अंधकार का विलोम शब्द क्या होता है ? अंधकार का उल्टा , अंधकार का विपरित शब्द क्या होता है ? andhkar ka vilom shabd
शब्द (word) | विलोम(apposition) |
अंधकार | प्रकाश |
Andhkar | Prakash, Aalok |
वैसे अंधरे का मतलब होता है जहां पर प्रकाश नहीं है वहां पर अंधेरा होता है।जैसे आपने काली रात तो देखी ही होगी । काली रात मे काफी अंधकार होता है। यही तो अंधेरा है। लेकिन अंधेरे का कव्यात्मक अर्थ भी होते हैं। जैसे किसी को कुछ नहीं आता है तो उसकी जिंदगी के अंदर अंधेरा है ऐसा कहा जाता है। इसी प्रकार से अंधेरे का मतलब होता है जहां पर शिक्षा का प्रकाश नहीं हो वहां पर अज्ञान का अंधेरा होता है। शिक्षा ही तो अज्ञान के अंधेर को मिटा सकती है। और जिस स्थान पर अज्ञान होता है वहां पर अज्ञानता से मूर्खता पूर्ण निर्णय लिये जाते हैं।
अंधकार का मतलब असफलता से भी होता है।जब आप किसी कार्य के अंदर असफल हो जाते हैं तो आमतौर पर कहते हैं कि मेरा जीवन अंधकार के अंदर चला गया है। और आमतौर पर आजकल तो हर स्टूडेंट के साथ यही हो रहा है।
हर माता पिता चाहता है कि उसका बच्चा पढ़ लिखकर नौकरी लग जाए और उसके बाद वह आराम से जीवन जिए ।
लेकिन आप तो जानते ही हैं कि इस देश का हर बच्चा नौकरी लग गया तो खेती कौन करेगा ? और खेती नहीं होगी तो अनाज कहां से आएगा ? आप समझ सकते हैं कि नौकरी के लिए सब लोग नहीं बने होते हैं। इसलिए व्यर्थ के अंदर ही वे नौकरी की चिंता करते हैं।
इस प्रकार से आप अंधकार का मतलब समझ चुके होंगे ।जहां पर अंधकार होता है वहां पर नकारात्मकता होती है। क्योंकि अंधकार को नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।
प्रकाश या दृश्यमान प्रकाश विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के हिस्से के भीतर विद्युत चुम्बकीय विकिरण है जिसे मानव आंख द्वारा देखा जा सकता है।दृश्यमान प्रकाश को आमतौर पर 400–700 nm,एनएम की सीमा में तरंग दैर्ध्य के रूप में परिभाषित किया जाता है।पृथ्वी पर प्रकाश का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य का प्रकाश ऊर्जा प्रदान करता है जिसका उपयोग हरे पौधे ज्यादातर शर्करा के रूप में शर्करा बनाने के लिए करते हैं, जो ऊर्जा को जीवित चीजों में छोड़ते हैं जो उन्हें पचता है। प्रकाश संश्लेषण की यह प्रक्रिया जीवित चीजों द्वारा उपयोग की जाने वाली लगभग सभी ऊर्जा प्रदान करती है।
मनुष्यों के लिए प्रकाश का एक अन्य महत्वपूर्ण स्रोत रहा है, प्राचीन कैंपफायर से लेकर आधुनिक मिट्टी के दीपक तक। इलेक्ट्रिक लाइट और पावर सिस्टम के विकास के साथ, इलेक्ट्रिक लाइटिंग ने प्रभावी ढंग से फायरलाइट की जगह ले ली है। जानवरों की कुछ प्रजातियां अपना स्वयं का प्रकाश उत्पन्न करती हैं जिसे बायोलुमिनेसेंस कहा जाता है।
भौतिकी में, ‘प्रकाश’ शब्द कभी-कभी किसी भी तरंग दैर्ध्य के विद्युत चुम्बकीय विकिरण को संदर्भित करता है।गामा किरणें, एक्स-रे, माइक्रोवेव और रेडियो तरंगें भी हल्की हैं। सभी प्रकार के विद्युत चुम्बकीय विकिरण की तरह, दृश्यमान प्रकाश तरंगों के रूप में फैलता है।
प्राचीन काल की बात है । एक गांव के अंदर सभी अज्ञानी लोग रहा करते थे । उन्होंने आज तक किसी भी तरह की शिक्षा नहीं ली थी। बस वे एक जानवर की तरह जीवन जीते थे । वे बस उठते और काम करते खाते पीते और बच्चे पैदा करते और इसी प्रक्रिया के अंदर मर जाते थे ।
उनको नहीं पता था कि जीवन क्यों है और जीवन के अंदर क्या सबसे अधिक जरूरी है? और वे यह भी नहीं जानते थे कि इंसान मरने के बाद क्या करता है कहां जाता है क्या होता है क्यों होता है ?
एक बार जब इस गांव से एक साधु गुजरे तो उन्होंने गांव वालों के अंदर एक जबरदस्त संभावना देखी । भले ही वह अनपढ़ों का गांव था लेकिन वे इस बात को स्वीकार करते थे कि उनको नहीं आता है। और सीखने के लिए यह सबसे बड़ी संभावना होती है।
उस साधु ने सभी गांव वालों को एकत्रित किया और कहा ……….मैं इस गांव को एक नई उंचाई पर लेकर जाना चाहता हूं ।अब तुम कभी भी अनपढ़ नहीं रहोगे तुम्हें मैं वो ज्ञान दूंगा जो आज तक तुम नहीं जान पाये हो ।
साधु की बात सुनने के लिए गांव के सभी लोग आए थे । वे यह सुनकर खुश हो गए कि साधु उनको भी शिक्षित करने के लिए तैयार हो चुका है।उसके बाद साधु ने वहां पर एक धार्मिक स्कूल खोला और लोगों को उनके जीवन का मर्म समझाने लगा । जल्द ही साधु ने 5 ऐसे शिष्य तैयार कर दिये जोकि 5 अलग अलग आयामों को जानते थे ।
उन 5 शिष्यों को ज्ञान देने के बाद वह साधु अन्यत्र चला गया और उसके बाद उन 5 शिष्यों ने गांव वालों को प्रशीक्षण देना शूरू कर दिया था। और कुछ ही दिनों के अंदर गांव का पूरा माहौल बदल चुका था। पहले गांव के लोग खाने के लिए जीते थे अब वे जीने के लिए खाने लगे थे। पहले वे सोचते थे कि जीवन सिर्फ उतना ही है जितना की आंखों से दिखाई देता है लेकिन अब उनको पता चल चुका है कि जीवन उतना ही नहीं है। जितना की दिखाई देता है। जीवन के रहस्य को वे जान चुके थे । अब उनको लग रहा था कि वे सही मायने के अंदर इंसान हैं।
क्योंकि आप तभी सही मायने के अंदर इंसान होते हैं जब आप अंधकार से होकर प्रकाश की तरफ बढ़ते हैं।यदि आप इंसान हैं और आप भी वही काम कर रहे हैं जो पशु कर रहे हैं तो फिर आपके इंसान होने का कोई भी फायदा नहीं है ? लेकिन यदि इंसान होकर आप वह कार्य कर रहे हैं जो सिर्फ एक इंसान ही कर सकता है। खास कर अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल करके अपनी प्रकृति तक पहुंचना तो वास्तव मे आप एक इंसान होने का पूरा फायदा ले रहे हैं।
क्योंकि एक इंसान अपनी क्षमताओं से यह जान लेता है कि जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह मात्र भाव है और यह बस नष्ट होने वाला है।यहां पर कुछ भी स्थाई नहीं है।
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