Atyachar ka vilom shabd अत्याचार का विलोम शब्द?
अत्याचार का विलोम शब्द, अत्याचार शब्द का विपरीतार्थक शब्द है, अत्याचार का उल्टा Atyachar ka vilom shabd
अत्याचार का विलोम शब्द और अर्थ
अत्याचार का विलोम शब्द दयालुता होता है।अत्याचार का अर्थ किसी का उत्पीडन करना होता है। यदि कोई किसी का शारीरिक या मानसिक उत्पीडन करता है तो वह अत्याचार कहलाता है।
शरीरिक उत्पीडन के अंदर यदि आप उसको पीटते हैं या उसको मारते हैं तो इसका मतलब यह है कि आप उसके उपर अत्याचार कर रहे हैं। इसी प्रकार से यदि आप किसी को मानसिक रूप से परेशान करते हैं तो वह मानसिक उत्पीडन होता है। और यह दोनो ही एक प्रकार के अपराध होते हैं।
वैसे अत्याचार के अनेक प्रकार होते हैं।और बहुत से तो छिपे हुए अत्याचार होते हैं। आपने देखा होगा कि भारत के अंदर जो कुछ भी अशांति फैल रही है वह नेताओं के द्धारा फैलाया गया अत्याचार होता हैं। क्योंकि यह कुछ लोगों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं तो कुछ को नष्ट करने का प्रयास करते हैं।
और डॉक्टरों का तो कहना ही क्या ? जब मरीज उनके पास आते हैं तो मरीजों से अच्छे खासे पैसे वसूलते हैं और उसके बाद उनको दीवारों के अंदर चिन लेते हैं। कई बार तो डॉक्टरों के पास इतने अधिक पैसे हो जाते हैं कि उनके पास रखने को जगह नहीं होती है। और टेक्स देने मे मे आनाकानी करते हैं।
इसी प्रकार से कुछ दुकानदार अपने कस्टमर से अधिक पैसा वसूलते हैं यह भी एक प्रकार का अत्याचार होता है। अक्सर कई ऐसे दुकानदार होते हैं जोकि यह भी नहीं देखते हैं कि वस्तु के तीन गुना पैसे ले रहे हैं। अक्सर हमारे यहां पर जो मास्क ऑनलाइन 2 रूपये मे मिलता है दुकानदार उसे 10 रूपये के अंदर बेचते हैं।
तो अब आप समझ सकते हैं कि अत्याचार किस कदर हो चुका है। हालांकि सबसे बड़ी बात यह है कि हम सभी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को देखकर वोट देते हैं और नेताओं से यह उम्मीद करते हैं कि वो अपने स्वार्थ का त्याग करें । यह कैसे संभव हो सकता है। वैसे देखा जाए तो अत्याचार को बढ़ाने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं।
दयालुता का विलोम शब्द
दोस्तों दयालुता का मतलब दया करना । जैसे किसी ने कोई अपराध कर दिया और आपने उसको दया के तहत क्षमा दान प्रदान कर दिया यही आपकी दयालुता है। हालांकि दयालुता का मतलब होता है। जैसे आप ताकतवर हैं और आप अपराधी को सजा देने मे सक्षम हैं उसके बाद भी आप उसको क्षमा कर देते हैं।हालांकि हर अपराधी को क्षमा नहीं किया जा सकता है।क्योंकि कुछ अपराधियों को क्षमा करना ही पाप होता है। उनकेा क्षमा करना क्षमा का अपमान करना है। क्योंकि वे इसकी योग्यता नहीं रखते है। यदि आप शेर को क्षमा करेंगे तो वह अगले ही पल आपको काट लेगा । यही अपराधी कुछ इसी प्रकार के होते हैं।इस प्रकार के लोगों को क्षमा नहीं वरन दंड देने की जरूरत होती है।
