भैरव का पर्यायवाची शब्द
दोस्तो आपको इस लेख मे भैरव के बारे मे जानने को मिलेगा की भैरव के पर्यायवाची शब्द bhairav ka paryayvachi shabd क्या होते है और भैरव के समानार्थी शब्द bhairav ka samanarthi shabd क्या होते है । इसके अलावा भैरव कोन था और इससे जुडी रोचक जानकारी देखने को दि गई है । तो लेख को आराम से देखे ।
भैरव का पर्यायवाची शब्द और भैरव का समानार्थी शब्द [bhairav ka paryayvachi shabd aur bhairav ka samanarthi shabd]
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द और समानार्थी शब्द {aryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
भैरव | भूतनाथ, श्वानवाहन, रूद्रमूर्ति भीम, कराल, गंगाधर, चंद्रभाल, कालमूर्ति, कैलाशपति, विकराल, भयानक , महाभैरव, कपर्दी, सहारभेरव, असिताड्गभैरव, रूरू भैरव, नटनागर, विश्वनाथ, काल भैरव, क्रोध भैरव, पिनाकी, ताम्रचूड भैरव, चन्द्र चूउ भैरव, महेश, शम्भू, उमापति, उमेश, दण्डपाणि , स्वस्वा , भैरवीनाथ, दंडधारी । |
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भैरव का हिंदी मे अर्थ क्या होता है, what is meaning of bhairav in hindi
- जो देखने में भयंकर हो ।
- तांत्रिकों, सुरक्षा और काले जादू के देवता ।
- शिव का ही एक अंश जो की भैरवी का पति हो ।
- शिव का रूद्र रूप ।
- जिसका वाहन काला कुत्ता होता है ।
- जो दंड देने का काम करता हो यानि दंडधारि ।
- माता दुर्गा के साथ रहकर पापियो का नास करने वाला यानि दंडधारि ।
- जिसकी पूजा मंगलवार और रविवार के दिन होती है और जो शिव का अवतार है ।
- ऐसा देव जीसकी पूजा पूरे भारते मे बडे धूम धाम से होती है ।
- भूत, प्रेत, पिशाच आदि का स्वामी ।
- दक्षिण भारत मे जिसे शास्ता के नाम से जाना जाता है ।
- महाराष्ट्र मे जिसे खण्डोबा के नाम से जानते है ।
- ऐसा देव जो विविध रोगों और आपत्तियों विपत्तियों के अधिदेवता के रूप मे जाने जाते है ।
भैरव का पर्यायवाची शब्द के वाक्य में प्रयोग, Use of Bhairav’s synonym in a sentence
- हमारे गाव मे ही नही बल्की पूरे भारत मे भगवान भैरव की पूजा होती है ।
- सरला तुम कई वर्षो से बिमार हो एक बार पडोसी गाव मे भैरव के दर्शन करने के लिए चली जाओ वहां जो भी जाता है उसके कष्ट तुरन्त मिट जाते है ।
- कुलदिप के पिता जन्म से विकलाग थे मगर जब से उन्होने भैरव की पूजा करनी शुरू की है उनकी यह कमी दूर होने लगी है ।
- भैरव भगवान विभिन्न प्रकार की बिमारीयो को दूर करने वाले है अगर उनकी पूजा तुम्हारी बेटी करेगी तो उसके भी कष्ट मिट जाएगे ।
- महासभा मे बताया की भैरव का जन्म शिव के रक्त से हुआ था ।
- कल सभा है और वहां पर भैरव के गुणगान चलेगे मैं तो भैरव के दर्शन करने के लिए जा रही हूं तुम्हे भी अना चाहिए ।
भैरव के बारे मे रोचक तथ्य, Interesting facts about Bhairav
- आपको जान कार हैरानी होगी की भैरव एक ऐसे देव है जीनकी पूजा पूरे के पूरे भारत मे बडे ही जोरो सोरो से होती है ।
- एक बार अंधक दैत्य और शिव मे युद्ध हो रहा था तो अंधक दैत्य ने शिव के सिर के चार टूकडे कर दिए और रक्त बहने लगा था । इसी से भैरव की उत्पत्ति हुई थी ।
