अतिथि का पर्यायवाची शब्द या atithi ka samanarthi shabd
अतिथि का पर्यायवाची शब्द या अतिथि का समानार्थी (atithi ka paryayvachi shabd / atithi ka samanarthi shabd) शब्द के बारे में आज हम इस लेख में जानेगे । इसके साथ ही हम अतिथि से जुडी विभिन्न तरह की जानकारी को हासिल करेगे तो लेख को देखे ।
अतिथि का पर्यायवाची शब्द या अतिथि का समानार्थी शब्द (atithi ka paryayvachi shabd / atithi ka samanarthi shabd)
शब्द | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd / samanarthi shabd) |
अतिथि | मेहमान , आगत, पाहुन , पाहुना, आगंतुक, अभ्यागत, मुलाकाती |
अतिथि in Hindi | Mehamana, agata, pahuna, pahuna, agantuka, abhyagata, mulakati. |
अतिथि in Englis | Guest. |
अतिथि का अर्थ हिंदी में // Meaning of guest in hindi
हिंदी भाषा में अतिथि का मतलब होता है, वह व्यक्ति जो किसी भी समय में आ सकता है यानि ऐसा व्यक्ति जिसके आने का एक निश्चित समय न होता है यानि जिसकी निश्चित तिथि न होती है अतिथि कहलाता है ।
अतिथि शब्द का वाक्य में प्रयोग
- राहुल के घर में हर दूसरे दिन अतिथि आते रहते है ।
- किसन के घर में विवाह का माहौल है तो कोई न कोई अतिथि पधार ही जाता है ।
- लगता है की आज तो पडोसी के घर में कोई अतिथि आया है ।
- अतिथि के आने के कारण से आज तो हमारे घर में पकवान बनने वाले है ।
अतिथि के पर्यायवाची शब्दो का वाक्य में प्रयोग
- कंचन के घर में उसके फुफा मेहमान के रूप में आए थे ।
- पार्वती के घर में एक साधू पाहुना के रूप में पधारे और उन्हे धनवान बनने का कह कर चले गए ।
- हिंदू धर्म का मानना है जो भी कोई अभ्यागत के रूप में घर आता है उसकी सेवा करनी चाहिए ।
अतिथि क्या है
दोस्तो आज मानव अपने जीवन में एक घर में रहता है और इस घर में उनकी निश्चित संख्या होती है जो की एक परिवार कहा जाता है । और इस परिवार से जुडे अनेक तरह के रिस्ते होते है बेटी का ससुराल, बेटे का ससुराल, ननीहाल, मोसी का घर आदी तरह के रिस्तो से बंधे होते है । और इस तरह के रिस्तो में अनेक तरह के लोग रहते है । जो की कभी कभार एक दूसरे से मिलने के लिए एक दूसरे के घरो में जाते रहते है ।
इस तरह से जब कोई व्यक्ति हमारे घर में अचानक आ जाता है उसे अतिथि कहा जाता है । यह अतिथि के रूप में अपना कोई रिस्ते वाला व्यक्ति हो सकता है ।
दूसरा की अगर कोई अंजान व्यक्ति भी हमारे घर में आता है तो वह भी एक अतिथि होता है । जिसके कारण से ऐसा कहा जाता है की अतिथि देवों भव यानि अतिथि देवो के समान है । मगर यह सभी बिना किसी निश्चित समय पर आ जाते है यानि इनके आने का पहले कोई ज्ञान नही होता है ।
इस तरह से अतिथि की परिभाषा हो जाती है –
एक ऐसा व्यक्ति जिसके आने का पहले किसी प्रकार का ज्ञान न होता है यानि जिसके आने की किसी प्रकार की तिथि नही होती है और जो बिना किसी निश्चित तिथि के आ जाता है अतिथि कहलाता है ।
इस तरह से अतिथि दो शब्दो से मिलकर बना होता है जिनमे से एक अ होता है और दूसरा तिथि होता है । और इन दोनो का अर्थ ही होता है की जिसकी तिथि न हो ।
अतिथि देवो भव: क्या है
दोस्तो आज हर बच्चे को उसके बचपन में एक ही ज्ञान दिया जाता है की जो भी कोई हमारे घर में एक मेहमान के रूप में आता है उसे हमें आदर-सत्कार देना चाहिए और उनकी खुब सेवा करनी चाहिए । इस तरह से बच्चे में बचपन से ही अच्छे गुणो को ढाल दिया जाता है । इस तरह से फिर जो भी कोई मेहमान के रूप में घर आता है उसे बच्चे आदर सत्कार देते है । इस तरह से करने का एक मुल कारण अतिथि देवो भव का होता है ।
अतिथि देवो भव की परिभाषा
हमारे प्राचीन समय में अनेक तरह के विदवान हुआ करते थे जिन्होने कहा है की – जो भी कोई ऐसा व्यक्ति जिसे हमने बुलाया नही है और वह स्वयं ही हमारे पास हमारे घर में आ गया है एक अतिथि होता है । और इस तरह से अतिथि के रूप में जो लोग हमारे पास पधारते है वे एक भगवान के रूप में होते है । इस तरह से कहा जाता है की जो भी मेहमान होता है वह एक भगवान का रूप होता है ।
