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बालक का पर्यायवाची शब्द या बालक का समानार्थी शब्द

बालक का पर्यायवाची शब्द या बालक का समानार्थी शब्द (balak ka paryayvachi shabd ya balak ka samanarthi shabd) के बारे में ऐसा है की यह कई बार एग्जाम में पूछे गए थे । और यही कारण है की आज इन्हे सभी एक महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द कहते है । तो आइए बालक के पर्यायवाची शब्द के बारे में जानते है ।

बालक का पर्यायवाची शब्द या बालक का समानार्थी शब्द (balak ka paryayvachi shabd ya balak ka samanarthi shabd)

शब्द (shabd)पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द (paryayvachi shabd ya samanarthi shabd)
बालकशिशु, लड़का, छोरा, बेटा, सुवन, औलाद, लौंडा, बच्चा, नंदन, वत्स, पुत्र, तनय, आत्मज, अंगज, छोकड़ा, सुत, तनुज पूत, पिसर ।
बालक in Hindishishu, ladaka, chhora, beta, suvan, aulaad, launda, bachcha, nandan, vats, putr,tanay, aatmaj, angaj, chhokada, sut, tanuj poot, pisar .
बालक in Englishchild, lad, tad, boy, laddie, youngling

बालक का अर्थ हिंदी में

दोस्तो बालक का अर्थ होता है शिशु या लड़का । यानि बालक जो होता है वह मानव की एक संतान होती है और वह संतान केवल नर होती है तभी उसे बालक कहा जाता है । अगर कोई मादा संतान होती है तो उसे बालक नही कहा जाता है बल्की वह तो बालिका होती है । हां हम यह कह सकते है की बालक के अर्थ को ‌‌‌अनेक तरह से मसझाया जा सकता है जो कुछ इस तरह से है –

1.    आदमी के नर बच्चा बालक होता है ।

2.    एक छोटा शिशु जिसका अभी जन्म हुआ है बालक होता है ।

3.    मानव की वह संतान जो की छोरा के रूप में जानी जाती है बालक होता है ।

4.    मानव जिसे बेटा कहता है और वह छोटी उम्र में होता है यानि बेटा ।

5.    माता पिता की नर औलाद ‌‌‌भी बालक होता है ।

6.    वह जिसे हम पुत्र कहते है बालक होता है ।

तो इस तरह से बालक वह होता है जो की माता पिता की नर संतान होती है ।

‌‌‌बालक शब्द का वाक्य में प्रयोग, बालक का पर्यायवाची शब्द

आज कल के बालत किसकी सुनते है जो की आपकी और हमारी सुनेगे ।
सुरेखा का बालक तो काफी अधिक नटखट है ।
आज तो रामू का बालक मिला था देखने में काफी प्यारा लग रहा था ।
कल महेश का बालक पता नही किस कारण से सोर मचा रहा था ।

‌‌‌बालक कौन होता है बताइए

बालक वह होता है जो छोटी उम्र का लड़का होता है। जैसे की कोई लड़का है जिसकी उम्र अभी 10 वर्षों से कम है तो उसे बालक कहा जाता है । आपको बता दे की जब बालक बड़ा हो जाता है तो उसे लड़का कहा जाने लग जाता है ।

आपको बता दे की यहां पर लड़की अगर छोटी उम्र की होती है तो उसे बालक नही कहा जा सकता है बल्की बालक केवल लड़का होता है जो की छोटी उम्र का होता है । वह बालक होता है जिसका जिसने अभी शारीरिक परिपक्वता प्राप्त नही की है और उसे बालक कहा जाता है ।

आपको बता दे की बालक जो होते है काफी अधिक मासुम होते है और यही कारण है की उनके द्वारा की जाने वाली गलती को असल में गलती नही माना जाता है । हिंदू धर्म में कहा जाता है की बालक जो होते वे भगवान कृष्ण के रूप होते है जिसके कारण से उन्हे भगवान के रूप मे जाना जाता है और कहते है की कोई बालक कुछ अलग तरह की बात कर रहा है तो इसका मतलब है की उसके मुख में भगवान ही बोल रहे है ।

आपको बता दे की बालक अपने जीवन में काफी नादन होता है और उसे यह पता नही होता है की उसे जीवन में क्या करना है मगर फिर भी वह अपने जीवन को आगे बढता रहता है और इसी तरह से जीवन जीता रहता है ।

