आँख का पर्यायवाची शब्द या आंख का समानार्थी शब्द (aankh ka paryayvachi shabd // aankh ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में बडे ही विस्तार से बताया गया है । साथ ही आंख क्या होती है, आंख के रोचक तथ्य, और भी बहुत कुछ है तो लेख देखे ।
आँख | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd // samanarthi shabd) |
आँख | नैन, नयन, दृगेंद्रिय, दृष्टि, अम्बक, चक्षु, लोचन, चश्म, नेत्र, चख, अक्षि, नज़र, दृग, विलोचन, निगाह आदी । |
आँख in Hindi | nain, nayan, drgendriy, drshti, ambak, chakshu, lochan, chashm, netr, chakh, akshi, nazar, drg, vilochan aadee . |
आँख संस्कृत | अक्षि , नयनम् |
Aankh Synonyms in english | eye, glimmers |
जीवधारियो का एक ऐसा अंग जो की प्रकाश के कारण से किसी भी वस्तु या स्थान का आकार बानने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है आंख कहलाती है । इसे अनेक नामो से जाना जाता है जो की आंख के ही अर्थ होते है जैसे –
आंख जीवधारियों का एक विशेष अंग होता है जो की किसी भी तरह के दृश्य को देखने में काम में आता है । यह सामने जो भी कुछ होता है उससे टकराकर आने वाले प्रकाश को अपने अंदर समा लेता है और उसका एक उल्टा चित्र बना देता है ।
जिसे तंत्रिका कोशिकाओ की सहायता से दिमाग तक पहुंचाया जाता है और वहां पर इस चित्र को सिधा पढ लिया जाता है । जिसके बाद में दिखाई देने वाला चित्र सिधा हो जाता है और हमें सामने जो भी कुछ है वह वैसा का वैसा दिखाई देता है ।
इस तरह से क्रिया करने के लिए आंख का प्रयोग होता है जो की जीवधारियो में पाया जाता है और यह बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है ।
मनुष्य की आंख अनेक तरह के छोटे छोटे भागो से मिलकर बनी होती है जिन्हे आंख के ही भाग कहा जाता है जो है –
यह वह परत होती है जो की मनुष्य की आंख के सबसे बाहर पाई जाती है । जो की मुख्य रूप से दो फायबर से मिलकर बनी होती है । जिसमें अधिक मात्रा में कोलेजन फायबर होता है और कुछ मात्रा में प्रत्यास्थ फायबर भी होता है ।
यह मनुष्य की आंख में पाए जाने वाले स्वेत पटल के भीतर जो पृष्ठ पाया जाता है उसके साथ जुडी होती है ।
यह एक प्रकाश सवेदी उतक परत होती है । जब किसी वस्तु का चित्र बनता है तो उसे लेंस की सहायता से यही बनाया जाता है ।
आंख में नेत्रगोलक होते है और पलके भी लगी होती है । इसके बिच के भाग में नेत्रश्लेष्मला पाया जाता है । जो की एक पतली झिल्ली के समान होता है ।
आंख कें अंदर जब बाहर का प्रकश पहुंचता है तो यह जिस स्थान पर जाकर पडता है वह भाग स्वच्छमण्डल कहलाता है ।
आपने कभी अपनी आंख को देखा होगा जिसमें एक वृताकर आकृति दिखाई देती है जो की आंख में पाया जाने वाला तारे के व्यास को सही तरह से बनाय रखने का काम करता है । और प्रकश की मात्रा को नियत्रित करने का काम करता है इसे ही परितारिका कहा जाता है ।
पुतली उसे कहा जाता है जो की आयरिश के पिछे एक छेद के रूप में होता है । इसे एक अन्य नाम से भी जाना जाता है जो की नेत्रतारा होता है ।
मनुष्य की आंख में पाया जाने वाला वह अंग महत्वपूर्ण होता है जीसका उपयोग हो रहा है और इसी तरह से पूर्वकाल कक्ष होता है। जिसका उपयोग भी होता है और यह कॉर्निया और परितारिका के बिच में देखने को मिल जाता है ।
