आशा का विलोम शब्द Asha ka vilom shabd kya hai ?
आशा का विलोम शब्द या आशा का विलोम , आशा का उल्टा क्या होता है ? Asha ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
आशा | निराशा |
Asha | Nirasha |
आशा का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों आशा का विलोम शब्द निराशा होता है।आशा का मतलब होता है आस करना या एक तरह से किसी काम के होने की संभावना । आपको पता ही है कि दुनिया आशा पर कायम है। यह अक्सर कहा जाता है। आशा का मतलब आप समझ चुके होंगे। वैसे जब हम कोई काम करते हैं तो पहले उस काम के होने की आशा ही करते हैं। इस दुनिया के अंदर जो कुछ भी होता है वह आशा से ही तो चल रहा है। यदि आप एक किसान हैं तो आपको पता ही होगा कि आप आशा से ही खेत मे बीज बोते हैं कि अच्छा अनाज होगा । हालांकि यह कोई जरूरी नहीं होता है कि अनाज अच्छा ही हो। असल मे यह कई चीजों पर निर्भर करता है लेकिन किसान हमेशा यही आश के साथ अनाज खेत मे बोता है कि अनाज अच्छा ही होगा लेकिन अनाज अच्छा नहीं होता है तो वह अपनी किस्मत को भी दोष देता है।
इसी प्रकार से एक चपरासी की नौकरी करने वाला भी उंचे पद के लिए काफी प्रयास करता है। क्योंकि उसे यह आशा होती है कि एक दिन वह इस चपरासी की नौकरी से छूटकारा मिलेगा और वह उंची पोस्ट वाली शानदार नौकरी करेगा । इस प्रकार से हर इंसान दुख को दूर होने की आशा करता है कि कब उसका दुख दूर हो जाए और कब वह अपने रस्ते पर आ जाए सुख के सागर मे गोता लगाए।
दोस्तों लोग सिर्फ आशा से ही जिंदा रहते हैं। जब कृष्ण की माता देवकी को उसके ही भाई ने जेल मे बंद कर दिया था तो देवकी की ने यह भविष्यवाणी सुनी थी कि उसका पुत्र कंस का काल होगा । और इसी आश में देवकी जिंदा थी कि एक दिन उसका पुत्र आएगा और कंस को मारकर उनका उद्धार करेगा ।
इसी प्रकार से हमारे यहां पर एक सिस्टम चलता है।जब छोटी सी उम्र के अंदर किसी महिला का पति मर जाता है और उसके बच्चे होते हैं तो वह महिला सिर्फ इसी आश पर ही तो जिंदा रहती है कि एक दिन उसके बेटे बड़े हो जाएंगे और उसके लिए सब कुछ करेंगे और ऐसा होता ही है। दोस्तों आश पर दुनिया काइम है जो दुख के अंदर होता है वह सुख की आश रखता है कि एक दिन तो सुख जरूर ही आएगा ।हमेशा दुख ही दुख तो नहीं रहने वाला है।
क्या आपने कभी सोचा है कि हम आश क्यों करते हैं ?हम आश तब करते हैं जब हम दुख के अंदर होते हैं। हम समस्याओं से छूटकारा पाने के लिए आस करते हैं। हम चाहते हैं कि एक दिन समस्यओं से छूटकारा मिलेगा । और एक दिन ऐसा आता है कि इंतजार की घड़ी खत्म हो जाती है।
इसलिए दोस्तों जब नौकरी लगने के लिए स्टूडेंट तैयारी करता है तो फिर उसे यह आश बनी रहती है कि उसका एक दिन नंबर आएगा । भले ही उसे कितना भी समय लग जाए। लेकिन यदि वह इसी आश के साथ काम करता है तो एक दिन उसका नंबर आ भी जाता है।
निराशा का मतलब
दोस्तों आशा का विलोम निराशा होता है।निराशा के बारे मे हर इंसान जानता है। और वह भी बहुत ही अच्छे से जानता है। क्योंकि निराशा को हम जितना करीब से जानते हैं उतना आशा को हम करीब से नहीं जान पाते हैं। क्योंकि जब हम निराशा मे होते हैं तो इससे हमारा मन बहुत अधिक प्रभावित होता है।क्योंकि आशा मे हम काफी खुश होते हैं और समय का पता ही नहीं चल पाता है कि कब बीत गया लेकिन जब हम निराशा मे होते हैं तो उसके बाद समय काफी धीमी गति से चलता है और समय पार करना काफी कठिन हो जाता है।
इसलिए निराशा के पल बहुत ही कठिन तरीके से कटते हैं।लेकिन आसा के पल जो होते हैं वे काफी तेजी से कट जाते हैं। जब किसी इंसान के घर मौत हो जाती है तो उस घर के सारे लोग उदास उदास से रहने लग जाते हैं।यह निराशा का ही तो समय होता है जोकि काफी कठिनता से कटता है।आपको एक मिनट एक साल के बराबर लगती है। आमतौर पर एक निराश इंसान की मानसिक स्थिति यह होती है कि वह बार बार एक ही चीज के बारे मे सोचता जाता है। वह बस उसी चीज के अंदर मगन रहता है।
और कई बार तो निराशा इतनी अधिक बढ़ जाती है कि लोग सुसाइड तक कर लेते हैं। एक दिन न्यूज देख रहा था जिसके अंदर एक विडियो आया उस महिला ने अपने दोनों बच्चों को ट्रेन के आगे पहले डाल दिया उसके बाद खुद भी मौत के मुंह मे समा गई। उस महिला के बारे मे सर्च किया तो पता चला कि उसका पति कमाता वमाता कुछ था नहीं तो महिला काफी परेशान हो गई और अंत मे उस महिला ने सुसाइड कर लिया । इसी प्रकार से ऐसे अनेक लोग हैं जो निराशा मे सुसाइड कर लेते हैं। मैरी नजर मे सुसाइड गलत नहीं है लेकिन डर कर नहीं लड़कर मरना ज्यादा बेहतर होता था। एक पुलिस वाले को किसी ने परेशान किया तो उसने सुसाइड कर लिया ।
लेकिन इसके विपरित एक लड़के की बहन को उसके ही पति ने मार दिया लेकिन वह पैसों के दम पर जेल से बाहर आकर दूसरी शादी करली ।
अब जिसकी बहन मरी थी ।उसने ठान लिया था कि बहन की मौत का बदला लेना है। वह खुद ही अदालत बन गया और डॉक्टर को उपर पहुंचा दिया । असल मे जिगर वाले लोग यह होते हैं जों मौत से भी नहीं डरते हैं। वे निराश नहीं होते हैं।भले ही उनको यह पता नहीं होता है कि आत्मा अजर और अमर है। उनका कुछ नहीं हो सकता है लेकिन वे सिर्फ अपने मकसद के लिए लड़ते हैं। आत्मा सिर्फ शरीर का त्याग कर देती है बाकी मरता कोई नहीं है।असल मे जब शरीर योग्य नहीं बचता है तो आत्मा उसको छोड़कर दूसरे शरीर की तलास मे निकल पड़ती है।