उसे उमीद होती है की कभी उसके लिए ऐसा पल आ सकता है जिससे वह ढेर सारी खुशियो को अपने जीवन में सामिल कर सके । आपको बता दे की बालक जो होते है उन्हे अपने भविष्य की किसी तरह की चिंता नही होती है । और यह बात आपको पता हेाना जरूरी है ।

अगर कोई बालक है और वह अधिक उम्र का हो जाता है तो आपको बता दे की उसे बालक के स्थान पर पुरुष कहा जाने लग जाता है । आपको बता दे की जब बालक को बालक न कह कर पुरुष कहते है तो इसका मतलब है की वह अपने बालक के जीवन मो जी चुका है और अब वह आगे बढ रहा है ।

‌‌‌बालक को पाठशाला में कब भेजा जाता है

आपको बता दे की बालक जो होता है उसके लिए सरकार के द्वारा एक उम्र का निर्धारण हुआ है और उसी उम्र के बाद में बालक को पाठशाला में भेजा जाता है । आपको बता दे की बालक जो होते है वे 5 से 6 साल के होने पर पाठशाला जाने लग जाते है ।

मगर आज के सरकार के अनुसार बात की जाए तो यह नियम है की बालक 5 वर्ष का होने के बाद में ही विद्यालय जाए और इससे पहले उसे पाठशाला में नही बुलाया जाता है । और जैसे ही उसकी 5 साल होती है तो उसे अध्यापक अपने आप स्कुल में बुलाने के लिए घर में आ जाते है ।

बालकों के लिए खेलना काफी जरूरी होता है

भावनात्मक और बौद्धिक विकास आज के समय में काफी अधिक जरूरी होता है । आपको बता दे की भावनात्मक और बौद्धिक विकास होने के कारण से बालक जो होते है वे भविष्य में जाकर एक मजबुत भानात्मक स्वास्थ्य बना सकते है वही पर अचछी द्धिक विकास के कारण से जीवन में कुछ अलग कर सकते है । और यह तभी होगा जब बालक को बचपन में खेलने के लिए समय दिया जाता है ।

इस कारण से अगर आप बालको को खेलने के लिए समय नही दे रहे है तो आपको देना चाहिए । क्योकी बालको के लिए खेलना काफी अधिक जरूरी हो चुका है और यह आपको पता होना चाहिए । आपको बता दे की विज्ञान के अनुसार जो बालक समय पर खेलते है और फिर अध्ययन करते है तो उनको ज्यादा अचछी तरह से याद होता है ।

आपको बात दे की बालक को खेलने के पीछे कई तरह के ऐसे गुण होते है जो की बालक के जीवन में सामिल हो जाते है और आप जब इन गुणो के बारे में जानोगे तो आपको आश्चर्यजनक लग सकता है । इस कारण से बालको को समय पर खेलना भी जरूरी है और इस बात का ध्यान रखना चाहिए ।

‌‌‌बालको को डराना नही चाहिए

आज के समय में जैसे बालक का जन्म होता है तो उसके माता पिता कहते है की बेटा सो जा वरना भूत आ जाएगा । हालाकी उस समय क्या होता है की बालक को भूत के बारे में पता नही होता है मगर जैसे जैसे समय बितता जाता है वह बालक समझने लग जाता है की भूत वह है जिसे देख कर डरना चाहिए ।

और इसी तरह से बालक को फिर भूत के नाम से ही डर लग जाता है । आपको बता दे की बालक अपने जीवन में भूत को भले ही न देखे मगर वह नाम से डरने लग जाते है ।

उसी तरह से बहुत से लोग ऐसे होते है जो की अपने बालक को डरा कर काम करवाते है और ऐसा कभी करना नही चाहिए । क्योकी अगर बालक को डराया जाता है तो उनके मन के अंदर डर पैदा हो जाता है और इसका नतीजा जो होता है वह काफी खतरनाक होता है और आपको इस बारे में पता होना चाहिए ।

आपको बता दे की डर वह है जिसके कारण से बालक इतना अधिक डर सकता है की उसे चोट भी लग सकती है और यह आपको पता हेाना चाहिए । आपको बता दे की बालक को डरना नही चाहिए क्योकी अगर डराया जाता है तो भविष्य में हो सकता है की उसके मन में काफी अधिक डर बैठ जाता है ।