आँख के अग्रखंड में पाया जाने वाला वह तरल प्रदार्थ जो की पुतली द्वार से समय समय पर आगे के भाग में आता रहता है । ऐसे प्रदार्थ को नेत्रोद कहा जाता है जो की तरल रूप में पाया जाता है ।
यह एक तरह का द्रव होता है जो की पतला होता है जो की लेंस और रेटिना के बिच में देखने को मिल सकता है । इस द्रव को ही नेत्रकाचाभ द्रव कहा जाता है ।
लेस के आकार को नियत्रित करने के लिए कुछ मांसपेशी पाई जाती है जो की लेंस को पूरी तरह से नियत्रित करती है और यह सिलिअरी बॉडी में पाई जाती है । इसी भाग को एक अन्य नाम से जाना जाता है जिसे रोम पिण्ड कहा जाता है ।
उल्लू एक ऐसा प्राणी होता है जिसकी आंखे बहुत ही विशेषता लिए हुए है । एक तो यह होता है की उल्लू रात में देख सकता है जो की बहुत ही कम जन्तुओ की आंखो में ऐसा मिलता है । दूसरा की उल्लू की आंखे सिर की तुलना में बडी होती है । इसके साथ ही उल्लू की आंखे ऐसी होती है की वह इन्हे एक ओर से दूसरे ओर हिला नही पता है ।
उल्लू की आंखे बडी होने का एक मुख्य कारण यही होता है की प्रकाश को अंदर अधिक प्रवेश करने का रास्ता प्राप्त हो जाए । इसके बाद में उल्लू की आंखो के उपर जो पुतली पाई जाती है वह भी काफी अधिक बडी होती है और इसके बडी होने के पिछे का कारण भी यही होता है की जब भी किसी तरह का प्रकाश उल्लू की आंख में प्रवेश करे तो अधिक से अधिक प्रकाश को प्रवेश करा दिया जाए ।
क्योकी अधिक प्रकश जब आंखो में प्रवेश हो रहा है तो उल्लू आसानी से अंधरे में देखने में सक्षम होता है । यही कारण होता है की उल्लू रात को भी देख सकता है । क्योकी रात को इतनी अधिक रोशनी नही होती है फिर भी जब किसी वस्तु से टकराता हुआ प्रकश उल्लू की आंखो में पहुंचता है तो उल्लू उस पूरे के पूरे प्रकाश को आंखो में प्रवेश कर लेता है और वह वस्तु आसानी से देखने को मिल जाती है ।
मनुष्य की तरह बिल्ली की आंखे नही होती है बल्की मनुष्य से अलग तरह की आंखे पाई जाती है जो की बिल्ली में होती है । क्योकी एक बिल्ली की आंखे जो होती है वह उनके शरीर के अनुसार बडी होती है । क्योकी बडी आंखे होने के कारण से ये भी रात को आसानी से देख सकती है क्योकी प्रकाश आसानी से प्रवेश हो जाता है ।
क्या आपको पता है की एक बिल्ली के समय समय पर आंखो के रंगो में बदलाव भी होता रहता है । जिस तरह से अगर बिल्ली का बच्चा अभी नवजात होता है और उसकी पहली बार आंखे खुलती है तो उनका रंग नीली या ग्रे होता है । वही पर अगर बिल्ली के बच्चे के जन्म का समय दो या चार सप्ताह के बिच में रहता है तो उसकी आंखे नीला या भूरा रंग हो सकता है ।
दोस्तो चाहे किसी भी तरह का जन्तु क्यो न हो उसके जीवन में आंखो का होना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और सभी में केवल एक ही बात होती है जो की किसी भी तरह की वस्तु स्थान आदी को देखने के काम में आती है । जिसके कारण से सुविधा के अनुसार काम किया जा सकता है । इस तरह से नेत्र का उपयोग मानव जीवन में देखने के लिए जाता है ।
मगर समय के साथ नेत्र में दिखने की छमता कम होने लगती है । इस तरह से एक समय के बाद में मनुष्य के लिए ये आंख अनावश्यक भी हो सकती है । क्योकी जब दिखाई नही देता है तो अनावश्यक ही होगी । इस तरह से हमने आंख का पर्यायवाची शब्द या आंख का समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया है ।
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