अहंकार का पर्यायवाची शब्द या अहंकार का समानार्थी शब्द (ahankar ka paryayvachi shabd / ahankar ka samanarthi shabd) के बारे में इस लेख में बडे ही विस्तार से बताया गया है। जिसमें अहंकार का अर्थ, वाक्य प्रयोग, रोचक जानकारी आदी है तो लेख देखे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
अहंकार | अभिमान, घमंड, गुमान, गुरूर, आपा, हेकड़ी, दंभ, अहंभाव, अहंमन्यता, अहंकृति, दर्प, अहं, गर्व, अकड़, अहंवाद, डींग, शेख़ी, |
अहंकार in Hindi | abhimaan, ghamand, gumaan, guroor, aapa, hekadee, dambh, ahambhaav, ahammanyata, ahankrti, darp, ahan, garv, akad, ahanvaad, deeng, shekhee. |
ahankar synonyms in english | ego, narcissism, pride, egoism, egotism, flatulence. |
मनुष्य का एक ऐसा भाव जिसमें वह अपने आप को ही श्रेष्ठ समझने लग जाता है और अपने से दूसरो को छोटा मानता है उन्हे मुर्ख समझता है, ऐसी स्थति में स्वयं में अभिमान आ जाता है इसी भाव को अंहकार कहा जाता है । जिसे अनेक नामो से जाना जाता है जो की अंहकार के अर्थ होते है जैसे –
आदी को अहंकार का अर्थ कहा जाता है ।
दोस्तो मनुष्य अपने मन को स्थिर नही रख सकता है और न ही किसी वस्तु का महत्व समझ सकता है । क्योकी संसार में हर उस वस्तु का महत्व होता है जो हमें दिख रही है । और इसी तरह से इस संसार में अनेक तरह के लोग है और उनमे से बहुत ही श्रेष्ठ और विद्वान देखने को मिल जाते है ।
मगर कभी कभी मनुष्य अपने मन में एक भाव बैठा लेता है जो केवल मैं का होता है, वह भाव केवल मैं ही श्रेष्ठ हूं, मैं ही इस काम को कर सकता हूं, मैंरे जैसा कोई नही, मै और कैंवल मै, जैसे भाव को जन्म दे देता है और इसे ही अहंकार कहा जाता है।
दूसरे रूप में
इसे इस तरह से समझ सकते है की मानव अपने जीवन में कभी कभार कुछ ऐसा कर देता है जो दूसरे नही कर सकते और दूसरो से अलग करने के कारण से उसकी खुब वाह वाह होती है । और यही बात उसके दिमाग में बैठ जाती है और वह सोचता है की मैं न होता तो क्या होता है । इस तरह से वह अपने आप पर अभिमान करने लग जाता है और इसे ही अहंकार कहा जाता है ।
तीसरे रूप में इसे इस तरह से समझा जा सकता है की –
वर्तमान में हर किसी को अपना जीवन जीने के लिए धन की जरूरत होती है । मगर ऐसे बहुत से लोग होते है जो रातो रात अमीर बन जाते है । यह कह सकते है की उनके साथ कुछ ऐसा हो जाता है की उन्हे धनवान बना देता है और अधिक पैसे आने पर अपने आपको सबसे अधिक धनवान समझा जाता है ।
यहां तक तो सब ठिक है मगर वही धनवान के अलावा वह समय के साथ ऐसा बन जाता है की वह पैसो के कारण से कुछ भी कर सकता है । इस तरह से पैसो के कारण से उसे घमंड आ जाता है और जिसे अहंकार होना कहा जाता है ।
अत: अहकार एक तरह का भाव है जो किसी भी मनुष्य में आ सकता है और इस स्थिति में केवल मैं ही श्रेष्ठ हूं । मेरे जैसा कोई नही है, आदी तरह की धारणा बन जाती है जिसे अहंकार होना कहा जाता है ।
दोस्तो अहंकार होने के लिए किसी तरह के कारण की जरूरत नही होती बल्की यह एक तरह का भाव होता है जो की किसी में भी आ सकता है । मगर वर्तमान में कुछ कारण होते है जिसके कारण से अहंकार हो जाता है जैसे –