- हिंदू धर्म जहां शिव के अवतार के रूप मे भैरव को मानता है वही शैव धर्म में बताया गया है की कालभैरव शिव का अंत करेगा ।
- हिंदू धर्म मे बताया जाता है की जीसका वाहन कुत्ता होता है और उसके हाथ में दंड होता है वह भैरव है ।
- गोरखनाथ जी के गुरू और कोई नही महान तांत्रिक भैरव ही थे ।
- भैरव की पूजा के समय नारियल फोडे जाते है व किठाइयां चढा कर उनके वाहन काले कुत्ते को खिलाई जाती है ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत मे एक राग है जो भैरव के नाम पर रखा गया है ।
- भैरव का आवाहन करने के लिए “ ॐ काल भैरवाय नमः मत्र ” का जाप किया जाता है ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की महाराष्ट्र के गाव गाव मे जीसकी पूजा की जाती है जीसे खण्डबो के नाम से जानते है वह और कोई नही बल्की कालभैरव ही है ।
- इसी तरह से दक्षिण भारत मे बहुत जोरो सोरो से शास्ता की पूजा की जाती है यह शास्ता भी भैरव है ।
- हिंदू धर्म मे भैरव को भूतेश कहा गया है क्योकी वे भूते के स्वामी है ।
- अनेक ग्रंथो मे बताया गया है की भैरव एक मात्र ऐसे देव है जो विभिन्न प्रकार के रोगो को पल भर मे दूर कर सकते है ।
- पुराणो मे भैरव को 8 नामो से जाना जाता है जो है – असितांग-भैरव, रुद्र-भैरव, चंद्र-भैरव, क्रोध-भैरव, उन्मत्त-भैरव, कपाली-भैरव, भीषण-भैरव तथा संहार-भैरव।
- कालिका पुराण कहता है की भैरव शिव का एक गण है ।
- काशी का काल भैरव मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां पर पूरे भारत के लोग दर्शन करने के लिए जाते है क्योकी यह भारत का भैरव का सबसे बडा मंद्रिर है ।
- भैरव का एक मंदिर और सबसे अधिक प्रसिद्ध है जो की दिल्ली मे पडता है जो है बटुक भैरव का पांडवकालीन मंदिर ।
- आपको जान कर हैरानी होगी की भैरव एक ऐसे देव थे जो काले जादू के देवता कहे जाते है ।
- आपको यह भी जान कर हैरानी होगी की भैरव एक तरह का तांत्रिक था जो काला जादू करना जाता था ।
- शिव के अवतार के रूप मे भैरव को हिंदू मानते है इसी कारण से इनकी पूजा काफी अधिक होती है ।
- कुछ ग्रंथो मे बताया जाता है की भैरव ने कई पापियो का अंत किया था ।
- अंग्रेजो के काल मे भी भारत मे भैरव के मंद्रिर थे मगर अंग्रेज उन मंद्रिरो का बाल भी बाका न कर सका ।
भैरव का जन्म कैसे हुआ, how bhairav was born
भैरव एक शिव का ही रूप है जिसे शिव का अंश कहा जाता है । यह शिव का विक्राल रूप के रूप मे जाना जाता है । और बताया जाता है की शिव का विक्राल रूप भैरव है । क्योकी भैरव पूरी तरह से शिव से जुडा है तो इसके जन्म के बारे मे भी शिव पूराण मे लिखा होगा ।
शिव पूराण के अनुसार भैरव का जन्म कैसे हुआ, According to Shiva Purana, how Bhairav was born
शिव पुराण कहता है की विष्णु और ब्रह्माजी जब एक दूसरे से श्रेष्ठ होने के लिए लडने लगे थे तब भैरव का जन्म हुआ था । क्योकी दोनो को लडते देख कर सभी देव हैरान हो गए और इसका प्रभाव शिव भी पडा । क्योकी शिव अपने ध्यान मे मगन थे । मगर उन्हे अहसास हुआ की विष्णु और ब्रहमाजी लडने मे लगे है । इस कारण से शिव ने अपना ध्यान बंद किया और ध्यान से बहार आकर अपने नंदी से इस बारे मे पुछा ।
