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भ्रम का विलोम शब्द क्या है bhram ka vilom shabd kya hai ?

‌‌‌भ्रम का विलोम शब्द या ‌‌‌भ्रम का विलोम , ‌‌‌भ्रम का क्या होता है ? bhram ka vilom shabd , bhram ka vilom shabd kya hai

शब्दविलोम शब्द
‌‌‌भ्रम‌‌‌अभ्रम
bhramabhram

‌‌‌भ्रम का विलोम शब्द और अर्थ

दोस्तों भ्रम का विलोम शब्द अभ्रम होता है। भ्रम का मतलब होता है मिथ्या और कई बार जब हम किसी काम को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। और गलत दिशा के अंदर चले जाते हैं वह भ्रम ही होता है। भ्रम तो बहुत से लोगों को होता है। इस दुनिया के अंदर सबसे अधिक भ्रमित लोग रहते है।‌‌‌ज्ञानी लोगों का यही कहना है कि यह माया ही है जोकि सबको भ्रमित कर देती है। और माया के वश मे हुआ इंसान कुछ भी सत्य को नहीं देख पाता है। वह उधर ही चलता है जिधर कि उसे उसकी माया चलाती है। माया की वजह से चलने वाला इंसान ना सही देखता है और ना ही गलत देखता है।

‌‌‌माया इतना अधिक प्रभावशाली होती है कि इंसान को आंखे रहते हुए भी अंधा बना देती है।इसलिए तो इंसान अपने जीवन के अंदर ऐसे ऐसे कांड कर देता है कि उसे नहीं करने चाहिए । यह सब माया ही करती है।

‌‌‌लेकिन कांड करते समय इंसान की आंखों पर पट्टी पड़ी रहती है लेकिन जब वह फंसता है तो उसे अपनी करनी पर अफसोस होता है लेकिन तब तक बहुत ही देर हो चुकी होती है। उसके बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता है।

‌‌‌इसी तरह की वैसे तो अनेक घटनाएं होती हैं जिनका जिक्र करना संभव नहीं है लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती है कि वे हमेशा ही याद रखी जाती हैं। एक महिला थी जोकि सरकारी नौकरी करती थी। यह एक सिटी की बात है शायद हैदराबाद की उसको लेट हो गया । और उसने देखा तो उसकी स्कूटी पेंचर थी। आस पास कोई पेंचर की  ‌‌‌दुकान थी नहीं तो उन्होंने आस पास के लोगों से मदद मांगी ।लोगों ने उनकी मदद करने का वचन दिया । लेकिन कुछ ही समय बाद कुछ लड़के आए और उस महिला को उठाकर ले गए बारी बारी उसका रेप किया और उसके बाद उसको जला कर मार डाला गया । सुबह जब ‌‌‌इसके बारे मे लोगों को जानकारी मिली तो चारो तरफ हो हल्ला मच गया और फिर क्या था इन लड़कों को पुलिस ने पकड़ लिया और एनकाउंटर मे मार दिया । तो दोस्तों ऐसा ना सोचे की माया की वजह से जो आपका शरीर कर रहा है उसका फल आपको नहीं भुगतना होगा । आप जो कुछ भी कर रहे हैं उसका फल आपको भुगतना ही होगा ।

‌‌‌यह जो भ्रम होता है वह माया पैदा करती है।बहुत से लोगों को यह भ्रम होता है कि वे तो सदा ही ऐसे ही रहेंगे वे दूसरों की मौत पर हंसी उड़ाते हैं। इस तरह के माहामूर्ख यह भूल जाते हैं कि एक दिन वे भी मरेंगे और पता नहीं उनकी मौत कैसी हो ? और कोई उनकी भी हंसी उडाएगा ।

‌‌‌लेकिन इस तरह के लोग काफी भ्रमित होते हैं।वे सत्य को जानने के बाद भी अनदेखा कर देते हैं और इस भ्रम मे रहते हैं कि वे सदा ही अमर रहेंगे । पता नहीं उनकी मौत कब आएगी । इसलिए यदि कोई मर गया है तो खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि एक दिन आप भी मरेंगे । और जब आप मर रहे हों तब आप खुश हो सकते हैं

