अंत का पर्यायवाची शब्द या अंत का समानार्थी शब्द (ant ka paryayvachi shabd / ant ka samanarthi shabd) के बारे में दोस्तो इस लेंख में हम बात करेगे । इसके अलावा अन्त का अर्थ और अन्त के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा करेगे तो लेख को देखे ।
शब्द (shabd) | अंत का पर्यायवाची शब्द या अंत का समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
अन्त | समापन, अवमान, समाप्त, इति, पर, छोर, पूर्ण, समाप्ति, मौत, मरण, स्वर्गवास, विनाश, खत्म, देहांत, परिणाम, अंजाम, मरण, संहार, नाश, |
ant | samaapan, avamaan, samaapt, iti, par, chhor, poorn, samaapti, maut, maran, svargavaas, vinaash, khatm, dehaant, parinaam, anjaam, maran, sanhaar, naash. |
end | end, ending, conclusion, finish, closing, cessation, Death doom, termination, homestretch, close, omega, expiry, letup, evanishment, expiration, extremity, surcease. |
दोस्तों अंत शब्द का अर्थ सामन्य रूप में समाप्त होना होता है । यानि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो उसे समाप्त होना या उसका अंत होना कहा जाता है । इस रूप में मरना भी अंत का अर्थ होता है । इसके अलावा भी अंत शब्द कें अनेक अर्थ है जो है –
इस तरह से अंत का अर्थ समाप्त से होता है और इसे समाप्त होना भी कहा जाता है जो अंत होना का अर्थ होता है । इस तरह से अंत का अर्थ खत्म होने से भी है ।
मुहावरा – अंत भला तो सब भला।
मुहावरे का अर्थ – यदी कार्य का अंत अच्छा होता है तो सब अच्छा होता है ।
मुहावरे का वाक्य में प्रयोग – राजवीर कई दिनो से डाकूओ के चगुल में फसा था मगर अंत में उन डाकूओ को पूलिस ने पकड लिया और राजवीर वहां से रिहा को गया सच है अंत भला तो सब भला ।
पृथ्वी कें अंत के बारे में अनेक बाते बताई गई है और अलग अलग धर्मो में इसका अंत अलग अलग रूप में बताया गया है । जो है –
अंत समय आने पर पृथ्वी की पूरी तरह से तबाही बताई गई है और यह अंत कलयुग कें अंत मे शुरू होगा क्योकी कलयुग में मनुष्य स्वार्थी बन जाएगा और एक समय ऐसा आएगा की पृथ्वी पर पाप की सख्या इतनी अधिक बढ जाएगी की उसे काबू में करना संभव नही होगा । उस समय भगवान विष्णु का एक अवतार जन्म लेगा यह पहले ही पुराणो में बताया जा चुका है । और इस विष्णु के अवतार का नाम कल्की अवतार होगा । मगर पाप की अधिकता होने के कारण से इस अवतार कें बाद पृथ्वी का भी अंत हो जाएगा ।
कलयुग के इस अंत के समय में पृथ्वी पर पाप के साथ साथ सूर्य का तेज अधिक हो जाएगा जिसे हर कोई सहन नही कर सकेगा और यहां तक की पानी की कमी भी हो जाएगी । अंत मे एक समय ऐसा होगा जब पृथ्वी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी और यहां पर एक भी जीव देखने को नही मिलेगा ।
इस्लाम में बताया गया है की पृथ्वी का अंत मुहर्रम की 10 वी तारीख इस्लामिक कलेंडर शुक्रवार का दिन होगा । और इस दिन सूर्य पूर्व से नही निकलेगा बल्की वह पश्चिम से निकलेगा और धरती के सूर्य इतना अधिक नजदिक होगा की धरती तपती हुई पितल की बन जाएगी । और यही दिन इस्लाम के अनुसार पृथ्वी पर जीवन का आखरी दिन होगा ।
