं थी। उसके बाद मैंने मजदूरी का काम करना छोड़ दिया और दूसरा किसी ऑफिस का काम करने लगा । उसके बाद से ही मुझे पेट गैस की समस्या होने लगी । दोस्तों पहले वाली पीढ़ी इतनी आलसी नहीं थी क्योंकि उनका काम आलसी बनने पर चल नहीं पाता था। लेकिन हमारी पीढ़ी काफी आलसी हो चुकी है।
पहले लोग लंबी लंबी दूरी तक पैदल जाया करते थे लेकिन अब समय बदल चुका है। आज लोग पैदल अपने घर से बाहर पैर भी नहीं रखना पसंद करते हैं तो आप समझ सकते हैं कि हम कितने आलसी हो चुके हैं। दोस्तों आप आलस छोड़कर जितना अपने शरीर का पसीना बहाते हैं आप उतने ही स्वस्थ रहते हैं और कम बीमार पड़ते हैं। क्योंकि शरीर के अंदर रहने वाले हानिकारक पदार्थों को आप आसानी से पसीने के द्धारा बाहर निकाल देते हैं।
यदि आप आलसी होते हैं तो आपको काम करना भी पसंद नहीं होता है। आलसी लोग आमतौर पर बिस्तर पर पड़े रहना ही पसंद करते हैं। वे कुछ भी काम नहीं करना चाहते हैं। और इस तरह के लोग किसी भी काम के अंदर सक्सेस नहीं होते हैं। वे किसी भी काम को मन लगाकर नहीं कर पाते हैं। कारण यह है कि वे बस पड़े रहना पसंद करते हैं।मैं कई ऐसे लोगों को जानता हूं जोकि काफी आलसी हैं ना तो उनको अपने भविष्य की चिंता है और ना ही किसी और चीज की वे बस आराम से खाते हैं और सो जाते हैं। बस यही करते रहते हैं। वैसे देखा जाए तो इस तरह के लोग अलग ही किस्म के होते हैं। कुछ लोग तो साधारण आलसी होते हैं लेकिन कुछ लोग तो एकदम से ही आलसी होते हैं। और यहां तक की पेट मे भूख लगने पर कटोरा लेकर जाते हैं तब तक उनको दुनिया दारी से मतलब नहीं होता है।
दोस्तों कर्मठ का मतलब वो होता है जोकि काफी काफी मेहनत करता है या जो मेहनत करने वाला होता है। उसके लिए कर्मठ शब्द का प्रयोग किया जाता है। हालांकि यह बात अलग है कि आजकल मेहनत करने वाले कर्मठ इंसान की कद्र नहीं रह गयी है। जौ लूट लूट कर धन एकत्रित कर लेते हैं उनकी कद्र अधिक होती है।लेकिन नैचर कर्मठ इंसान की कद्र करती है जो इंसान सही होता है उसकी कद्र करती है। लेकिन जो लुटैरा होता है उसकी वह कोई भी कद्र नहीं करती है। जब नोट बंदी हुई तो इसी तरह का एक डॉक्टर था जिसके पास मरीजों से लुटै हुए इतने अधिक पैसे मिले की उसकी जान ही पैसों के अंदर अटकी थी । इनकम टेक्स विभाग ने उनके घर पर छापा मारा तो डॉक्टर साहिबा बेहोश हो गई और उसके बाद उनको अस्पताल के अंदर भर्ती करवाया गया ।
इसी तरीके के बहुत सारे लोग हैं जिनको लगता है कि वे पैसा कमाकर सब कुछ कर सकते हैं। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि पैसा सिर्फ शरीर तक काम करता है उसके बाद पैसों का सिक्का नहीं चलता है। वरन कर्म का सिक्का चलने लग जाता है तो आपको यह बात समझ लेनी चाहिए । किसी के पास अधिक धन दौलत को देखकर आपको दुखी नहीं होना चाहिए । क्योंकि आपका मकसद अधिक धन दौलत कमाना नहीं है। बस आपको पेट पालना है और आपका सही मकसद कुछ और ही है।
दोस्तों भले ही इस राक्षसों की दुनिया मे कर्मठ इंसान की कद्र करने वाले देवता बहुत ही कम हैं लेकिन भगवान को इन लोगों की बहुत ही कद्र होती है वे उनको खूब पसंद होते हैं। ऐसे अनेक लोग होते हैं जोकि काफी पैसे वाले होते हैं लेकिन मरने के बाद उनकी दुर्गति होती है।
क्योंकि वे अपने जीवन के अंदर कांड ही कुछ इसी तरीके के करते हैं लेकिन कर्मठ लोग जो ईमानदार होते हैं उनकी देवता भी कद्र करते हैं। यदि आप दिल के साफ हैं तो फिर कोई कारण नहीं है कि आप दुखी हों । हां इस धरती पर रक्षसों की संख्या अधिक होने पर आपको दुख मिल सकता है लेकिन अनेक लोक लोकांतर ऐसे हैं जहां पर धरती से भी अलग किस्म का सुख है। किये हुए कर्मों के प्रभाव से आप इसी तरीके के लोकों मे विचरण करते हैं और सुखों का भोग करते हैं लेकिन जो लोग नीच और कपटी कर्मों के अंदर लिप्त रहते हैं वे मरने के बाद भूत प्रेत और उसी तरकी दूसरी नीच योनियों को प्राप्त हो जाते हैं। यह भगवान की वाणी है। कलयुगी ज्ञानियों की नहीं जो बोलते कुछ और हैं और करते कुछ और ही हैं। तो दोस्तों कर्मठ इंसान की सदैव कद्र करनी चाहिए । लेकिन आजकल तो ऐसा नहीं होता है। सब जगह पर पैसा ही चलता है।
जब बात आती है सरकारी नौकरी की तो पैसा देखकर पेपर को खरीद लिया जाता है और पैसे वाले लोग सरकारी नौकरी को हाशिल कर लेते हैं। यह एक बार नहीं हर बार होता है। और सरकार बस आंख मूंद लेती है। आप समझ सकते हैं कि क्या हो रहा है।
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