तब नन्दी ने शिव को पूरी जानकारी दी । तभी शिव को यह भी लगा की दोनो मे श्रेष्ठ सक्ति है अगर दोनो इस तरह से लडते रहेगे तो इस संसार को नष्ट होने मे देर नही लगेगी । ऐसा सोच कर शिव ने दोनो को रोने का निश्चिय किया । और फिर दोनो के पास शिव पहुंच गए और दोनो को रोकने लगे थे । मगर विष्णु और ब्रहमा दोनो ही कहने लगे थे की हममे से श्रेष्ठ कोन है यह बताओ ।
इस बात का निश्चय करने के लिए शिव ने कहा की आपके पास एक खंभा है उसके अंतीम छोर का पता जो भी लगा लेगा वही श्रेष्ठ है । तब विष्णु और ब्रह्मा ने कहा की यहां तो कोई खंभा नही है । तब शिव ने कहा की जरा पिछे देखो । जब विष्णु और ब्रह्मा ने पिछे देखा तो उन्हे खंभा दिखाई दिया । जिसे देख कर दोनो ही चोक गए क्योकी वहां पर पहले कुछ नही था । मगर अब है तो दोनो को श्रेष्ठता का पता लगाने के लिए शिव की बात मान ली । अब ब्रहमाजी सबसे जल्दी से खंभे के उपरी छोर का पता लगाने के लिएचले गए ।
यह देख कर विष्णु निचे की और गए । कुछ समय बिता ही था की विष्णु वापस आ गए और शिव से कहने लगे की हे देवो के देव महादेव मैं आपकी लीला को जानता हूं तो मैं अपने आप को श्रेष्ठ साबित नही करूगा क्योकी विष्णु को पता चल गया था की अगर इसी तरह से युद्ध होता रहता तो उनकी बनाई हुई सृष्टि नष्ट हो जाती थी । शिव ने विष्णु के बात समझने के कारण से और अपनी गलती मानने के कारण से कुछ नही कहा ।
मगर ब्रहमाजी अब काफी समय बात आए और शिव से झुठ कह दिया की मैंने अंतिम छोर का पता लगा लिया है । तब शिव क्रोधित होने लगे थे क्योकी उन्हे पता था की ब्रहमा झुठ बोल रहे है बल्की इस खंभे का कोई अंतिम छोर नही है । मगर जब ब्रहमा बार बार झुठ बोलते जा रहे थे तो शिव क्रोधित हो गए और उनकी तीसरी आंख खुल गई ।
जिससे एक तेज बहार निकला और जिसका काल रंग था और वह देखने मे बहुत ही भंयानक रूप धारण कर चुका था । इस पुरूष को शिव ने भैरव कहा । और शिव ने भैरव को अज्ञा दी की जिस मुंख से ब्रहमा ने झुठ बोला है वह सिर अब नही रहना चाहिए । भैरव ने शिव की अज्ञा का पालन करते हुए ब्रहमा का 5 वा सिर काट दिया । क्योकी ब्रहमा ने 5 वे मुह से ही झुठ बोला था । इस तरह से भैरव का जन्म हो गया था ।
भैरव का वाहन क्या है और यह भैरव का वाहन कैसे बना, What is Bhairav’s vehicle and how did it become Bhairav’s vehicle
भैरव का वाहन काला कुत्ता होता है । जिसके पिछे एक पोराणिक कथा छिपी है और बताया जाता है की कुत्ता एक ऐसा जीव होता है जो कभी भी किसी शत्रु से डरता नही है । वह भूत पिशाच और दैत्यो से भी कभी नही डरता है बल्की डर को मार कर समाने वाले शत्रु को नष्ट करने के लिए आगे बढता है । इस तरह का ही भैरव है जो कभी किसी से नही डरता है और दुष्टो और शत्रुओ को नष्ट करता है । यानि जिसके कारण से भय भी दूर रहता है । क्योकी ये दोनो ही समान है तो भैरव ने कुत्ते को ही अपना वाहन के रूप मे चुना ।
मगर काला कुत्ता ही क्यो चुना गया ? सफेद या अन्य रंग का कुत्ता क्यो नही चुना गया ।, But why was only a black dog chosen? Why was a white or other colored dog not chosen?
