दोस्तो इस लेख में हम जानेगे की ब्रह्मा का पर्यायवाची शब्द brahma ka paryayvachi shabd या ब्रह्मा का समानार्थी शब्द brahma ka samanarthi shabd क्या होते है साथ ही जानेगे की ब्रह्माजी कोन थे और इकनी उत्पत्ति कैसे हुई ।
शब्द {shabd} | पर्यायवाची शब्द या समानार्थी शब्द {paryayvachi shabd / samanarthi shabd} |
ब्रह्मा | स्वमू, कर्तार, सुरज्येष्ठ, स्वयंमू, विरंचि, चतुरानन, परमेष्ठी, पितामह, विरंच, हिरण्यगर्म, कोलेश, विधि, विधाता, धाता, स्त्रष्टा, प्रजापति, अब्जयोनि, नामिजन्म, आत्मभू, कमलासन, अज, अण्डज, हंसवाहन, पूर्वनिधनख्, मलोद्भव, प्रजाघ्रिप, सृर्ष्टि, स्रष्टा, रजोमूर्ति, सदानन्द, सत्यक, वेघा, द्रुहिण, सृष्टिकर्ता, हंरूवाहन, विश्वसुज, चतुर्मुख, कर्तार, दुहिन, प्रजाधिप, जगद्योनि, चतुरानन । |
Brahma | Swamu, Kartar, Surjyeshtha, Swayamu, Viranchi, Chaturanan, Parameshthi, Pitamah, Virancha, Hiranyagarma, Kolesh, Vidhi, Creator, Dhata, Creator, Prajapati, Abjyoni, Namijanma, Atmabhu, Kamalasan, Aja, Andaj, Hansvahan, Purvandhanakh, Malodbhav, srshti, srashta, Rajomurti, Sadananda, Satyaka, Vegha, Druhin, srshtikarta, Hanruvahana, Vishwasuj, Chaturmukha, Kartar, Duhin, Prajadhipa, Jagadyoni, Chaturanan. |
Brahma | the Almighty, Brahma, formless god, the universal spirit, sire, superior, Kolesh, method , grandfather, creator,maker, constructor, erector, house, builder, moulder , initiator, Brahm, charioteer, lotus seat, the four faces, four sides, creator of creation. |
ब्रह्मा, विष्णु, महेश जो हिंदू धर्म के प्रमुख देव होते है उनमें से ही एक ब्रह्मा होते है और सनातन धर्म के एक देव है । इन्हे सृष्टि के निर्माता के रूप में भी जाने जाते है इसी कारण से इन्हे सृष्टि सृजन भी कहा जाता है । ब्रह्माजी सृष्किर्ता, रूकतवर्णख् चतुर्मुख, कमलासन, हंसवाहन, विष्णु के नाम से उत्पन्न और रजोगुण की मूति है कहते है की वेद सबसे पहले ब्रह्माजी के ही मुख श्री से उच्चरित हुए थे ।
एक बार की बात है भगवा विष्णु अपने आसन पर विराजमान थे और वे सोच मे पढ रहे थे । तब उनके मन मे चल रहा था की इस संसार में हम अकेले है यहां पर किसी प्रकार का जीवन नही है । इस तरह से सोच कर विष्णु जी ने सोचा की यहां पर भी जीवन होना चाहिए । मगर यह उत्पत्ति कोन करेगा यह सोच रहे थे विष्णु जी । तभी उन्होने सोचा की मुझे एक ऐसे देव को उत्पन्न करना होगा जो यह कार्य बहुत आसानी से करेगा।
ऐसा सोच कर विष्णु जी ने अपनी नाभी से एक शक्ति निकाली जो पास खडे कमल पर जाकर रूक गई । इस नाभी से निकली शक्ती से ब्रह्मा जी का जन्म हो गया । क्योकी यह कमल पर रूकी थी तो कमल उनका आसन बन गया था । जैसे ही ब्रह्माजी की उत्पत्ति हुई तो उन्होने भगवान विष्णु से प्रशन करने शुरू कर दिए और कहा की आपने मुझे यहां किस कारण से बुलाया है और मुझे करना क्या है ।
तभी विष्णु जी के मुंख से एक शब्द की उत्पत्ति हुई वह शब्द तपस । इस शब्द को सुन कर ब्रह्माजी समझ गए और वे नदी में कमल की मदद से तैरते हुए दुसरे स्थान पर चले गए और वहां जानकर वे तप करने लगे थे । इस तरह से उन्होने कडा तप किया जिससे उन्हे ज्ञान और अधिक आ गया फिर उन्हे यह भी पता चल गया की उनका जन्म सृष्टि रचियता करने के लिए हुआ है । जिसके बाद में ब्रह्माजी ने सृष्टि निर्माण का कार्य शुरू किया था । इस तरह से पता चलता है की ब्रह्मा जी का जन्म विष्णु जी की नाभी से हुआ था ।
