tablet use

azithromycin 500 mg use in hindi and side effect

azithromycin 500 mg uses in hindi , azithromycin 500 tablet use in hindi azithromycin tablet कान में संक्रमण, टॉन्सिल, निमोनिया  आदि के अंदर इस दवा का उपयोग किया जाता है।इस दवा की जो खुराक होती है वह कई चीजों के उपर निर्भर करती है। जैसे कि यदि आप बच्चे हैं तो आपको अलग खुराक दी जाएगी । और यदि आप बड़े हैं तो आपको अलग खुराक दी जाएगी । इसी तरीके से लिंग और आयु के   ‌‌‌आधार पर खुराक अलग अलग हो सकती है।आपको इस दवा का सेवन तभी करना चाहिए । जब आपको डॉक्टर लिखकर देता है। आपको मन मर्जी से इस दवा को सेवन नहीं करना चाहिए । यदि आप मन मर्जी से इस दवा का सेवन करते हैं तो फिर यह दवा आपके लिए एक परेशानी पैदा कर सकती है।

मतली या उलटी, दस्त, सिरदर्द आदि भी इस दवा की वजह से हो सकते हैं। यदि आप इस दवा का सेवन करने के बाद किसी भी तरह का साइड इफेक्ट का अनुभव कर रहे हैं तो आपको इस दवा का सेवन करना बंद कर देना चाहिए । और उसके बाद अपने डॉक्टर से इसके बारे मे परामर्श करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।

azithromycin 500 mg use in hindi

azithromycin 500 mg use in hindi । यह दवा कई तरह की समस्याओं के अंदर यूज मे ली जाती है। इसके बारे मे लिस्ट हम आपको नीचे दे रहे हैं तो उसके आधार पर आप यह पता लगा सकते हैं कि आपको यह दवा किस वजह से दी जा रही है।

  • कान में संक्रमण
  • टॉन्सिल
  • ब्रोंकाइटिस
  • ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण
  • बैक्टीरियल संक्रमण
  • साइनोसाइटिस

azithromycin 500 mg use in hindi कान के अंदर संक्रमण

azithromycin का उपयोग कान के अंदर संक्रमण के लिए भी किया जाता है।यह आमतौर पर कान मे सूजन पैदा कर सकता है। और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।इसके लिए कान की सही जांच की जाती है कि कान मे सूजन किस वजह से आई है।

न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा टीकाकरण, बच्चे को पहले छह महीने तक स्तनपान कराना और तम्बाकू व धूम्रपान से दूर रहना आदि होने पर कान मे संक्रमण की समस्या को आसानी से दूर रहा जा सकता है।

पेरासिटामोल, इबुप्रोफेन, बेन्जोकेन आदि दवाएं कान मे समस्या को दूर करने मे काफी उपयोगी साबित हो सकती है।एंटीबायोटिक भी कान मे समस्या होने पर जी जा सकती हैं। लेकिन एंटीबायोटिक  दवाएं उनको ही दी जाती हैं जिनके कान के अंदर की समस्या या संक्रमण काफी समय से ठीक नहीं हो रहा है।

‌‌‌आपको बतादें कि दुनिया के अंदर 11 फीसदी लोग कान के संक्रमण से झूझ रहे हैं और यह समस्या पुरूषों के अंदर अधिक होती है। और खास तौर पर 10 साल से कम उम्र के बच्चों को यह समस्या का सामना अधिक करना पड़ता है। हालांकि यदि समय पर ईलाज किया जाता है तो फिर इस समस्या से आसानी से छूटकारा पाया जा सकता ‌‌‌ है।

कान में संक्रमण के लक्षणों की बात करें तो कान में संक्रमण होने की वजह से कई सारे लक्षण सामने आ सकते हैं। जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जिससे कि आप आसानी से डॉक्टर को इसके बारे मे बता सकते हैं।

  • ‌‌‌इसकी वजह से कान मे दर्द हो सकता है। और यदि छोटा बच्चा है तो काफी अधिक रो सकता है। और उसे लेटने मे परेशानी होती है। वह बार बार अपने कान को खींच सकता है। इससे आसानी से यह पता चल जाता है कि कान मे दर्द की समस्या हो रही है। जिसको ठीक करना जरूरी है।
  • टाइमपेनिक झिल्ली में हाल ही में हुए छिद्र होने की वजह से कान मे द्रव बाहर आ सकता है। यदि कान मे द्रव बाहर आ रहा है तो इसका जल्दी से जल्दी ईलाज किया जाना जरूरी होता है। यदि ईलाज नहीं होता है तो फिर समस्या काफी तेज और बड़ी हो सकती है। रोग आगे चलकर काफी भयंकर हो सकता है।
  • ‌‌‌इसके अलावा कान के अंदर संक्रमण होने की वजह से सिरमेदर्द हो सकता है। और सिर दर्द काफी तेज भी हो सकता है।
  • इसके अलावा कान मे संक्रमण के साथ ही उपरी स्वश्न तंत्र के अंदर भी संक्रमण हो सकता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
  • ‌‌‌यदि बच्चे के कान के अंदर संक्रमण हुआ है तो उनके अंदर बुखार के लक्षण भी देखे जा सकते हैं। हालांकि सभी बच्चों के अंदर यह लक्षण नजर नहीं आते हैं दोस्तों
  • चिड़चिड़ापन भी बच्चों के अंदर विकसित हो सकता है। यदि कान मे संक्रमण हो चुका है तो ।
  • ‌‌‌और यदि बच्चा बीमार हो चुका है तो वह काफी सुस्त दिखाई दे सकता है। यदि कान मे संक्रमण है तो बच्चा सुस्त दिख सकता है। आपको इसके उपर भी एक बार ध्यान देना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा कान मे यदि संक्रमण हो चुका है तो बहरापन भी एक समस्या हो सकता है। कान मे संक्रमण होने की दशा मे बहरापन होने का संदेह यदि माता पिता को है तो इसके बारे मे अपने डॉक्टर को बताएं ।
  • ‌‌‌जिन लोगों के कान के अंदर संक्रमण हुआ है। उनके कान के अंदर सीटी बजने जैसा कुछ हो सकता है।
  • इसके अलावा कान मे संक्रमण होने की वजह से कुछ बच्चों को ऐसा लग सकता है कि उनका सिर घूम रहा है।