अतिथि का आदर सत्कार
यही कारण होता है की आज हिंदू धर्म मे यह माना जाता है की एक मेहमान के रूप में पधारे अतिथि भगवान के रूप में होता है और उसकी हमे अच्छी तरह से सेवा करनी चाहिए उसे आदर सत्कार देना चाहिए । इस बारे में हमारे महान वैदो और ग्रंथो में बडी ही सुंदर तरह से समझाया गया है ।
यही कारण होता है की आज हमारे देश के लोग अपने बच्चो को यह शिक्षा बचपन में ही दे देते है जिसके कारण से घर में पधारा भिखारी भी भगवान समझा जाता है और उसकी जो हो सके वह सेवा की जाती है । उसका पेट भरा जाता है । अत: वेदो में कहा गया है की अतिथि भगवान का रूप होता है ।
अतिथि सत्कार क्या है
दोस्तो अतिथि सत्कार का मतलब होता है की जो व्यक्ति मेहमान के रूप में पधारा होता है उसकी अच्छी तरह से आदर और सेवा करना । यानि अतिथि का अर्थ मेहमान से होता है और वही सत्कार का अर्थ ख़ातिरदारी तथा सेवा से जुडा होता है ।
इस तरह से जो मेहमान का आदर करते हुए उनकी अच्छी तरह से खातिरदारी या सेवा की जाती है उसे अतिथि सत्कार के नाम से जाना जाता है ।
गांवो में अतिथि सत्कार
दोस्तो आज भी मानव के जीवन में अतिथि देवो भव का रूप समाया हुआ है । जिसके कारण से घर में आया हुआ अतिथि उसे देव के समान लगता है । और गावो में यह कुछ ज्यादा ही माना जाता है । और गाव में जो भी कोई मेहमान के रूप में आता है उसकी खुब सेवा की जाती है । इस तरह से अतिथि की, की जाने वाली सेवा को गांवो में अतिथि सत्कार कहा जाता है ।
आइए जानते है की गावो में अतिथियो का सत्कार कैसे होता है –
गाव के लोगो में अपने ईश्वर की काफी अधिक मान्यता रहती है । और भारत में कहा गया है की जो मेहमान घर आता है वह एक देव के समान होता है । इसी कारण से गावो में मेहमान की खुब खातिरदारी होती है जैसे –
मेहमान का घर पधारना –
जब गावो में मेहमान घर में पधारता है जो बच्चो से बडा होता है तो बच्चे उनके पैर छूते है और आर्शिवाद प्राप्त करते है । इसके बाद में उन्हे बैठने के लिए एक आसन देते है और उन्हे फिर पानी पिलाया जाता है और इसके साथ ही उनके पैर पानी से धोए भी जाते है । इस तरह से अतिथि की सेवा शुरू हो जाती है ।
इसके बाद में उन्हे चाय, कोफी या जुस पिलाया जाता है । इसके बाद में अतिथि को भोजन के लिए पूछा जाता है और उन्हे उपयुक्त भोजन करवाया जाता है । इस तरह से भोजन खिला कर अतिथि का पेट भरा जाता है ।
इसके बाद में अतिथि के बारे में जानकारी लेते है की वह कोन है अगर वह उनके रिस्तेदारो में से कोई है तो वह रात भी वही बिताता है अगर वह कोई मुसाफिर होता है तो वह या तो जा सकता है या फिर रात के लिए स्थान माग सकता है ।
इस तरह से अतिथि अगल अगल तरह के होते है जिसके आधार पर इन्हे विभाजित किया जा सकता है जैसे –
1. अनजान अतिथि –
दोस्तो अगर कोई ऐसा मेहमान गावों के घरो में आ जाता है जिसे कोई भी नही जानता है तो उसके साथ ही वही प्रक्रिया धोराई जाती है जो अन्य मेहमानो के साथ होता है । जो की हमने उपर बात की थी।
2. जानकार अतिथि –
इस श्रेणी में उन अतिथि को रखा जाता है जीसे घर के सदस्य पहले से ही जानते है यह कोई रिस्तेदार या आस पडोस के गावो का व्यक्ति हो सकता है । मगर इन्हे जानते जरूर है । क्योकी जीनके साथ जानकारी होती है उनकी खुब सेवा होती है मगर यह भी अगल अलग बातो पर निर्भर करता है जैसे –
रिस्तेदार का अतिथि के रूप में आने पर गांवो मे स्वागत
जब कोई रिस्तेदार आता है तो उसका बडी ही अच्छी तरह से गावो में स्वागत किया जाता है और उपर की प्रक्रिया के बाद में रात्रि तक दूसरे दिन तक वह अतिथि रह सकता है और यह भी हो सकता है की वह कई दिनो तक रहे । और इस बिच रात के भोजन में उस अतिथि को अच्छे पकवान दिए जाते है । और खास कर उनके लिए ही स्वादिष्ट भौजन बनाया जाता है ।
इस तरह से उनकी सेवा की जाती है । इसके साथ ही रात को महिला संगित भी देखने को मिल सकता है । मगर यह अगल अलग तरह के रिस्तेदारो पर होता है जैसे किसी का जीजा या फुफा आदी के लिए ।
