दोस्तो आपको इस लेख मे भैरव के बारे मे जानने को मिलेगा की भैरव के पर्यायवाची शब्द bhairav ka paryayvachi shabd क्या होते है और भैरव के समानार्थी शब्द bhairav ka samanarthi shabd क्या होते है । इसके अलावा भैरव कोन था और इससे जुडी रोचक जानकारी देखने को दि गई है । तो लेख को आराम से देखे ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द और समानार्थी शब्द {aryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
भैरव | भूतनाथ, श्वानवाहन, रूद्रमूर्ति भीम, कराल, गंगाधर, चंद्रभाल, कालमूर्ति, कैलाशपति, विकराल, भयानक , महाभैरव, कपर्दी, सहारभेरव, असिताड्गभैरव, रूरू भैरव, नटनागर, विश्वनाथ, काल भैरव, क्रोध भैरव, पिनाकी, ताम्रचूड भैरव, चन्द्र चूउ भैरव, महेश, शम्भू, उमापति, उमेश, दण्डपाणि , स्वस्वा , भैरवीनाथ, दंडधारी । |
Bhairav | Bhootnath, Swanvahan, Rudramurti Bhima, Karal, Gangadhar, Chandrabhal, Kalamurti, Kailashpati, Vikral, Terrible, Mahabhairav, Kapardi, Saharbhairava, Asitadgabhairav, Ruru Bhairav, Natnagar, Vishwanath, Kala Bhairav, Krodha Bhairav, Pinaki, Bhairav, Chachaudra, Bhairav , Mahesh, Shambhu, Umapati, Umesh, Dandapani, Swaswa, Bhairavinath, Danddhari. |
Bhairav | ghostNath, dog vehicle, Rudra Murthy, Bhim, Gangadhar, moon bear, Kalamurti, KailashHusband, monster, horrible, ghastly, terrific, horrific, terrifying, Maha Bhairav, Kapardi, Sanhar Bhairav, asitadgabhairav, Ruru Bhairav, natnagar, Vishwanath, Kaal Bhairav, Krodha Bhairav, Pinaki, Tamrachud Bhairav, Chandra Chuu Bhairav, Mahesh, Shambhu, Umapati, Umesh, Dandapani, Swasva, Bhairavinath, Danddhari. |
भैरव एक शिव का ही रूप है जिसे शिव का अंश कहा जाता है । यह शिव का विक्राल रूप के रूप मे जाना जाता है । और बताया जाता है की शिव का विक्राल रूप भैरव है । क्योकी भैरव पूरी तरह से शिव से जुडा है तो इसके जन्म के बारे मे भी शिव पूराण मे लिखा होगा ।
शिव पुराण कहता है की विष्णु और ब्रह्माजी जब एक दूसरे से श्रेष्ठ होने के लिए लडने लगे थे तब भैरव का जन्म हुआ था । क्योकी दोनो को लडते देख कर सभी देव हैरान हो गए और इसका प्रभाव शिव भी पडा । क्योकी शिव अपने ध्यान मे मगन थे । मगर उन्हे अहसास हुआ की विष्णु और ब्रहमाजी लडने मे लगे है । इस कारण से शिव ने अपना ध्यान बंद किया और ध्यान से बहार आकर अपने नंदी से इस बारे मे पुछा ।
तब नन्दी ने शिव को पूरी जानकारी दी । तभी शिव को यह भी लगा की दोनो मे श्रेष्ठ सक्ति है अगर दोनो इस तरह से लडते रहेगे तो इस संसार को नष्ट होने मे देर नही लगेगी । ऐसा सोच कर शिव ने दोनो को रोने का निश्चिय किया । और फिर दोनो के पास शिव पहुंच गए और दोनो को रोकने लगे थे । मगर विष्णु और ब्रहमा दोनो ही कहने लगे थे की हममे से श्रेष्ठ कोन है यह बताओ ।
इस बात का निश्चय करने के लिए शिव ने कहा की आपके पास एक खंभा है उसके अंतीम छोर का पता जो भी लगा लेगा वही श्रेष्ठ है । तब विष्णु और ब्रह्मा ने कहा की यहां तो कोई खंभा नही है । तब शिव ने कहा की जरा पिछे देखो । जब विष्णु और ब्रह्मा ने पिछे देखा तो उन्हे खंभा दिखाई दिया । जिसे देख कर दोनो ही चोक गए क्योकी वहां पर पहले कुछ नही था । मगर अब है तो दोनो को श्रेष्ठता का पता लगाने के लिए शिव की बात मान ली । अब ब्रहमाजी सबसे जल्दी से खंभे के उपरी छोर का पता लगाने के लिएचले गए ।
यह देख कर विष्णु निचे की और गए । कुछ समय बिता ही था की विष्णु वापस आ गए और शिव से कहने लगे की हे देवो के देव महादेव मैं आपकी लीला को जानता हूं तो मैं अपने आप को श्रेष्ठ साबित नही करूगा क्योकी विष्णु को पता चल गया था की अगर इसी तरह से युद्ध होता रहता तो उनकी बनाई हुई सृष्टि नष्ट हो जाती थी । शिव ने विष्णु के बात समझने के कारण से और अपनी गलती मानने के कारण से कुछ नही कहा ।