दोस्तो यह एक महत्वपूर्ण कारण होता है की अहंकार आ जाता है मगर सभी के लिए लागू नही होता की जिसके पास धन अधिक होता है वह अहंकारी होता है । बल्की बहुत से धनवान लोग अहंकार के आस पास तक नही रहते है । मगर ऐसा भी देखा गया है की जिस किसी के पास अचानक धन आ जाता है तो वह अपने आप को श्रेष्ठ मानने लग जाता है । इस तरह से धन की अधिकता के कारण से बनने वाले अहंकार को धन का अहंकार कहा जाता है ।
इस स्थिति में मनुष्य अपने धन के कारण से ही ऐसा सोचता है की वह सब कुछ कर सकता है जो वह आज तक नही कर सका । यहां तक की धन अधिक होने के कारण से वर्तमान में जॉब भी मिल जाती है जिसके कारण से अहंकार तो होगा ही ।
दोस्तो आज दुनिया में अनेक तरह के काम होते है जिसे हर कोई नही कर सकता क्योकी हर व्यक्ति अपने जीवन में अलग अलग कार्यो को करने के लिए बना है । और जब कभी कोई साधारण सा व्यक्ति इतना बडा काम कर देता है जिसे कोई भी नही कर सका हो तो इस स्थिति में भी अहंकार आ सकता है ।
क्योकी वह अपने आप में यह सोच बैठा लेता है की अगर मैं नही होता तो यह काम कैसे होता है । और यह मैं शब्द ही अहकार का जन्म करता है । फिर कभी अगर वह व्यक्ति मैं नही होता तो क्या होता, मैंने वह काम किया वरना वह होता ही नही जैसे शब्दो का प्रयोग करता है तो अहंकार की शुरूआत हो गई है यह कहना गलत नही होगा ।
दोस्तो क्या होता है की वर्तमान में जब किसी कार्य को किया जाए और उस कार्य को करने वाला केवल एक ही होता है तो वह अपने आप पर अभिमान करता है मैं जो कर सकता हूं वह कोई नही कर सकता । और इसी कारण से वह अपने कार्य को करने के लिए घमंड दिखाने लग जाता है और अपने कार्य को करने के लिए किमत भी अधिक लेने लग जाता है ।
अगर फिर उस काम को उस व्यकित से नही कराया जाता है तो वह साफ साफ मना कर देता है की मैं यह काम नही कर सकता हूं । क्योकी उसे मालूम है की इस काम को केवल मै ही कर सकता हूं मेरे अलावा कोई नही करता है । इस तरह से वह अपने आप पर नाज करता है की और घमंड बन जाता है । इस तरह से भी अहंकार हो सकता है ।
अंहकार के जन्म होने का कोई विशेष कारण तो होता है मगर उसका पता नही होता और यह हर किसी के लिए लागू भी नही होता है ।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है की जो भी व्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान प्राप्त कर लेता है उसमें अहंकार होने की संभावना उतनी ही कम होती है । और इसी के विपरीत जिस व्यक्ति को ज्ञान नही होता है उसे ही अहंकार प्राप्त होता है और वह अहंकारी बन जाता है ।
इस तरह से अहंकार होता है । मगर यह मनुष्य का शत्रु तब बन जाता है जब मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति को नष्ट करने लग जाता है और केवल मैं ही हूं, मैं ही सर्वसक्तिमान हूं, मैं ही सब हूं, जैसी भावना का जन्म होता रहता है और इसी के साथ सोचने समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है ।
जिस तरह से हम रावण का उदाहरण लेते है तो यह सभी को मालूम है की रावण ज्ञानी था तो अहंकार होना नही चाहिए। मगर जब से उसमें अहंकार रूपी मैं आ गया तब से उसका ज्ञान किसी काम का नही रहा और वह सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर बैठा और मारा गया । इस तरह से कहा जाता है की रावण घमंड के कारण मारा गया था । और इसी तरह से अहंकार मनुष्य का शत्रु कहलाया ।
उमीद करते है की अहंकार का पर्यायवाची शब्द या अहंकार का समानार्थी शब्द लेख आपको पसंद आया होगा ।
क्या आपने अपने जीवन में सबसे अहंकारी व्यक्ति को देखा है? बतान न भूले ।
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