argala stotram benefits in hindi अर्गला स्तोत्र के लाभ के बारे मे हम आपके बताने वाले हैं। नवरात्रि के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। नवरात्रि के अंदर माता रानी की पूजा की जाती है और इस पूजा की मदद से माता की कृपा को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा माता रानी के जो भगत होते हैं वे 9 दिन लगातार व्रत भी करते हैं तो कुछ पहला और अंतिम नवरात्रा ही करते हैं। अश्विन महीने में पड़ने वाली नवरात्रि तिथि के पूरे 9 दिनों तक माता दुर्गा के अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है
आपको बतादें कि नवरात्रि के अंदर कई तरह की पूजा पाठ होती है तो यहां पर हम आपको अर्गला स्तोत्रम पढ़ने के फायदे के बारे मे बताने वाले हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं इसके बारे मे ।
अर्गला स्तोत्रम के फायदे के बारे मे जानने के बाद हम आपको यह बताने का प्रयास करेंगे कि किस तरह से आप इसको पढ़ सकते हैं और इसकी मदद से आपको क्या क्या फायदा मिल सकता है।
दोस्तों यदि आप argala stotram का पाठ करते हैं तो इसका एक फायदा यह भी होता है कि इसकी मदद से आपको धन लाभ मिलता है। यदि आपके यहां पर धन की कमी है। घर मे धन नहीं आ रहा है तो फिर आपको argala stotram का पाठ करना चाहिए । इसका पाठ करने से धन की घर मे कमी नहीं होती है। और फिर आप अपने जीवन को सुखी से जी सकते हैं वैसे भी धन के बिना आजकल कुछ भी नहीं होता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
argala stotram का आपको निरंतर पाठ करना होगा । उसके बाद आप देखेंगे कि किस तरह से आपके यहां पर धन आता है। यह एक अच्छा उपाय है जिसका प्रयोग आप कर सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा ।
दोस्तों यदि आपको किसी काम के अंदर सफलता नहीं मिल रही है तो इसके अंदर भी argala stotram काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । रोजाना argala stotram का पाठ करें । उसके बाद देखेंगे कि आपके जीवन के अंदर किस तरह से सफलता मिलती है। आप इस बात को समझ सकते हैं। तो आपको इसका लाभ उठाना चाहिए ।
दोस्तों अर्गला स्तोत्रम के लाभ की यदि हम बात करें तो आपको बतादें कि यह आपकी नौकरी के अंदर सफलता दिलाता है। यदि आपकी नौकरी नहीं लग रही है तो फिर आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । ऐसा करने से आपको नौकरी मे काफी सफलता मिलेगी । और कुछ लोगों को नौकरी के अंदर तरक्की नहीं मिलती है तो उनको भी अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । जिससे कि उनकी नौकरी मे तरक्की हो जाएगी । यह एक सरल उपाय है।
दोस्तों अर्गला स्तोत्रम का बिजनेस के अंदर भी काफी अधिक फायदेमंद होता है। यदि आपका बिजनेस नहीं चल रहा है तो आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । जिससे कि आपके बिजनेस की समस्याएं दूर हो जाएंगी । अपने बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए भी आप अर्गला स्तोत्रम का पाठ कर सकते हैं। यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
यदि आपके बिजनेस के अंदर घाटा हो रहा है तो भी आप इस स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
दोस्तों आपको बतादें कि अर्गला स्तोत्रम दिमाग को तेज करने का काम करता है। यदि आप अपने दिमाग की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो फिर आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । और आपका दिमाग भी इसकी मदद से तेज होगा तो फिर आप किसी भी काम के अंदर आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
दोस्तों अर्गला स्तोत्रम के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह आपकी मनोकामनाएं को पूर्ण करने का काम करता है। इसका अर्थ यह है कि यदि आपकी कोई कामना पूर्ण नहीं हो रही है तो भी आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । इसका पाठ करने से आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
दोस्तों यदि आप माता के भगत हैं तो फिर आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । इसका पाठ करने से माता प्रसन्न होती है। और जब माता प्रसन्न होती है तो वह अपने पुत्रों के सारे दुख को दूर कर देती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । तो यदि आप माता को प्रसन्न करना चाहते हैं तो फिर आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ जरूर ही करना चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं।
दोस्तों अर्गला स्तोत्रम के अन्य फायदों के बारे मे यदि हम बात करते हैं तो आपको बतादें कि यदि आप ऐसा करते हैं तो आप कई तरह के रोगों से बहुत ही आसानी से बच जाते हैं। कहा जाता है कि पहला सुख निरोगी काया होता है। और यदि काया ही निरोगी नहीं होगी तो उसके बाद आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसलिए आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । यदि आप किसी तरह के रोग से परेशान हैं तो यह उपाय आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है।
अर्गला स्तोत्रम का पाठ करने से आपका जो भयंकर से भयंकर रोग होता है वह नष्ट हो जाता है और उसके बाद आपका जो शरीर है स्वस्थ हो जाता है आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
