दोस्तो हम इस लेख के अंदर असुर का पर्यायवाची शब्द asur ka paryayvachi shabd या असुर का समानार्थी शब्द asur ka samanarthi shabd के बारे मे जानेगे साथ ही जानेगे की असुर क्या होते है और असुर का जीवन कैसा होता है इसके अलावा और भी बहुत कुछ जानेगे तो लेख को ध्यान से देखें ।
असुर {asur} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
असुर | दनुज, दैत्य, दानव, इन्द्रारि, शुक्रशिष्य, दितिसुत, सुरदि्वट् , पूर्वदेव, राक्षस, निशिचर, तमीचर, निशाचर, मनुजाद, यातुधान, ध्वांतचर, देवारी, दितिज, शंबर, रात्रिचर, देवरिपु, पिशाच, प्रेत, भूत, शैतान, हौवा, दुष्टआत्मा, वेताल, काली छाया, जा़लिम, वर्ण–पट, दुक्की, अदित्य । |
Asur | danuj, daity, danav, daitey, indrari, shukrashishy, ditisut, suradivat , porvadev, rakshas, nishichar, tamichar, nishachar, manujad, yatudhan, dhvantachar, devari, ditij, shambar, ratrichar, indrari, devaripu . |
demon | daemo, fiend, devil, Satan, specter, Nick, monster, giant, daemon, savage, jumbo, Satanas, ogre, Titan, rabbitfish, Beelzebub, noctivagant, noctivagous, ghoul, boggard, bogle, eidolon, Beelzebub, gnome , specter, scratch, Nick, hellhound, spectrum, ghost, daemon, deuce, sprite, Belial, Beelzebub, goblin, old scratch, Old Nick, phrase, apparition, spook, skipper, dickens. |
हिन्दू धर्म के ग्रन्थों मे बताया जाता है की जो देवो से युद्ध करते है वे असुर होते है । ये बहुत ही शक्तिशाली होते है और इन्हे अर्धदेवो के नाम से भी जाने जाते है । मगर कभी कभी अच्छे व बुरे दोनो तरह के असुर देखने को मिलता है ।
ऋषि कश्यप जो एक वैदिक ऋषि थे इनकी अनेक पत्यिा थी जिनमे से आदिति और दिति नाम की पहली दो पत्नी थी । दिति नाम की पत्नी के शरीर से जिन संतानो की उत्पत्ति होती रही वे सभी असुर बन गए । दिति के गर्भ से कुल 49 पुत्रो का जन्म हुआ था । जो सभी राक्षस थे । जब इन पुत्रो का विवाह हुआ और इनके भी संतान हुई तो और अधिक असुर जाति का विकाश हुआ ।
इसी तरह से आदिति के शरीर से भी अनेक संतानो की उत्पत्ति हुई । मगर वे सभी असुर नही बने बल्की वे असुर के के बिलकुल उल्टे थे यानि देवता बन गए । क्योकी अब देवता और असुर की सोच व भाषा और कार्य भी अलग लअग थे जिसके कारण से समय समय पर दोनो मे युद्ध होने लगा था । इन दोनो मे युद्ध होने के अनेक कारण रहे थे ।
दिति के पूत्र जो असुर थे वे भगवान शिव की पूजा करते थे और उन्हे ही अपना परमेश्वर मानते थे । और उधर देव भी भगवान शिव को मानते थे । असुर और देव दोनो एक ही परिवार थे यानि दोनो सोतेले भाई थे । जिसके कारण से कुछ असुरो को आदित्य के नाम से भी जाना जाता है । आदित्य उन असुरो को कहा जाता था जो बुरे न थे ।
इसी के साथ ही जो बुरे असुर थे उन्हे दानव कहा जाने लगा था । क्योकी वे दानवो की तरह की देवताओ पर आक्रमण करते थे और इसी तरह से अपना जीवन गुजारते थे । जिसके कारण से समय के साथ साथ देवताओ और असुरो मे युद्ध होता रहा । इसी तरह से चलते रहने के कारण से असुरो का स्वभाव इसी तरह से हो गया था और वे असुर बन गए थे । जिसके कारण से हर समय वे मारपीट करते रहते थे । इसी के चलते उन्होने धरती पर भी आक्रमण करना शुरू किया था । जिसके कारण से उन्हे दानव नाम दिया गया ।