इसके पीछे भी एक महत्वपूर्ण बात है की काला रंग जीस भी प्राणी का होता है वह प्राणी दूसरे प्राणियो पर हावी हो सकता है । यानि दूसरो को आसानी से दंबा लेता है । क्योकी कुत्ता काला था इस कारण से कुत्ते में भी यही गुण है । काला कुत्ता कभी किसी दूसरे रंग के जीव से डरता नही है बल्की वह उस पर हावी हो सकता है । इसके अलावा काले कुत्ते का हृदय बडा ही मजबुत होता है क्योकी वह किसी भी प्रकार के भय से नही डरता है । इन सब गुणो के होने के कारण से ही भैरव ने काले कुत्ते को चुना । ताकी जब वे शत्रुओ को नष्ट करे तो उसका वाहन भी डर कर भागे न बल्की उसके साथ खडा रहे और वह भी शत्रुओ को नष्ट करे ।
भैरव की आराधना से होते है रोग दूर, Diseases can be cured by worshiping Bhairav
शिव पुराण मे बताया जाता है की जो भी भग्त काल भैरव की आराधना करता है उसे किसी प्रकार का रोग, दूख नही रहता है । यानि कालभैरव दूखो और बिमारीयो को हरने वाले बताए जाते है । ऐसा माना जाता है की प्राचिन समय मे जब लोग अपनी बिमारीयो को नष्ट करने के लिए काल भैरव कें मदिर मे जाते तो उनके दूख दूर हो जाते थे ।
साथ ही कहा जाता है की भैरव एक तांत्रिक है जिसके पास अनेक शक्तिया मोजूद होत है । इस कारण से काल भैरव अपनी उन ही तंत्र विद्या से लोगो के दूख दूर करता था । और उनकी इन्ही शक्तियो के कारण से आज भी ऐसा होता है । इसके लिए भैरव के प्रसिद्ध मंदिरो मे भग्त दर्शन करने के लिए भी जाते है ।
तंत्रशास्त्र के अनुसार भैरव, Bhairav according to Tantrashastra
भैरव एक तांत्रिक थे जो तंत्रविद्या के बहुत बडे स्वामी थे । तंत्रशास्त्र में बताया जाता है की भैरव एक नही बल्की भैरव के कुल 8 रूप है जो है असितांग-भैरव, रुद्र-भैरव, चंद्र-भैरव, क्रोध-भैरव, उन्मत्त-भैरव, कपाली-भैरव, भीषण-भैरव तथा संहार-भैरव। इन भैरवो को अलग अलग कार्य के लिए जाना जाता है जिस तरह से अगर रूद्र भैरव की बात होती है तो भैरव के रूद्र रूप के बारे मे बताया जाता है जो काफी अधिक संकट लेकर आ सकता है । इसी तरह से बाकी रूपो के नाम का अर्थ होता है । ये सभी भैरव तंत्र विद्या मे बताए जाते है और इन्हे तंत्र विद्या आती है ।
क्या भैरव मानव के लिए उपयोगी है, Is bhairav useful for human
हां, भैरव जो हो है वे असल में मानव के लिए काफी उपयोगी है । क्योकी इन्हे एक देव माना जाता है और आपको बात दे की यह तंत्रविद्या के बहुत बडे स्वामी के रूप में जाने जाते है । तो आज के समय में जो कोई तंत्रविधा को मानता है ओर इसका उपयोग करते है उनके गुर असल में भैरव ही होते है ।
इसके अलावा भी जो हम इनकी पूजा नही करते है या किसी अन्य तरह से करते है तो भी यह हमारे लिए उपयोगी है ।क्योकी एक देव जो होते है वे मानव के कल्याण के लिए काम करते है और भैरव एक देव ही है ।
वैसे आपको उपर हमने जो कुछ बताया है उसके अनुसार आप भी यह समझ सकते है की भैरव मानव के लिए कितने उपयोगी है ।