इसके अलावा इस स्त्रोत का पाठ करने के और भी बहुत सारे फायदे होते हैं। जिसके बारे मे भी हम आपको बता रहे हैं।
अर्गला स्त्रोतम के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह आपके मन को शांति देने वाला होता है। मतलब यह आपके मन को शांत करता है। जैसे कि आपके मन के अंदर काफी अधिक उथल पुथल मची हुई हैं तो अर्गला स्त्रोत का पाठ करने से मन शांत हो जाएगा । और मन को शांति मिलने से आप अपने काम को काफी बेहतर ढंग से कर पाएंगे ।
दोस्तों अर्गला स्त्रोतम का पाठ के फायदे के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह मन को एकाग्र करने का काम करता है। यदि आपके मन मे एकाग्र क्षमता की काफी कमी हो चुकी है तो फिर आपको अर्गला स्त्रोतम का पाठ करना चाहिए । यह आपके मन को एकाग्र करने का काम करता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं । यही आपके लिए सही होगा ।
दोस्तों यदि आपको यश को प्राप्त करना है तो फिर आपको अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । ऐसा करने से आपको यश प्राप्त होगा । और आपकी मनोकामना पूर्ण होगी । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
दोस्तों माता दुर्गा को युद्ध की देवी माना जाता है। यदि आपका किसी से युद्ध चल रहा है। मतलब झगड़ा चल रहा है तो भी आपको अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । इसकी मदद से आप कोर्ट केस आदि के अंदर विजय प्राप्त करते हैं। क्योंकि इसकी वजह से आपको माता का आशीर्वाद मिलता है आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
प्राचीन काल के अंदर जब सेनिक युद्ध के अंदर जाते थे तो इस देवी का पाठ करके जाते थे जिससे कि काफी अधिक फायदा होता था और वे युद्ध मे विजय प्राप्त करते थे।
दोस्तों यदि हम अपने शत्रुओं की वजह से काफी अधिक परेशान हैं तो फिर यह उपाय कर सकते हैं। यह आपको अपने शत्रुओं का नाश करने मे काफी हद तक मदद करता है। और यदि आपके शत्रु आपको काफी अधिक परेशान कर रहे हैं तो यह उपाय आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । आप शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने मे सक्षम हो जाएंगे ।
दोस्तों अर्गला स्तोत्र के लाभ के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि अर्गला स्त्रोत जीवन के अंदर मौजूद बुराइयों को दूर करने का काम करता है। आप इस बात को समझ सकेते हैं। यदि आपके जीवन के अंदर कई तरह की बुराइयां हैं तो आपको अर्गला स्तोत्र का पाठ करना चाहिए । यह जीवन की नकारात्मकता को भी दूर करने का काम करता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
दोस्तों अर्गला स्तोत्र अच्छे जीवन साथी को प्राप्त करने मे काफी हद तक मदद करने का काम करता है। यदि आप अच्छे जीवन साथी को प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर आपको चाहिए कि आप इस अर्गला स्तोत्र का पाठ करें । वैसे भी आजकल हर कोई अच्छे जीवन साथी का सपना देखता है। और यह जरूरी भी होता है। यदि खराब जीवन साथी मिल जाता है तो पूरी जिदंगी मे परेशानी का सामना करना पड़ता है।
सुंदरता हर किसी को चाहिए होती है।और यदि आप भी अपनी सुंदरता को बढ़ाना चाहते हैं तो फिर आपको अर्गला स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। अर्गला स्त्रोत का पाठ करने से आपकी सुंदरता के अंदर भी बढ़ोतरी होती है।
यदि आपको किसी काम के अंदर सफलता नहीं मिल रही है तो फिर आपको अर्गला स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए । इसका पाठ करने से आपको काम के अंदर सफलता मिलने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं और आप इस बात को समझ सकते हैं और यही आपके लिए सही होगा ।
॥ अथार्गलास्तोत्रम् ॥
ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमन्त्रस्य विष्णुर्ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः
श्रीमहालक्ष्मीर्देवता श्रीजगदम्बाप्रीतयेसप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः॥
ॐ नमश्चण्डिकायै॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥1॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते॥2॥
मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥
महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥
रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥
वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥
अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥10॥
चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥
सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥
प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥
इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥
देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥
देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥
इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥
॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
दोस्तों यदि हम अर्गला स्त्रोत के पाठ करने की विधि के बारे मे बात करें तो इसकी विधि काफी अधिक सरल है और आसानी से हम यह कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
सबसे पहले आपको देवी के सामने सरसों के तेल का दीपक को जलाना होगा ।
