भेद का विलोम शब्द या भेद का विलोम , भेद का उल्टा क्या होता है ? Bhed ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
भेद | अभेद |
Bhed | Abhed |
दोस्तों भेद का विलोम शब्द अभेद होता है।भेद का मतलब होता है फर्क । जैसे कि कोई काला और कोई गौरा है तो उन दोनों के अंदर भेद है।क्योंकि एक का रंग कोयले जैसा है तो दूसरे का गेंहू जैसा दोनों मे अंतर ही भेद होता है।
वैसे आपको बतादें कि भेद एक बहुत ही व्यापक शब्द है और इसकी कोई एक परिभाषा नहीं दी जा सकती है। आप दुनिया के अंदर जितनी भी चीजें देख रहे हैं। उन सभी चीजों के अंदर भेद मौजूद है।
भेद का बहुत बड़ा अर्थ होता है। इस दुनिया मे आपको भेद ही भेद मिलेगा । गरीब और अमीर के अंदर बड़ा भेद होता है। अच्छे और बुरे के अंदर भेद होता है। वैसे कुछ भेद जो वास्तव मे बेकार होते हैं। जैसे कि काले और गौरे का भेद है।कई ऐसी जगह हैं जहां पर काले लोगों को बुरा माना जाता है और उनके उपर गलत कमेंट किया जाता है। इस प्रकार का भेद नस्ल भेद के नाम से जाना जाता है।
इसी प्रकार से लिंगभेद भी एक बड़ा भेद होता है। भारत जैसा देश या दुनिया के कई अन्य देशों के अंदर लिंगभेद आज भी प्रचलित है। समाज के अंदर पुरूषों की भूमिका को महिलओं की भूमिका से उपर माना जाता है।यही वजह है कि जब गर्भ के अंदर लड़की होती है तो उसको मार दिया जाता है। लिंग परीक्षण अवैध है लेकिन यह आज भी अच्छे से चलता है। और बड़े बड़े अस्पताल इस जांच के अंदर शामिल होते हैं। लिंगभेद का बहुत बड़ा कारण समाज के अंदर प्रचलित अपराध भी हैं आप देख सकते हैं कि एक अकेली महिला रात के अंदर बाहर नहीं जा सकता है। क्योंकि बाहर बैठे लूटेरे उसकी इज्जत लूट लैंगे ।
अब आप खुद सोचिए कि सरकार इस प्रकार के लूटैरों को रोकने मे नाकाम है।वह एक ढंग का कानून तक नहीं बना सकती है तो फिर इसमे दोष किसका है। भेद पैदा खुद सरकार करती है । इसमे दूसरा किसी का हाथ नहीं है।
गरीबी और अमीरी का भेद आप देख रहे हैं तो वो क्यों है ?और कुछ बेरोजगारी से क्यों झूझ रहे हैं ? यह सब सरकारी नितियों की वजह से हो रहा है। कारण यही है । बड़ी समस्याओं मे से एक वजह जनसंख्या बढ़ोतरी है।
वैसे जनसंख्या पर कोई भी बात नहीं करेगा ।और लोग बस बेरोजगारी बेरोजगारी ही चिल्लाएंगे । देश की राजनीति ने देश को जितना अंदर से खोखला किया है । उतना शायद किसी ने नहीं किया है। भारत आने वाले समय मे कई टुकड़ों के अंदर बंट जाए तो आपको अतिश्योक्ति नहीं करनी चाहिए । क्योंकि राज्य राज्य आपस मे भेद कर लड़ रहे हैं।उपर से खालिस्तानी की मांग । भारत को ईस्लाम के अंदर बदलने के प्रयास यह सब देश के अंदर भेद पैदा करेंगे और उसके बाद ग्रहयुद्ध होगा और फिर आएगा तानाशाही शासन देश मे बाद कभी वोट नहीं पड़ेगा और ना ही कभी सरकार बदलेगी ।