जब ब्रह्मा का जन्म हुआ तो वे सबसे पहले चारो दिशाओ मे देखने लगे थे मगर साथ मे उपर भी देखा था । जिसके कारण से उनके पांच सिर बन गए थे । ताकी सभी और आसानी से देखा जाए । क्योकी ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्णु की नाभी से बताई जाती है तो यह बात सत्य हो सकती है क्योकी विष्णु मे शक्ती थी उनमे से ब्रह्मा में भी जरूर होगी । इस तरह से ब्रह्मा के कुल पांच सिर थे ।
मगर ब्रह्माजी की गलती के कारण से उनका एक सिर भगवान शिव ने काट दिया था । जिसके कारण से ब्रह्मा के चार सिर ही बचे थे । अब इन सिरो से ब्रह्मा केवल चार दिशाओं मे देख सकते है उनका उपर वाला सिर नष्ट हो गया था ।
पुराणो में बताया जाता है की ब्रह्मा जी सृष्टि रचियता है और उन्होने कई देवियो को भी जन्म दिया था । इस तरह से उन्होने एक बार सतरूपा नाम की कन्या को जन्म दिया था । सतरूपा जन्म से ही बहुत सुंदर थी वह इतनी अधिक सुंदर थी की ब्रह्माजी मोहित हो गए । साथ ही बताया जाता है की सतरूप जब की किसी दिशा में जाती तो ब्रह्मा उसे देख ही लेते थे ।
इस तरह से सतरूप परेशान हो गई जिसके कारण से वह उपर आसमान की ओर चली गई थी। मगर ब्रह्मा जी का उपर की तरफ भी एक सिर था जिसके कारण से वे सतरूप को उस ओर भी देखा करते थे । इस तरह से सतरूप परेशान हो गई और वह भगवान शिव के पास गई और अपनी पिडा सुनाते हुए कहा की उन्होने मुझे जन्म दिया है तो वे मेरे पिता के समना हुए फिर भी वे ऐसा कर रहे है ।
यह सुन कर शिवजी को क्रोध आ गया और उन्होने ब्रह्मा का एक सिर काट दिया । जिसके बाद में ब्रह्मा को अपनी गलती का अहसास हो गया था । अब ब्रह्मा के केवल चार ही सीर बचे थे ।
ब्रह्माजी का जन्म विष्णु के नाभी से हुआ माना जाता है और उनके रहने का स्थान ब्रह्मलोक है साथ ही उन्होने कई वर्षो तक कमल मे तप भी किया था जिसके कारण से उनका मन काफी सांत था । मगर फिर भी ब्रह्मा की कुछ गलतियो के कारण से उन्हे श्राप दिया गया की उनकी पूजा नही की जा सकती है ।
इन्ही श्राप में से एक श्राप तो भगवान शिव ने ही दे दिया था तो भला उनका श्राप कैसे खाली जा सकता था । इसके अलावा एक श्राप उनकी पत्नी ने भी दिया था । जिससे उनकी पूजा होनी रूक गई थी । इससे पहले ब्रह्माजी की पूजा काफी अधिक होती थी और क्यो न हो उन्होने ही सृष्टि की रचना की थी तो अपने पितामाह की पूजा क्यो नही करेगे । मगर यह श्राप का नतीजा हुआ की धिरे धिरे पूजा बंद होने लगी ।
भगवान शिव जो सत्य के रूप में जाने जाते है और उन्हे सत्य ही पसंद है अगर इनसे कोई असत्य कहेगा तो इन्हे क्रोध प्रकट करना ही पडता है क्योकी असत्य शिव नही पसंद करते है । मगर ब्रह्मा जी ने एक बार शिव जी को असत्य कह दिया जिसके कारण से शिव ने उन्हे श्राप दिया की आपकी पूजा पृथ्वी पर कही नही होगी ।
माना जाता है की उस समय ब्रह्मा जी अपने आप को विष्णु से बडे साबित करने में लगे थे जिसके कारण से शिव ने कहा की जो ब्रह्माण्ड के अंतिम छोर तक जाकर पहले आएगा वह सबसे बडा है । क्योकी विष्णु शिव के बारे मे अच्छी तरह से जानते थे जिसके कारण से वे कुछ ही दूरी जाकर वापस आ गए और शिव से कहने लगे की शिव जी मैं आपको जानता हूं की आप कोई आसान कार्य नही दोगे और मैं यह भी जानता हूं की ब्रहमांड का अंतिम छोर मिलना बहुत ही कठिन है इस कारण से मैं अपने आप की हार मातना हूं ।
मैं ब्रह्मा जी से बडा नही बनना चाहता हूं वे अगर बनना चाहते है तो वे कर सकते है । यह बात ब्रह्माजी ने नही सुनी क्योकी वे आकास की तरफ ब्रहमांड का अंतिम छोर देखने के लिए चले गए । मगर इस बात को काफी अधिक समय बित गया मगर अभी तक ब्रह्माजी वापस नही आए । इधर शिव और विष्णु उनका इंतजार कर रहे थे ।