‌‌‌वैसे तो कान मे संक्रमण होने की दशा मे जल्दी से जल्दी डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए । लेकिन यदि आप डॉक्टर को संपर्क नहीं करते हैं तो यह समस्या और अधिक गम्भीर हो सकती है।

  • ‌‌‌यदि समस्या के 24 से 48 घंटों तक लक्षणों मे किसी भी तरह का कोई सुधार नहीं होता है तो डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए ।
  • यदि आप कान की मांसपेशियों को हिला नहीं पा रहे हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए ।
  • आपके कान से तरल पदार्थ (जैसे मवाद या रक्त) का स्राव हो रहा हो,
  • आपको तेज़ बुखार हो, सिर दर्द या चक्कर आना,
  • आपको ऐसा लगे, जैसे कि कोई चीज़ आपके कान में फंस गयी है,

‌‌‌इस तरह के लक्षण यदि आपको दिखाई देते हैं तो इसका मतलब यह है कि आपके कान के अंदर संक्रमण हो चुका है और आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए और परामर्श करना चाहिए । यही आपके लिए बेहतर होगा ।

‌‌‌इसके अलावा कान के अंदर संक्रमण के कई सारे प्रकार होते हैं। उनके हिसाब से ही डॉक्टर आपका ईलाज करते हैं। यह भी आपको पता होना चाहिए ।तो आइए जानते हैं कान के अंदर संक्रमण के प्रकारों के बारे मे ।

टॉन्सिलाइटिस azithromycin 500 mg use in hindi

टॉन्सिल्स आपके मुंह के अंदर होते हैं। और जब यह संक्रमित हो जाते हैं तो इसको टॉन्सिलाइटिस के नाम से जाना जाता है।बचपन के अंदर होने वाला यह सबसे आम संक्रमण होता है ।गले में खराश, टॉन्सिल्स में सूजन और बुखार शामिल हैं और इसकी वजह से गले के अंदर सूजन और दर्द होना आम हो जाता है। एंटीबायोटिक दवा ‌‌‌से इसके लक्षण बहुत ही आसानी से ठीक हो जाते हैं इसके अलावा कुछ लोगों के अंदर यह देखने को मिलता है कि इसके लक्षण 7 से 10 दिन के अंदर भी अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन यदि आपको यह लक्षण ठीक नहीं होते हैं तो उसके बाद आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी होता है।

अस्पताल-आधारित अध्ययन में पाया गया कि भारत में क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस रोगियों की सबसे सामान्य आयु 11-20 वर्ष है । और पुरूषों के अंदर यह समस्या अधिक होती है। हालांकि महिलाओं के अंदर यह समस्या कम देखने को मिलती है।टॉन्सिल्स गले के पीछे स्थित नरम ऊतकों का जोड़ा होता है यह संक्रमण से लड़ने मे भी मदद ‌‌‌करता है जिसकी वजह से इनके अंदर सूजन आ जाता है। और यदि समय पर उपचार करवाया जाता है तो यह सूजन अपने आप ही ठीक हो जाता है।टॉन्सिल के प्रकार की बात करें तो यह कई प्रकार का होता है जिसके बारे मे भी आपको पता होना जरूरी होता है।

  • टॉन्सिल स्टोन्स– यह समस्या तब होती है जब फंसा हुआ पदार्थ काफी सख्त हो जाता है।
  • स्ट्रेप्टोकोकस नामक एक बैक्टीरिया टॉन्सिल और गले को संक्रमित करता है। जिसकी वजह से बुखार जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए ।
  • क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस एक प्रकार का संक्रमण होता है जोकि गले के अंदर बार बार होता है।
  • एक्यूट टॉन्सिलाइटिस – एक जीवाणु या वायरस टॉन्सिल्स को संक्रमित करता है। इसकी वजह से गले के अंदर सूजन और खराश हो जाती है और गले के पीछले हिस्से के अंदर सूजन का विकास हो जाता है।

टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों की बात करें तो इस रोग के अंदर कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए तो आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।

  • लाल और सूजे हुए टॉन्सिल्स
  • टॉन्सिल पर सफेद या पीले रंग का आवरण या धब्बे
  • गले मे खराश होना
  • गले मे दर्द होना
  • बुखार होना ।
  • सांसों की बदबू
  • पेट में दर्द (खासकर छोटे बच्चों में)
  • गर्दन में अकड़न
  • सिरदर्द
  • और निगलने मे कठिनाई हो सकती है।
  • ‌‌‌सांस लेने मे समस्या होना
  • लार टपकना

‌‌‌इस तरह के लक्षणों के प्रकट होने के बाद आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए । यदि आप डॉक्टर को दिखाते हैं तो उसके बाद डॉक्टर आपको दवा लिखकर देगा आपको उसे सेवन कर लेना चाहिए ।

टॉन्सिल कितने दिन तक रहता है?