उसके बाद आपको देवी का ध्यान करना होगा । और उनको पुकारना होगा ।
argala stotram करने का आपको संकल्प लेना होगा । और उसके बाद आपको अपनी इच्छा को देवी को कहनी होगी ।
इसके अंदर आपको तांत्रिक नहीं वरन मंत्र शक्ति का प्रयोग करना होगा तभी यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद हो सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
इसको आपको कम से कम तीन बार और 7 बार पाठ करना चाहिए । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
इसके अलावा काले तिलों से आपको यज्ञ करना होगा और शहद की आहूती देनी होगी ।
आप इस स्त्रोत का पाठ दिन मे सुबह सुबह कर सकते हैं। जिससे कि आपको काफी अधिक फायदा होगा ।
दोस्तों अर्गला स्तोत्रम के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि इसको मार्कंडेय ऋषि ने लिखा था और इसके अंदर कुल 28 श्लोक हैं ।आप देख सकते हैं। इसके बारे मे हमने आपको उपर अच्छी तरह से बता दिया है।
अर्गला स्तोत्रम के फायदे के बारे मे हमने आपको उपर बताया है। अर्गला स्तोत्रम का पाठ करने से आपको बहुत सारे फायदे हो सकते हैं। इसकी लिस्ट हम आपको उपर दे चुके हैं।
दोस्तों यदि आप अर्गला स्तोत्र की पिडिएफ को डाउनलोड करना चाहते हैं तो यह आपको नेट पर बहुत ही आसानी से मिल जाएगी और आप उसको डाउनलोड कर सकते हैं।
ॐ चंडिका देवी को मेरा नमस्कार है।
उसके बाद आगे कहते हैं – जयन्ती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा और स्वधा – इन सारे नामों से आपको जाना जाता है। जगदम्बिके! तुम्हें मेरा नमस्कार हो। देवि चामुण्डे! तुम्हारी जय हो। सभी जीव जंतुओ की पीड़ा का हरण करने वाली देवी ! तुम्हारी जय हो। सब में विराजमान रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो। कालरात्रि! मैं तुम्हे नमस्कार करता हूं ।- 1
मधु और कैटभ को नष्ट करने वाली तथा ब्रह्माजी को वरदान देने वाली देवी! तुम्हे नमस्कार करता हूं । तुम मुझे रूप आत्मज्ञान पद्रान करो , और मोह पर विजय प्रदान करो , यश (मोह-विजय और ज्ञान-प्राप्तिरूप यश) दो और काम-क्रोध आदि का नाश करो ।। महिषासुर का नाश करने वाली और अपने भग्तों को सुख पद्रान करने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो -2
रक्तबीज का वध करने वाली और चण्ड-मुण्ड का विनाश करने वाली देवी! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि का नाश करो ।। शुम्भ और निशुम्भ तथा धूम्रलोचन का मर्दन करने वाली देवी।तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो- 3
सबके द्वारा वंदन किये जाने योग्य युगल चरणों वाली तथा सम्पूर्ण सौभग्य को देने वाली देवी ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध शत्रुओं का नाश करो देवी! तुम्हारे रूप और चरित्र का चिंतन नहीं किया जा सकता हैं। तुम शत्रुओं का नाश करने वाली हो। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।– 4
पापों को दूर करने वाली देवी! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारे चरणों मे सदा सर झुकाते हैं , उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। रोगों का नाश करने वाली देवी ! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारा गुणगान करते हैं , उन्हें तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध जैसे शत्रुओं का नाश करो- 5
चण्डिके देवी ! इस संसार में जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा और अर्चना करते हैं उनको तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। मुझे सौभाग्य और आरोग्य प्रदान करो । परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो – 6
जो मुहसे दवैष करते हों, उनका नाश करो और मेरे बल की वृद्धि करो हे देवी रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। देवी मेरा कल्याण करो। मुझे उत्तम संपत्ति आदि प्रदान करो । रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।
हे देवी अम्बिके! देवता और असुर दोनों ही अपने माथे के मुकुट की मणियों को तुम्हारे चरणों पर पर रगड़ते हैं तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। तुम अपने भक्तजन को विद्वान, यशस्वी, और लक्ष्मीवान बनाने की कृपा पद्रान करो तथा रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।
प्रचंड दैत्यों के दर्प का दलन करने वाली देवी चण्डिके मुझ शरणागत को रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो । चतुर्भुज ब्रह्मा जी के द्वारा प्रशंसित चार भुजाधारिणी हे देवी ! तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।।
देवी अम्बिके भगवान् विष्णु निरंतर भक्तिपूर्वक तुम्हारी स्तुति करते जो रहते हैं। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। हिमालय-कन्या पार्वती के पति महादेवजी के द्वारा होने वाली परमेश्वरि! तुम हमें रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो
शचीपति इंद्र के द्वारा सद्भाव से पूजित होने वाली देवी हो तुम परमेश्वरि। तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो ।। प्रचंड भुजदण्डों वाले दैत्यों का घमंड चूर चूर करने वाली देवि तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो
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