ऐश्वर्य का पर्यायवाची शब्द या ऐश्वर्य का समानार्थी शब्द (aishwary ka paryayvachi shabd / aishwarya ka samanarthi shabd) के बारे में आज हम इस लेख में बडे ही विस्तार से जानेगे । इसके साथ ही ऐश्वर्य से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी हासिल करेगे, तो लेख देखे ।
शब्द (shabd) | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
ऐश्वर्य | वैभव, शोभा, समृद्धि, सम्पन्नता, ईश्वरता, आधिपत्य, धन–संपत्ति, दौलत, विभूति, ईश्वरीय–विभूति |
ऐश्वर्य in Hindi | vaibhav, shobha, samrddhi, sampannata, eeshvarata, aadhipaty, dhan-sampatti, daulat, vibhooti, eeshvareey-vibhooti. |
ऐश्वर्य in english | Opulence, grandeur, magnificence, prosperity, prosperousness, charm, becomingness, decoration, grandeur, magnificence. |
मनुष्य के जीवन में धन दोलत की की अधिकता होने का भाव को ऐश्वर्य के नाम से जाना जाता है । जिसके कारण से ऐश्वर्य के अर्थ होते है ।
आदी को हिंदी में ऐश्वर्य के नाम से जाना जाता है ।
दोस्तो ऐश्वर्य दो तरह के शब्दो से मिलकर बना होता है जिनमें से एक ईश्वर +य होता है । जिसके कारण से जो ईश्वर के पास होता है उसी तरह की स्थिति पर ऐश्वर्य का प्रयोग होता है ।
क्योकी आज हमारी पृथ्वी पर बहुत से ऐसे स्थान होते है जहां पर किसी तरह की कोई कमी नही होती है । वहां पर हर गरीब का पेट भरता है । और जहां गरीब की सेवा होती है वहां पर ईश्वर का वास कहा जाता है । क्योकी ईश्वर के पास किसी तरह की कमी नही होती है । उसके पास धन दोलत की कोई कमी नही होती है ।
जिसके कारण से ऐश्वर्य की परिभाषा होती है –
हमारे भौतिक शरीर के लिए आवश्यक धन दोलत, जमीन जायदाद, शोभा, दौलत आदी की जहां पर अधिकता होती है वहां पर ऐश्वर्य शब्द का प्रयोग होता है । यानि इसे ही ऐश्वर्य कहा जाता है । और यही कारण होता है की ऐश्वर्य का पर्यायवाची शब्द भी धन दोलत, शौभा, जमीन जायदाद आदी को कहा जाता है ।
मनुष्य जीवन में यह सब जरूरी होती है तभी धरती और मनुष्य का विकाश हो सकता है । क्योकी धन दोलती आदी कुछ की कमी भगवान या ईश्वर के पास किसी तरह की कोई कमी नही होती है । जिसके कारण से ही इसे ईश्वरीय-विभूति के नाम से जानते है । क्योकी ईश्वर के पास इनकी हमेंशा से ही अधिकता होती है ।
दोस्तो प्राचिन समय की बात है किसी नगर में एक निर्धन किसान रहा करता था जो की हमेंशा ही अपने खेतो में काम करता था । और जो भी अन्न होता था वह अपने घर में ही रखता था और उसमें से आधा अन्न आश्रम में दान दे दिया करता था । हालाकी वह किसान बहुत ही निर्धन था मगर जो फसल उसके खेत में होती थी वह उसके लिए बहुत ही अधिक थी ।
क्योकि किसान और उसकी पत्नी ही घर में रहा करते थे । इसके अलावा उस घर में ओर कोई नही रहता था । यही कारण था की वह अपना आधा अन्न दान दे देता था । मगर एक बार किसान का इतना अधिक बुरा समय आ गया की उसके खेत में जो भी फसल थी वह जल कर नष्ट हो गई थी।
जिसके कारण से किसान का जीवन और अधिक गरीबी में चल पडा था । मगर अब किसान की हालत इस तरह की हो गई थी की वह एक समय का भौजन भी नही कर पाता था । दरसल किसान जो अन्न दान देता था वह दूर दूर तक आश्रम में जाता रहता था ।
