अल्पायु का विलोम शब्द या अल्पायु का विलोम , अल्पायु का उल्टा क्या होता है ? Alpayu ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
अल्पायु | दीर्घायु, चिरायु |
Alpayu | Dirghayu, Chirayu |
अल्पायु का विलोम शब्द होता है चिरायु । दोस्तों जो इंसान कम उम्र के अंदर ही मर जाता है या जिसकी उम्र कम होती है उसके लिए अल्पायु शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह निर्धारित करना बहुत ही कठिन है कि कौनसा इंसान अल्पायु होगा और कौनसा इंसान चिरायु होगा ?
वैसे वह इंसान बिरला ही होता है जोकि अल्पायु को चाहता है। हर इंसान की इच्छा होती है कि वह पूरी उम्र लेकर ही मरें। वह पूरी 100 साल जीये लेकिन असल मे आजकल हर किसी की उम्र 100 साल नहीं होती है। खाने पीने की चीज इतनी जहरीली हो चुकी हैं कि इंसान 60 साल की उम्र के अंदर ही मर जाता है।
और यदि हम आज के हालात की बात करें तो 60 साल भी लोग पकड़ नहीं पाते हैं। क्योंकि इंसान के शरीर को बीमारियां इतनी लगी होती हैं कि वह उसे एक ना एक दिन नष्ट करके ही छोड़ती हैं। अल्पायु इंसान क्यों होता है इसका कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि इंसान का यह जन्म उसके पहले के जन्म का परिणाम होता है। यह एक गूढ रहस्य है कि यह किस तरह से काम करता है लेकिन यह होता जरूर है। अल्पायु के अंदर जब कोई इंसान मर जाता है तो उसका शौक मनाया जाता है। अल्पायु के अंदर मरे हुए इंसान के घर बहुत अधिक रोना रोया जाता है।
एक तरह से अल्पायु के अंदर मरे हुए इंसान को अच्छा नहीं माना जाता है। और यह भी विश्वास है कि जो इंसान अल्पायु के अंदर मर जाता है उसकी इच्छाएं शेष रह जाती हैं और उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह प्रेत बन जाता है। जिसकी शांति आवश्यक होती है।
लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। बहुत सारे लोग जोकि अल्पायु के अंदर मर जाते हैं लेकिन वे प्रेत नहीं बन पाते हैं। इसका कारण यह होता है कि वे जब शरीर के अंदर होते हैं तो वे हमेशा अच्छे कर्म करते हैं। इस वजह से वे देवता बन जाते हैं।
लेकिन जो लोग बुरे कर्म करते हैं वे मरने के बाद प्रेत बन जाते हैं और घर वालों का यह दायित्व बनता है कि वे उस प्रेत को शांत करने के लिए कुछ उचित उपाय करें। लेकिन अधिकतर केसों मे यह देखा जाता है कि मरने के बाद घरवाले भी भूल जाते हैं और वह घर का सदस्य प्रेत बनकर भटकता रहता है।
यदि आपके घर मे भी कभी कोई अल्पायु के अंदर मरा है तो आपको चाहिए कि आप उसकी आत्मा की शांति के लिए उचित कदम उठाएं । और यदि वह प्रेत बन गया है तो आपका कत्तर्व्य बनता है कि आप उसको प्रेत से मुक्त करवाने का काम करें। क्योंकि वह इस योनी के अंदर बहुत अधिक कष्ट भोगता है।
अल्पायु के अंदर मरना बुरा नहीं है लेकिन यदि आप बुरे कर्म करते हैं तो फिर उन कर्मों का हिसाब लेने के लिए भी आपको तैयार रहना होगा । इंसान की यादे ही मौत के बाद उसकी दुश्मन बन जाती हैं। जो यादें पहले किसी दुसरे की दुश्मन थी वे अंत मे खुद उसी इंसान की दुश्मन बन जाती हैं।
यह एक तरह से नैचुरल नियम है और इसी को प्रकृति का इंसाफ कहते हैं। काले कोट वालों को भी अपने कर्मों का हिसाब देना होता है जोकि दूसरों का हिसाब करते हैं।
दोस्तों चिरायु का मतलब होता है जो लंबे समय तक जीता है उसको चिरायु कहा जाता है। आज हर इंसान चिरायु होना चाहता है। हम लोग वासनाओं के अंदर इतने अधिक अंधे हो जाते हैं कि उनको छोड़कर भी नहीं जाना चाहते हैं। हम सभी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि जीवन दुख है लेकिन उसके बाद भी हम इस जीवन को छोड़कर नहीं जाना चाहते हैं। इसका कारण यही है कि दूसरे जीवन को हमने अनुभव नहीं किया है। जब तक कि हम दूसरे जीवन का अनुभव नहीं कर लेते हैं तब तक हमे दूसरे जीवन पर यकीन नहीं हो पाता है।
दोस्तों चिरायु होना एक अच्छी बात हो सकती है। जितना हमारा जीवन बच सकता है उतना हमे बचाने का प्रयास करना चाहिए । लेकिन यदि जीवन बूढ़ा हो चुका है तो उसके बाद आयु के अधिक होने की कामना नहीं करनी चाहिए । क्योंकि आपका शरीर ही मरेगा आप कभी भी नहीं मरने वाले हैं। जिस तरीके से पुराने कपड़ों को छोड़कर हम नए कपड़े धारण करते हैं इसी तरीके से आत्मा भी पुराने शरीर का त्याग करके नए शरीर को धारण करती है। दोस्तों आपको यह जानकार हैरानी होगी कि कई बार चिरायु होना भी दुखदाई हो सकता है।
एक ऐसी ही महिला है जिसकी उम्र यही कोई 70 साल के आस पास है लेकिन समस्या यह है कि उसके दोनो पैर टूट चुके हैं । वह चल फिर सकती नहीं है। उसको सब कुछ बैठे बैठे ही चाहिए होता है। ऐसी स्थिति के अंदर वह अपने जीवन से काफी अधिक दुखी हो चुकी है। अब इस तरह की महिला को आप क्या कह सकते हैं ? वह सिर्फ एक महिला नहीं है। इस धरती पर बहुत सारे ऐसे लोग हैं जोकि लाचार हैं।
आपने एक नाम सुना ही होगा कि चलती का नाम गाड़ी होता है। जब तक गाड़ी चलती है उसका अच्छे से ख्याल रखा जाता है लेकिन जैसे ही गाड़ी का चलना बंद हो जाता है हम उसे कबाड़ मे बेच देते हैं । यही बात इंसान पर लागू होती है।
इंसान के हाथ पैर सलामत हैं तो सब कुछ सही तरीके से चलता रहेगा । लेकिन एक बार वह बैठ गया तो फिर उसकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं रह जाएगा । कारण यह है कि आज के जमाने मे किसी के पास इतना समय नहीं है।
प्राचीन काल के अंदर कई तपस्वी चिरायु होने का वरदान मांग लेते थे। अब शरीर की तो उम्र होती है लेकिन शरीर एक उम्र को बाद दुख देने लग जाता है तब हर इंसान चाहता है कि वह अब मर जाए तो सब ठीक हो जाए। लेकिन वरदान अमर होने का है तो मौत कैसे आएगी ।
अब यदि आपको भी भगवान वरदान मांगने को कहें तो कभी भी चिरायु होने का वरदना मत मांग लेना वरना काफी समस्या झेलनी पड़ेगी आपको पता होना चाहिए कि मौत आपके लिए एक विश्राम की तरह होती है। आप यदि जीते ही रहेंगे तो विश्राम कभी भी नहीं कर पाएंगे ।
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