अत्याचार का अंत
प्राचीन काल की बात है । एक गोरन नाम का राजा राज्य करता था। वह काफी अत्याचारी राजा था। उसके अत्याचारों से प्रजा काफी डरी हुई थी। यही कारण था कि उसके अत्याचारों के सामने कोई भी अपनी जबान नहीं खोल सकता था। एक बार राज्य के अंदर एक महात्मा पधारे । महात्मा जब एक सख्स के घर गए और भोजन मांगा तो उसने कहा …..महाराज भोजन तो कर लिजिए लेकिन यदि आपको किसी ने देखलिया तो हमारी शामत आ जाएगी । राजा को यह पसंद नहीं है कि इस राज्य के अंदर कोई साधु संत आए ।
…….ठीक है तुम मुझे भोजन दों मैं कहीं पर बैठकर खा लूंगा । और तुम मेरी चिंता ना करों बेटा । जो काम मुझे करना था वह मैं कर चुका हूं । अब मेरा मकसद है यहां की जनता को राजा के अत्याचारों से मुक्त करना ।
और उसके बाद ग्रामिण ने साधु को भोजन दिया ।फिर साधु ने भोजन को लेकर एक पेड़ के नीचे बैठ कर खाया तभी कुछ लोगों ने साधु को देख लिया और राजा के सैनिक साधु के पास आए । और उनको घसीटने लगे ।
……..अरे दुष्टों मेरा हाथ छोड़दो नहीं तो बहुत बुरा हो जाएगा ।
….अरे क्या शाप देने की धमकी देता है साधु चल देकर दिखा शाप ।सारे सैनिक हंसने लगे ।
…….मैं ब्रहम पुत्र तुम सबको शाप देता हूं कि अभी इसी वक्त जिसने भी मेरा हाथ पकड़ा है उसके हाथ को लकवा मार जाए ।
बस इतना कहना ही था साधु को सैनिक जमीन पर गिर गया और तड़पने लगा ।दूसरे सैनिक बुरी तरह से डर गए । और हाथ जोड़कर बोले ………हे महाराज हम आपकी शक्तियों को नहीं जानते हैं। हमे क्षमा करें। हमारा कर्त्तव्य है। आप हमारे साथ चलें । नहीं तो राजा हमे मार देगा ।
………ठीक है और संत उनके साथ चले गए । राजा के सामने पेश हुए । संत ने देखा कि राजा अपनी पांच सुदंरियों के पास बैठा है। और उनके साथ अश्लील हरकत कर रहा है।
……मूर्ख क्यों खुद को पतन की तरफ धकेल रहा है ।?
….सैनिकों इस संत को बांध दिया जाए जो राजा को मूर्ख कह रहा है।
लेकिन किसी भी सैनिक की हिम्मत नहीं पड़ी की वह संत को बांध सके ।तो उसके बाद राजा दो से तीन बार चिल्लाया । जब किसी ने नहीं सुनी तो वह खुद तलवार लेकर आया जैसे ही संत को मारने के लिए तलवार बढ़ाई राजा बेहोश होकर गिर गया ।
कुछ समय बाद आंखे खुली तो राजा ने खुद को बंधे हुए पाया । राजा को बहुत बुरा लगा लेकिन वह सुधरने वाला नहीं था।
………यह राजा दुष्ट है। इसको जंगल के अंदर छोड़कर आजाओ और इस राज्य के सबसे धर्मात्मा इंसान को यहां पर लाओ । उसको राजा बनाया जाएगा ।
और उसके बाद एक धर्मात्मा इंसान को राजा बना दिया गया । और पुराने राजा को जंगल के अंदर छोड़ आया गया । तब संत बोले ………मानव शरीर बड़ी मुश्किल से मिलता है। और यदि कोई इसकी कद्र नहीं करता है तो फिर वह नरक मे जाता है। अनेक जन्मों मे तड़ता है। बनने को तो मैं भी राजा बन सकता हूं लेकिन इसका कोई भी फायदा नहीं है।मुझे जो पाना था मैंने पा लिया है।