मगर काफी अधिक समय बित जाने पर वे जब शिव के सामने आए तो उन्होने सोचा की शिव मेरे साथ थोडे गए थे जो उन्हे पता चल जाएगा की मैं अतिम छोर गया था या नही । ऐसा सोच कर ब्रह्माजी ने शिव को झुंठ बोल दिया । क्योकी शिव ज्ञानी थे उन्होने अपने ध्यान के बल पर यह पता लगा लिया की ये कहा तक गए थे । साथ ही ब्रह्मा के झुंठ के बारे मे उन्हे पता था । तब शिव ने कहा की आप सच कह रहे हो क्या ।
तब फिर ब्रह्मा ने कहा की हां मैं सच कह रहा हूं । यह सुन कर शिव को क्रोध आ गया और उन्होने कहा की आप विष्णु जी से बडे होने के लिए झुंठ बोल रहे हो । अब शिव जी क्रोधित थे और उन्होने श्राप दिया की अब से आपकी पूजा कभी नही होगी । इस श्राप के कारण से उनकी पूजा कही पर भी नही होती है । श्राप पा कर ब्रह्माजी ने अपनी गलती मान ली मगर अब क्या था । इस घटना के बाद मे ब्रह्मा जी की पूजा रूकने लगी थी ।
माता सावित्री जो ब्रह्मा जी की पत्नी थी और जब भी ब्रह्मा जी की पूजा होती तो सावित्री भी उनके साथ विराज मान होती थी । माता सावित्री के बिना कभी भी भगवान ब्रह्मा की पूजा नही होती थी । दोनो को एक साथ रहना पडता था तब जाकर ब्रह्मा की पूजा होती थी । वर्तमान समय की तरह उस समय भी पुष्कर एक मात्र ऐसा स्थान था जहां पर भगवान ब्रह्मा की पूजा होती थी ।
इसी तरह की एक घटना है जो पूराणो और वेदो में भी देखने को मिलती है इस घटना में बताया जाता है की एक बार ब्रह्माजी का यज्ञ पुष्कर में चल रहा था । यज्ञ बहुत ही बडा था और उसे बिना पूजा के निकाला नही जा सकता था । क्योकी माता सावित्रि के बिना पूजा हो नही सकती थी जिसके कारण से ब्रह्मा ने कहा की मैं यज्ञ में जा रहा हूं तुम आ जाना साथ ही कहा की यज्ञ बहुत ही जरूरी है देर मत करना ।
इतना कह कर वे तो वहां से चले गए मगर पिछे से माता को आने मे देर हो रही थी। अब ब्रह्मा जी पुष्कर में उनका इंतजार करने में लगे थे । मगर माता उन्हे दूर दूर तक नजर नही आ रही थी । यज्ञ का समय बितता जा रहा था तो ब्रह्मा जी को लगा की माता नही आ रही है तभी उन्हे पास में एक कन्या दिखाई दी जो वेदो मे परिपूर्ण थी और इस बारे में ब्रह्मा जी को पता था ।
साथ ही यज्ञ का समय निकल रहा था तो ब्रह्मा ने माता का और इंतजार न करते हुए उस कन्या को अपने साथ यज्ञ में बैठा लिया था । क्योकी वह स्थान केवल माता का था जो माता ही वहां पर बैठ सकती थी जब माता सावित्रि ने यह सब देखा तो उन्हे क्रोध आ गया और क्रोध के कारण से ही उन्होने अपने पति ब्रह्मा को श्राप दे दिया की पृथ्वी पर आपकी पूजा नही होगी । इस तरह से श्राप मिल जाने के कारण से ब्रह्माजी की पूजा नही होती है ।
दोस्तो अगर आप भगवान ब्रह्मा के बारे में जानते हैया थोड़ा बहुत ही पौराणिक कथाओ की और ध्यान रखते है तो आपने सुना होगा की इस पूरी की पूरी सृष्टी का निर्माणकरने वाले कोई और नही बल्की स्वयं हीभगवान ब्रह्मा हैं
और अब जिन्होने सृष्टि को बनाया है तो आपको पता है की उसी ने हमे बनाया है और इस बात से सिद्ध है की भगवान ब्रह्मा मानव के लिए उपयोगी है ।
वैसे पुष्कर के बारे में जानते है वहां पर भगवान ब्रह्मा के बड़े भक्त है और उनका कहना है की भगवान ब्रह्मा के कारण से उनके जीवन में कष्ट बहुत ही कम आते है। मतलब भगवान कष्टो को दूर करने का भी काम करते है अत भगवान मानव के लिए उपयोगी है।
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