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि यह अलग अलग तरह के होते हैं। आमतौर पर यह 4 दिन या फिर अधिक से अधिक एक सप्ताह के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ केस के अंदर जब अपने आप ठीक नहीं होते हैं तो आपको चाहिए कि आप एक बार अपने डॉक्टर से पूछें । कई बार टॉन्सिल  ‌‌‌किसी गम्भीर बीमारी का भी संकेत दे सकते हैं। तो इस दिशा मे भी आपको काम करने की जरूरत है।

टॉन्सिल बढ़ने से क्या होता है

टॉन्सिल यदि बढ़ रहा है तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए । यदि गले के अंदर हल्का सा उभार दिख रहा है और दर्द हो रहा है तो यह गले के अंदर किसी इन्फेक्सन का कारण हो सकता है। इसके अलावा यदि गले के अंदर एक तरफ यह समस्या है और बिना किसी दर्द के बढ़ रही है तो ‌‌‌ आपको अपने डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और डॉक्टर जो निर्देश देता है उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।

टॉन्सिलाइटिस की रोकथाम

टॉन्सिलाइटिस की रोकथाम के लिए आपको कुछ सावधानियों की जरूरत होती है ताकि आप इससे बच सकते हैं तो आइए जानते हैं इन सावधानियेां के बारे मे पूरे विस्तार से ।

  • ‌‌‌अपने हाथों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही आपको भोजन करना चाहिए । खासकर शौचालय आदि के अंदर जाने के बाद
  • इसके अलावा अपने खाने पीने के बर्तन और गिलास को सांझा करने से बचना होगा ।
  • इसके अलावा समय समय पर अपने ब्रश को बदलते रहें । और किसी को अपना ब्रश का यूज करने के लिए ना दें ।
  • ‌‌‌इसके अलावा खांसते या छींकते समय अपने मुख को ढकना जरूरी होता है।

ब्रोन्काइटिस azithromycin 500 mg use in hindi

ब्रोन्काइटिस भी एक प्रकार का रोग होता है जिसके अंदर सांस लेने की जो नलियां होती हैं उनके अंदर सूजन आ जाता है।और इसकी वजह से फेफड़ों के अंदर ऑक्सीजन लेने की क्षमता कम हो जाती है।

सूजन वायरस, बैक्टीरिया, धूम्रपान करने या रासायनिक प्रदूषण या धूल में साँस लेने के कारण हो सकती है। और जब सांस नली रूक जाती है तो उसके बाद अंदर बलगम बनना शूरू हो जाता है। इस समस्या से जो लोग ग्रस्ति होते हैं उनको गाढे बलगम वाली खांसी होती है।

ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) के प्रकार के बारे मे हम बात करें तो यह मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। जिनके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।

  • एक्यूट ब्रोंकाइटिस के अंदर गले के पीछले हिस्से के अंदर बिना बलगम के उत्तेजना होती है जिसकी वजह से खांसी आती है।यह बैक्टीरिया के संक्रमण के परिणामस्वरूप या प्रदूषित वायु या रासायनिक धुंए द्वारा श्वसन नली की लगातार उत्तेजना से सर्दी या फ्लू के बाद अपना असर दिखाना शूरू कर सकता है। ‌‌‌इसके अलावा इसके लक्षण बुखार के साथ भी हर सकते हैं और आपको बतादें कि 7 दिन या 10 दिन के बाद यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। हालांकि उसके बाद भी सुखी खांसी अपना असर जारी रखती है। लेकिन ‌‌‌आपको इसे समाप्त करने के लिए दवा का सेवन करना चाहिए ।यही आपके लिए सही होगा ताकि लक्षणों से जल्दी ही आपको राहत मिल सके । बुजुर्गों को यह सबसे अधिक निशाना बनाता है। हालांकि बड़ों को भी यह निशाना बना सकता है।
  • क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस एक खास प्रकार का संक्रमण होता है जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने मे समस्या होती है और मरीज की काफी अधिक हालत खराब हो जाती है।कृत्रिम  ऑक्सीजन की भी मरीज को आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा मरीज को काफी अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खांसी तीन महीने और अधिक समय के लिए रहती है।

ब्रोंकाइटिस के कुछ लक्षण होते हैं जिनके बारे मे हम आपके बताने वाले हैं और इसी तरीके से कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप आसानी से इसको पहचान सकत हैं तो आइए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे मे ।

  • गले में खराश थकान नाक में जमावट या नाक का बहना बुखार शरीर में दर्द उल्टी दस्त । आदि इस तरह के कुछ लक्षण होते हैं। जिनकी मदद से आप जान सकते हैं कि यह समस्या कितनी गम्भीर है।
  • ‌‌‌इस रोग के अंदर टकने और पैर के अंदर सूजन आ सकता है। और इससे भारी समस्या हो सकती है।
  • इसके अलावा खांसी हो सकती है और बलगम के अंदर खून आ सकता है।
  • बार बार श्वसन नली के अंदर संक्रमण हो सकता है जिससे कि समस्या काफी बिगड़ सकती है।
  • यह बहुत अधिक थकान का कारण बन सकता है।

ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) से बचाव

ब्रोंकाइटिस (श्वसनीशोथ) से बचाव भी आप कर सकते हैं। इसके कुछ उपाय हो सकते हैं। जिसकी मदद से आप इस रोग से बच सकते हैं। तो इससे बचने के उपाय के बारे मे जानते हैं।

  • ‌‌‌यदि आप धुम्रपान और धुएं के संपर्क मे आते हैं तो इसकी वजह से भी यह रो ग हो सकता है तो यदि आप नशा वैगरह करते हैं तो इससे भी आपको दूरी बना लेनी चाहिए ।
  • वायरल संक्रमण के फैलाव को सीमित करना काफी जरूरी हो जाता है।
  • ‌‌‌नम हवा मे सांस लेने से बलगम पतला हो जाता है जिसकी वजह से इसको अंदर से बाहर निकालना काफी कठिन हो जाता है।
  • लाल मिर्च, करी पत्ता और अन्य मसालेदार खाद्य पदार्थ जो आपकी आँखों और नाक में पानी लाते हैं।

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण azithromycin 500 mg use in hindi

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण जो होता है वह नाक से लेकर फेफड़ों तक फैल सकता है।ऊपरी श्वसन तंत्र का विस्तार नाक से लेकर क्राइकोइड कार्टिलेज तक होता है। और यदि हम बात करें नीचले श्वसन तंत्र के संक्रमण की तो यह क्राइकोइड कार्टिलेज के नीचे से शुरू होकर एल्वियोली  तक माना जाता है।

‌‌‌दोस्तों उपर जो श्वसन तंत्र का संक्रमण होता है जोकि सर्दी के मौसम मे अधिक होता है। कारण यह है कि सर्दी के मौसम मे हम घरों के अंदर रहते हैं। और दूसरे लोगों के संपर्क मे आते हैं। इसी तरीके से गर्मी का जब मौसम होता है तो इसकी काफी कम घटनाएं देखने को मिलती हैं। वैसे इस संक्रमण का सर्दी के दौरान ‌‌‌मैं भी कई बार सामना कर चुका हूं । तो यह संक्रमण आना एक आम समस्या है।ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण के प्रकार के बारे मे यदि हम बात करें तो यह कई प्रकार का हो सकता है जैसे कि सर्दी (कोरीज़ा) और गले मे खराश कंठ मे सूजन और कंठ मे दर्द होना भी इसके अंदर आता है।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि उपरी श्वसन तंत्र के कुछ लक्षण होते हैं जिसकी मदद से आप इसको पहचान सकते हैं। और इसका ईलाज जितना जल्दी होता है। यह आपके लिए उतना ही अधिक फायदेमंद होता है।

  • बंद नाक, छींक और गले में खराश आम सर्दी की पहचान हैं।
  • गले के अंदर गरगराहट महसूस हो सकती है और बिना बलगम वाली खांसी भी इसके अंदर देखने को मिल सकती है।एक्यूट ट्रेकिबोराँकाइटिस की समस्या मे यह खांसी एक से 2 सप्ताह तक आसानी से चल सकती है।
  • अचानक शुरू होने वाली गले में खराश, बुखार, खाँसी की अनुपस्थिति मे यदि दिखाई देती है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
  • ग्रसित व्यक्ति चेहरे एक तरफ दर्द, उपरी दांतों में दर्द, सिरदर्द और नाक से अत्यधिक मवाद  के साथ ही खून आने की समस्या भी देखने को मिल सकती है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए ।
  • टॉन्सिल्स का बढ़ना या उनमें सूजन
  • और साइनस का बढ़ना और छूने पर उसके अंदर सूजन और दर्द होना ।
  • इसके अलावा सांस लेने पर आवाज भी सुनाई द सकती है।
  • तालू के अंदर धब्बे देखने को मिल सकते हैं।
  • राइनोवायरस, पैराइन्फ्लुएंज़ा वायरस, कोरोनावायरस, एडीनोवायरस, रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस आदि श्वसन पथ के अंदर संक्रमण के कारण हो सकते हैं।
  • यूआरटीआई के यदि हम फैलने की बात करें तो यह कई तरीकों से फैल सकता है। जिसके बारे मे यदि आपको पता होगा तो आप आसानी से इससे बच सकते हैं। जैसे कि आप यदि किसी भीड भाड वाले स्थानों पर जाते हैं तो इससे यह फैल सकता है। ‌‌‌यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मे आते हैं। जैसे कि आप उसको छूते हैं या फिर उसके साथ खाना खाते हैं तो इसकी वजह से भी यह फैल सकता है। जोकि आपके लिए काफी डेंजर साबित हो सकता है।इसके अलावा संक्रमित बच्चों की मदद से भी उनके परिवार के अंदर फैल जाता है।
  • अक्सर झुंड में, जैसे स्कूल या  दैनिक देखभाल केन्द्र, रहने वाले छोटे बच्चों के साथ संपर्क में आने की वजह से यह संक्रमण फैल सकता है तो इन सब के बारे मे आपको अच्छी तरह से ध्यान दिया जाना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा नाक के अंदर मौजूद एलर्जी की वजह से भी सूजन की समस्या बढ़ जाती है क्योंकि इससे नाक के अंदर अवरोध हो जाता है। तो नाक की एलर्जी का भी आपको इलाज करवाना चाहिए ।
  • ‌‌‌इसके अलावा यदि आप कहीं पर सफर कर रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि आप काफी बड़ी संख्या के अंदर व्यक्तियों के संपर्क मे आएंगे । जिससे कि समस्या बढ़ जाएगी ।
  • धूम्रपान के अंदर यदि आप किसी व्यक्ति के द्धारा छोड़ा गया धुंआ अपने अंदर लेते हैं तो इसकी वजह से भी यह रोग फैल सकता है।
  • इसके अलावा तनाव की वजह से भी यह रोग होता है। क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बनाता है।
  • कोकीन का यदि आप अधिक सेवन करते हैं तो इससे आपके उपरी श्वसन तंत्र के अंदर संक्रमण होने के चांस बहुत अधिक बढ़ जाता है।

ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण से यदि हम बचाव की बात करें तो कई तरीके हैं जिसकी मदद से आप इससे बच सकते हैं। आप बचाव की दिशा मे काम कर सकते हैं। आप कुछ सावधानियां बरत सकते हैं। जिससे कि इस रोग से बचा जा सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण azithromycin 500 mg use in hindi

दोस्तों यह दवा बैक्टीरियल संक्रमण के अंदर प्रयोग मे ली जाती है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि मानव शरीर के अंदर बैक्टीरिया की संख्या बहुत अधिक होती है। हालांकि इसके अंदर कुछ हानिकारक बैक्टिरिया होते हैं तो कुछ हानिकारक नहीं होते हैं। बैक्टीरियल संक्रमण गला, फेफड़े, त्वचा, आंत्र और कई अन्य भागों को प्रभावित कर सकते हैं। कुछ संक्रमण हल्के होते हैं और कुछ गंभीर होते हैं।और आपको बतादें कि संक्रमण को ठीक करने के लिए सबसे अधिक एंटिबायोटिक्स दवाओं का उपयोग किया जाता है।

‌‌‌यदि किसी को बैक्टिरियल संक्रमण हो गया है तो उसको अपना मुंह ढककर रखना चाहिए क्योंकि यह संक्रमण काफी संक्रामक हो सकते हैं जिसकी वजह से यह आसानी से किसी भी दूसरे व्यक्ति के अंदर फैल सकते हैं।

  • त्वचा का बैक्टीरियल संक्रमण एक अलग प्रकार का संक्रमण होता है जोकि खासतौर पर त्वचा को ही निशाना बनाने का काम करता है। इसके अंदर आते हैं। जैसे कि सेल्युलाइटिस, फॉलिक्युलिटिस और इम्पेटिगो
  • ‌‌‌यौन संपर्क की वजह से भी बैक्टिरियल संक्रमण हो सकते हैं जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं । इनके लक्षण कई बार लंबे समय तक नजर भी नहीं आते हैं
  • इसके अलावा खाने से जुड़े बैक्टिरियल संक्रमण हो सकते हैं जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं जैसे पेट दर्द बुखार हो सकते हैं।

बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण की यदि हम बात करें तो इनकी वजह से कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं तो आप इनके लक्षणों पर ध्यान दे सकते हैं। जिससे कि आपको यह पता चलेगा कि बैक्टीरियल संक्रमण हो चुका है और आपको डॉक्टर से ईलाज करवाने की जरूरत है।

  • बुखार आमतौर पर इसका आम लक्षण होता है जैसे कि बुखार के साथ ठंड लग सकती है और दांत बजना भी हो सकता है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण के साथ लिम्फ नोड्स की सूजन भी हो सकती है और यह जो सूजन होती है वह बैक्टीरियल संक्रमण की आस पास की जगह पर होती है।
  • ‌‌‌इसके अलावा इसकी वजह से गला भी खराब हो सकता है और गले के अंदर सूजन के साथ ही दर्द भी महसूस हो सकता है।यदि ऐसा है तो बैक्टिरियल संक्रमण ही है।
  • बैक्टीरियल संक्रमण से निमोनिया हो सकती है, जिसमें सूखी खांसी और सांस फूलने जैसे लक्षण होते हैं।
  • इसके अलावा इसकी वजह से यूरिन इन्फेक्सन भी हो सकता है जिससे की पेशाब करने मे कठिनाई हो सकती है। और पेशाब करते समय दर्द हो सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव की यदि हम बात करें तो कई तरह  से आप सावधानी बरतकर बैक्टीरियल संक्रमण से आप बच सकते हैं तो आइए जानते हैं। इनके बचने के बारे मे । या वे तरीके जिससे कि आप इनसे बच सकते हैं।

