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‌‌‌  आस्तिक का विलोम क्या है aastik  ka vilom shabd kya hai ?

आस्तिक का विलोम शब्द या आस्तिक का विलोम, आस्तिक का उल्टा क्या होता है ? aastik ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
आस्तिकनास्तिक
aastikNastik

‌‌‌  आस्तिक का विलोम क्या है aastik  ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌आस्तिक का विलोम शब्द होता है नास्कित । दोस्तों आस्तिक के अर्थ की जब हम बात करते हैं तो इसका मतलब होता है जो भगवान के अंदर भरोशा करता है । या जो ईश्वर के अंदर भरोशा करता है उसको हम इसी नाम से जानते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

‌‌‌जैसा कि आपको पता ही होगा कि इस दुनिया के अंदर दो प्रकार के लोग होते हैं एक आस्तिक और दूसरे होते हैं नास्तिक । आस्ति की जब हम बात करते हैं तो इस तरह के लोग देवी देवता और भगवान के अंदर भरोशा करते हैं और उसके बाद भगवान को पूजने वाले होते हैं। और देवताओं के प्रति भरोशा रखते हैं।

‌‌‌दोस्तों आस्तिक जो होते हैं वे काफी अच्छे इंसान होते हैं। क्योंकि उनके अंदर भगवान का डर होता है। यदि आप भगवान को मानते हैं आपको यह डर हमेशा ही बना रहता है कि यदि आप गलत करते हैं तो भगवान आपको देख सकता है और इसकी वजह से आप गलत करने से बच जाते हैं।

‌‌‌हालांकि आस्तिक भी कुछ इस तरह के लोग होते हैं जो कि काफी बुरे किस्म के होते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌इसके अलावा दोस्तों आस्तिक लोग जो होते हैं आपको कई लोग देखने मे काफी पागल लग सकते हैं लेकिन सही मायेने के अंदर वे काफी ज्ञानी होती हैं। दोस्तों आपने भगती का नाम तो सुना ही होगा भगती का मतलब होता है जो भगत है जिसके अंदर भाव है वह भग्त होता है। और कुछ लोगों के अंदर इतने अधिक भाव होते हैं कि ‌‌‌वे आपको दिखने मे पागल जैसे दिखाई दे सकते हैं। लेकिन आपको पता होना चाहिए कि यह लोग मुक्ति के लिए भाव मार्ग का प्रयोग करते हैं वे अपने भाव को भगवान के प्रति इतना अधिक मजबूत कर लेते हैं कि उसके बाद इनको हर जगह पर भगवान ही नजर आता  है और उसके बाद यह मुक्त हो जाते हैं।

‌‌‌वैसे तो आपको बतादें कि मुक्त होने के अनेक मार्ग होते हैं लेकिन यदि हम भाव मार्ग की बात करें तो यह काफी सरल मार्ग होता है और इसको कोई भी कर सकता है। क्योंकि दुनिया के हर इंसान के अंदर भाव तो होते ही हैं आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌यदि आपके अंदर अच्छे भाव हैं तो फिर आपको भग्त होना भी काफी अधिक जरूरी होता है आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा । हालांकि भाव मार्ग के अलावा दूसरे मार्ग हठ योग वैगरह होते हैं लेकिन यह काफी कठिन मार्ग होते हैं इनके अंदर पूरे शरीर को सूखा देना होता है।

‌‌‌दोस्तों इस दुनिया के अंदर अलग अलग मुक्ति के मार्ग हैं और माना जाता है कि उनकी संख्या 108 है लेकिन कई के बारे मे जानकारी नहीं है। और सबसे बड़ी बात यह है कि अलग अलग मार्ग एक दूसरे के विरोधी हो सकते हैं। जैसे कि हम ज्ञान योग की बात करें तो वह भक्ति  योग से पूरी तरह से अलग है इसके बारे मे ‌‌‌आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा । और आपको बतादें कि ज्ञान योग के अंदर इंसान अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है। और उस बुद्धि की मदद से वह योग की उंचाई तक पहुंचने का काम करता है लेकिन भक्ति योग के अंदर भाव का प्रयोग करता है। अब यदि आप भाव योगी हो तो ‌‌‌ आपको ज्ञान योग उतना अधिक पसंद नहीं आएगा । और आपको यह समझ नहीं आएगा कि आपको क्या करना चाहिए । इसी वजह से अक्सर कुछ लोग भक्ति योगी को पागल समझते हैं लेकिन वे पागल होते नहीं हैं ।उनका आचरण पागल जैसा होता है आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌आपको बतादें कि मुक्ति के मार्ग के अंदर आपको कौनसा मार्ग का चुनाव करना होगा यह पूरी तरह से आपके उपर निर्भर करता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसका कारण यह है कि यह आपकी क्षमता के उपर निर्भर करता है यदि आपके अंदर ज्ञान की क्षमता है तो आपको हमेशा ज्ञान योगी ही बनना चाहिए । आप भाव ‌‌‌योगी नहीं बन सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लेकिन यदि आपके अंदर ज्ञान की क्षमता नहीं है और आपको भाव अच्छे हैं तो फिर आपको भाव योगी ही बनना होगा आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

‌‌‌दोस्तों इसके लिए आपको सबसे पहले खुद का आंकलन करना होगा आप किस प्रकार के योग के लिए अच्छे हो सकते हैं। यदि आप ज्ञान योगी का गुण रखते हैं तो भक्ति मार्ग की मदद से आप कुछ नहीं कर सकते हैं और आप अपने समय और उर्जा को उसके अंदर व्यर्थ ही करेंगे ।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि इस तरह की चीजों को बताने वाले लोग वर्तमान मे बहुत ही कम रह गए हैं। अधिकतर लोग सब भक्ति योग की ही बात करते हैं यदि आप गुरू के पास जाएंगे तो वे सिर्फ आपको एक नाम ही बतादेंगे । इसके अलावा वे आपको कुछ भी नहीं बताएंगे आप इस बात को समझ सकते हैं।

‌‌‌यदि नाम आपके गले नहीं उतरता है तो फिर आप उसे अधिक समय तक जप नहीं पाएंगे । सब कुछ आपके मन का ही खेल होता है। यदि आप अपने मन को किसी भी तरह से वासनाओं से मुक्त रखते हैं तो फिर आप आज ही और इसी वक्त मुक्त हो जाएंगे । इसके अंदर कोई शक नहीं है।

‌‌‌आपको अपने मन के अंदर किसी तरह की लालसा नहीं रखनी चाहिए । यही आपके लिए सही होगा यदि आप अपने मन के अंदर कोई लालसा रखते हैं तो फिर कोई फायदा नहीं है आप कितने भी प्रयास करें । आपका कुछ नहीं हो सकता है वह लालसा आपको फिर से जन्म लेने के लिए विवश कर देगी ।

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