‌‌‌लेकिन जो लोग भ्रम मे नहीं होते हैं और सत्य को जानते हैं वे मरते समय भी खुश रहते हैं।और उनको किसी भी तरह की चिंता नहीं होती है। वे सदा ही खुश रहने वाले होते हैं और सत्य को जानते हैं।

‌‌‌अभ्रम या सत्य का अर्थ और मतलब

दोस्तों अभ्रम का मतलब होता है जोकि भ्रमित नहीं है। या जो भ्रमित ना होकर सत्य को जानता है उसके लिए यह शब्द प्रयोग मे लिया जाता है।और जा सत्य को देख सकता है वह अभ्रमित है। इस दुनिया के अंदर कुछ लोग ही ऐसे हैं जो सत्य को जानते हैं ही सही मायेने मे सत्य को ‌‌‌जानने वाला इंसान वह होता है जो उसे लागू करता है।वरना तो सत्य के बारे मे सब जानते हैं लेकिन उसके बाद भी वे भ्रमित रहते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सत्य को अपने उपर लागू करते हैं। सही मायेने मे उनका ही जीव सबसे बेहतरीन है। बाकि तो सारे पशु की जिदंगी ही जी रहे हैं।

‌‌‌असल मे वे इस तरह के योगी होते हैं कि यहां पर सब कुछ करते हुए भी किसी भी चीज के अंदर उनकी आशक्ति नहीं होती है। क्योंकि वे यह जानते हैं कि शरीर उनका अपना नहीं है। बस यह एक कपड़ों की तरह होता है जिसका हम यूज कर रहे हैं। और जब पुराना हो जाएगा तो इसको फेंक दिया जाएगा ।

 बस इस शरीर से जितना ‌‌‌बेहतर उपयोग किया जा सकता है उनता ही वे करते हैं।ऐसे लोग आम इंसानों की तरह नहीं होते हैं कि शरीर के द्धारा पैदा की गई वासनाओं के चिपक कर बैठ जाएं। वे खुद को शरीर से अलग जानते हैं। वे खुद का होना शरीर को नहीं समझते हैं। और यही सत्य है। आप भले ही झूठी चीजों पर कितना भी बकवास कर लो लेकिन सत्य ‌‌‌हमेशा सत्य ही रहेगा ।भले ही लोग यह कहने लग जाएं आत्मा कुछ नहीं होती है लेकिन वे उन आंखों पर यकीन करते हैं जोकि उनको आधाअधुरा दिखाती है। जिसको विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है। तो फिर आप इन शरीर की आंखों से आत्मा को नहीं देख सकते हैं। उसके लिए आपको अपना तीसरा नेत्र खोलना होगा ।

‌‌‌ऐसा नहीं है कि लोगों का भ्रम नहीं टूटता है।भ्रम तो सबका ही टूटता है लेकिन तब वक्त नहीं होता है। जब इंसान मरने वाला होता है तो उसे यह एहसास हो जाता है कि अब कुछ भी उसके काम नहीं आएगा । जो कर्म उसने किये हैं बस वही काम आने वाले हैं। और उसका सारा भ्रम मिट जाता है।

‌‌‌क्योंकि उसे उस समय सब कुछ दिखाई देने लग जाता है।लेकिन वह किसी को बता नहीं पाता है। वह जिस भ्रम के अंदर जी रहा था वह भ्रम भी समाप्त हो जाता है। उसे अनेक लोक भी दिखने लग जाते हैं।

‌‌‌लेकिन तब तक उसके कर्म करने का समय समाप्त हो चुका होता है।सत्य यही है कि हम सभी एक ना एक दिन मरने वाले हैं और उसके बाद हमको जलाया जाएगा । इससे बड़ा और कोई भी सत्य नहीं है। लेकिन आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आत्मा अजर अमर है आपको कोई भी नहीं मार सकता है।‌‌‌आपको और हमको कोई भी नहीं मार सकता है।आप और हम सदा ही थे और सदा ही रहेंगे ।

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