जिसके कारण से जब उस वर्ष आश्रम में धन नही गया तो वहां पर एक साधू को कुछ समझ नही आया । क्योकी हमेंशा ही जो अन्न आता था वह अब क्यो नही हा रहा है। साधू को लगा की वह किसान काफी अधिक मुसीबत में होगा जिसके कारण से साधू ने भी उसकी मदद करने की सोची और इसी सोच के साथ साधू अपना रूप बदल कर किसान के पास चला गया ।
जब किसान ने साधू को देखा था तो वह एक आम आदमी की तरह दिख रहा था । मगर किसान यह नही समझ पाया की वह एक साधू है । मगर फिर भी किसान ने साधू की मदद करनी चाहिए । मगर किसान के घर में कुछ नही था जिसके कारण से किसान ने साधू को पानी पिला दिया और कहा की भाई मेरे घर में अभी खाने को कुछ बनाया नही हुआ है तो आपको में भोजन नही करा सकता हूं ।
साधू बडा ज्ञानी था जिसके कारण से साधू ने तुरन्त किसान से कहा की हे किसान मैं जानता हूं की तुम किस तरह की मुसीबत में फसे हुए हो । इतना कहते हुए साधू ने किसान को एक मटका दिया । और कहा की इसे कल खोलकर देखता है । इतना कह कर साधू वहां से चला गया । कुछ समय बित जाने के बाद में किसान ने सोचा की मटका देख लेना चाहिए ।
मगर तभी किसान को उसकी पत्नी ने कहा की नही उसक व्यक्ति ने कहा था की यह कल ही देखना है तो हमें उसकी बात माननी चाहिए । इस तरह से फिर अगले दिन किसान और उसकी पत्नी ने उस मटके को खोल कर देखा तो वे हेरान रह गए । क्योकी उस मटके में धन की कोई कमी नही थी। मगर किसान ने सोचा की यह कैसा धन है ।
तभी वे उस व्यक्ति की तलास करने लगे ताकी वह मटका वापस दे सके । मगर जब वह व्यक्ति नही मिला तो उन्होने अपने ईश्वर को याद किया और वह मटका उनके चरणो में रख दिया । तीन दिन बित जाने के बाद में किसान को कुछ धन की जरूरत हुई तो उसकी पत्नी ने उसी मटके से धन निकाल कर दे दिया ।
जो की किसान ने खर्च कर दिया । इस तरह से किसान धन को खर्च करने लगा था । मगर वह जैसे ही मटके को फिर से देखते तो वह धन से खाली नही होता था बल्की उसी तरह से भरा हुआ रहता था । यह देख कर किसान ने उस धन को फिर से आश्रम में दान देना शुरू कर दिया और अपने खेतो में फसल भी उगाया करते थे । समय के साथ साथ किसान ने एक बडा महल बना दिया । इस तरह से किसान के घर में धन की कोई कमी नही रही और किसान निर्धन से अमीर हो गया था ।
मगर एक दिन वह मटका गलती से निचे गिर गया जिसके कारण से मटका टुट गया और उसमें जो धन था वह नष्ट हो गया । मगर यह सब देख कर किसान और उसकी पत्नी को जरा भी बूरा नही लगा था । बल्की वे सोचने लगे की अब हम अपनी महेन्त के साथ धन कमाएगे और उसे आश्रम में दान करेगे ।
इस तरह से फिर किसान और उसकी पत्नी ने आपस में बात की वह व्यक्ति कोई ईश्वर ही था जो की हमें मटका देकर गया और हमारे दिन बदल गए । जिसके कारण से हमारे पास ऐश्वर्य की बढोतरी हो गई और आज हम धनवान बन गए ।
मगर तभी किसान को उसकी पत्नी ने कहा की पर हमें कभी भी आश्रम में धन दान देना नही छोडना है क्योकी यह जो कुछ भी हुआ है वह इसी कारण से हुआ है । इसी कारण से हमारे यहां पर ऐश्वर्य की बढोतरी हुई है ।
दोस्तो इस तरह से एक किसान निर्धन हुआ करता था मगर उसके अच्छे कर्मो के कारण से उसके पास भी ऐश्वर्य की बढोतरी हो गई ।
इस तरह से एश्वर्य का पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द के बारे में आज हमने इस लेख में बडे ही विस्तार से जान लिया है ।
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