  • ‌‌‌बार बार आपको साबुन से हाथ धोना चाहिए । क्योंकि ऐसा नहीं करते हैं तो बैक्टिरियल समस्या के अंदर फंस सकते हैं।
  • और हाथों को धोने के लिए बैक्टिरिया रोधी साबुन का प्रयोग करें ।
  • ‌‌‌अपने घर के अंदर की वस्तुओं को आपको साफसुधरा रखना जरूरी होता है। यदि कचरा लग भी गया है तो आपको चाहिए कि आप उस कचरे को हटा दे यही आपके लिए सही होगा ।
  • भोजन बनाते समय अपने हाथों को साफ रखें।
  • अपने भोजन को अच्छी तरह से धोएं और पकाएं।
  • ऐसी कोई भी चीज़ न खाएं जिससे खराब गंध आ रही है
  • बैक्टीरियल संक्रमण के बारे मे सही जानकारी के लिए लेब मे टेस्ट किया जाता है। और इसकी वजह से गले मे खराश और गले के लक्षणों के बारे मे देखा जाता है।इसके अलावा डॉक्टर रक्त के नमुनों को एकत्रित कर सकते हैं और लेब के अंदर टेस्ट के लिए डाल सकते हैं।
  • ‌‌‌बैक्टीरियल संक्रमण के लिए कई प्रकार की एंटीबायोटिक  दवाएं मौजूद हैं। हालांकि कौनसरी एंटीबायोटिक  आपको देनी है और कौनसी नहीं देनी है। इसके बारे मे आपको डॉक्टर चुनाव करते हैं तो आपको उसके हिसाब से ही काम करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा । ‌‌‌आपको अपनी मनमर्जी के अनुसार किसी भी तरह की  दवा का सेवन नहीं करना चाहिए । वरना यह आपके लिए काफी घातक हो सकता है।

साइनोसाइटिस

साइनोसाइटिस एक प्रकार की बीमारी होती है जोकि साइनस के अंदर होती है। साइनस का मतलब होता है साइनस हवा से भरी छोटी-छोटी खोखली गुहा रूपी संरचनाएं हैं जो नाक के आसपास, गाल व माथे की हड्डी के पीछे तथा आँखों के बीच के भाग में पैदा होने लगती है।

साइनसाइटिस  जो बीमारी होती है तो यह साइनस के अंदर ‌‌‌सूजन आ जाने की वजह से होती है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझते होंगे । और कई लोगों के अंदर यह बीमारी देखने को मिलती है।आप सिर दर्द या अपने चेहरे में दर्द और नाक बंद होने का अनुभव कर सकते हैं। कई बार इसमें नाक से हर पदार्थ बहने लगता है।आपको बतादें कि यह बंद नाक के साथ शूरू होता है और उसके बाद यह  बैक्टीरियल इन्फेक्शन, वायरल इन्फेक्शन ‌‌‌ के अंदर विकसित होता है। यदि आप समय पर इसका सही तरीके से ईलाज नहीं करवा पाते हैं तो फिर यह समस्या काफी अधिक बढ़ जाती है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आया होगा और यदि किसी को यह समस्या है तो जल्दी से जल्दी उसे डॉक्टर से उपचार करवाना चाहिए ।

azithromycin 500 mg का उपयोग क्या गर्भवति महिला कर सकती हैं

दोस्तों यदि azithromycin 500 mg का उपयोग यदि गर्भवति महिला करती है तो यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है। हालांकि यदि कोई महिला गर्भवति है और वह इस दवा का उपयोग कर रही है तो उसे इसके लिए एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करना ‌‌‌जरूरी होता है क्योंकि डॉक्टर ही आपको यह बताता है कि azithromycin 500 mg  का उपयोग किस तरह से करना चाहिए । और इस दवा के उपयोग के दौरान किस तरह की सावधानी आपको रखनी चाहिए यही आपके लिए सही होगा । ‌‌‌इसके अलावा यदि आप पहले से ही कोई दवा ले रही हैं तो इसके बारे मे भी अपने डॉक्टर को बताना चाहिए ताकि सब कुछ ठीक हो जाए ।

Azithromycin 500 mg Tablet का उपयोग क्या स्तनपान करने वाली महिलाएं कर सकती हैं क्या ?

हां Azithromycin 500 mg Tablet  का उपयोग स्तनपान करने वाली महिलाएं कर सकती हैं। उनके बच्चे पर इसका कोई भी बुरा असर नहीं पड़ता है। लेकिन दवा का सेवन करने से पहले उनको चाहिए कि एक बार डॉक्टर से परामर्श करे ‌‌‌और जो निर्देश डॉक्टर आपको देते हैं वही आपको पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा। क्योंकि बिना डॉक्टर को दिखाए आपको यह दवा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आपके लिए सही नहीं होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet  का उपयोग से गुर्दे पर क्या असर पड़ता है ?

दोस्तों यदि आप Azithromycin 500 mg Tablet   का सेवन कर रहे हैं तो इससे आपके गुर्दे पर किसी भी तरह का नकारात्म प्रभाव नहीं पड़ता है। आप इसका सेवन कर सकते हैं। यदि आपको पहले से ही किसी तरह की गुर्दे की समस्या है तो फिर आपको ‌‌‌फिर इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर को बताना चाहिए । और यह भी बताना चाहिए कि आप पहले से कौनसी दवाओं का सेवन कर रहे थे । ताकि डॉक्टर को आपकी चीजें ठीक से समझ आ सकें। इस तरह से सब कुछ फायदेमंद होता है।

Azithromycin 500 mg Tablet  लेने से जिगर को क्या नुकसान होता है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet के सेवन करने से वैसे तो जिगर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। तो आप समझ सकते हैं कि आप इस दवा को ले सकते हैं। इसके अलावा यदि आपको पहले से ही किसी तरह की लिवर की समस्या है तो फिर ‌‌‌आपको इस दवा का सेवन नहीं करना चाहिए । और अपने डॉक्टर को इस के बारें मे बताना चाहिए । और आपका डॉक्टर इसके बारे मे जो निर्देश देता है वही उपयोग आपको करना चाहिए । मतलब उसी निर्देश का पालन आपको किया जाना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet का दिल पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि दिल पर इस दवा का कोई भी बुरा असर नहीं होता है। फिर भी यदि आपको दिल से जुड़ी किसी तरह की बीमारी है तो आपको इस दवा का सेवन करने से पहले इसके बारे मे अच्छी तरह से सोचना चाहिए और अपने डॉक्टर से ‌‌‌परामर्श करना चाहिए क्योंकि आपका डॉक्टर ही आपको यह बता सकता है कि आपको इस दवा का सेवन करना चाहिए या फिर नहीं करना चाहिए ?

