आस्था का विलोम शब्द क्या है bhoot ka vilom shabd kya hai ?

आस्था का विलोम शब्द या आस्था का विलोम , आस्था का उल्टा क्या होता है ? balidan ka vilom shabd

शब्दविलोम शब्द
आस्थाअनास्था 
BelieveNot believe

‌‌‌आस्था का मतलब और आस्था का विलोम शब्द

‌‌‌आस्था का मतलब विश्वास या निष्ठा होता है।आस्था वैसे एक तरह से विश्वास ही होता है। लेकिन दोनों के अंदर बड़ा अंतर भी होता है। आपका आपके दोस्त के प्रति विश्वास हो सकता है लेकिन आस्था नहीं होगी । असल मे आस्था वर्ड का प्रयोग खास प्रकार से किया जाता है। यह धर्म के क्षेत्र मे प्रयोग होता ‌‌‌है।जैसे आप शिव को मानते हैं तो यह आपके मन मे उनके प्रति आस्था है। जहां पर आस्था होती है वहां पर अपने आप ही विश्वास बन जाता है। निष्ठा का मतलब भी यकीन और विश्वास से होता है। हालांकि आस्था कई तरह की हो सकती है। सबसे पहली बात तो आस्था ‌‌‌मात्र एक गहरा विश्वास होता है। इस प्रकार की आस्था कभी कभी गलत साबित भी हो सकती है। जैसे कि आप किसी इंसान को गूरू तुल्य मानते हो लेकिन बाद मे आपको यह पता चलता है कि आप जिस इंसान को गूरू तुल्य मान रहे थे वह तो एक चोर था तो एसी स्थिति मे आपकी आस्था खंड़ित हो जाती है।

आस्था का विलोम शब्द

‌‌‌लेकिन कुछ आस्थाएं ऐसी भी होती हैं जिनको तर्क और ज्ञान की वजह से पैदा किया जाता है। इस प्रकार की आस्था के खंडित होने के चांस लगभग ना के बराबर होते हैं। जैसे की सभी जानते हैं कि आत्मा ही परमात्म होती है लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जोकि खुद इसका अनुभव कर चुके हैं आप कितनी भी कोशिश करलें । ‌‌‌आप उनकी आस्था को खंड़ित नहीं कर सकते हैं।

लेकिन हमारे यहां पर सबसे बड़ी समस्या यही है कि हम बिना जांचे परखे चीजों पर विश्वास कर लेते हैं और जिसका परिणाम यह होता है कि समाज के अंदर पाखंड पैदा होता है।

‌‌‌वैसे यदि आप भारत के अंदर देखेंगे तो यहां पर इतने अधिक पाखंड़ धर्म के नाम पर फैल चुके हैं कि कई लोग तो धर्म को एक बिजनेस की तरह लेते हैं और उसके बाद अच्छा पैसा कमाते हैं। और उनके चेले चपाटे भी ऐसे ही होते हैं जो बिना सोचे समझे कुछ भी चीजों के उपर भरोशा कर लेते हैं। ‌‌‌और दुर्भाग्य की बात तो यह है कि धर्म के अंदर तर्क का इस्तेमाल करने वाले बस कम ही बचे हैं। और बस भावनाओं का खेल यहां पर चलता है। यही कारण है कि नए नए पाखंडी रोज पनप रहे हैं।

‌‌‌पीछले दिनों न्यूज के अंदर आ रहा था कि एक इंसान ने खुद को भगवान घोषित कर दिया और अपने तंत्रमंत्र की वजह से लोगों मे चमत्कार दिखने शूरू कर दिये । लोगों ने सोचा की यही भगवान है। और उसके बाद उसकी पूजा करने लगे । ‌‌‌और फिर उसका लाखों का चढ़ावा आने लगा । गूरू ने आस पास की जमीन पर भी काफी कब्जा कर लिया । गुरू की मौत के बाद उसके चेले गद्दी के लिए लड़ने लगे । और आज भी यह धंधा काफी जोरों से चल रहा है। यदि आप इस प्रकार के गुरू घंटालों के यहां पर जाते हैं वे मांग कर आपसे पैसा लेते हैं। ‌‌‌जैसे कि गुरू के पास ही बस टिकट है जो आपको काटकर देंगे और आप पलक झपकते ही भगवान के पास पहुंच जाएंगे ।