इन भयानक असुरो का जन्म ऋषि कश्यप की पत्नी दिति के गर्भ से हुई थी । और ऋषि कश्यप की अन्य पत्नी से अलग अलग प्रकार की संतान उत्पन्न हुई जिनमे से कोई अपसरा बनी तो कोई देवी बन गई । इस तरह से असुर का जन्म हुआ था और उन्होने भयानक रूप इस तरह से लिया था । जिसके कारण से उन्हे दानव कहा जाने लगा था ।
दोस्तो देवता का अर्थ यहां पर अच्छाई से लिया जाता है क्योकी देव हमेशा सत्य के रूप मे जानते है और जो सत्य होता है उसी का साथ देते है । यानि देवता धर्म का साथ देकर सत्य के रास्ते पर चलने वाले होते है । मगर वही असुर की बात की जाए तो असुर हमेशा से ही देवता के विरोधी रहे है जिसके कारण से जैसे देव होते है ।
असुर बिल्कुल उनके उल्टा होते है यानि असुर देवो की तरह धर्म को न मानकर सत्य का रास्ता नही अपनाते है बल्की वे मार काट जेसी भावना को रख कर हमेशा ऐसा ही करते रहते है । और यही सब वेदो और पूराणो मे मिलता है क्योकी देवता से हमेशा ही असुर लडते रहते इसके अलावा कुछ असुर इतने भयानक होते है और अपने भयानक रूप के कारण से वे लोगो को भी डरते रहते है ।
ऐसी बातो के बारे मे अनेक ग्रंथो और धार्मिक पुरणो मे सुनने को मिल जाता है । इसके अलावा असुर जो होते है वे अपने आप पर बहुत अधिक अभीमान करते है और अपने से सभी को छोटा समझते है । मगर देव देसा नही करते देव सभी को समान समझते है वे न तो असुर को अपने से छोटा मानते है और न ही अपने से बडा बल्की वे अपने आप के समान ही असुरो को समझते है ।
इसके अलावा लोगो को भी देवता एक नजर से देखते है यानि किसी में भेदभाव नही करते है और अपने आप पर भी अभिमान नही होता है । मगर वही असुरो की बात की जाए तो वे सभी एक जैसे ही होते है और सभी उग्र स्वभाव के ही होते है उन्हे छोटी सी बात पर क्रोध आ जाता है । इस तरह के असुर प्राचीन समय में हुआ करते थे जो देवता से पूरी तरह से अलग होते थे ।
यह एक प्रकार का प्रशन है जो हर किसी के मन मे जरूर उठता है की इतने उग्र स्वभाव के लोग क्या प्राचीन समय मे सच में हुआ करते थे । जो इतनी भयानक तरह से लोगो को नुकसान पहुचाने के साथ साथ देवताओ की नाक में भी दम किए रहते थे । तो इस प्रशन का उत्तर होता है की हां असुर सच मे थे क्योकी इस बारे में सभी धर्मो के ग्रंथों मे थोडा बहुत पढने को मिल जाता है ।
जिसके कारण से समझा जा सकता है की असुर जाति के लोग पहले थे जो उग्र स्वभाव के थे और मारपीट जैसी धारणाओ को रखते थे । ये देखने मे भी बहुत बलशाली और डरावने हो सकते थे । यह बात अलग अलग धर्मो मे अलग अलग रूप मे बताई जाती है मगर सभी ग्रंथो मे यह बात कोमन मिलती है की असुर जरूर थे । इस बारे मे अलग अलग धर्मो में क्या क्या कहा गया है –
हिंदू धर्म के ग्रंथो मे बताया जाता है की असुर देवता के सोतेले भाई थे जो कश्यप के पुत्र थे । जो कई प्रकार के होते थे यानि वेतालस , भूत और पिशाच आदी । मगर वही कुछ देवो को भी असुर के नाम से जाना जाता है जैसे वरूण देव । इन असुरो का हमेशा से ही देवो के साथ युद्ध जैसी भावना रही रही है । इसका कारण सत्ता का था क्योकी देवो को सत्ता से हटाकर स्वयं सत्ता को हासिल करना रहा था ।
