भूखा का विलोम शब्द या भूखा का विलोम , भूखा का उल्टा क्या होता है ? Bhukha ka vilom shabd
शब्द | विलोम शब्द |
भूखा | तृप्त |
Bhukha | trapt |
भूख का मतलब होता है अंदर की मांग । आपकी कोई भी मांग जो आपको परेशान करती है। वह भूख ही होती है। जैसे कि आजकल के नेताओं को सत्ता की भूख होती है जिसके लिए वे राक्षस हो जाते हैं। इसी प्रकार से भूख का एक ही प्रकार नहीं होता है। जानवरों के लिए सिर्फ खाने की भूख होती है। लेकिन एक इंसान के लिए अनेक तरह की भूख होती है। और इंसान इतना अधिक भूखा होता है कि सबकुछ खाने के बाद भी उसकी भूख मिटती नहीं है।
जिन लोगों को पैसों की भूख होती है।वे लोग पैसे कमाने के लिए न जानते कितने तिकड़म भिड़ाते हैं और कई तरह के जाल रचते हैं। और कुछ तो इसी पैसे की भूख के चलते चोर बन जाते हैं। और कुछ साल पहले न्यूज के अंदर पढ़ा तो एक ऐसी चोरनी पकड़ी गई जिसकों महंगी चीजों का शौका था। और उसके इसी चीजों के शौंक ने उसको चोर बना दिया ।इस तरह के वह एक ही चोर नहीं है। वरन बहुत सारे चोर होते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों को शराब की भूख होती है। क्योंकि उनको शराब के बिना नींद नहीं आती है। और जब तक वह उनको मिल नहीं जाती है तब तक उनके मन को शांति नहीं मिल पाती है।
तभी तो आपने देखा होगा कि जब लॉकडान खुला तो शराब लेने वालों की भीड़ लग गई । और लोग पूरी जिदंगी की कमाई शराब मे उड़ा रहे थे । यह सब और क्या थी बस भूख ही तो थी।
यह तो शराब की भूख थी अब आइए एक दूसरी किस्म की भूख की बात कर लेते हैं।एक होती है शरीर की भूख जिसके नचाये कई लोग नाचते हैं। राजकुंद्रा को ही देखलो । और रोज लड़कियां बदलने वाले एक्ट्र जो आपको प्रेम करना सीखाते हैं। और आप उनसे प्रेम करना सीखते हैं।
वैसे तो कहा जाता है कि रोटी कपड़ा और मकान अनिवार्य जरूरते हैं लेकिन असल मे यह अनिवार्य जरूरत नहीं है। आज तो कुछ और ही जरूरी हो गया है। पैसा इसके अंदर होना चाहिए । बस यही जरूरत है। यदि आपके पास पैसा है तो बाकी सब चीजें भी होगी ।
लेकिन किताबी ज्ञान अलग होता है और रियल लाइफ का ज्ञान काफी अलग होता है।कुछ महान लोगों की पैसे की भूख इतनी अधिक होती है कि वे सरकार को ही बेच कर खा जाते हैं। और सरकार को भी समझ नहीं आता है कि वे बिक चुके हैं सालों बाद पता चलता है कि एक महान इंसान ने सरकार को ही बेच दिया था।
यह भूख ही तो है जो चारो ओर भ्रष्टाचार फैल रहा है।सरकारी तंत्र तो पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुका है।यदि आप वहां पर जाओगे तो दुत्कार मारकर भगा दिये जाओगे । क्योंकि सरकारी अधिकारी यह समझते हैं कि उनको मोक्ष मिल गया है इसलिए वे महान हो चुके हैं। और वे कुछ भी कर सकते हैं लेकिन हकीकत के बारे मे कोई नहीं सोचता है।तो बाबा भूख काफी भयंकर होती है। आप देख ही चुके हैं कि भूख क्या क्या करवाती है?
तृप्त का मतलब होता है भूख का शांत होना । हमने उपर भूख के बारे मे बात की थी । अलग अलग प्रकार की भूख होती है। जैसे आपको खाने की इच्छा होती है तो यह भी एक प्रकार की भूख ही होती है। और जब आप खाना खा लेते हैं तो उसके बाद आपकी यह भुख शांत हो जाती है। जिसको तृप्त कहते हैं।
जब एक इंसान की एक तरह की भुख शांत होती है तो उसके बाद उसके मन मे दूसरी तरह की भुख जग जाती है।और उसके बाद वह उसे पूरा करने के लिए लग जाता है। इस प्रकार से एक इंसान की जिदंगी इन्हीं भुखों के अंदर ही बीत जाती है। और एक दिन वह मर जाता है।
यदि बात करें जानवरों की तो जानवरों को बस कुछ ही भुख होती है।उनको बस खाने की चिंता होती है। इंसान की तरह फालतू चिंता नहीं होती है। एक बार जब उनका पेट भर जाता है तो उसके बाद वे आराम से बैठ जाते हैं और उनको किसी तरह की समस्या नहीं होती है।लेकिन इंसान ऐसा नहीं करता है।लेकिन इंसान का मन एक विशाल विचारों का संग्रह है और उसके अंदर इतने अधिक विचार उठते हैं कि कई बार तो हम खुद ही अपने ही विचारों से परेशान हो जाते हैं।
यदि आप एक भुख को समाप्त करने या शांत करने के बाद दूसरी भुख को पैदा करते हैं तो आपके पास भले ही कितना भी धन क्यों ना हो आपको कभी भी शांति नहीं मिल सकती है। इसका कारण यह है कि आप फालतू मे परेशान होगें। जो चीज आपको जरूरत नहीं है। उसके बाद भी आप उसके लिए भागे फिर रहे हैं।
हमारे यहां पर एक महिला है।उसकी समस्या यह है कि वह हमेशा किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहती है। वह अभी 90 साल की हो चुकी है लेकिन उसके बाद भी अपने विचारों से परेशान रहती है। यही तो अतृप्त होने का दुख होता है।
एक इंसानी जीवन की सबसे बड़ी खास बात यही तो है कि हम अपने विचारों को सही कर सकते हैं। यदि उसके बाद भी हम अपने विचारेां को नरक के जैसा बनाते हैं तो फिर हम जानवरों से भी बदतर स्थिति मे जाएंगे ।
यदि आप खुद को संतुष्ट रखना जानते हैं और अपने मन को कंट्रोल करना आपको आता है तो फिर आपको दुनिया की कोई भी ताकत दुखी कर नहीं सकती है। माना दुनिया मे दुष्ट इंसानों की कमी नहीं है लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है। उनको अपने कर्में की सजा भुगतनी ही होगी । इसमे कोई शक नहीं है। प्रकृति के न्याय मे किसी तरह का भ्रष्टाचार नहीं चल पाता है।यदि आप संतुष्ट हैं तो फिर आप मानव जीवन का बेहतर उपयोग कर रहे हैं लेकिन यदि आप संतुष्ट नहीं हैं तो मानव जीवन का बेहतर उपयोग आप नहीं कर पा रहे हैं वरन जीवन को बरबाद कर रहे हैं।
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