अनास्था ‌‌‌का मतलब

‌‌‌दोस्तों अनास्था का मतलब होता है जिसके प्रति आपके अंदर आस्था नहीं है। जैसे आप किसी देवता मे अपनी आस्था नहीं रखते हैं तो यही अनास्था या अविश्वास है। असल मे अनास्था शब्द का अर्थ आस्था के नहीं होने से ही होता है।

‌‌‌सच्ची आस्था की कहानी

‌‌‌प्राचीन काल की बात है। यह बूढ़ी माई थी वह हर शनिवार को व्रत रखती थी। और शाम को शनिदेव को अर्घ देने के बाद ही खुद खाना खाती थी। यह सिलसिला काफी सालों से चल रहा था। उसका एक बेटा था। जब उसकी शादी करदी गई तो घर के अंदर बहु आ गई। बहु को सास का व्रत करना पसंद नहीं था। पहले पहले तो वह कुछ नहीं बोली ‌‌‌ लेकिन कुछ दिन बाद बहू अपनी सास से बोली ……मांजी आप क्यों फालतू के अंदर भूख मरती हैं और हर शनिवार व्रत खोलने से पहले दान भी करती हैं। इससे कुछ नहीं होने वाला ।

…….नहीं बहू ऐसा नहीं कहते शनिदेव नाराज हो जाएंगे।

…….ठीक है आज मैं देखती हूं कि तुम्हारे शनिदेव तुमको बचाने आते हैं ‌‌‌ या नहीं । और उसके बाद बहू ने अपनी ही सास को घर से निकाल दिया । उसका बेटा इस वक्त घर पर नहीं था। सास बहू से ऐसा ना करने को बोलती रही लेकिन बहू कहां सुनने वाली थी ?

‌‌‌आज व्रत होने की वजह से सास भूखी थी और शनिदेव को अर्घ दिये बिना रोटी भी कैसे खा सकती थी। वह वहां से धीरे धीरे पैदल चलती हुई अपने खेत मे गई और वहीं पर पड़ी खाट पर सो गई । उसकी आंखों मे आंसू थी। रात को किसी ने उसे जगाया

……….मांजी उठो खाना खालो ?

बूढ़ी मां ने देखा कि एक सुंदर सा लड़का हाथ ‌‌‌ मे खाना लिये खड़ा है ?

…..आप इतनी रात को खाना लेकर कैसे आए और ?

……माता मैं यहीं पर गाय चरा रहा था तो मैंने अपने मन की शक्ति से यह जान लिया कि आप भूखी हैं। और आपको खाना देना चाहिए ।

…लेकिन क्या आप एक संत हैं।

…..नहीं माता मैं शनिदेव का भगत हूं ।

और उसके बाद बूढ़ी माता ने ‌‌‌शनिदेव को अर्घ दिया और उसके बाद जैसे ही उसने देखा तो पीछे कोई भी लड़का नहीं खड़ा था। माता हैरान रह गई । इधर उधर जाकर देखा लेकिन दूर दूर तक उसे कोई भी नहीं देखा । उसे यह यकीन हो गया कि इतना सुंदर इंसान इस धरती लोक का नहीं हो सकता था।

‌‌‌अब वह यह जान चुकी थी कि शनिदेव ही उसे खाना देने के लिए आए थे । बूढ़ी माता ने खाना खाया और उसके बाद वहीं पर सो गई। सुबह उठी तो उसकी उसकी बहू वहीं पर खड़ी थी बोल रही थी …….मांजी हमसे गलती हो गई मांफ कर दो । रात को शनिदेव सपने मे आए थे और बोला कि यदि ‌‌‌मेरी प्रिय भगत को यदि किसी ने दुख दिया तो उसका विनाश हो जाएगा । ‌‌‌इस कहानी का मतलब यही है कि यदि आप विश्वास करते हैं तो पत्थर मे भी भगवान है और यदि आप विश्वास नहीं करते हैं तो फिर भले ही भगवान आपके सामने आएं । आप पहचान ही नहीं पाएंगे।

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