आत्मा का विलोम Atma ka vilom shabd kya hai ?
आत्मा का विलोम शब्द या आत्मा का विलोम , आत्मा का उल्टा क्या होता है ? Atma ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
आत्मा | परमात्मा |
Atma | Parmatma |
आत्मा का विलोम शब्द और अर्थ
दोस्तों आत्मा का विलोम शब्द होता है परमात्मा ।अब बात करें आत्मा की तो आत्मा एक तरह की उर्जा होती है। बस इसी उर्जा की मदद से हम सब संचालित होते हैं। इसको आप अपनी सीधी आंखों की मदद से नहीं देख सकते हैं।
आत्मा के बारे मे वैज्ञानिक कुछ भी नहीं जानते हैं। लेकिन आत्मा को हर धर्म के अंदर माना गया है। महान योगी जो होते हैं उनके अंदर अनेक प्रकार की शक्तियां मौजूद होती हैं। वे अपनी आत्मा को अपने शरीर से अलग कर सकते हैं और उसके बाद देख सकते हैं। इतना ही नहीं वे दूर दूर की यात्रा भी कर सकते हैं।
हालांकि इस प्रकार के रहस्यमय योगी आज भी इस धरती पर निवास करते हैं।लेकिन यह हर किसी को नहीं मिलते हैं। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि आत्मा का कोई भी गुणधर्म नहीं होता है। जो सूचना हम जीवन से बटोरते हैं उसी के अनुरूप हमारा गुण धर्म लगने लग जाता है। हालांकि आत्मा गुण धर्मों से परे होती है।
हम कहते हैं कि अमुक इंसान मर गया लेकिन हम उसके शरीर को जानते हैं उस शरीर को चलाने वाली शक्ति को हम नहीं जानते हैं।
कारण यही है कि हमारे अंदर आत्मा को देखने की शक्ति नहीं है। लेकिन जब शरीर नष्ट होता है तो आत्मा शरीर से अलग हो जाती है। आत्मा को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता है। उसे मारने वाला कोई नहीं है। इसलिए इंसान की मौत नहीं होती है मरता सिर्फ शरीर है।
आप सदैव अजर और अमर हैं आपका विनाश नहीं होता है।दोस्तों आपको यह भी जान लेना चाहिए कि आपका बार बार जन्म और मरण होता है। आपकी न जाने कितनी बार शादी होती है आपको याद नहीं है। जिस प्रकार से शरीर पुराने वस्त्रों को त्यागने के बाद नए वस्त्र धारण किये जाते है। उसी प्रकार से आत्मा भी पूराने शरीर को नष्ट कर नए शरीर को धारण करती है। और आत्मा शरीर इसलिए नहीं धारण करती है कि उसे जरूरत है। आत्मा को कोई जरूरत नहीं है। जरूरत आप खुद बनाते हैं।
यदि आप खुद ही शरीर जरूरतों को समाप्त कर देते हैं तो उसके बाद आत्मा को शरीर धारण नहीं करना पड़ता है। लेकिन वासनाओं से पीछा छूटाना इतना आसान काम नहीं है।वासनाओं से पीछा छूटाने के लिए आपको काफी मेहनत करनी होती है।यदि आप सही से मेहनत करते हैं तो संभव है। सो दोस्तों आपके और मेरे न जाने कितने जन्म हो चुके हैं। हालांकि कुछ लोग जन्म मे विश्वास नहीं करते हैं लेकिन विश्वास करने या ना करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि इस दुनिया मे हमारी वैल्यू एक कीड़े से अधिक नहीं है।हालांकि कुछ लोगों को यह भ्रम जरूर हो जाता है कि उनकी हैसियत बहुत बड़ी है लेकिन ऐसा नहीं है। उनकी हैसियत किसी भी तरह से बड़ी नहीं है। अंत समय मे उनको इस बात का अंदाजा हो जाता है कि उनकी हैसियत क्या है ?