सर आइजक न्यूटन नामक एक वैज्ञानिक ने जिन्होने गुरूत्वाकर्षण बल की खोज की थी ये वही न्यूटन है । और इन्होने बताया है की 2060 का समय पृथ्वी के जीवन का अंतिम समय होगा क्योकी इस वर्ष में इतनी भगयानक तबाही आएगी की सभी जीवो का अंत हो जाएगा । इस तरह से कहते हुए न्यूटन ने पृथ्वी कें अंत का समय 2060 बताया है ।
दोस्तो हिंदू ग्रंथो के अनुसार गंगा एक देवी है जो की विष्णु भगवान के पास से पृथ्वी पर आई है । इसी कारण से कहा जाता है की जब गंगा नदी का अंत होगा तब वह वापस विष्णु भगवान के पास वैकुण्ठ मे चली जाएगी ।
गंगा नदी का अंत कलयुक के 5000 वर्षो के बाद में होगा और इस समय में गंगा नदी का पानी उल्टी दिशा में बहता हुआ वापस बंद हो जाएगा । और यही समय गंगा नदी कें अंत का होगा । साथ ही बताया जाता है की स्वयं भगवान विष्णु भी कलयुग में कल्की अवतार लेकर पृथ्वी पर आएगे । और इस तरह से गंगा नदी का अंत होने का कारण पाप का अधिक बढ जाना है और इसी को कम करने के लिए विष्णु का अवतार होगा ।
हिंदू ग्रंथो के अनुसार पृथ्वी पर जो आता है उसे एक दिन मरना ही पडता है । यही कारण है की पृथ्वी पर जीस मनुष्य का जन्म होता है वह एक दिन मर जाता है । आखिर यह अंत क्यो होता है आइए जानते है –
दोस्तो जब मनुष्य का जन्म होता है तो उसे कुछ पता नही होता और वह एक अनजान की तरह अपना जीवन व्यतित करता हुआ बडा होता जाता है । और इसी तरह से जब वह कुछ बडा होता है तो उसे समझ में आने लगता है और वह दूनिया की चिजो को सिखता हुआ आगे बढता है ।
इसके साथ जब वह थोडा और बडा होता है तो वह अपने जीवन के अहम फैसले लेने लग जाता है और पूरी तरह से इस दूनिया के मायजाल में फस जाता है । मगर इस बिच में वह अपने पूरे जीवन में अपने शरीर को कष्ट देता है और कभी बिमार भी होता है जिसके कारण से शरीर कमजोर होता जाता है ।
और एक समय ऐसा आता है की मनुष्य का शरीर इतना अधिक बिमार हो जाता है की वह थकने लग जाता है किसी काम को कर नही सकता । एक शब्द में कहे तो शरीर की उम्र होने लग जाती है और इस उम्र के बाद में शरीर का नष्ट की और कदम बढता है ।
इस तरह से यह शरीर मनुष्य के लिए दुखो का एक साधन बन कर रह जाता है यानि इसका फायदा कम होता है और दूख ज्यादा आते है । यही कारण है की इस शरीर को नष्ट करना पडता है । जिसके लिए आत्मा निकल कर शरीर से बाहर आ जाती है और मनुष्य के शरीर का अंत हो जाता है । इसी के साथ मनुष्य का भी अंत होता है मगर आत्मा जीवित बनी रहती है ।
मनुष्य का अंत होने का कारण यही रहता है की आत्मा शरीर की कमजोरीयो के कारण से सही तरह से जीवन यापन नही कर सकती है जिसके कारण से आत्मा को पून: जीवन लेने के लिए इस शरीर को छोडना पडता है ।
दोस्तो वर्तमान में कलयुग ही चल रहा है और इस काल का अंत बहुत ही भयानक रूप के साथ होगा । क्योकी अनेक ग्रंथो में बताया गया है की कलयुग का समय जैसे जैसे बढता जाएगा वैसे वैसे मानव मतलबी और सता का हकदार होगा । जिसके कारण से वह धन की लालच मे दूसरो को नुकसान पहुचाने से भी सकोच न करेगा ।
