बेईमान का विलोम शब्द या बेईमान का विलोम , बेईमान का उल्टा क्या होता है ? Beiman ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
बेईमान | Imandar |
Beiman | ईमानदार |
दोस्तों बेईमान का अर्थ होता है जो दुष्ट इंसान हो और अपने वादे से या अपने ईमान से मुकर गया हो वही बेईमान है। या जिसका कोई ईमान नहीं हो वह बेईमान है। अब बेईमान के बारे मे आपको अधिक समझाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि रोज आपका अनेक बेईमानों से पाला पड़ता ।
वैसे इस दुनिया के अंदर बेईमानों की कमी नहीं है। कभी मैं खुद एक बेईमान इंसान था लेकिन बाद मे खुद मे सुधार किया । आजकल आप जो लूट कसौट देख रहे हैं । कालाबाजारी देख रहे हैं । वे कोई ईमानदार इंसानों का काम नहीं है। यह सब बेईमानों का काम है।
अक्सर आपने देखा होगा कि बेईमानी नाम सुनते ही हम लोग नाक सिकोड़ लेते हैं और यह दिखावा करने का प्रयास करते हैं जैसे कि हम बहुत अधिक ईमानदार हैं। असल मे आप अंदर से ईमानदार बनिए । यदि आप अंदर से ईमानदार बनते हैं तो फिर आप कभी बेईमान नहीं हो पाएंगे । लेकिन आप अंदर से ईमानदार नहीं बनते हैं।
दूसरों के सामने ईमानदारी के सबूत पेश करना अच्छा हो सकता है लेकिन असल मे खुद के सामने यदि आप ईमानदार बन जाते हैं तो दूसरे के सामने अपने आप ही ईमानदार हो जाएंगे।
लेकिन बेईमान क्यों आती है ? यह सबसे बड़ा सवाल होता है ।असल मे बेईमानी आने का कारण अधिक चाह होना तो होता ही है। इसके साथ साथ ही तेजी से घटते संसाधानों का होना भी है। यदि आज से आप 200 साल पीछे जाएंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत देश के अंदर जमीन का कोई भी अधिक महत्व नहीं था। जमीन सरकार की हुआ करती थी। लेकिन यदि आप उस वक्त के लोगों को यह कहते की आपकी जमीन कोई ले जाएगा तो वे आपकी बात को कभी नहीं मान सकते थे तो जमीन से जुड़ी बेईमानी कैसे उनके अंदर आ सकती थी।
लेकिन जैसे जैसे जनसंख्या विस्फोट हुआ वैसे वैसे जमीन की कमी होती चली गई और अब दिल्ली का तो यह हाल है कि लोग मकोड़ों की तरह स्टेशनों पर चलते हैं। जब इमने सारे लोग आ रहे हैं। लेकिन संसाधन उतने ही हैं तो बेईमान अपने आप ही आ जाएगी ।
क्योंकि इंसानों के अंदर कुछ अधिक पाने की लालसा होती है।और अधिक लालसा के चलते ही तो इंसान के अंदर बेईमानी विकसित होती है।
तो आप समझ चुके हैं कि बेईमानी का विकास भी प्राकृतिक तरीके से होता है। और प्राकृतिक तरीके से ही बेईमानी का अंत भी होता है। इसी लिए तो कहा गया है कि सब कुछ करने वाली प्रकृति ही है।
दोस्तों ईमानदारी का मतलब होता है जो ईमान रखता है वही ईमानदार है।जैसे आप अपने ईमान को नहीं खोते हैं तो आप ईमानदार हैं। जैसे कि कुछ दुकानदार होते हैं जो अपने मुनाफे को फिक्स रखते हैं। वे कभी भी कस्टमर को लूटने का प्रयास नहीं करते हैं।
लेकिन एक ईमानदार इंसान की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि वह अपने मेहनत की कमाई खाता है। उसे कभी किसी दूसरे की नहीं चाहिए होती है। आज भी भारत के अंदर ऐसे लोग मौजूद हैं जो अपने मेहनत की कमाई खाने पर यकीन करते हैं। उनका विचार होता है कि वे किसी दूसरे की की रोटी ना छिनें और उनकी रोटी भी कोई नहीं छीने ।
लेकिन इस प्रकार के विचार रखने वाले युवा बहुत ही कम बचे हैं।और तेजी से इस प्रकार के युवाओं की संख्या कम होती जा रही है।आधुनिक युवा इस प्रकार की सोच को नहीं रखते हैं। उनका मानना होता है कि किसी भी प्रकार से पेशा आना चाहिए ।और पेशे के लिए वे अपनी जिंदगी और सब कुछ दाव पर लगा सकते हैं।
प्राचीन काल की बात है।एक शहर के अंदर दो भाई रहते थे । एक भाई का नाम भोला था तो दूसरे नाम चालू था। भोला काफी ईमानदार इंसान था और चालू अपने नाम के अनुसार चालू ही था।भोला खेत मे काम करता था और दिन के अंदर जो कुछ भी बनता था वह लेकर आता था। उसके बाद उसी से अपना पेट पालता था। भोला इस काम से हमेशा ही खुश था लेकिन चालू काफी तेजी से अमीर बन जाना चाहता था।
वह खेती के काम को उतना अधिक पसंद नहीं करता था।वह काफी तेजी से अमीर बन जाना चाहता था। इसके लिए वह अनेक उल्टे सुलटे धंधे करता था। रात मे कई बार चोरी भी करके ले आता । भोला को यह पसंद नहीं था तो वह उसे कई बार टोकता था लेकिन वह अपनी इस गंदी आदत से बाज नहीं आता था।
एक रात बोला को अपने साथी चोरों से पता चला कि राजा के महल के अंदर एक तहखाने मे काफी सोना दबा हुआ है। यदि वह सोना लुटने मे कामयाब हो गया तो फिर उसे जिदंगी के अंदर कभी भी चोरी नहीं करनी पड़ेगी ।
चालू तेजी से गया और फिर किसी तरह से राजा के महल के अंदर सुरंग खोद कर घुस गया । अंदर जाकर देखा तो बहुत सारा सोना रखा हुआ था।वह काफी अधिक खुश हो गया और उसके बाद उसने सोने को अपनी बैग के अंदर भर लिया । लेकिन गलती से वहां पर रखे कुछ बर्तनों से वह टकरा गया और शौर हुआ जिससे उस कमरे के पास सिपाहियों को पता चल गया वे जल्दी से दरवाजा खोलकर अंदर आए और चालू पर हमला कर दिया ।
चालू के शरीर पर तलवार लगने से वह काफी घायल हो गया और उसे पकड़ कर जेल मे डाल दिया गया । दूसरे दिन राजा के सामने उसे पेश किया गया । भोला भी वहां पर आया था। उसने अपने भाई को बचाने का प्रयास किया लेकिन बचा नहीं पाया ।
राजा ने चालू को फांसी की सजा दी । और उसका सर काटकर जंगलों के अंदर फेंक दिया गया ।
इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि यदि आप बुरा करते हैं और बेईमानी करते हैं तो फिर आपको इसका नतीजा भी भुकतना पड़ता है।बहुत लोगों को यह वहम होता है कि वे बेईमानी करके बच जाएंगे लेकिन ऐसा कभी भी नहीं होता है। बेईमानी करके बचना कठिन होता है।
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