वैसे भी जवानी के जौश के अंदर तो सब कूदते रहते हैं ।और हवा मे उड़ते रहते हैं। दोस्तों हमारा असली रूप आत्म ही है। उसी के अंदर स्थित होना सुख दे सकता है।
परमात्मा का अर्थ और मतलब
दोस्तों एक होता है आत्मा और दूसरा होता है परमात्मा यह दोनों शब्द आपने बहुत बार सुने होंगे । हालांकि दोनों मे कुछ ज्यादा अंतर नहीं होता है। फिर भी परमात्मा बहुत सारी आत्मा का संग्रह है कह सकते हैं। जबकि आत्मा उसका एक टुकड़ा है। इसके अलावा परमात्मा के अंदर हम भगवान को भी शामिल करते हैं। क्योंकि भगवान बनने के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि हम कलयुग के भगवानों की बात नहीं कर रहे हैं। कई जन्मों की मेहनत के बाद कोई भगवान बन पाता है। असल मे जो भगवान बन जाता है उसके वचन मात्र से ही सब कुछ हो जाता है।
वे जो कुछ भी बोल देते हैं वह सब सत्य हो जाता है।और वे अपनी इच्छा मात्र से ही सब कुछ हाशिल कर लेते हैं। दोस्तों एक आम इंसान भी भगवान बन सकता है लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। इसके लिए बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जितने भी भगवान हैं उनके पास किसी भी तरह की कमी नहीं है। वे अपने लोकों मे निवास करते हैं। और जरूरत पड़ने पर वे अपनी मर्जी से धरती पर जन्म लेते हैं। इसके लिए वे खुद अपने माता पिता को तय करते हैं। लेकिन एक आम इंसान के साथ ऐसा नहीं होता है।
वह खुद यह तय नहीं कर पाता है कि उसे कहां पर जन्म लेना है ?क्योंकि उसके अंदर इतनी अधिक वासनाएं होती है कि पूछों मत वे वासनाएं ही तय करती हैं कि उसे कहां पर जन्म लेना है।
इंसान की मौत के बाद हर किसी की इच्छा होती है कि उसे इस जन्म मरण के चक्र मे बार बार ना आना पड़े । लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है। यदि आपके अंदर थोड़ी भी वासनाए रह गई हैं तो आपको यहां पर फिर से जन्म लेना पड़ता है।
असल मे हम भगवान उसे कह सकते हैं जोकि वासना रहित हो चुका है। जिसके अंदर किसी भी तरह की वासना नहीं रह गई। एक इंसान को मुक्त होने के लिए काफी मेहनत करनी होती है। बिना मेहनत के कुछ नहीं होता है। और सिर्फ एक जन्म मे ही मुक्ति नहीं मिलती है। उसके मुक्त होने के लिए कई जन्म लगाने पड़ते हैं।
दोस्तों वैसे आपको बतादें कि परमात्मा एक उर्जा का नाम है। वह कोई इंसान या जानवर नहीं है। वह बस एक उर्जा है उसका कोई गुण धर्म नहीं होता है। बहुत से मूर्ख यह तर्क करते हैं कि भगवान नहीं होता है यदि भगवान होता तो संसार मे पाप मिटाने के लिए आता लेकिन ऐसे लोगों से हम यही कहना चाहेंगे कि भगवान भी पाप का अंत नहीं कर सकता है। क्योंकि पाप और पुण्य प्रकृति के विषय हैं और वे तो सदा ही चलते रहें हैं। इसमे कोई शक नहीं है और आगे भी वैसे ही चलते रहेंगे ।
इस धरती पर बनना और बिगड़ा तो हमेशा ही चलता ही रहता है।और इसको कोई भी रोक नहीं सकता है।
यदि आप साधु संत और भगवान को देखेंगे तो वे आपको कल्याण का मार्ग बताएंगे । बस उससे अधिक वे भी कुछ कर नहीं सकते हैं। आपको कल्याण तो खुद ही करना होगा ।