देश मे जितने क्षेत्र के अंदर भेद बढ़ते जाएंगे उतने ही देश के टुकड़े होने की संभावना बढ़ जाएगी । और उसके बाद धीरे धीरे चाइना जैसी ताकत भारत पर कब्जा भी कर लेगी । और उसके बाद फिर भारत गुलाम होगा ।
दोस्तों अभेद का मतलब होता है जिसके अंदर कोई भेद नहीं हो । या जिसमे भेद करना संभव नहीं हो । जैसे कि बिजली बिजली मे आप भेद नहीं कर सकते हैं क्योंकि दोनों एक ही होती है। इसी प्रकार से दुनिया के अंदर ऐसी अनेक चीजे हैं जिनमे भेद नहीं होता है। इसके अलावा हम इंसान हैं तो हमे भी भेदभावनाओं का त्याग करना चाहिए और मानवता के लिए काम करना चाहिए ।लेकिन असल मे ऐसा नहीं होता है। यदि आप आज के इंसान के तौर पर देखेंगे तो आप पायेंगे कि इंसान जानवर से भी गया गुजरा हो चुका है। वह खुद को कई तरीके से अलग करने की कोशिश करता है। वह खुद की जाति पर गर्व करता है और दूसरों को अपनी जाति से नीचा मानता है।यही कारण है कि समाज के अंदर भेदभाव तेजी से बढ़ रहा है। आप समझ सकते हैं कि सिस्टम किधर जा रहा है। हर इंसानी जाति खुद को इंसान समझने की बजाय उस जाति का बच्चा समझती है। और उसके बाद एक दूसरे पर हमले होते हैं। भीमटे अलग झंड़ा बनाते हैं। मीणा का अलग झंडा होता है।
खालिस्तानियों का अलग झंडा होता है।मुस्लमानों का अलग झंडा होता है। अब देश के अंदर इतने अधिक विभेद पैदा हो चुके हैं कि कुछ किया नहीं जा सकता है। और इन विभेदों के बीच हर किसी को अपना अलग देश चाहिए होता है। जैसे कि जय भीम वाले अलग देश लेना चाहेंगे और दूसरे अलग देश लेना चाहेंगे ।
अब आप समझ सकते हैं कि आने वाले दिनों मे भारत की स्थिति क्या होगी ।एक तरफ चाइना जैसा पॉवरफुल कंट्री है जो सब कुछ अच्छे से मैनेज करना जानता है । दूसरी तरफ घर मे लड़ते लोगों वाला देश भारत है। भारत हमेशा अपने अंदर के मुदृों से झूझता रहा है और उसी मे हमेशा उलझा रहेगा तब तक चाइन जैसा देशा भारत पर अपना कब्जा कर लेगा और यहां के लोग आपस मे लड़ते रहेंगे जो इनका इतिहास रहा है। खैर हमे इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए ।
क्योंकि दुश्मन देश तेजी से भारत मे अस्थिरता करने मे लगें हैं और अपने आदमियों को हर जगह प्लांट कर रहे हैं ताकि सिस्टम मे कब्जा किया जा सके । एक बार सिस्टम मे ऐसा हो गया तो किसी भी समाज का झंडा वे बचने नहीं देंगे ।खैर भारत मे बढ़ते भेद का कारण भी विदेशी फंड ही है। विदेशों से भारत मे बड़ी मात्रा मे पैसा आता है ताकि उसको विरोधी ताकतों को दिया जा सके और देश मे अस्थिरता का माहौल बने और सरकारों की जड़े हिलाई जा सकें ।
खैर हम आपको यह बताना चाहते हैं कि जिस जगह पर जितने अधिक विभेद होंगे ।उस जगह पर उतने ही अधिक बंटवारे होंगे और लोग आपस मे लड़ेंगे आप समझ सकते हैं कि विभेद किस प्रकार से भारत के टुकड़े करने के लिए जिम्मेदार रहे हैं। इसलिए विभेद किसी काम के नहीं हैं।
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