Azithromycin 500 mg Tablet किन दवाओं के साथ क्रिया कर सकती है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet यदि आप कुछ दूसरी दवाओं के साथ लेते हैं तो क्रिया कर सकती हैं इनकी लिस्ट लंबी हो  सकती है। लेकिन हम आपको यहां पर कुछ लिस्ट दे रहे हैं।

  • lfuzosin
  • Flotral D Tablet
  • Afdura Tablet
  • Velfu Tablet PR
  • Alfusin Tablet
  • Sunapro Tablet
  • Headset Tablet
  • Suminat 100 Mg Tablet
  • Snapit Tablet

Azithromycin 500 mg Tablet के सेवन करने से क्या लत लग सकती है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet  के सेवन करने से किसी भी तरह की लत लगने की समस्या नहीं होती है।बाकि आप एक बार इसके बारे मे अपने डॉक्टर से बात करें और आपका डॉक्टर आपको इसके बारे मे अच्छी तरीके से बताएगा । आपको जो निर्देश ‌‌‌डॉक्टर देता है आपको उस निर्देश का पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा । यदि आप उस निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो इससे आपको बड़ा नुकसान हो सकता है आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लें यही आपके लिए अच्छा होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet  लेने के बाद क्या मशीन या गाड़ी चला सकते हैं ?

दोस्तों यदि आप Azithromycin 500 mg Tablet   का सेवन करते हैं तो आप मशीन चला सकते हैं और गाड़ी भी चला सकते हैं। यह किसी भी तरह से हानिकारक नहीं होती है। मतलब यही है कि यह दवा आपके दिमाग पर किसी भी तरह का बुरा असर नहीं ‌‌‌डालती है। यदि आप किसी मशीनरी पर काम कर रहे हैं तो कर सकते है। आपकी दवा लेने के बाद जब आप पहली बार दवा ले रहे हैं तो इसके प्रभावों को देखें उसके बाद ही कोई निर्णय करें तभी आपको इसके बारे मे पता चलेगा ।

‌‌‌इसके अलावा एक बार आप अपने डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं आपका डॉक्टर आपको जो बताता है उन नियमों का पालन करें यही आपके लिए सही होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet   लेना कितना सुरक्षित होता है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet  लेना वैसे तो सुरक्षित होता है। कारण यह है कि यदि आप इस दवा को अपने डॉक्टर की मदद से लेते हैं तो यह पूरी तरह से सुरक्षित होता है। बिना डॉक्टरी परामर्श के इस दवा को लेना सही नहीं होगा आप इस बात को ‌‌‌ध्यान मे रखें ।

Azithromycin 500 mg Tablet का उपयोग क्या मानसिक समस्याओं के उपचार मे किया जा सकता है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet    का उपयोग मानसिक समस्या के उपचार मे नहीं किया जाता है। यदि किसी को मानसिक समस्या है तो उसे किसी मानसिक रोग के डॉक्टर से मिलना चाहिए और उसके निदेशों का पालन   ‌‌‌करना चाहिए ।

Azithromycin 500 mg Tablet   का सेवन किस तरह से किया जाता है ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet का सेवन आपको भोजन के साथ करना चाहिए । या आप खाना खाने के बाद इस दवा का सेवन कर सकते हैं। या फिर आप एक बार अपने डॉक्टर से इसके बारे मे बात करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका ‌‌‌पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet लेने के बाद क्या शराब पी सकते हैं ?

दोस्तों Azithromycin 500 mg Tablet लेने के बाद आप शराब नहीं पी सकते हैं। यदि आप शराब पीते हैं तो यह आपके लिए काफी डेंजर हो सकता है। बाकि आप इसके बारे मे एक बार अपने डॉक्टर से बात करें और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसका ‌‌‌पालन आपको करना चाहिए । और यही आपके लिए सही होगा । आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

Azithromycin 500 mg Tablet का सेवन करने से एलर्जी हो रही है तो क्या करें

दोस्तों यदि Azithromycin 500 mg Tablet  लेने के बाद आपको किसी तरह के एलर्जी के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको इस दवा का सेवन करना बंद कर देना चाहिए । और एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए आपका डॉक्टर आपको जो ‌‌‌निर्देश देता है उसका पालन आपको करना चाहिए । यही आपके लिए फायदेमंद होगा । और यदि एलर्जी की समस्या आपको काफी बढ़ रही है तो फिर आपको इस के बारे मे अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए । वैसे अधिकतर लोगों के अंदर यह दवा एलर्जी की समस्या पैदा नहीं करती है।

Azithromycin 500 mg Tablet के विकल्प क्या हो सकते हैं ?