मगर ब्रहमाजी अब काफी समय बात आए और शिव से झुठ कह दिया की मैंने अंतिम छोर का पता लगा लिया है । तब शिव क्रोधित होने लगे थे क्योकी उन्हे पता था की ब्रहमा झुठ बोल रहे है बल्की इस खंभे का कोई अंतिम छोर नही है । मगर जब ब्रहमा बार बार झुठ बोलते जा रहे थे तो शिव क्रोधित हो गए और उनकी तीसरी आंख खुल गई ।
जिससे एक तेज बहार निकला और जिसका काल रंग था और वह देखने मे बहुत ही भंयानक रूप धारण कर चुका था । इस पुरूष को शिव ने भैरव कहा । और शिव ने भैरव को अज्ञा दी की जिस मुंख से ब्रहमा ने झुठ बोला है वह सिर अब नही रहना चाहिए । भैरव ने शिव की अज्ञा का पालन करते हुए ब्रहमा का 5 वा सिर काट दिया । क्योकी ब्रहमा ने 5 वे मुह से ही झुठ बोला था । इस तरह से भैरव का जन्म हो गया था ।
भैरव का वाहन काला कुत्ता होता है । जिसके पिछे एक पोराणिक कथा छिपी है और बताया जाता है की कुत्ता एक ऐसा जीव होता है जो कभी भी किसी शत्रु से डरता नही है । वह भूत पिशाच और दैत्यो से भी कभी नही डरता है बल्की डर को मार कर समाने वाले शत्रु को नष्ट करने के लिए आगे बढता है । इस तरह का ही भैरव है जो कभी किसी से नही डरता है और दुष्टो और शत्रुओ को नष्ट करता है । यानि जिसके कारण से भय भी दूर रहता है । क्योकी ये दोनो ही समान है तो भैरव ने कुत्ते को ही अपना वाहन के रूप मे चुना ।
इसके पीछे भी एक महत्वपूर्ण बात है की काला रंग जीस भी प्राणी का होता है वह प्राणी दूसरे प्राणियो पर हावी हो सकता है । यानि दूसरो को आसानी से दंबा लेता है । क्योकी कुत्ता काला था इस कारण से कुत्ते में भी यही गुण है । काला कुत्ता कभी किसी दूसरे रंग के जीव से डरता नही है बल्की वह उस पर हावी हो सकता है । इसके अलावा काले कुत्ते का हृदय बडा ही मजबुत होता है क्योकी वह किसी भी प्रकार के भय से नही डरता है । इन सब गुणो के होने के कारण से ही भैरव ने काले कुत्ते को चुना । ताकी जब वे शत्रुओ को नष्ट करे तो उसका वाहन भी डर कर भागे न बल्की उसके साथ खडा रहे और वह भी शत्रुओ को नष्ट करे ।
शिव पुराण मे बताया जाता है की जो भी भग्त काल भैरव की आराधना करता है उसे किसी प्रकार का रोग, दूख नही रहता है । यानि कालभैरव दूखो और बिमारीयो को हरने वाले बताए जाते है । ऐसा माना जाता है की प्राचिन समय मे जब लोग अपनी बिमारीयो को नष्ट करने के लिए काल भैरव कें मदिर मे जाते तो उनके दूख दूर हो जाते थे ।
साथ ही कहा जाता है की भैरव एक तांत्रिक है जिसके पास अनेक शक्तिया मोजूद होत है । इस कारण से काल भैरव अपनी उन ही तंत्र विद्या से लोगो के दूख दूर करता था । और उनकी इन्ही शक्तियो के कारण से आज भी ऐसा होता है । इसके लिए भैरव के प्रसिद्ध मंदिरो मे भग्त दर्शन करने के लिए भी जाते है ।
भैरव एक तांत्रिक थे जो तंत्रविद्या के बहुत बडे स्वामी थे । तंत्रशास्त्र में बताया जाता है की भैरव एक नही बल्की भैरव के कुल 8 रूप है जो है असितांग-भैरव, रुद्र-भैरव, चंद्र-भैरव, क्रोध-भैरव, उन्मत्त-भैरव, कपाली-भैरव, भीषण-भैरव तथा संहार-भैरव। इन भैरवो को अलग अलग कार्य के लिए जाना जाता है जिस तरह से अगर रूद्र भैरव की बात होती है तो भैरव के रूद्र रूप के बारे मे बताया जाता है जो काफी अधिक संकट लेकर आ सकता है । इसी तरह से बाकी रूपो के नाम का अर्थ होता है । ये सभी भैरव तंत्र विद्या मे बताए जाते है और इन्हे तंत्र विद्या आती है ।
हां, भैरव जो हो है वे असल में मानव के लिए काफी उपयोगी है । क्योकी इन्हे एक देव माना जाता है और आपको बात दे की यह तंत्रविद्या के बहुत बडे स्वामी के रूप में जाने जाते है । तो आज के समय में जो कोई तंत्रविधा को मानता है ओर इसका उपयोग करते है उनके गुर असल में भैरव ही होते है ।
इसके अलावा भी जो हम इनकी पूजा नही करते है या किसी अन्य तरह से करते है तो भी यह हमारे लिए उपयोगी है ।क्योकी एक देव जो होते है वे मानव के कल्याण के लिए काम करते है और भैरव एक देव ही है ।
वैसे आपको उपर हमने जो कुछ बताया है उसके अनुसार आप भी यह समझ सकते है की भैरव मानव के लिए कितने उपयोगी है ।
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