इसी के साथ जो लोग अपने धर्म पर चलते है कलयुग के बढने के साथ धर्म पर चलने वाले लोगो की कमी आने लगेगी । यानि लोग अधर्मी हो जाएगे और धर्म पर विश्वास नही करेगे । यही से कलयुग कें अंत की शुरूआत हो जाती है ।
इसी तरह से महर्षि व्ययास जी और ब्रहमा जी ने बताया की कलयुग के समय लोग अपने धर्म को नष्ट करने मे भागिदारी होगे और स्त्री का समान कोई नही करेगा । यहां तक की गुरूओ को जो मान समान दिया जाता है वह नही रहेगा । कलयुग मे धन की पूजा होगी जिसके पास धन है वही सब कुछ होगा ।
अंत के समय देशो के बिच में बडे भयानक युद्ध होगे जिसके कारण से बहुत जातियो का नाश हो जाएगा । इस बिच में सबसे बडा रूप यह देखने को मिलेगा की कलयुग के समय में लोगो की आयु घट कर 30 के आस पास पहुचं जाएगी । पानी की कमी भी होने लगेगी और इसी बिच में एक बडा रूप देखने को मिलेगा की गंगा नदी तक सुख गई है ।
और यह नदी कलयुग के 5000 वर्षो के बाद मे सुखेगी । इसके अलावा कलयुग मे चारो और पाप होगा लोग पानी की बूंद बूंद तक के लिए तड़पने लगेगे । चारो और खुन की धारा दिखेगी चोर भी चोरी कर कर थक जाएगे क्योकी चोरो की संख्या अधिक हो जाएगी और वे आपस मे ही चोरिया करते रहेगे ।
इस समय सत्य का कोई महत्व नही होगा क्योकी धर्म तक नष्ट हो जाएगे । और लोग किसी भी प्रकार के धर्म को नही मानेगे । संक्षिप्त में कहे तो कलयुग के समय मे चारो और अधर्म ही होगा किसी को किसी प्रकार के लोगो से कोई मलतब नही होगा बल्की सभी अपने मलतब के लिए ही जीवन जीएगे और इसके लिए दूसरो को जान से भी मार देगे ।
और एक समय में गुरूओ का आदर उनके शिष्य तक नही करेगे । उस समय कलयुग का अंत शुरू हो जाएगा । पूराणो मे बताया जाता है की अंत समय मे मनुष्य की उम्र कम होने के साथ साथ उनका कद भी घटता जाएगा । इसके अलावा खाने के लिए भोजन की कमी होगी क्योकी लोग फसल उगाएगे नही ।
इसके अलावा धरती पर फसल होगी नही । क्योकी उपजाऊ अंश पृथ्वी के अंदर समाते चले जाएगे । साथ ही पानी की कमी से जो सफल होगी वह नष्ट हो जाएगी । इस तरह से कलयुग का अंत बडा भयानक है ।
दोस्तो अंत शब्द का अर्थ समाप्त से होता है अगर किसी वस्तु की समाप्ति होती है तो उसे अंत कहा जाता है । यह शब्द समाप्ती होने के बारे में बताता है जैसे की कलयुग का अंत, पृथ्वी का अंत, मानव का अंत, गंगा नदी का अंत, आदी सभी समाप्ति के रूप को बताते है ।
यानि गंगा नदी के अंत का अर्थ है की गंगा नदी का पानी नष्ट हो जाएगा । और कलयुग का अंत होने का अर्थ होगा की कलयुग का समय समाप्त हो जाएगा इसी तरह से मानव का अंत होने का अर्थ होता है की धरती पर मानव नही रहेगा।
इस तरह से अंत शब्द जोडने से किसी वस्तु या स्थान की समाप्ति की और इशारा होता है ।
इस तरह से हमने अंत का पर्यायवाची शब्द या अंत शब्द का समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया साथ ही अंत शब्द से जुडी जानकारी हासिल कर ली है ।
क्या आपने कभी अंत शब्द का अपने जीवन में प्रयोग किया है? बताना ना भूले ।
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