मगर देवो को पता था की अगर इनके हाथ मे सत्ता आ गई तो ये दुनिया को सही तरह से न चलने देगे बल्की चारो और बुराई होगी जिसके कारण से इन दोनो मे युद्ध रहा है । मगर इस बात के कारण से समझ मे आ जाता है असुर का जीवन रहा है ।
इस धर्म के ग्रंथो मे बुरी आत्माओं को ही राक्षस कहा जाता है । जो की भुत को भगाने जैसे कार्य करने पर सामने आती है वे एक तरह की राक्षस या असुरी शक्ति होती है । जिसे मंत्रों के द्वारा दूर भगाया जाता है । इसमे बताया जाता है की ये असुर न की साधारण आत्मा है बल्की दुष्ट है जिस तरह से प्राचीन समय में राक्षस या असुर होते थे ।
धर्म के कई ग्रंथो मे बताया जाता है की राक्षस या असुर नेफिलिम के भूत थे । इन राक्षसो का गुरू शैतान माना जाता है जिसकी ये पूजा करते है और बलीदान भी करते थे । इस धर्म में भी बताया जाता की असुर की उत्पत्ति सत्ता की लालच मे ही हुई थी जिसके कारण से वे बुरे बन गए थे । असुर शक्ति न केवल बलिदान का काम करती थी बल्की वह लोगो को भी कष्ट प्रदान करती थी ।
इस धर्म मे असुर और राक्षसो को शायन के नाम से बुलाया जाता है । इन असुरो को जादू टोना करना आता था और ये इस्लामी भगवान के विरोध मे जाते थे । जिसमे रक्त बलिदान किया जात था और उपवास नही रखा जाता था ऐसे लोगो को यहां पर असुर कहा गया है । इस धर्म मे माना जाता है की असुर और देव ने सुलैमान के लिए एक दास के रूप में काम किया है ।
साथ ही इस्लाम मे बताया जाता है की स्वर्गदूतों और राक्षस दोनो ही ईश्वर के प्रणी है । साथ ही कुरान मे बताया जाता की जो शैतान की संतान होती है उन्हे कभी मरना नही चाहिए उसे किसी भी हाल मे जीवित बनाए रखना है । क्योकी इनका जीवन तब तक अनुमोल है जब तक की दुनिया खत्म न हो जाए ।
अगर दुनिया खत्म होती है तो अंत में शैतान की संतान रहना जरूरी है और यह बता देना है की अंत समय तक भी कुरान मोजुद था यानि कुरान दुनिया में अंत समय तक रहा था । इस्लामी धर्म के लोग अपने आप को धर्म को सबसे बडा मानते है और जैसा धर्म कहता है वेसा ही करते है ।
अगर कोई ऐसा नही करता है तो उनके लिए वह असुर होता है यानि जो धर्म की पालना न करे वह सब उनके लिए असुर है । कुरान मे भी बताया जाता है की असुर होते है जो प्राचीन समय में भी थे ।
नही, असुर जो होते है वे मानव के लिए कभी उपयोगी हो ही नही सकते है । हालाकी असुर के अंदर इतनी ताक्त थी की अगर वे चाहे तो मानव के लिए वह तक कर सकते है जो की मानव को जरूरत है । मगर आपको बता दे की असुर जो थे वे मार काट की भावनाओ को अधिक रखते थे । जिसके कारण से वे हमेशा से दूसरो को कष्ट दने का काम करते रहते थे ।
और असुर जो होते है मानव को इतनी पीड़ा पहुंचाते थे की उन लोगो की मदद करने के लिए ईश्वर को स्वयं को आना पड़ जाता था ।
और यही कारण होता है की कहते है की असुर मानव के लिए कभी उपयोगी हो ही नही सकते है ।
आपको बात दे की वर्तमान में उसे असुर कहा जाता है की दुष्ट और पापी होता है दुसरो को हानि पहुंचाता है और हमेशा अधर्म का पालन करता है असुर है ।
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