दूसरे दिन फिर से अतिथि के लिए अच्छे अच्छे पकवान बनाए जाते है और उन्हे अतिथि को भर पेट खिलाते है । इस तरह से अतिथि की सेवा होती है ।
जो रिस्तेदार न हो वे अतिथि
इस तरह से अतिथि के आस पास के पडोस के गाव को लोगो को सामिल किया जा सकता है और इस तरह के लोगो के साथ साथ दोस्त भी सामिल होते है । अगर यह भी अतिथि के रूप में आते है तो उनके लिए भी अच्छी तरह सेवा की जाती है और अतिथि एक देव की तरह होते है यह दिखाते है । मगर इस तरह के अतिथि ज्यादातर रात्रि में ठहरते नही है जिसके कारण से इनके लिए पकवान नही बनाए जाते है ।
इस तरह से गावो में अतिथि को बडे ही अच्छी तरह से समझा जाता है और उनकी अच्छी तरह से सेवा की जाती है ।
शहर में अतिथि का सत्कार
दोस्तो गावो की तरह शहरो में यह सब देखने को बहुत ही कम मिलता है क्योकी शहरो में ऐसा बहुत ही कम होता है की कोई अतिथि आ जाए । मगर अतिथि के आने पर उन्हे बैठा कर चाय, काफी, जुस आदी के लिए पूछा जाता है और उनकी सेवा की जाती है और इसके बाद में अतिथि को भोजन भी खिलाया जाता है । इसके बाद की प्रक्रिया अलग अलग होती है क्योकी अतिथि कोन है यह बात निर्भर करती है ।
क्योकी अगर उस अतिथि को जानते है तो उसे रात बिताने के लिए जगह दे सकते है और उसके अच्छे अच्छे पकवान भी बनाए जा सकते है । मगर अतिथि अंजान होने पर वह रात में वहां पर नही रह पता है और वह दिन में वहा से चला जाता है ।
इस तरह से अतिथि का सत्कार किया जाता है ।
क्या जीवन में अतिथि की जरूरी है
दोस्तो आपको यह बता दे की जीवन में हर उस व्यक्ति की जरूरी होती है जो की हमें शुखी प्रदान करती हो । दूसरा की हमारे धर्मो में कहा गया है की जो भी अतिथि होता है वह एक देव के समान होता है । क्योकी देव कब आ जाए यह तो पता नही और अगर वह आता है तो वह भी एक अतिथि के रूप में होता है । यही कारण है की अतिथि का आदर सत्कार किया जाता है ।
इसके साथ ही मानव जीवन में अगर कोई व्यक्ति गृहस्थी में अपना जीवन बिता रहा है तो उसे ऐसे कुल पांच यज्ञो को करने की जरूरत होती है जो की उसके जीवन से काफी अधिक जुडे होते है । और उनमे से ही पांच नम्बर पर अतिथ यज्ञ आता है । इस कारण से इस यज्ञ को पूरा करने के लिए अतिथि का महत्व रहता है ।
इसके साथ ही हमारे धर्मा में बताया गया है की अगर हमारे घर में कोई मेहमान आता है और हम उसकी खुब सेवा करते है तो इससे हमे काफी अधिक लाभ प्राप्त होता है और यह लाभ रूपयो से जुडा होता है जो की हम पर एक कर्ज के रूप में होते है ।
इस तरह से अतिथि यज्ञ को समझाते हुए बताया गया है की जो व्यक्ति मेहमान की सेवा करता है, किसी सन्यासी की सेवा करता है, किसी स्त्री की सेवा करता है इन सभी को अतिथि यज्ञ कहा जाता है । और यह यज्ञ करना भी जरूती है । जिसके कारण से जीवन में अतिथि भी जरूरी है ।
पूराणो में बताया गया है की जो पशु है जैसे गाय, कुत्ता आदी एक अतिथि के रूप में हमारे घर में रहते है और इनकी सेवा करने के कारण से भी अतिथि यज्ञ पुरा होता है ।
मुल रूप में अतिथि का जीवन में महत्व
जब भी हमारा कोई अपना हमारे घर में आ जाता है जिसका हमे पहले ज्ञान न था तो वह भी एक अतिथि होता है । इस तरह से अतिथि के आने के कारण से हमें काफी अधिक खुशी होती है और जीवन में चल रही परेशानियो से कुछ समय के लिए छूटकारा मिल जाता है ।
इसके साथ ही एक अतिथि के रूप में अन्य व्यक्ति का आना और हमारी उसकी सेवा करने का जो फल है वह हमारे कष्टो को कम करने के रूप में प्राप्त होता है । जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है मानव के जीवन में किसी न किसी तरह से अतिथि का भी महत्व होता है जिसके कारण से जीवन में अतिथि भी जरूरी है ।
इस तरह से हमने अतिथि के पर्यायवाची शब्द या अतिथि का समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया है ।
क्या आपने कभी किसी अतिथि की सेवा की है बताना न भूले ।