कई सारी दवाएं हैं जोकि Azithromycin 500 mg Tablet के विकल्प के तौर पर आप इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • Azee 500 Mg Injection
  • Azee XL 200 Mg Dry Syrup
  • Azee XL 100 Mg Dry Syrup 30 ml
  • Azee 500 Mg Tablet
  • Azilide 250 Tablet
  • Azithral XL Liquid 200 30ml
  • Azithral Liquid 200 15ml
  • Azithral XL Liquid 200 60ml

Azithromycin 500 mg Tablet   की खुराक ‌‌‌व्यस्क को कितनी लेनी चाहिए?

Azithromycin 500 mg Tablet  की खुराक दिन मे एक बार या फिर दो बार लेनी चाहिए । यह दवा खाना खाने के बाद लेनी चाहिए ।और इसके बारे मे आप अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं। डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है उसके हिसाब से ही आपको काम ‌‌‌करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा । और ‌‌‌व्यस्क को कितनी उम्र मे यह दवा देनी है आदि प्रश्न आप अपने डॉक्टर से ही कर सकते हैं।

Azithromycin 500 mg Tablet   का सेवन करने से क्या क्या नुकसान हो सकता है ?

दोस्तों इस दवा के कई सारे साइड इफेक्ट हो सकते हैं जोकि कई तरह से नुकसान कर सकते हैं। जैसे कि पेट खराब, दस्त /ढीला मल, जी मिचलाना , उल्टी या पेट में दर्द हो सकता है। यदि इनमें से कोई भी प्रभाव बना रहता है तो आपको उसे ‌‌‌डाक्टर को दिखाना चाहिए और डॉक्टर जो निर्देश देता है उसका आपको पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

याद रखें कि यह दवा इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि आपके डॉक्टर ने फैसला किया है कि आपके लिए लाभ साइड इफेक्ट के जोखिम से अधिक है। इस दवा का उपयोग करने वाले कई लोगों के गंभीर दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।

Azithromycin 500 mg Tablet   का सेवन करने से कई सारे दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं तो उनके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । यह कुछ इस प्रकार से हैं ?

आंखों की समस्याएं (जैसे कि पलकें झपकना, धुंधली दृष्टि ), बोलने / निगलने में कठिनाई, मांसपेशियों में कमजोरी , यकृत के लक्षण समस्याएं (जैसे असामान्य थकान, लगातार मतली / उल्टी, गंभीर पेट / पेट में दर्द, पीली आँखें / त्वचा , गहरा पेशाब )।

यदि इनमें से कोई भी दुर्लभ लेकिन गंभीर दुष्प्रभाव होता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें: तेज़ / अनियमित दिल की धड़कन, गंभीर चक्कर आना , बेहोशी ।

‌‌‌वैसे तो यह दवा आंतों की समस्या का कारण नहीं बनती है। क्योंकि यह आंतों को हानि नहीं पहुंचाती है। लेकिन यदि खून आना मल मे या पेट मे ऐंठन होना या फिर बलगम आना यदि यह समस्याएं आपको हो रही है तो फिर आपको ‌‌‌इस दवा का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए ।और यही आपके लिए काफी फायदेमंद होता है।

लंबे समय तक या बार-बार अवधि के लिए इस दवा का उपयोग करने से मुंह में छाले या एक नया खमीर संक्रमण हो सकता है । यदि आप अपने मुंह में सफेद धब्बे, योनि स्राव हो सकता है और उसके बाद आपको चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए ।

लिम्फ नोड सूजन , दाने , खुजली / सूजन (विशेषकर चेहरे/ जीभ /गले की) , गंभीर चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या होती है तो आपको एलर्जी हो रही है। तो आपको इस दवा का सेवन करना बंद कर देना चाहिए यही आपके लिए सही होगा ।

Azithromycin 500 mg Tablet   ‌‌‌के एक्सपायरी होने के बाद क्या करें ?

Azithromycin 500 mg Tablet   के एक्सपायरी होने के बाद आपको चाहिए कि आप उसे अपने घर से बाहर फेंक देना चाहिए । आमतौर पर हम एक्सपायरी टेबलेट को घर के अंदर रखना नहीं चाहिए। क्योंकि गलती से कई बार हम उनको गलती से बिना तारिख देखे लेलेते हैं जिससे कि नुकसान होता है।

Azithromycin 500 mg Tablet   को यदि आप ले रहे हैं तो आपको बस एक्सपायरी डेट को देखने के बाद ही लेना चाहिए । यदि आप बिना एक्सपायरी डेट देखे लेते हैं तो यह आपके लिए जहर का काम कर सकती है।

Azithromycin 500 mg Tablet   ‌‌‌को किस तरह से स्टोर करना चाहिए ।

Azithromycin 500 mg Tablet   को आपको सही तरीके से स्टोर करना चाहिए । यदि आप सही तरीके से स्टोर नहीं करते हैं तो फिर यह खराब हो सकती है। आपको इसको सीधी तेज धूप के अंदर से बचाना होगा । और आप इसको फ्रीज के अंदर भी नहीं रख सकते हैं। यदि आप फ्रीज के अंदर रखते हैं तो उससे भी यह दवा खराब हो जाती है। ‌‌‌आप इस दवा को कमरे के ताप पर रख सकते हैं। कमरे के ताप पर यह खराब नहीं होती है। आपको चाहिए कि आप इस दवा को बच्चें के पहुंच से भी दूर रखें। क्योंकि यदि यह दवा बच्चों के हाथ लग जाती है तो उसके बाद वे इस दवा को निगल सकते हैं और नुकसान हो सकता है।

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