आपने अगर कभी कंचना मुवी को देखा है तो उसके अंदर आपने देखा होगा की किस तरह से हिरो भूत से डरता है और वह काफी बड़ा होता है । और सही हाल बालक का हो सकता हैतो इससे अच्छा होगा की बालक को कभी डरना नही चाहिए ।

‌‌‌बालको को बचपन में बुराईयो से दूर रखना चाहिए

इसमें कोई शक नहीं है कि दुनिया में बुराई मौजूद है। आपको बता दे की इस दुनिया में आपको बुरे लोग भी मिलेगे और बुरे स्थान और बुरी चीजे भी मिलेगी । मगर इसका मतलब यह नही है की बालक को भी बुराईयो के बारे में बताया जाए ओर उसे बुराईया सिखाने का काम किया जाए । बल्की बालक जो होता है उसे हमेशा बुराईयो से दूर रखना चाहिए । और ऐसा क्यो होता है तो आपको इस बारे में पता होगा ।

आपको बता दे की बालक जो होते है वे काफी नादान होते है और जैसा कुछ देखते है वैसा ही समझते है तो अगर बुराईया अगर वे देखते है तो वे बुराईया सिख लेते है औरी भविष्य में यह उनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है और आप इस बात को समझ सकते है । आपको बता दे की बालक की रक्षा के लिए उन्हे बुराईयो से दूर करना काफी जरूरी है ।

‌‌‌ बालकों को स्कूल भेजना भी जरूरी है

आज के समय में शिक्षा कितनी जरूरी है यह आपसे बेहतर कोई नही जा न सकता है क्योकी अगर आप स्वयं अध्ययन करे हुए है यानि शिक्षा ग्रहण किए हुए है तो आप इस बारे में अच्छी तरह से जानते है । वही पर अगर आपने अध्ययन नही किया है तो भी आप इस बारे में जानते है ।

क्योकी आज के समय में सफल होने के लिए अध्ययन का होना काफी जरूरी होता है और इस बात को आप समझ सकते है । आपको बता दे की बालक जो होते है उनके लिए शिक्षा काफी जरूरी होती है और शिक्षा केवल स्कूल के अंदर ही मिलती है तो उन्हे स्कूल भेजना भी जरूरी होता है ।

अत बालको को हमेशा स्कूल जाना चाहिए और माता पिता का यह फर्ज बनता है की उनका बेटा हमेशा स्कूल जाए और वह एक भी दिन न जाए जब आपका बालक स्कूल न जाए । क्योकी यह आज का जो ​जीवन है वह उसके लिए और देश के लिए कुछ बेहतर सफलता की तैयारी कर रहा है ।

बालक स्कलू जाता है तो वह केवल शिक्षा ही ग्रहण नही करता है बल्की वह काफी कुछ अलग अनुभव और अलग सिख सकता है । वह जीवन में कुछ नए दोस्त बना सकता है और जीवन में सफल होने के लिए कुछ अलग तरह का अनुभव प्राप्त कर सकता है । और आपको इस बारे में पता होना चाहिए ।

‌‌‌बालक को समझाने का एक तरीका होता है

अगर बालक कुछ गलत करता है तो उसे डाटना कभी नही चाहिए क्योकी उसे डाटने के कारण से जो परेशानियां होती है वह और अधिक बढ जाती है । आपको बता दे की बालक को समझाने का एक अलग ही तरीका होता है और वह शांति और प्यार का तरीका होता है और यह आपको पता होना चाहिए ।

अगर आपके सामने एक बालक है तो आप उसे उसी तरह से समझाए जिस तरह से वह उसे बेहतर तरह से समझ सकता है और यह उसके लिए एक अच्छा तरीका बन सकता है ।

बहुत से लोग क्या करते है की वे अपने बालक को समझाने के लिए डाटते है और पीटते है मगर ऐसा कभी नही करना चाएिह इससे क्या होता है की जो बालक होता है वह और अधिक नाराज होता है और वह समझना नही चाता है तो ऐसे कभी नही समझाना चाहिए ।

‌‌‌इस तरह से दोस्तो बालक के पर्यायवाची शब्द या बालक के सामनार्थी शब्द होते है । आपको लेख कैसा लगा कमेंट में बताना ।

इस तरह से हमने इस लेख में बालक का पर्यायवाची शब्द या बालक का समानार्थी शब्द के बारे में जान लिया है ।

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